वैदिक विधि से मंडप एवं कुण्ड निर्माण की प्रक्रिया तथा महत्त्व ( भाग -१) Vedic Kunda & Mandapa
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- เผยแพร่เมื่อ 23 พ.ค. 2020
- "यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म" इस उक्ति के अनुसार वेद प्रतिपादित यज्ञ कर्म करने से पुरुषार्थ चतुष्टय की सिद्धि होती है। यज्ञ यागादि कर्म हेतु मंडप एवं कुंड निश्चित किये जाते है। वैदिक विधि एवं उचित माप से यदि मंडप तथा कुंड का निर्माण होता है तो वह सर्व फलप्रद होता है अन्यथा अनिष्ट का कारक हो जाता है। वैदिक पद्धति में श्रौत-स्मार्त-पुराण-आगम इत्यादि यज्ञ करने हेतु अनेक कुंडो का विधान किया गया है तथा कुण्डानुरूप मंडप या यज्ञशाला करने का विधान है। कुंड के पाँच अंग (नाभि-कंठ-मेखला-योनि-उदर) होते हैं। जिनका निर्धारित माप होता है।निर्धारित माप से कुंड या मंडप या वस्तु अधिक या न्यून होने पर यज्ञ कर्ता का अनिष्ट होता है इसी लिए कहा गया है "नास्ति यज्ञसमो रिपु:"। इस सभी विषयो को स्पष्ट रूप से आपके सामने प्रस्तुत किया गया है काशी के वैदिक परम्परा के मूर्धन्य वेदज्ञ एवं कुण्ड मंडप के विशेषज्ञ सेवा निवृत ७३ वर्षीय वेद प्राध्यापक आचार्य श्री ऋषिदेव त्रिपाठी जी के मुखारविंद से। यह प्रथम भाग है। आप सभी इस लुप्त प्राय परंपरा का अवश्य निदर्शन करें एवं अन्य को भी लाभांवित करें।
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गुरु जी के चरणों में प्रणाम करता हु । आज आपके पढ़ाये हुए अनेक शिष्य है जो शास्त्र की मर्यादा के अनुकूल आचरण कर रहे है । आपका आशीर्वाद ऐसे ही हम सभी पर बना रहे ।
विश्व भर में आपके पढ़ाई हुए अनेक छात्र इस पारंपरिक विद्या का अनुसरण करते हुए सनातन धर्म की परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखने में अपना सहयोग दे रहे हैं । मुझे स्मरण है जब मैं तुलसी घाट पर आपके सानिध्य में पढ़ा करता था और अनेक छात्र भी उसी में पढ़ा करते थे ।प्रणाम गुरुजी
ये video हमारी लुप्त होती विद्याओ में से एक है ये आपने बहुत ही अच्छा प्रयास किया है।और सबसे बड़ी कृपा गुरुवर ने की जो उन्होंने वीडेओ के माध्यम इस लुप्त होती भारतीय विज्ञान को लोगो के बीच जीवंत कर दिया
आप काशी के वैदिक परंपरा के तथा यज्ञ मंडप के विख्यात और अद्वितीय विद्वान है
गुरुदेव आप को सादर प्रणाम
काशी की वैदिक परम्परा के ध्वज वाहक , ऋषि कल्प गुरुदेव के पावन पुनीत चरणों मे कोटि कोटि प्रणाम
गणेश त्रिपाठी जी को इस प्रयास हेतु अशेष शुभकामनाएं
धन्यवाद, मित्रवर!
प्रणमामि गुरुदेव:
प्रातः स्मरणीय गुरुदेव के चरणों में कोटिशः वंदन
गुरू जी प्रनाम
प्रणामाः, शोभनम्
प्रणाम गुरुदेव
प्रणाम गुरु जी
गुरु जी प्रणाम।
गुरुजीको सादर प्रणाम,कुंडके बारे में अच्छी जानकारी मिली,
मेरा सौभाग्य है कि हम आपसे अध्ययन कर पाएं🙏
पूज्य गुरुदेव सादर चरण स्पर्श
जय हो
अच्छा बात
Har har mahadev
जय हो
ast kamal dal kund jisamai kamal jaisi pankhudiya banai jati hai usaka svarup padm kund jaisa hota hai lekin usaki hamai nap nahi malum aap k vdara janakari mile ham aapake bahut aabhari rahege guru ji aap apana mo.n, dene ki krapa karo jay shri radhe
गुरुदेव के चरणों मै प्रणाम 🙏
Guru ji pranaam
दंडवत आचार्य जी.......
आपने कुंड के अंग और उनके देवताओ के बारे में बताया..... और क्रमवार सबका पूजन भी बताया...... जब कुंड उपलब्ध होगा तो अवश्य ही पूजन करेंगे....... परंतु आपसे करबद्ध विनती है कि स्थंडिल वेदि के भी यदि अंग व देवता होते हैं तो उनका भी उल्लेख करने की कृपा करें......
स्थंडिल वेदि के अंग व देवताओ के बारे में मैंने बहुत लोगों से पूछा परंतु किसी ने भी उत्तर नही दिया
कृपा कर मार्गदर्शन करें आचार्य जी.....
किस दिशा में कौन सी वेदी होनी चाहिए इस पर वीडियो बनाईए 🙏🏻
Prnmami
आशीर्वाद
Ek यह प्रार्थना है कि वेदी के कितने प्रकार होते हैं और उनके पूजन विधि बताने की कृपा जरूर करें गुरुदेव भगवान👏👏👏
या या इससे संबंधित कोई पुस्तक का मार्गदर्शन करें
बहोत ही सराहनीय कार्य कर रहे है आप जय हो
Snapan ki vidhi per ek video banane ki kirpa kare maharaj ji 👏👏👏👏
प्रयास किया जाएगा
Gurudev ji pranam.
Aapse milna chahte hai, address btane ki tripa kren
कोटि-कोटि प्रणाम
मंगल हो
यज्ञ अनुष्ठान की विधि की जानकारी प्राप्त का मार्गदर्शन करे
108 kundatamak yagya ka prayog to bahut se vidvano ke dwara prayog m laya jata h
शतचंडी यज्ञ में चारो वेद का पाठ करवाना चाहिए क्या
हां
कुड रतनावली ऐ पुसतक कहा मिलेगा कुपया हमें बताएं
आपने कहा कि आपने लगभग 75 पस्तकों का आँकलन कर यज्ञ के लिए “मंडप कुंड संग्रह” पुस्तक लिखी है, मैं यह जानना चाहता हूँ की इसके अलावा यज्ञ की संपूर्ण जानकारी और कौन सी पुस्तकों में दी हुई है “कुण्डरत्नावली” के अलावा ?
🙏एक यव की माप कितनी होती है? गुरू जी ।
कैसे बात हो गुरु जी आपसे❤️🙏🙏🙏
नंबर दिया हुआ है आप उस पर चैट कर सकते हैं
9580460121
108 kund ke to bahut yagya hote h to kya ye bhi praman hin hote h
प्रणाम गुरुदेव 🙏
क्या हम धातु के कुंड में हवन कर सकते है?
कर सकते हैं
अपने जो पुस्तक लिखा है उसका नाम क्या है ओर किष विषय पर है ओर किमत कया हैं किपया उतर देना ,
सादर प्रणाम
क्या छत के ऊपर हवन कुंड बनाया जा सकता है।
अगर हां तो उसकी विधि क्या है। कृपा कर मार्गदर्शन करें गुरुदेव
यदि घर में नीचे जगह ना हो तो
छत के ऊपर केवल स्थन्डील बनाया जा सकता है क्योंकि वहां पर खात प्रमाण रूप में उपलब्ध नहीं रहेगा ।
पंडितजी ईनका पूरा पता देने की कृपा करे कृपया कभी काशी गये तो दर्शन का लाभ हो सके
काशी में तुलसी घाट के पास ही वाराणसी श्री गोस्वामी का संस्कृत महाविद्यालय है उसमें प्रातः काल 09:00 से लेकर 12:00 के बीच गुरु जी कभी भी मिल जाएंगे ।
एकादश कुंड का वर्णन जिस पुस्तक में हो उसका नाम लिखने की कृपा करें प्रमाण हो जिसका कौन सी दिशा में कौन सा कुंड बनेगा और उनके नाम
आप मंडप कुंड सिद्धि या कुंड रत्नावली इत्यादि ग्रंथ देख लीजिए उसमें आपको मिल जाएगा
इस पर कोई पुस्तक भी प्रकाशित हुई है क्या?
प्रक्रियाधीन है । प्रकाशित हो जाएगी तो आप सभी को सूचित कर दिया जाएगा वीडियो के माध्यम से ।
अगर मिट्टी के अलावा कुंड का निर्माण किया जाये , तो किस चीज से किया जा सकता है ? जैसे आजकल बाज़ारो में ताम्र, पीतल, लोह इत्यादि से निर्माण हो रह है, लोह तो मान्य नहीं है वैसे, पर क्या ताम्र का किया जा सकता है क्या ?
ताम्र पर किया जा सकता है
@@srinathaastroscience आपका बहुत धन्यवाद, यह दुविधा दूर करने के लिए।