बहुत ही सुन्दर और मार्मिक कहानी। अब ऐसी कहानियां लिखने वाले साहित्यकार दुर्लभ है। वृद्धावस्था और भुख आदमी की मति हर लेते हैं। कितना करुण और मार्मिक चित्रण किया है। ऐसी कहानियां पढ़ कर आदमी सही रास्ते पर चल सकता है, जो अपने माता पिता की उपेक्षा करते हैं वो भी सोचने पर मजबूर हो जायेंगे। मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य अमर है।
सरजी आप ने ठीक कहा "ऐसी कहानियां लिखने वाले साहित्यकार दुर्लभ हैं"। सरजी दुर्लभ हैं परन्तु हैं जरूर। जैसे यश चोपड़ा जी की फिल्म "बागबान" की कहानी लिखने बाले साहित्यकार।
काश मुंशी प्रेमचंद होते तो उन्हें गले लगा कर रो देता हमारे मुंशी प्रेमचंद जी ने समाज को दिशा दिखाने के लिए बहुत साड़ी चीजों को लेख लिखें जो भी लेख लिखे हैं लगता है आंखों के सामने यह घटनाएं घट रही आंखें नम हो गई मुंशी प्रेमचंद जी आपको हृदय से कोटि कोटि नमन किस प्रकार के समाज में घातक घटनाओं को साहित्य के माध्यम से उजागर करने का जो अपने काम किया है आपको अनंत पर😢😢😢😢😢
जीवन में कभी भी अपने बड़े कौन नहीं भूलना चाहिए।।। हमारे उन्होंने पता नही कैसे समय बिताएं है।।। भोजन का पहला निवाला उन्हें खिलाना ही हमारी सम्पत्ति है❤❤❤❤
मुन्शी प्रेमचंद जी ने हमें बहुत अच्छी अच्छी कहानियां दी हैं जो पहले हमारे पाठ्यक्रम में भी शामिल रहीं , गोदान , पंच परमेश्वर, पूस की रात आदि कहानियां हमने अपने पाठ्यक्रम में पढ़ीं हैं, इन सब कहानियों में उन्होंने उस दौर के समाज का सजीव चित्रण प्रस्तुत करके अपनी अमिट छाप छोड़ी है, बूढ़ी काकी भी उनकी एक हृदय स्पर्शी रचना है
जीवन में कई बार मुंशी प्रेम चन्द द्वारा लिखित यह कहानी याद आती है,आज देखकर बचपन की यादें ताजा हो गई। दौलत के भूखे बेटे बहु की पोल खोल गई। भगवान किसी भी मां बाप की ऐसी दशा होने से पहले उन्हें मौत ही दे दे तो अच्छा हो।
मन मस्तिष्क को झंकझोर देने वाली कथा है.कक्षा ९ वी में हिन्दी विषय में यह कहानी आज भी याद है.काल चक्र चाहे कोई भी हो.वृद्ध लोगों की दयनीय अवस्था एक सी है.😔🙄
@@passionworldartist968is bachhi k sanskar usi ghr k hn..jis ghr m uske maa baap apni kaki k sath asa bartav kar rahe hn..sanskar ki bat nhi hai..kitni buddhi hai kisme..is pr nirbhar krta hai
Mere saale ne bhi property naam per karne k liye aisa maska lagaya... Aur jaise hi property naam per hogayi Aisa tadpaya ... 😢😢 Bechara baap aise sadme me gaya k phr wapas nahi aya ... Aur maa. Zinda lash ... Usko magar koi fark nahi 😢😢😢 Kisi ka dil itna sakht kaise hosakta hai .. Do niwale Dene k liye bhi jo sonche ... Kya chahiye unhe bas do waqt ki roti...😢😢😢😢😢
एक साथ कितने emotions छलक पड़े हैं 😢😢 जब वो गीत दिखाया गया तो मैंने सोचा इसकी क्या ज़रूरत है। पर जब काकी को गाते सुना तो लगा... सबसे ज़्यादा पीड़ादायक तो यही क्षण होगा काकी के लिए 😢😢 गाने की लय सुर ताल शब्द सब याद हैं पर खुशियों का हिस्सा तक नहीं बनाया। ऐसा कैसे कर सकता है कोई। बहुत ग्लानि होती है ऐसे समाज की सच्चाई को देखकर। और अंत में क्या था...क्या अब भी सुधार हुआ बहू बेटे में। क्या हुआ बूढ़ी काकी का ।
प्रेमचंद्र दूरदर्शी लेखक थे। उनके द्वारा आधुनिक समाज में होने वाले बड़े budho की समस्या पर पहले ही प्रकाश डाल दिया। कहानी अति सुंदर और प्रेरणा प्रद है।
ऐसी कहानियां लिखने का मुंशी प्रेमचंद जी का मात्र एक ही उद्देश्य रहा होगा कि समाज में यदि किसी वर्ग में ऐसी दशा किसी भगवान रूपी किसी प्राणी का हो तो हमें खुद ही क्यों न भूखा रहना पड़े लेकिन किसी को भी ऐसी स्थिति से उबारा जाये।बहुत दर्दनाक कहानी थी लेकिन हर एक लोगों में मानवता का संचार करेगी।
घिन आती है ऐसे परिवार पर जहां शादी व्याह मेहमान के लिए अच्छे अच्छे पकवान मिठाईयां कपड़े और एक बूढ़ी काकी को खाना तक नहीं पूछा गया सिर्फ उसकी नातिन के सिवाय
मुंशी प्रेमचंद अपने समय के वास्तविक परिदृश्य को देख रहे थे और वैसा ही लिख रहे थे। मुंशी प्रेमचंद उस समय की सामाजिक व्यवस्था, नैतिकता,आचार और व्यवहार मैत्री जो धर्म के माध्यम से लोगों मे पिरोही जाती है।वास्तविक रूप से उस उस धर्म व्यवस्था की अमानवीय नैतिकता,व्यवहार का वर्णन किया है। ऐसी धर्म व्यवस्था दुनियाभर के देशों मे शायद नही होगी लेकिन हमारे देश मे पूर्णतः विद्यमान थी।
Yah kahani to kai bar Maine padha tha lekin Aaj dekha to aankhon se aansu nikal aye... Premchand ki kahani,unke gaon ki kahani hi thi ,Satya ghanta hai yah. 😢😢
@@reemathakur9759 aap आडिओबुक में इसी कहानी को सुन कर देखो, फीर नाराज होना, हम प्रेमचंद जी का अपमान नहीं कर रहे हैं. ऐसा लेखक तो महान है, और हमारा उनको सत सत नमन 🙏🙏🙏🙏
Aaj ye 9the story dekh rha munshi ji ki btaa nhi sktaa kitna dil m dard ubhar aaya , such m dil dehla dene bali story vastav me hi nark hai ue duniya bhgwaan k layak nhi
Munshi premchand ki ye kahani maine 9th class mein padhi thi ye aisi kahani h jise mai kabhi nhi bhul paungi thank you doordarshan for this short film ❤️❤️🙏
जब बूढ़ी काकी जूठन से खाना खा रही थी तब बहु को एहसास हुआ कि इस समय उसके हाथो में मिठाई पकवान की थाली का मूल्य उस जूठन के आगे शून्य समान अर्थात धूल बराबर हो गया, अनुचित समय पर तो पांच पकवान का भी कोई मोल नहीं रहता है। हमारे घर में जो बूढ़े माता-पिता/दादा दादी है वो हमसे केवल यही चाहते है की हम कुछ समय उनके पास बैठ कर उनसे अच्छे से बाते करे हम यदि फालतू रील्स/वीडियो etc ना देख कर कुछ समय उनके साथ बिताए तो वो बहुत खुश होते है।😊 जब तक वो है उनकी सेवा करे बाद में तो केवल पछतावा ही रह जाता है एवं बुढ़ापा तो सबको आना है।❤❤❤
Short film truely fit for Kalyug.The biggest evil of human body is stomach and because of stomach entire world is roaming around here and there and forget that joh Aaj unka age hai woh aage chalkar hamara bhi hoga .Thanks to Munsi Premchand Sir to bring the reality into the public domain and spread the awareness.Final words no one kill this evil stomach from the people.
I saw this movie in my childhood and cried at the last scene... today after 20 yrs....i m still bawling my eyes at the predicament of hunger, old age, innocence, and the helplessness of circumstances and humans.
In today's fast world .we cared about carrier, success, money and lot of others things ..and forgot our parents, forget our responsibilities.. 😢😢 this epic story released in this is materialistic world we have to care our culture, which teaches us real karma.. 😢😢but today's generation don't know this... but at the end all will know real Indian culture teaching have to prevent ,...
ये कहानी देखकर लगता है की बुढ़ापे अब बोझ लगते होगे परिवार में कोई बुजुर्ग है तो उसका सम्मान करना चाहिए ये कहानी देखकर मुझे मेरी दादी को याद आ गई 🥺 आज भी रोज मेरी मम्मी सबसे पहले दादी को ही खाना खिलाती है में घर से दूर जरूर हु पर उनकी चिंता नही रहती घर में बुजुर्ग का होना भगवान के आशीर्वाद के समान है ,........
प्यार, रिश्ते , नाते सब दुनिया को दिखाने के लिए है वास्तव में दुनिया सिर्फ स्वार्थ की है जहां से पूरा होता है उसकी ही है जब कोई नहीं हो तो सिर्फ दुख होता है पर जब सब कुछ होकर भी कुछ न हो तो बहुत दुख होता है
मेरे दादा दादी को तो देखा नहीं, लेकिन मेरे नानाजी और नानीजी की जो सेवा हुई है ऐसी सेवा केवल मैंने रामायण की कथा में ही देखी है। नानाजी 108 वर्ष जिए, और नानी अभी भी जीवित है। मामा का घर अमीर नहीं है लेकिन उनका घर बुजुर्गों के लिए स्वर्ग से टक्कर ले सकता है।
यह कहानी देखकर मेरे आँखो से आंसू आ गये और मेरी बडी नानी की याद आ गयी, मेरी नानी कोई नही था मै ही उनकी देखभाल और सेवा करता था आज मेरी नानी मुझे छोड़कर इस दुनिया से चली गई ,I miss you 😢😢😢
ये कहानी उस समय बिलकुल सही लिखी गई थी पर आज के युवा पीढ़ी अपने बुजुर्गो के साथ ऐसा ही कर रहे है । रोना आ गया मेरे प्रियों कुछ भी रहो अपने माता पिता दादा दादी को भरपेट भोजन और उनकी सेवा जरूर करना क्योंकि ये जीवन जल्दी ही समाप्त हो जाता है 🙏
यह दुर्लभ कहानी आज देखने को मिली। अंतिम दृश्य देख कर मन विचलित हो गया। ईश्वर ऐसा बूढापा किसी को ना दे,। मुंशी प्रेमचंद का साहित्य अमर है।
Ro diya humne to
Wow nice manko xoleya he rona ay gaya
जीते जी कद्र होनी चाहिए मरने के बाद पितृ करते है ऐसे लोग आखो से आसु😢 आ गये
कहानी का अन्तिम दृश्य बहुत हृदयविदारक है भगवान से प्रार्थना करता हूं कि यह दिन किसी को न दीखावे 😭😭 जय हो मुन्शी बाबा की 🙏
😭😭😭😭
Mera भाई भी मेरी ज़मीन हड़प गया हैं मैं बहुत खराब दौर से गुज़र रही हू... 😭
Aapki Hindi bahot acchi hai. Aap vastavik hindi sabdo ka prayog karte hai.. aapk comment padh kar accha laga
Mujhe bhi aisa tiraskar jhelna pada hai
Munshi Premchand ek mhaan writter the bhawnao me bahkar unhe bhagwan ya baba na bnaya ❤❤
बहुत ही सुन्दर और मार्मिक कहानी। अब ऐसी कहानियां लिखने वाले साहित्यकार दुर्लभ है। वृद्धावस्था और भुख आदमी की मति हर लेते हैं। कितना करुण और मार्मिक चित्रण किया है। ऐसी कहानियां पढ़ कर आदमी सही रास्ते पर चल सकता है, जो अपने माता पिता की उपेक्षा करते हैं वो भी सोचने पर मजबूर हो जायेंगे। मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य अमर है।
क्या बात कही महोदय आपने !
सरजी आप ने ठीक कहा "ऐसी कहानियां लिखने वाले साहित्यकार दुर्लभ हैं"।
सरजी दुर्लभ हैं परन्तु हैं जरूर। जैसे यश चोपड़ा जी की फिल्म "बागबान" की कहानी लिखने बाले साहित्यकार।
Aaj kal yahi ho rha h samaj me...
ऐसे लघु कथा देखने वाले आप सभी धन्य हैं क्योंकि जो भी यहां तक पहुंचा है वो ऐसे पाप कभी नहीं करेंगे।
Satya vachan hai prabhu
Sahi kaha aapne jo aisa karega vo bhi ek din budha hoga hi to fir to pata chali Jana h😊
Isa hi hota he jyada tar
In hnnñ@@GirijaJose
एकदम सही ! 😢
प्रेम चंद्र जी को जितना तारीफ की जाए कम ही है। ऐसी कहानी लिखने के लिए।
साहित्य समाज़ का आइना है
काश मुंशी प्रेमचंद होते तो उन्हें गले लगा कर रो देता हमारे मुंशी प्रेमचंद जी ने समाज को दिशा दिखाने के लिए बहुत साड़ी चीजों को लेख लिखें जो भी लेख लिखे हैं लगता है आंखों के सामने यह घटनाएं घट रही आंखें नम हो गई मुंशी प्रेमचंद जी आपको हृदय से कोटि कोटि नमन किस प्रकार के समाज में घातक घटनाओं को साहित्य के माध्यम से उजागर करने का जो अपने काम किया है आपको अनंत पर😢😢😢😢😢
Bahut achha laga aapka comment padh kr❤❤
Aapka to pta nhi ye comment padhkar mujhe rona aa gaya.......
जीवन में कभी भी अपने बड़े कौन नहीं भूलना चाहिए।।। हमारे उन्होंने पता नही कैसे समय बिताएं है।।। भोजन का पहला निवाला उन्हें खिलाना ही हमारी सम्पत्ति है❤❤❤❤
Sahi khaa apne
Sahi hai aap ki family ke log ab duniya change ho rahi hai
देखकर हृदय छलनी हो गया। आँखों में आँसू आ गए । माँ को मैंने इन्ही स्तिथियों से गुजरते देखा है।
मुन्शी प्रेमचंद जी ने हमें बहुत अच्छी अच्छी कहानियां दी हैं जो पहले हमारे पाठ्यक्रम में भी शामिल रहीं , गोदान , पंच परमेश्वर, पूस की रात आदि कहानियां हमने अपने पाठ्यक्रम में पढ़ीं हैं, इन सब कहानियों में उन्होंने उस दौर के समाज का सजीव चित्रण प्रस्तुत करके अपनी अमिट छाप छोड़ी है, बूढ़ी काकी भी उनकी एक हृदय स्पर्शी रचना है
बुढ़ापा, बीमारी और लोगो के बुरे सोच बहुत कष्ट देते है इसलिए जीवन में अध्यात्म जरूरी है।।।
यह कहानी बड़ी ही दुःखद है वृद्धजन की सम्पत्ति लेने के बाद उनका अपमान और तिरस्कार के साथ साथ भोजन ना देना ये समाज़ के नीच भावना को दर्शाता है
It happens to many elders. It's too painful.
I was like the little girl but I was scolded and kept away
मैं ने अपने जीवन में चार किस्से अपनी आंखों से देखा है, लेकिन करने वाले मौज मस्ती कर रहे है
One way or the other, elderly are treated like this. No amount of Wealth can give the elders a respectable life.
जीवन में कई बार मुंशी प्रेम चन्द द्वारा लिखित यह कहानी याद आती है,आज देखकर बचपन की यादें ताजा हो गई।
दौलत के भूखे बेटे बहु की पोल खोल गई।
भगवान किसी भी मां बाप की ऐसी दशा होने से पहले उन्हें मौत ही दे दे तो अच्छा हो।
Sahi kaha aap ne
Aise bete aur joh jaisa karega voh vaisa hi bhogega
Bdhupe me bhuk aur jyada lagti he, ye behi sach he
@@pawankumarbatra5331 to kyaa kaki ne bhi Jawani m aesa hi kiya th?
That's what all you decide by looking inside look at yourself especially when you have everything in the world and when you have nothing 😔
समाज के हर चेहरे को अपनी लिखावट, साहित्य के माध्यम से जैसा मुंशी प्रेमचंद जी ने दिखाया है, वो अति दुर्लभ है ❤🎉🎉
मन मस्तिष्क को झंकझोर देने वाली कथा है.कक्षा ९ वी में हिन्दी विषय में यह कहानी आज भी याद है.काल चक्र चाहे कोई भी हो.वृद्ध लोगों की दयनीय अवस्था एक सी है.😔🙄
नहीं
संस्कार यदि बालक में अच्छे हैं तो वो बुढ़ापे का सहारा बनेंगे।
@@passionworldartist968is bachhi k sanskar usi ghr k hn..jis ghr m uske maa baap apni kaki k sath asa bartav kar rahe hn..sanskar ki bat nhi hai..kitni buddhi hai kisme..is pr nirbhar krta hai
nhii
12:17 ये कहानी बहुत अच्छा उदाहरण , ये पहले भी होता था आज भी हो रहा है
जीते जी अपनी प्रॉपर्टी कभी अपने बच्चो के नाम नही करनी चाहिए
Kisi k santh aisa na ho prabhu aise longo ko ma hi na mile
Sahi bat
Hissa rakh ke izzat ho jayegi..
Apna hissa rakho
Badal a kya sirf sarir tab or aj mai man to vahi hai man mai vair to vahi hai😮
Mere saale ne bhi property naam per karne k liye aisa maska lagaya... Aur jaise hi property naam per hogayi Aisa tadpaya ... 😢😢 Bechara baap aise sadme me gaya k phr wapas nahi aya ... Aur maa. Zinda lash ... Usko magar koi fark nahi 😢😢😢
Kisi ka dil itna sakht kaise hosakta hai ..
Do niwale Dene k liye bhi jo sonche ... Kya chahiye unhe bas do waqt ki roti...😢😢😢😢😢
Itne vipreet prasthethi me choti bacchi ka sawbhav adbhut tha... salute to Munshi Premchad ji.
छोटी बेटी है इस कहानी का आदर्श है।
ऐसा ही होता है इस दुनिया मे और हम सब इसके जिम्मेदार है 😢😢😢😢
haaa
👍👍👍🌹
परम आदरणीय मुंशी प्रेमचन्द जी जैसा कहानीकार होना बहुत मुश्किल है
उन्हें शत शत नमन
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
ddc₹seedersē
Munsi premchand ji ka makam har dil se gujarata है कहानी ने rula दिया 😂😂😂❤❤❤
Tum to has rhe ho bhai 😊
एक साथ कितने emotions छलक पड़े हैं 😢😢 जब वो गीत दिखाया गया तो मैंने सोचा इसकी क्या ज़रूरत है। पर जब काकी को गाते सुना तो लगा... सबसे ज़्यादा पीड़ादायक तो यही क्षण होगा काकी के लिए 😢😢 गाने की लय सुर ताल शब्द सब याद हैं पर खुशियों का हिस्सा तक नहीं बनाया। ऐसा कैसे कर सकता है कोई। बहुत ग्लानि होती है ऐसे समाज की सच्चाई को देखकर। और अंत में क्या था...क्या अब भी सुधार हुआ बहू बेटे में। क्या हुआ बूढ़ी काकी का ।
Wow आपने तो चित्रण की गहराई को बखूबी समझाया। मै कभी सोचता हूं की आदमी भी मेरी तरह का सोच हो सकता है।
प्रेमचंद्र दूरदर्शी लेखक थे। उनके द्वारा आधुनिक समाज में होने वाले बड़े budho की समस्या पर पहले ही प्रकाश डाल दिया। कहानी अति सुंदर और प्रेरणा प्रद है।
ऐसी कहानियां लिखने का मुंशी प्रेमचंद जी का मात्र एक ही उद्देश्य रहा होगा कि समाज में यदि किसी वर्ग में ऐसी दशा किसी भगवान रूपी किसी प्राणी का हो तो हमें खुद ही क्यों न भूखा रहना पड़े लेकिन किसी को भी ऐसी स्थिति से उबारा जाये।बहुत दर्दनाक कहानी थी लेकिन हर एक लोगों में मानवता का संचार करेगी।
मुंशी प्रेमचन्द जी हृदय को छू गई आपकी यह कहानी ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
घिन आती है ऐसे परिवार पर जहां शादी व्याह मेहमान के लिए अच्छे अच्छे पकवान मिठाईयां कपड़े और एक बूढ़ी काकी को खाना तक नहीं पूछा गया सिर्फ उसकी नातिन के सिवाय
स्कूल मे पढ़ी थी ये कहानी, आज देख भी ली, स्कूल और बचपन के दिन याद आ गए
ये केवल एक कहानी नहीं आज के समाज का 90% सत्य है 🙏
24:49 This scene.... 😢😭 Aadami kitna badal jata hai jisne janm Diya usi ko aaj....
Premchand ji ko shat shat Naman adhbhut lekhak.. 😢❤❤
Mera bhi bhai bhabhi aise hi h....sbkuchh mummy papa ka h mgr .......ab aage kya likhu😢
@@RahulMishra-cv8lpmera bhi esa hi hai
पूरी कहानी पढी है काकी कि अपनी कोई संतान नही थी इसीलिए भतीजे सारी जायदाद दे देती है
@@RahulMishra-cv8lp
Bhai aap ne age nahi likha .. magar hum ne sab padh liya ... Humari bhi yahi kahani hai😢😢😢
Munshi prem jaisa writer aaj k zamane mein nhi milenge❤ touching
I o32mqkkq22 llkkklllllKKKKKKKKKLKKKK
Bachpan me dekha tha achanak yaad aayi munshi ji ki to socha nahi tha ye kahaani dobara dekh ne ko milegi ❤
क्या बोलूं की कहानी अच्छी थी !!!
ये तो जीवन का एक ऐसा हिस्सा है की चाह कर इससे निकाला नहीं जा सकता।
ये हो जीवन का सार है ।❤❤
इसीलिये बूढ़े और उनके पोता पोती के प्यार को बहुत ही तेजस्वी सुंदरता है।
बूढ़े और पोते को कभीभी जुड़ा ना करे ।
मुंशी प्रेमचंद अपने समय के वास्तविक परिदृश्य को देख रहे थे और वैसा ही लिख रहे थे। मुंशी प्रेमचंद उस समय की सामाजिक व्यवस्था, नैतिकता,आचार और व्यवहार मैत्री जो धर्म के माध्यम से लोगों मे पिरोही जाती है।वास्तविक रूप से उस उस धर्म व्यवस्था की अमानवीय नैतिकता,व्यवहार का वर्णन किया है। ऐसी धर्म व्यवस्था दुनियाभर के देशों मे शायद नही होगी लेकिन हमारे देश मे पूर्णतः विद्यमान थी।
प्रेमचंद जी की कहानियों के सामने फिल्मांकन फीका पड़ जायेगा।
Jab mai is tahreer ko padha tha tab bhi roya tha aaj dekh phir se aankh bhar aayi 😢
😭
मुझे लगता है कि इस कथा को जिसने भी पढ़ा या सुना होगा उसमें एक बदलाव जरूर आया होगा आत्मीयता और सम्मान का ।
sahi baat h
Right .. remind our priorities in life..😢😢at the end all nothing matters ..in materialistic world
Yah kahani to kai bar Maine padha tha lekin Aaj dekha to aankhon se aansu nikal aye... Premchand ki kahani,unke gaon ki kahani hi thi ,Satya ghanta hai yah. 😢😢
Prasar Bharti ko mera sat sat Naman jinhone in kathaon ko ab tak sanjo kar rakkha hai
मन भर आया। कोई इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है। प्रेमचंद सच्ची कहानियां लिखते थे।
😊x 😊,
C😊tY and v , .,, vh , . B
यह कहानी बहुत अच्छी सीख देती है हमे बुढे बड़ो का सम्मान करना चाहिए
कितनी भयानक वास्तविकता . . प्रेमचंदजी को सलाम
ऐसी वास्तविकता आज भी है समाज में व्याप्त हैं।
सदैव ऐसा ही रहेगा। वृद्धों के भूख प्यास को घर पहली वरीयता नहीं देगा , वे अंतिम जिम्मेदारी है जो अक्सर भूल जायेगें
The best line:-acha karte ho jo uppar rhte ho ,mat aana dharti par...narak hai narak😞...sach baat hai
सिनेमा का ये दौर, सुनहरे और सदैव अमर रहने वाले हैं ❤❤
कोटि-कोटि नमन 🙏🙏
महान रचनाकार मुंशी प्रेमचंद ❤❤
वो भावुकता नही दे पाया ये वीडियो, जो कहानी को पढ़ने में अंतर्मन को झकझोर देता है😢
Han par bahut kuchh sikha jata h ye kahani😢
सही कहा आपने , कहानी जितना रोमांच नहीं हैं इसमें.
कहानी में आंसू और रोमांच दोनों हो आते हैं. मन सीहर सीहर जाता है.
To tu kya chahta hai .. tu munshi premchand jaisa mahaan lekhak nhi ho sakta jo bhavukta dhoond rha h
@@reemathakur9759 aap आडिओबुक में इसी कहानी को सुन कर देखो, फीर नाराज होना, हम प्रेमचंद जी का अपमान नहीं कर रहे हैं.
ऐसा लेखक तो महान है, और हमारा उनको सत सत नमन 🙏🙏🙏🙏
हमे लगता है ऐसा समय सीमा के कारण हुआ है। बूढ़ी काकी के फिल्मांकन के लिए कम से कम एक घंटा समय देना चाहिए था।
दिल को छु देने वाली कथा है,😢और कोई शब्द नही
Aaj ye 9the story dekh rha munshi ji ki btaa nhi sktaa kitna dil m dard ubhar aaya , such m dil dehla dene bali story vastav me hi nark hai ue duniya bhgwaan k layak nhi
Munshi premchand ki ye kahani maine 9th class mein padhi thi ye aisi kahani h jise mai kabhi nhi bhul paungi thank you doordarshan for this short film ❤️❤️🙏
ऐसी कहानी देख आंखो में आसू आ गए, इन कहानियों के द्वारा मुंशी प्रेमचंद जी हमेशा 🙏अमर रहेंगे।
जब बूढ़ी काकी जूठन से खाना खा रही थी तब बहु को एहसास हुआ कि इस समय उसके हाथो में मिठाई पकवान की थाली का मूल्य उस जूठन के आगे शून्य समान अर्थात धूल बराबर हो गया, अनुचित समय पर तो पांच पकवान का भी कोई मोल नहीं रहता है।
हमारे घर में जो बूढ़े माता-पिता/दादा दादी है वो हमसे केवल यही चाहते है की हम कुछ समय उनके पास बैठ कर उनसे अच्छे से बाते करे हम यदि फालतू रील्स/वीडियो etc ना देख कर कुछ समय उनके साथ बिताए तो वो बहुत खुश होते है।😊
जब तक वो है उनकी सेवा करे बाद में तो केवल पछतावा ही रह जाता है एवं बुढ़ापा तो सबको आना है।❤❤❤
Short film truely fit for Kalyug.The biggest evil of human body is stomach and because of stomach entire world is roaming around here and there and forget that joh Aaj unka age hai woh aage chalkar hamara bhi hoga .Thanks to Munsi Premchand Sir to bring the reality into the public domain and spread the awareness.Final words no one kill this evil stomach from the people.
वास्तविक कहानी को पढ़कर जो मन में चित्र शैली बनती है बुधी काकी को लेकर वह यह देखने पर थोड़ा विपरीत नजर आती है
Yes
Bhukh se bada koi dushman nahi😢😢 he ishwar kash tu sabko bhojan dekar hi sulaye
ये कथा तो कथा ही है!! वाह!! ❤❤❤❤❤❤❤❤
जो जो भी यह देखने आया है मुझे पूर्ण विश्वास है कि वह एक नेक इंसान है
जय श्री कृष्णा 😢
Thankyou Munshi prem chand ji 🙏
Aankh bhar aai ...True story 😢
I saw this movie in my childhood and cried at the last scene... today after 20 yrs....i m still bawling my eyes at the predicament of hunger, old age, innocence, and the helplessness of circumstances and humans.
देश के महान लेखक थे अमर रहे मुंशी जी खुदा
Preemchandra ji ki kahaniya hamesa haqikat ko chhoti hui hoti hai. Dhanya hai ayese lekhak jo samaj ko aina dikhate hai. Super 👌
इस कहानी से सबक मिला जीते जी प्रापर्टी खुद के नाम ही रहना चाहिए 😢😢
Emotional कर दिया इस कहानी ने तो 😥👌
It is very heart touching story i have no word for this story
In today's fast world .we cared about carrier, success, money and lot of others things ..and forgot our parents, forget our responsibilities.. 😢😢 this epic story released in this is materialistic world we have to care our culture, which teaches us real karma.. 😢😢but today's generation don't know this... but at the end all will know real Indian culture teaching have to prevent ,...
10th std memory munshi premchands story always goes straight to the heart
Aajkal to yahi ho rha h ......Aulad tab Tak hi sewa krte h jb tak sampati unke nam nhi ho jati ......uske baad Jo hota h bahut dardnak hota h😢😢
प्रेमचंद जी ने क्या लिख दिया 😢😢😢😢 महान थे प्रेमचंद जी
Heart touching story ,aaj kl ki filmo m nhi asi story dekhne ko milti👌🏻
प्रेम चंद की कहानियाँ बहुत मर्मस्पर्शी और व्यापक हैं। स्वयं भी बहुत निर्धन थे, ये बहुत दुःखद है।
निशब्द 🙏🏻🙏🏻#ग्रेट मुंशी प्रेमचंद
बहुत सुंदर प्रस्तुति दी कथा की।
Aansu aa gaya aakho me 😢😢
प्रेमचंद की यह कहानी आज भी समाज में देखने को मिलती है।
इसका समाधान किसके पास है? समाज के पास कि सरकार के पास।
हम और आपके के पास है
😢😢😢😢bhagwan ऐसा दिन किसी का न लाए 😭🙏🙏🙏नाइस स्टोरी
I have no words to say something about this heart touching story 😢
Kasam se ye video dekh kar ankhon😢😢 se nikl aye 😢😢
Dil ko chule ne vali kahani thanks guljarsahab and premchandji
मत आना धरती पर नरक है नरक... आंसू आ गए।
Meri hindi ko book me thi. Nostalgic.. Achha laga. Thanks
ये कहानी देखकर लगता है की बुढ़ापे अब बोझ लगते होगे परिवार में कोई बुजुर्ग है तो उसका सम्मान करना चाहिए
ये कहानी देखकर मुझे मेरी दादी को याद आ गई 🥺 आज भी रोज मेरी मम्मी सबसे पहले दादी को ही खाना खिलाती है में घर से दूर जरूर हु पर उनकी चिंता नही रहती घर में बुजुर्ग का होना भगवान के आशीर्वाद के समान है ,........
प्यार, रिश्ते , नाते सब दुनिया को दिखाने के लिए है
वास्तव में दुनिया सिर्फ स्वार्थ की है
जहां से पूरा होता है उसकी ही है
जब कोई नहीं हो तो सिर्फ दुख होता है
पर जब सब कुछ होकर भी कुछ न हो तो बहुत दुख होता है
Bahut acchi kahani hai. Kai salon pahle duniya mein. Hone wale atyacharon ke bare mein bataya Gaya.
Menr inki reel dekhi or waha se isko dhundha tab ayi m yaha isko dekhne pr munshi premchand ji kavi k saath saath ek adarsh h sabko sikhna chaiye inse
Jb Maine yah kahani book me pdhi tab meri ankho se anshu nikal aye the 😢😢
इतनी मार्मिकता से समाज के एक भाग को चित्रित किया गया है
A main bachpan ch dekhi c...ajj bachpan taza hogiya
मेरे दादा दादी को तो देखा नहीं, लेकिन मेरे नानाजी और नानीजी की जो सेवा हुई है ऐसी सेवा केवल मैंने रामायण की कथा में ही देखी है। नानाजी 108 वर्ष जिए, और नानी अभी भी जीवित है। मामा का घर अमीर नहीं है लेकिन उनका घर बुजुर्गों के लिए स्वर्ग से टक्कर ले सकता है।
Sach me Last seen dekh ke ankho se aanshu ruke hi nahi 😭agar budhapa aisi ho to kisi ko na de.....
A heart touching story. 😢
Hello
मुंशी प्रेमचंद देश की धड़कन ❤❤
वक्त सबका आता है पर थोड़ा समय लगता है।😢
Oh god! That ending scene was so heart wrenching😢💔
Ye wo kahani jo kabhi hakikat thi 😢😢 hey Ram
Kitni dukh bhari kahani h ..aakh se asu aa hi Jaye ge
Dil ko chu lene wali story such me ankhe nam ho gai 😢
यह कहानी देखकर मेरे आँखो से आंसू आ गये और मेरी बडी नानी की याद आ गयी, मेरी नानी कोई नही था मै ही उनकी
देखभाल और सेवा करता था आज मेरी नानी मुझे छोड़कर इस दुनिया से चली गई ,I miss you 😢😢😢
ये कहानी उस समय बिलकुल सही लिखी गई थी पर आज के युवा पीढ़ी अपने बुजुर्गो के साथ ऐसा ही कर रहे है । रोना आ गया मेरे प्रियों कुछ भी रहो अपने माता पिता दादा दादी को भरपेट भोजन और उनकी सेवा जरूर करना क्योंकि ये जीवन जल्दी ही समाप्त हो जाता है 🙏
Jab boodhe kuch khana chahte hain to bacche bolte hain doctor ne mana kiya hai inka kya raat kaise niklegi ye to ham jaante hai kuch nahi dena
Salaam Prasar Bharati Prem Chand ne apni kahanion ne Brahamanism ko khub
भूखा पेट अपना अधिकार भूल जाता है।
लोलुप समाज मे होने वाली घटनाओ को यथार्थ चित्रण माननीय मुशी प्रेमचन्द जी ने किया है।
Buddha ka aadar karna sikhana chalice.we must always respect our elders.