सारगर्भित उद्बोधन! भारतीय संस्कृति में मातृशक्ति का सम्मान जनक स्थान रहा है जो समयकाल में विलुप्त हो गया था। अब पुनः भोर हो रही है। बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब 🙏
ऐसा विद्वतापूर्ण सनातन धर्म और संस्कृतिक पहचान को तथ्य और सत्य के साथ और ईतिहास को उजागर कर ने वाला ऐतिहासिक प्रमाण प्रस्तुत प्रस्तुत किया है ।।धन्यवाद
अद्भुत, प्रशँसनीय मार्गदर्शन जिसमें हमारे वेदों, रामायण एवं सभी प्राचीन ग्रंथो से अकटय एवं विश्लेषित एवम शैक्षिक तर्कों के द्वारा जानकारी प्रदान की गई है जो सुनने एवं मनन करने योग्य है और नारी का दर्जा विशिष्ट एवं अप्रतिम सिद्ध करते हुए श्रोता के मन में उल्लिखित विषय के प्रति संस्कारों को दृढ़ करती है एवं उसे अद्यतन बनाती है -- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी भी कहते हैं - एक नहीं दो दो मात्राएं न से बढ़कर नारी है!! 🙏🏿🙏🏿👌
मैं धन्यवाद करना चाहता हूं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके संस्थापक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी को जिन्होंने एक ऐसा सपना देखा था जहां महिला पुरुष बच्चा शोषित वंचित गरीब हर तरह के लोगों को एक सामान्य भाव से भारत के अंदर मजबूती के साथ खड़ा होने के लिए और उनके द्वारा यह सपना उनके अनुयायियों ने बराबर पूर्ण कर रहे हैं सशक्त महिला मजबूत महिला ही हमारे भारत को मजबूत बना सकती हैं जय जय श्री राम
अद्भुत संबोधन। भारतीय संस्कृति और परंपरा में नारी का जगन्माता स्वरूप से लेकर वर्तमान स्थिति तक का एक विश्वकोशीय स्तर का निरूपण अद्भुत वक्तृता है। यह भाषण तो सीनियर सेकेंडरी स्कूल तथा कॉलेज के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम का पाठ बनाया जाना चाहिए। सत्तावन मिनिट में क्या क्या सीखने को मिला ! 1 वैदिक,औपनिषीदिक,बौद्ध,मध्य काल,भक्ति काल आदि के इतिहास की झलक 2 नारी के संबंध में भारतीय ज्ञान परंपरा की दृष्टि 3 पश्चिम की,सेमेटिक दृष्टि 4 भाषा का सटीक प्रयोग 5 भाषण देने की कला के प्रतिमानों का अनुप्रयोग अभिनंदन। अभिनंदन। अभिनंदन।
In business and dominance oriented societies it's impossible to make any type of system Aimed for objective of well-being and progress of anyone. Everything automatically becomes extractions and making money only. So unless we have value and responsibilities oriented societies we can't think for well-being and progress of everyone. Present system are only copied low population nation requirements to employ /deploy everything available. So systems and needs of high population nations aren't same. How gender, cast, race, religion determins quality of doctors, engineer, officers, or anything.
संघ में सभी वर्ग के लिए स्थान है यही महानता है संघ की
सारगर्भित उद्बोधन! भारतीय संस्कृति में मातृशक्ति का सम्मान जनक स्थान रहा है जो समयकाल में विलुप्त हो गया था। अब पुनः भोर हो रही है।
बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब 🙏
ऐसा विद्वतापूर्ण सनातन धर्म और संस्कृतिक पहचान को तथ्य और सत्य के साथ और ईतिहास को उजागर कर ने वाला ऐतिहासिक प्रमाण प्रस्तुत प्रस्तुत किया है ।।धन्यवाद
अद्भुत, प्रशँसनीय मार्गदर्शन जिसमें हमारे वेदों, रामायण एवं सभी प्राचीन ग्रंथो से अकटय एवं विश्लेषित एवम शैक्षिक तर्कों के द्वारा जानकारी प्रदान की गई है जो सुनने एवं मनन करने योग्य है और नारी का दर्जा विशिष्ट एवं अप्रतिम सिद्ध करते हुए श्रोता के मन में उल्लिखित विषय के प्रति संस्कारों को दृढ़ करती है एवं उसे अद्यतन बनाती है --
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी भी कहते हैं - एक नहीं दो दो मात्राएं न से बढ़कर नारी है!! 🙏🏿🙏🏿👌
आपजी द्वारा समग्र चेतना के लिए कोटिश वंदन आपजी सदैव सबल प्रबल रहें
बहुतही सुंदर मार्गदर्शन ..🎉🎉
भाई साहब का बहुत शानदार उद्बोधन है
अप्रतिम मार्गदर्शन
बहुत सुंदर वक्तव्य है भाई जी 🎉
मैं धन्यवाद करना चाहता हूं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके संस्थापक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी को जिन्होंने एक ऐसा सपना देखा था जहां महिला पुरुष बच्चा शोषित वंचित गरीब हर तरह के लोगों को एक सामान्य भाव से भारत के अंदर मजबूती के साथ खड़ा होने के लिए और उनके द्वारा यह सपना उनके अनुयायियों ने बराबर पूर्ण कर रहे हैं सशक्त महिला मजबूत महिला ही हमारे भारत को मजबूत बना सकती हैं जय जय श्री राम
अद्भुत संबोधन।
भारतीय संस्कृति और परंपरा में नारी का जगन्माता स्वरूप से लेकर वर्तमान स्थिति तक का एक विश्वकोशीय स्तर का निरूपण अद्भुत वक्तृता है।
यह भाषण तो सीनियर सेकेंडरी स्कूल तथा कॉलेज के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम का पाठ बनाया जाना चाहिए।
सत्तावन मिनिट में क्या क्या सीखने को मिला !
1 वैदिक,औपनिषीदिक,बौद्ध,मध्य काल,भक्ति काल आदि के इतिहास की झलक
2 नारी के संबंध में भारतीय ज्ञान परंपरा की दृष्टि
3 पश्चिम की,सेमेटिक दृष्टि
4 भाषा का सटीक प्रयोग
5 भाषण देने की कला के प्रतिमानों का अनुप्रयोग
अभिनंदन। अभिनंदन। अभिनंदन।
अत्यंत महत्वपूर्ण मार्गदर्शन
अच्छी अच्छी बात जानने को मिला
Ati sunder
बहुत ही सुंदर मार्गदर्शन
Rigwedita, रक्षिका, रक्षिता, ऋषिका,
अप्रतिम वक्तव्य.जय हिंद.
Great tradition,great lecture 👌 👏
बहुत ही सुंदर
In business and dominance oriented societies it's impossible to make any type of system Aimed for objective of well-being and progress of anyone. Everything automatically becomes extractions and making money only. So unless we have value and responsibilities oriented societies we can't think for well-being and progress of everyone. Present system are only copied low population nation requirements to employ /deploy everything available. So systems and needs of high population nations aren't same. How gender, cast, race, religion determins quality of doctors, engineer, officers, or anything.
जहाँ तक मैंने सुना है वेद मनुष्य कृत नही हैं
Ved kisi ek purush ne nhi likhe
पाकिस्तान को 15-20 लाख टन गेहू भारत को युही दे देना चाहिए
ये बोलने वाले भी यही है
ये दो मुह वाले साप सिर्फ ओर सिर्फ संघ मे ही पाये जाते है