श्री राम गीता | सत्र 2 | स्वामी अभेदानन्द | रामचरितमानस |

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 6 ม.ค. 2025

ความคิดเห็น • 4

  • @vrijendra
    @vrijendra 21 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    🌸🙏🙏🙏पुज्य स्वामीजी को सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🌸

  • @NareshsinghKaintura
    @NareshsinghKaintura วันที่ผ่านมา

    Jai shree ram🙏🙏

  • @santoshagarwal5488
    @santoshagarwal5488 18 ชั่วโมงที่ผ่านมา +1

    🌹​​अगर हम जीव को नहीं समझेंगे तो पूरे जीवन हम परेशान रहेंगे |
    ​​🌹अगर हम ईश्वर को नहीं समझेंगे तो ईश्वर से जो हमें मिलना चाहिए हम नहीं ले पाएंगे |
    🌹अगर हम माया को नहीं जानेंगे तो उसमें सुख देखेंगे, किसी से पीछे भागेंगे, किसी से दुश्मनी कर लेंगे... जो चीज़ है नहीं वो बहुत बड़ी हो जाएगी हमारे लिए |
    🌹अगर हम जगत को नहीं जानेंगे तो जगत में फंस जाएंगे |
    ​​🌹जीव को ठीक करने के लिए ज्ञान। ईश्वर के साथ सम्बंध के लिए भक्ति। माया को ठीक करने के लिए वैराग्य।
    ​​🌹फूल का दृष्टा आँख, आँख का दृष्टा मन, और मन का भी एक दृष्टा होता है।
    🌹​​नियम- 1) दृश्य और दृष्टा अलग होंगे, 2) दृश्य अपने दृष्टा का दृष्टा नहीं होगा, 3) दृश्य अनेक है और दृष्टा एक है, 4) दृश्य जड़ होगा और दृष्टा चेतन होगा |
    🌹मन का दृष्टा चेतन है। मन का दृष्टा आता जाता नहीं है।
    ​​🌹दृष्टा साकार नहीं हो सकता, अगर दृष्टा साकार होगा तो एक और दृष्टा चाहिए उसको प्रकाशित करने के लिए, तो इसलिए दृष्टा को निराकार होना पड़ेगा।​​
    दृष्टा निराकार है मतलब दृष्टा सर्वव्यापी है |
    ​​🌹इसी दृष्टा में एक दूसरा अहम् है जो इस दृष्टा को नहीं जानता। यह माया के कारण ही है। जो भुला दे वही माया है |
    ​​🌹अपने को बड़ा देखने की भूख का नाम ही अहंकार है |
    🌹हम जीवन भर अपनी मिथ्या अहंकार का और मिथ्या ममता का विस्तार करते हैं |
    🌹चेतन पर जड़ अध्यस्थ है |
    ​​🌹जीवन में किसी चीज़ के खोने को या पाने को बहुत बड़ा नहीं मानना चाहिए |
    🌹ममता मिलने पर हम खुश तो ही जाते है, पर ममता को maintain करना मुश्किल होता है |
    🌹अहंकार मतलब अपने अंदर खालीपन का अनुभव होना |
    🌹दुःख का कारण है कि या तो कोई आपका अहंकार तोड़ता है या कोई आपकी ममता पर आक्रमण करता है |
    ​​🌹ममता और अहंकार हो और दुख न हो, यह असंभव है |
    🌹सपना जिसने बनाया उसका नाम ईश्वर था और जो सपने में सुखी-दुखी हुआ उसका नाम जीव था |
    ​​🌹माया के दो रूप - जो सुखी दुखी हो रहा है उसको बोलते हुए अविद्या माया, और जो स्वप्न दृष्टा पर सपना डाल रहा है उसको बोलते हैं विद्या माया |
    ​🌹विद्या माया - विक्षेप शक्ति - संसार को प्रकट करती है, अविद्या माया - आवरण शक्ति - जो जीव को मूल प्रकृति को भूला देती है। यह सुख, दुःख, अहंकार का कारण है |
    🌹अपने जीवन को 50 साल fast forward कर के देखना चाहिए कि कौन - कौन रहेगा आपके साथ |
    🌹​​ईश्वर मायापती हैं और जीव मायादास है |

  • @prasannapareek4933
    @prasannapareek4933 14 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏