🌹अगर हम जीव को नहीं समझेंगे तो पूरे जीवन हम परेशान रहेंगे | 🌹अगर हम ईश्वर को नहीं समझेंगे तो ईश्वर से जो हमें मिलना चाहिए हम नहीं ले पाएंगे | 🌹अगर हम माया को नहीं जानेंगे तो उसमें सुख देखेंगे, किसी से पीछे भागेंगे, किसी से दुश्मनी कर लेंगे... जो चीज़ है नहीं वो बहुत बड़ी हो जाएगी हमारे लिए | 🌹अगर हम जगत को नहीं जानेंगे तो जगत में फंस जाएंगे | 🌹जीव को ठीक करने के लिए ज्ञान। ईश्वर के साथ सम्बंध के लिए भक्ति। माया को ठीक करने के लिए वैराग्य। 🌹फूल का दृष्टा आँख, आँख का दृष्टा मन, और मन का भी एक दृष्टा होता है। 🌹नियम- 1) दृश्य और दृष्टा अलग होंगे, 2) दृश्य अपने दृष्टा का दृष्टा नहीं होगा, 3) दृश्य अनेक है और दृष्टा एक है, 4) दृश्य जड़ होगा और दृष्टा चेतन होगा | 🌹मन का दृष्टा चेतन है। मन का दृष्टा आता जाता नहीं है। 🌹दृष्टा साकार नहीं हो सकता, अगर दृष्टा साकार होगा तो एक और दृष्टा चाहिए उसको प्रकाशित करने के लिए, तो इसलिए दृष्टा को निराकार होना पड़ेगा। दृष्टा निराकार है मतलब दृष्टा सर्वव्यापी है | 🌹इसी दृष्टा में एक दूसरा अहम् है जो इस दृष्टा को नहीं जानता। यह माया के कारण ही है। जो भुला दे वही माया है | 🌹अपने को बड़ा देखने की भूख का नाम ही अहंकार है | 🌹हम जीवन भर अपनी मिथ्या अहंकार का और मिथ्या ममता का विस्तार करते हैं | 🌹चेतन पर जड़ अध्यस्थ है | 🌹जीवन में किसी चीज़ के खोने को या पाने को बहुत बड़ा नहीं मानना चाहिए | 🌹ममता मिलने पर हम खुश तो ही जाते है, पर ममता को maintain करना मुश्किल होता है | 🌹अहंकार मतलब अपने अंदर खालीपन का अनुभव होना | 🌹दुःख का कारण है कि या तो कोई आपका अहंकार तोड़ता है या कोई आपकी ममता पर आक्रमण करता है | 🌹ममता और अहंकार हो और दुख न हो, यह असंभव है | 🌹सपना जिसने बनाया उसका नाम ईश्वर था और जो सपने में सुखी-दुखी हुआ उसका नाम जीव था | 🌹माया के दो रूप - जो सुखी दुखी हो रहा है उसको बोलते हुए अविद्या माया, और जो स्वप्न दृष्टा पर सपना डाल रहा है उसको बोलते हैं विद्या माया | 🌹विद्या माया - विक्षेप शक्ति - संसार को प्रकट करती है, अविद्या माया - आवरण शक्ति - जो जीव को मूल प्रकृति को भूला देती है। यह सुख, दुःख, अहंकार का कारण है | 🌹अपने जीवन को 50 साल fast forward कर के देखना चाहिए कि कौन - कौन रहेगा आपके साथ | 🌹ईश्वर मायापती हैं और जीव मायादास है |
🌸🙏🙏🙏पुज्य स्वामीजी को सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🌸
Jai shree ram🙏🙏
🌹अगर हम जीव को नहीं समझेंगे तो पूरे जीवन हम परेशान रहेंगे |
🌹अगर हम ईश्वर को नहीं समझेंगे तो ईश्वर से जो हमें मिलना चाहिए हम नहीं ले पाएंगे |
🌹अगर हम माया को नहीं जानेंगे तो उसमें सुख देखेंगे, किसी से पीछे भागेंगे, किसी से दुश्मनी कर लेंगे... जो चीज़ है नहीं वो बहुत बड़ी हो जाएगी हमारे लिए |
🌹अगर हम जगत को नहीं जानेंगे तो जगत में फंस जाएंगे |
🌹जीव को ठीक करने के लिए ज्ञान। ईश्वर के साथ सम्बंध के लिए भक्ति। माया को ठीक करने के लिए वैराग्य।
🌹फूल का दृष्टा आँख, आँख का दृष्टा मन, और मन का भी एक दृष्टा होता है।
🌹नियम- 1) दृश्य और दृष्टा अलग होंगे, 2) दृश्य अपने दृष्टा का दृष्टा नहीं होगा, 3) दृश्य अनेक है और दृष्टा एक है, 4) दृश्य जड़ होगा और दृष्टा चेतन होगा |
🌹मन का दृष्टा चेतन है। मन का दृष्टा आता जाता नहीं है।
🌹दृष्टा साकार नहीं हो सकता, अगर दृष्टा साकार होगा तो एक और दृष्टा चाहिए उसको प्रकाशित करने के लिए, तो इसलिए दृष्टा को निराकार होना पड़ेगा।
दृष्टा निराकार है मतलब दृष्टा सर्वव्यापी है |
🌹इसी दृष्टा में एक दूसरा अहम् है जो इस दृष्टा को नहीं जानता। यह माया के कारण ही है। जो भुला दे वही माया है |
🌹अपने को बड़ा देखने की भूख का नाम ही अहंकार है |
🌹हम जीवन भर अपनी मिथ्या अहंकार का और मिथ्या ममता का विस्तार करते हैं |
🌹चेतन पर जड़ अध्यस्थ है |
🌹जीवन में किसी चीज़ के खोने को या पाने को बहुत बड़ा नहीं मानना चाहिए |
🌹ममता मिलने पर हम खुश तो ही जाते है, पर ममता को maintain करना मुश्किल होता है |
🌹अहंकार मतलब अपने अंदर खालीपन का अनुभव होना |
🌹दुःख का कारण है कि या तो कोई आपका अहंकार तोड़ता है या कोई आपकी ममता पर आक्रमण करता है |
🌹ममता और अहंकार हो और दुख न हो, यह असंभव है |
🌹सपना जिसने बनाया उसका नाम ईश्वर था और जो सपने में सुखी-दुखी हुआ उसका नाम जीव था |
🌹माया के दो रूप - जो सुखी दुखी हो रहा है उसको बोलते हुए अविद्या माया, और जो स्वप्न दृष्टा पर सपना डाल रहा है उसको बोलते हैं विद्या माया |
🌹विद्या माया - विक्षेप शक्ति - संसार को प्रकट करती है, अविद्या माया - आवरण शक्ति - जो जीव को मूल प्रकृति को भूला देती है। यह सुख, दुःख, अहंकार का कारण है |
🌹अपने जीवन को 50 साल fast forward कर के देखना चाहिए कि कौन - कौन रहेगा आपके साथ |
🌹ईश्वर मायापती हैं और जीव मायादास है |
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