09. श्रावक प्रतिक्रमण | संयम की अनुमोदना न की हो, सहायक न बने हो | सिद्धायतन, द्रोणगिरी प्रवास

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 ส.ค. 2024
  • सामान्य श्रावक प्रतिक्रमण
    - ब्र. रवीन्द्र जी 'आत्मन्'
    हे वीतराग सर्वज्ञ परमात्मन् ! आपका पावन दर्शन एवं शासन प्राप्त करके मैं अत्यन्त हर्षित हूँ। समस्त दोषों के अभाव एवं गुणों की प्राप्ति की भावना भाता हूँ।
    पर्याय के लक्ष्य से नाना दोषों की उत्पत्ति होती है, अतः मेरी निरन्तर द्रव्यदृष्टि वर्तती रहे एवं परिणति सतत अन्तर में ढली रहे।
    शरीर की ममता और विषयों की चाह के वशीभूत मेरी परिणति वीतरागी देव-शास्त्र-गुरु एवं धर्म से अन्यत्र भटकी हो अथवा आपकी भक्ति आदि करते हुए मन से, वचन से या काय से विषयों की कामना हुई हो वह मिथ्या हो और सदैव निष्काम भक्ति एवं भेदज्ञान की निर्मल धारा सहज रूप से वर्ते।
    मेरे द्वारा अपने या अन्य के प्रति अन्याय हुआ हो अर्थात् उपयोग (ज्ञान) ज्ञेयों में भ्रमा हो, समय एवं शक्ति विकथा, प्रमाद या विषयों में लगे हों या कषायों की पूर्ति में लगे हों, किसी को पर्याय मात्र से देखते हुये कम या अधिक देखा, उससे विराधना हुई हो, कहीं शंका होने पर मैं शंकाशील ही बना रहा हूँ, समाधान का प्रयास न किया हो।
    ईर्ष्यावश पराई निन्दा स्वयं की हो, सुनकर अनुमोदना की हो। यदि साधर्मी पर मिथ्या दोषारोपण हो रहा हो तो उसे निषेधा न हो। अनजाने में यदि परिस्थितिवश किसी से वास्तव में भी दोष बन गया हो तो उपगूहन न किया हो, न कराया हो। वात्सल्य पूर्वक स्थितिकरण न किया हो, न कराया हो तो मेरा वह दोष मिथ्या हो।
    नानाप्रकार के अभक्ष्य भक्षण में जिनका सेवन हुआ हो या अभक्ष्य त्याग में अतिचार लगा हो तो वह दोष मिथ्या हो। लोभवश या कुसंग से जुआ आदि लोकनिंद्य व्यसनों एवं पापों की अनुमोदना भी हुई हो तो वह दोष मिथ्या हो।
    देव दर्शन, भक्ति, गुरुपासना आदि कार्यों में उपेक्षा या अनुत्साह हुआ हो, किसी परिस्थिति में इनके प्रति विपरीत विकल्प भी आया हो तो वह दोष मिथ्या हो।
    स्वाध्याय केवल पांडित्य प्रदर्शन, जानकारी बढ़ाने या पद्धति (रूढ़ि) से किया हो, आत्महित के लक्ष्य पूर्वक चिन्तन, निर्णय आदि में उपयोग न लगाया हो तो वह महा दोष मिथ्या हो।
    संयम-तप आदि की भावना न भाई हो, अनुमोदना न की हो, यथाशक्ति पालन न किया हो, दूसरों को सहयोग न किया हो, राग-द्वेष वश छल से किसी के संयम में दोष लगाया हो वह निंद्य दोष मिथ्या हो।
    यथाशक्ति विवेक एवं यत्नाचार पूर्वक दान न किया हो, दान देते समय अभिमान किया हो, कोई लौकिक प्रयोजन हुआ हो, दान देकर अहसानादि दिखाया हो, पात्र-अपात्र का विचार न रखा हो, दूसरों द्वारा दिये हुये दान का दुरुपयोग किया हो, दान में योग्य विधि न अपनायी हो तो वह दोष मिथ्या हो।
    किसी के प्रति क्रूरता या कठोरता पूर्ण व्यवहार हो गया हो वह मिथ्या हो। क्रोधवश किसी के प्रति दुर्भाव या दुर्व्यवहार हुआ हो, अभिमान वश किसी का तिरस्कार हुआ हो, ईर्ष्यावश किसी का पतन विचारा भी हो, किसी को धोखा दिया हो, लोभवश अयोग्य विषयों की चाह की हो, दीनता करते हुये अपने पद को लजाया हो, निंद्य प्रवृत्ति की हो।
    हास्यवश झूठ, कुशील आदि रूप चेष्टा हुई हो, भय के कारण धर्म, न्याय, नियम आदि का उल्लंघन हो गया हो, रति-अरति के कारण आर्त या रौद्रध्यान हुआ हो, शोकवश आर्तध्यान किया हो, किसी व्यक्ति या वस्तु के प्रति घृणा हुई हो, वेद के तीव्र उदयवश मर्यादा का उल्लंघन हुआ हो वह समस्त कषायों से उत्पन्न दोष मिथ्या हो।
    दैनिक चर्या को करते हुये प्रमादवश जो आरंभी, उद्योगी या विरोधी हिंसा हुई हो, असत्य भाषण हुआ हो, अचौर्य व्रत संबंधी अतिचार लगे हों, शील की मर्यादा भंग हुई हो, परिग्रह परिमाण व्रत की सीमा का उल्लंघन हुआ हो, दोष लगा हो वह दोष मिथ्या हो।
    अप्रयोजनभूत कार्य (अनर्थदण्ड) हुआ हो, सामायिकादि भावना नहीं भायी हो वह दोष मिथ्या हो।
    जिनधर्म की अप्रभावना के कारण रूप कोई कार्य बन गया हो, वचन कहा हो या भाव आ गया हो तो वह दोष मिथ्या हो।
    भगवान जिनेन्द्र देव, स्याद्वादमयी जिनवाणी, निर्ग्रन्थ गुरु (आचार्य, उपाध्याय और साधु) एवं अहिंसामयी धर्म की भक्ति पूर्वक मैं आत्महित के लिये रत्नत्रय की भावना भाता हूँ और उसकी सफलता के लिये निवृत्ति की भावना भाता हूँ।
    परम निवृत्ति स्वरूप निज शुद्धात्मा की भावना भाता हूँ।
    मेरा पुरुषार्थ निरन्तर बढ़ता रहे। समय, शक्ति एवं उपयोग निरन्तर आराधना एवं प्रभावना में लगा रहे।
    ॐ शान्ति ! शान्ति !! शान्ति !!!
    (कायोत्सर्ग)

ความคิดเห็น • 8

  • @swatijain3977
    @swatijain3977 2 หลายเดือนก่อน +1

    Jai jinendra ji 🙏🏻

  • @drnamitakothari5289
    @drnamitakothari5289 หลายเดือนก่อน

    जय जिनेंद्र पंडितजी और साधर्मियोंको🙏🙏

  • @anitajain1930
    @anitajain1930 2 หลายเดือนก่อน

    Bhout sunder vevachan h 🙏

  • @drnamitakothari5289
    @drnamitakothari5289 หลายเดือนก่อน

    सब जीव भगवान है 🙏🙏

  • @ketansheth9154
    @ketansheth9154 2 หลายเดือนก่อน

    સુરેન્દ્રનગર જય જિનેન્દ્ર

  • @Pooja_jain88
    @Pooja_jain88 2 หลายเดือนก่อน

    Jai jinendra 🙏 pandit ji

  • @drvinodjain3186
    @drvinodjain3186 2 หลายเดือนก่อน

    Jai jinendra ji from Ashok nagar

  • @harishjain914
    @harishjain914 2 หลายเดือนก่อน

    Jj