Hindu DharmGuru VS Sant Rampal Ji Maharaj | क्या श्री कृष्ण जी भगवान है ? |
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- เผยแพร่เมื่อ 13 ก.ย. 2024
- Hindu DharmGuru VS Sant Rampal Ji Maharaj | क्या श्री कृष्ण जी भगवान है ?
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Hindu DharmGuru VS Sant Rampal Ji Maharaj | क्या श्री कृष्ण जी भगवान है ?
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Great information
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सच्चाई को स्वीकार करें। लोकवेद को त्यागें।
गीताजी अध्याय 2 श्लोक 17 में कहा गया है कि अविनाशी तो उस परमात्मा को जानो जिस का नाश करने में कोई समर्थ नहीं है।
True spiritual knowledge ❤
Super 🤩🤩
हमें शास्त्रों के अनुसार भक्ति करनी चाहिए।
True information 🔥
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Excellent Sprichual Knowledge & Video
अद्भुत
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वीडियो का प्रारंभिक पार्ट देखने से लग रहा हे ये वीडियो अच्छे निष्कर्ष पर पहुंचने वाला हे, पूर्वाग्रह त्यागकर वीडियो पूरा देखना चाहिए
गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
सातभक्ती करने से लाभ प्राप्त होते है
सत्य भक्ति से मुक्ति होगा
🍀 हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता। जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
Sat Saheb
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True supiritul knowledge by saint Rampal Ji Maharaj
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Malik ki gyan sunne ke liye dil tarasta Hein ❤ Satgurudev Ki Jay
श्राद्ध क्रिया कर्म मनमाना आचरण है यह शास्त्रों में अविद्या कहा गया है बल्कि गीता अध्याय 16 श्लोज 23 और 24 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनकी ना तो गति होती है न ही उन्हें किसी प्रकार का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है इसलिए शास्त्र ही प्रमाण है।
Sachai ko swikar karne se koi chota nahi ho jata hai
ઓહ્
यह वीडियो बहुत अच्छी है।
लगता है इसे जरूर देखना चाहिये
श्री विष्णु पुराण के तीसरे अंश में अध्याय 15 श्लोक 55-56 पृष्ठ 153 पर लिखा है कि श्राद्ध के भोज में यदि एक योगी यानी शास्त्रोक्त साधक को भोजन करवाया जाए तो श्राद्ध में आए हजार ब्राह्मणों तथा यजमान के पूरे परिवार सहित सर्व पितरों का उद्धार कर देता
Yas
जिन बातन से गुरु दुःख पावै। तिन बातनको दूर बहावै।।
अष्ट अंग से दंडवत प्रणामा। संध्या प्रात करै निष्कामा।।(
Greatest Spiritual Debates
Great knowledge ❤❤
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श्री कृष्ण ही पूर्ण पुरषोत्तम भगवान है
यह वीडियो हमारे समाज के लिए बहुत अच्छा है
😮😮😮
गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
बहुत ही अच्छी व सटीक जानकारी
Factual video
बेद,पढैं पर भेद ना जानें, बांचे पुराण अठारा, पत्थर की पुजा करें,भूले सिर्ज़नहारा। हमें शास्त्रों के अनुसार भक्ति करनी चाहिए।👏👏
Sahi baat h
Shri Krishna bhagwan purn Parmatma hai
very nice
Okk😊
शास्त्रों के अनुकूल भक्ति करने से ही मोक्ष मार्ग प्राप्त होगा।
Baat to shi hai
अगर कृष्ण भगवान ही पूर्ण परमात्मा है तो फिर गीता में तीन प्रभु का जिक्रक्यू है।
सतभकित करने से उजड़ा परिवार बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है
वेद पढ़े पर भेद न जाने पाचे पुराण आठरहा पत्थर की पूजा करे भूल गये सिरजन हरा ❤❤❤❤😂😂😂
सच्चाई तोह है भाई साहब 🚩🚩🚩🚩
साधू भूखा भाव का, । धन का भूखा ना जे कोई धन का भूखा हो, वो साधू भी कोन्या ।।
गुरुवा गांव बिगड़े संतो गुरुवा गांव बिगाड़े ऐसे कर्म जीव के लगा दिये ईब झड़े ना झाड़े
संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान है जो शास्त्रों के आधार पर आधारित है ।
बेद पढ़ैं पर भेद ना जानें, बांचें पुराण अठारा।
पत्थर की पूजा करें, भूले सिरजनहारा।।
Wow! 😮 Something interesting
गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उसकी कृपा से ही तू परमशांति को तथा सनातन परम धाम यानि सत्यलोक को प्राप्त होगा। जो 16 शंख कोस दूर है।
सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
🎈गीता शास्त्र में पित्तर व भूत पूजा, देवताओं की पूजा निषेध कही है।-
व्रत करना व्यर्थ कहा है। कर्म सन्यास गलत कहा है। कर्म करते-करते भक्ति करना उत्तम बताया है।
प्रमाण:- गीता अध्याय 9 श्लोक 25, गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15, 20-23, गीता अध्याय 6 श्लोक 16, गीता अध्याय 5 श्लोक 2-6, गीता अध्याय 3 श्लोक 4-9 में।
भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात् यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित पृष्ठ 237) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। “पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं।" रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।
हमारे धर्म शास्त्र ही प्रमाणीत करेंगे की कौन पूर्ण परमात्मा हैं सक्ति तो सभी भगवानों मैं हैं जिसमे परम शक्ति हैं वहीं पूर्ण परमात्मा हैं
श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
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Sant Rampal Ji Maharaj
सच्चाई को स्वीकार करें लोकवेद को त्यागें।
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Supreme God Kabir
के पश्चात् की गई सर्व क्रियाऐं मोक्ष कराने के उद्देश्य से की जाती हैं। ज्ञानहीन गुरु अन्त में कौवा बनवाकर छोड़ते हैं। वह जीव तो प्रेत शिला पर प्रेत योनि भोग रहा होता है। पीछे से गुरू और कौवा मौज से भोजन कर रहे होते हैं।
Sant Rampal Ji Maharaj
Hamen shastron ke anusar bhakti Karni chahie
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में गीता बोलने वाले काल ब्रह्म ने कहा है कि मनमुखी साधना बिलकुल भी लाभदायक नहीं हैं।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23
यः, शास्त्रविधिम्, उत्सृज्य, वर्तते, कामकारतः, न, सः, सिद्धिम्, अवाप्नोति, न, सुखम्, न, पराम्, गतिम् ॥
जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरीत भक्ति करना व्यर्थ है।
श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
कृष्ण भगवान चार भुजा के मालिक हैं इसके पिता हजार भुजा के मालिक हैं जबकि असंख्य भुजा के मालिक सच्चिदानंद घन परमात्मा कबीर बंदीछोर है जो शास्वत सनातन परमधाम में रहते हैं।
🔅सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
ये तन विष के बेलड़ी गुरू अमृत के खान
शीश दिए जो गुरु मिले तो भी सस्ता जान।।
सच्चाई को स्वीकार करें।लोक वेद को त्यागो।
द्वापर युग (भगवान् कृष्ण) से पहले कौन भगवान् था। उआ-बाई /सच्चा ज्ञान समझ आ रहा है।
मौला वाठे मग में हंसा चून चून के खाय जोत सवरपि निरानजन वाले में करता भाई धन्यवाद
Sat guru purn brmh Kabir permeswar ही ha
शिक्षित समाज को ये वीडियो देखना जरुरी है, सच ओर झुट की परख करनी चाईये इससे हम सच्चे ग्यान से परिचित हो जायेगे।
वेद पढ़े पर भेद ना जाने बातें पूराण अठारह
पत्थर की पूजा करते भूल गये सिरजनहार
সন্ত রাম্পালজি মহারাজ সকল ধর্মগ্রন্থে প্রমান দেখিয়েছেন যে কবীর সাহেব হলেন পূর্ণ পরমাত্মা।
Itna true h to original geeta Kyu n bechta 😂
सच्चाई को स्वीकार करें
बॉय cat
जबकि संत रामपाल जी महाराज ने वेदों से यह सिद्ध किया है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं और वे साधक के घोर से घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। (यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व अध्याय 5 मंत्र 32)
Anjani guruon se savdhan Jo Shastra viruddh Sadhna kar aur karva rahe hain
ESI tarah debate karne se saty gayan samne aa jayega
Ek Brahmand Mein 14 lok.hote.hai
Kabir hi puri duniya ke bhagvan h
Kabir hi purn Parmatma hai are Pavitra Ved Shastra mein pramanit hai
Proof?
Vedo me praman he kabir saheb bhgwan he
अज्ञानी गुरुओं के अनुसार मृत्यु के पश्चात सर्व कर्मकांड, आत्मा की गति (मोक्ष) के लिए किए जाते हैं। लेकिन फिर पितृ पक्ष में कहते हैं कि आपके पूर्वज कौवा बन गए हैं, भोजन करवाकर उनको तृप्त करो। इस तरह ये मूर्ख बनाकर समाज की दुर्गति किये हुए हैं।
Sacchai ko Mane lok bedh ke tyage
हमारे हिन्दू धर्म ने अपने पवित्र ग्रंथों गीता, चारों वेदों, महाभारत तथा अठारह पुराणों को नहीं समझा।
कृपया गीता अध्याय 8 श्लोक 16 का मेरा सच्चा अनुवाद पढ़ें:
हे अर्जुन! (अब्रह्मभुवनत्) ब्रह्मलोक तक के सभी लोक (पुनरावतीर्नः) पुनरावृत्ति में हैं, अर्थात् वे जहाँ भी जाते हैं, उन्हें पुनः लोक में आना पड़ता है। (आप) परन्तु (कौन्तेय!) हे कुन्तीपुत्र! (न विद्यते) जो यह नहीं जानते (माम् उपेतय) यद्यपि उन्होंने मुझे प्राप्त कर लिया है
(पुनर्जन्म) पुनर्जन्म होता है। भावार्थ है कि जो यह नहीं जानते कि ब्रह्मलोक में जाकर भी वापिस आना पड़ता है, वे मेरी भक्ति करके मुझे प्राप्त होकर भी जन्म-मरण के चक्र में रह जाते हैं।
Kabir Das Bhagat hai
In guruo ne jhoth ke alava kuchh nhi bola , sari man mukhi baate
अज्ञान का पर्दफ़ास
ab prman aap ke samne hae dekho or fesla karo kon saccha kon jhuthe