Aniruddhacharya ji Vs Sant Rampal Ji | Ep-04 | क्या कृष्ण जी पाप कर्म का नाश कर सकते है? | Katha
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- เผยแพร่เมื่อ 17 ก.ย. 2024
- Aniruddhacharya ji Vs Sant Rampal Ji | Ep-04 | क्या कृष्ण जी पाप कर्म का नाश कर सकते है? | Katha
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इस वीडियो में अनिरुद्धाचार्य जी से एक मंदिर के पुजारी ने सवाल किया कि जब राम, दशरथ आदि को भी अपने कर्मों का फल भोगना पड़ा और हम सब यहां पर अपने कर्मों का फल ही भोग रहे हैं, तो हम यहां पर कर क्या रहे हैं? इसके जवाब में अनिरुद्धाचार्य जी ने कहा कि कर्मों का फल तो सभी को भोगना पड़ता है, वह चाहे राम हो, चाहे कृष्ण हो, सभी ने अपने कर्मों का फल भोगा है, इसीलिए कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है, उसका नाश नहीं होता।
वहीं दूसरी तरफ संत रामपाल जी महाराज ने यह साबित करके बताया कि कोई भी भगवान चाहे ब्रह्मा, विष्णु और शिव इत्यादि भी हो, पाप कर्मों का नाश नहीं कर सकता। लेकिन उन्होंने यजुर्वेद से प्रमाण देखकर यह भी बताया कि पूर्ण परमात्मा कबीर देव पाप कर्मों का विनाश कर देता है।
और अंत में यही साबित हुआ दोनों संतों के विचार जानने के बाद, कि संत रामपाल जी महाराज ने शास्त्रों से प्रमाणित कर दिया कि प्रारब्ध के कर्मों का विनाश ब्रह्मा, विष्णु, शिव, ब्रह्म और परब्रह्म भी नहीं कर सकते। पूर्ण परमात्मा की शास्त्र अनुकूल भक्ति से ही पाप कर्मों का विनाश होता है और पाप कर्मों के विनाश होने पर ही जीव का जन्म-मरण से छुटकारा होकर उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। अनिरुद्धाचार्य जी का तर्क गलत साबित हुआ।
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In a recent video, a temple priest raised a thought-provoking question to Aniruddhacharya ji. He inquired about the suffering endured by figures like Ram and Dashrath due to their deeds and drew a parallel to our own experiences of facing consequences for our actions. The priest questioned the purpose of such suffering, prompting Aniruddhacharya ji to respond with the assertion that everyone, including divine figures like Ram and Krishna, must bear the consequences of their deeds. According to him, this universal law of cause and effect is inexorable, and even gods cannot escape it.
Contrastingly, Saint Rampal Ji Maharaj presented a different perspective, challenging the notion that any God, whether Brahma, Vishnu, or Shiva, possesses the ability to eradicate sinful deeds. Drawing evidence from Yajurveda, he argued that only Supreme God Kabir Dev holds the power to eliminate sinful actions. In the end, the comparison of views between Aniruddhacharya ji and Saint Rampal Ji Maharaj led to the conclusion that Saint Rampal Ji Maharaj, supported by scriptural references, demonstrated that not even Brahma, Vishnu, Shiva, Brahm, or Parabrahma can annul the karmic cycle. Liberation from the cycle of birth and death, and ultimate salvation, can only be attained through scripture-based devotion to the Supreme God, which eradicates sinful deeds. This stands as a refutation of Aniruddhacharya ji's perspective.
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🔅सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में लिखा है कि परमात्मा अपने सतभक्ति करने वाले भक्त के घोर पापों का भी नाश कर देता है। जब पाप ही समाप्त हो जायेंगे तो कष्ट नहीं आएंगे और भक्त का जीवन सुखी हो जाएगा।
आज तक हमें श्राद्ध करना और पितर पूजा करना मोक्ष की क्रिया बताया जा रहा था। लेकिन गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में श्राद्ध और पिंड आदि कर्मकांड को गलत बताया है। मार्कन्डेय पुराण में भी पितर पूजा को मूर्खों की साधना कहा है। तो फिर ये साधना क्यों कारवाई जा रही है। संभलो हिन्दू भाइयों।
हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता, जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता। जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
हिन्दू भाइयों संभलो
🍀 हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता। जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
हिन्दू भाइयों संभलो
पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
Amazing spiritual knowledge
सतभक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहती। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहती है।
🍀 हमारे धर्म गुरुओं ने जो भी गीता अनुवादित कि है सबने गीता अध्याय 18 के श्लोक 66 में "व्रज" शब्द अर्थ आना किया है। जबकि ये देखिए संस्कृत हिन्दी शब्द कोश इसमे साफ लिखा है व्रज का मतलब जाना। यानि अर्जुन तू केवल उस परमात्मा कि शरण में जा। वो परमात्मा कौन है। इस
गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछों वेद पुराण।।
लगता है पूरे विश्व में सबसे ज्यादा ज्ञानी अनिरुद्ध आचार्य जो शास्त्र विरुद्ध बातें करते हैं
कहाँ छुपा हुआ था यह अनमोल ज्ञान 😢
वास्तविकता में यही सच्ची भक्ती है
पूर्ण परमात्मा अपने साधक के घोर से घोर पाप का नाश करते हैं।
पाप कर्म को पूर्ण परमात्मा काट सकते हैं
True decisive certified spritual knowledge for everyone
संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र संत है जो शास्त्र अनुकूल भक्ति बता रहे हैं Geeta जी अध्याय 16 श्लोक 23 में स्पष्ट लिखा है कि शास्त्र विरुद्ध भक्ति करना व्यर्थ है
सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
तत्वदर्शी सन्त वह होता है जो वेदों के सांकेतिक शब्दों को पूर्ण विस्तार से वर्णन करता है जिससे पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति होती है वह वेद के जानने वाला कहा जाता है। हुओं
#Power_Of_TrueWorship
सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
Sant Rampal Ji Maharaj
अगर इस जीव के कर्म नहीं कटते तो भक्ती क्यों?
हम शास्त्र अनुकूल भक्ती साधना करेगें तो अपना पूर्ण मोक्ष होगा।
Informative video...
Thanks for such a spiritual video...
Must watch till end...
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय ।।
अर्थ : इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है. जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे
Real Knowledge
🍀आज तक हमें श्राद्ध करना और पितर पूजा करना मोक्ष की क्रिया बताया जा रहा था। लेकिन गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में श्राद्ध और पिंड आदि कर्मकांड को गलत बताया है। मार्कन्डेय पुराण में भी पितर पूजा को मूर्खों की साधना कहा है। तो फिर ये साधना क्यों कारवाई जा रही है। संभलो हिन्दू भाइयों।
हिन्दू भाई संभलो
गीता अध्याय 15 श्लोक 17
सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का पालन-पोषण करते हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते हैं।
अति उत्तम जानकारी वेद शास्त्रों से प्रमाणित 😊
, ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 एवं यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार आखिर कौन है वह वास्तविक पूर्ण परमात्मा, जो अपने साधक के घोर से घोर पाप को नाश करके उसकी आयु बढ़ा देता है।
Factful Debates
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🔅सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र ,32, अध्याय 8मंत्र ,13 में प्रमाण है, कि पूर्ण परमात्मा पाप कर्म को भी काट देता है । वेदों में प्रमाण है,पूर्ण परमात्मा साधक के घोर पाप भी काट देता है।
वीडियो बहुत ही शानदार है धर्म गुरू कैसे लोगो को शास्त्रों से गुमराह कर रहे हैँ
जितने भी धर्मगुरु हुए हैं उनका कहना है कि मनुष्य को अपने किये कर्मों को भोगकर ही पूरा करना पड़ता है
जबकि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में स्पष्ट रूप से लिखा है कि परमात्मा साधक के घोर से घोर पापों का भी नाश कर देता है
ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3 में स्पष्ट है कि यदि रोगी की जीवन शक्ति नष्ट हो गई हो और रोगी मृत्यु के समीप पहुंच गया हो तो भी परमात्मा उसको सही करके सौ वर्ष की आयु प्रदान करता है।
Truth
बहुत सही बात कही आपने
पूर्ण परमात्मा अपने साधक के घोर पापों का भी नाश कर देते हैं वेदों में प्रमाण है
सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
It's amazing
Right
पूर्ण परमात्मा ही पाप कर्म नाश कर सकते है।
True spiritual knowledge
हिन्दू भाई संभलो
हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता। जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
हिन्दू भाइयों संभलो
True spritual knowledge without superstition.
हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
V/S
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण दिखा कर बताया कि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
Kabir is the Supreme Godयीशु का जन्म-मरण व चमत्कार सब काल (यहोवा) के द्वारा निर्धारित था
पवित्र बाईबल यूहन्ना 9:1-34 में है कि एक अंधे व्यक्ति को यीशु ने स्वस्थ कर दिया। यीशु बोले इसका कोई पाप नहीं था, यह इसलिए हुआ कि प्रभु की महिमा प्रकट करनी थी। यदि पाप होता तो यीशु उसकी आंखें ठीक नहीं कर सकते थे।
🍄🍂🍂💫💫
Kabir is the real code and destroyer of our sins
True spiritual debate without Superstition 😊
Amazing
4• हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं!
गीता कहती है, भूत पूजोगे तो भूत बनोगे।
और हमारे धर्म गुरु हर घर में भूत पुजवा रहे हैं, कुछ तो शर्म करो। शास्त्रों के अंदर तो खोल के देख लो।
अज्ञानी धर्म गुरु कहते हैं कि शिव लिंग भगवान शिव का प्राइवेट पार्ट नहीं है और पूरे हिन्दू समाज को शिव लिंग पूजा करने को बताते हैं। अब आप खुद देखिए शिव पुराण विधवेश्वर संहिता अध्याय 5 श्लोक 27-30 व अध्याय 9 श्लोक 40-43 जिससे आपको स्पष्ट हो जाएगा कि शिव लिंग क्या है। संभलो हिन्दू भाइयों।
गीता में भगवान कह रहे हैं विधी के विधान के अनुसार मनुष्य अपने कर्मों का फल सोयम भोगता है निर्देश तत्व दर्शी सन्त शरण में जा जिसके कृपा से तू परम शांति 7 स्थान प्राप्त होता हैं
अन्य धर्मगुरु जो भी मंत्र जाप बताते हैं जैसे हरे राम, राम राम, राधे राधे, कृष्णा-कृष्णा, हरि ॐ तत् सत्, ॐ नमः शिवाय, ॐ भगवते वासुदेवाय नम; मृत्युंजय जाप आदि मंत्र हमारे पवित्र शास्त्रों में प्रमाणित नहीं है। ये सब शास्त्रविरुद्ध व मनमाना आचरण होने से व्यर्थ है। जिस कारण से हमें कोई लाभ, सुख-शांति प्राप्त नहीं हो सकती है और ना ही हमारा पूर्ण मोक्ष हो सकता है।
जिस लोक में हम सभी रह रहे हैं यह काल ब्रह्म का लोक है जिसके द्वारा आत्माओं को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश, दुर्गा, हनुमान, सूर्य देव और कई अन्य देवताओं की पूजा करने के लिए गुमराह करता है। जिनकी पूजा से साधकों को कोई लाभ नहीं मिलता क्योंकि उनकी शक्तियां सीमित हैं और ये भगवान केवल कर्म के आधार पर फल प्रदान कर सकते हैं। जिसका प्रमाण श्री देवी पुराण के तीसरे स्कन्ध अध्याय 5 तथा गीता अध्याय 8 श्लोक 16 में है कि ये सभी भगवान स्वयं जन्म और मृत्यु के दुष्चक्र में फंसे हुए हैं औ
पाप कर्म का दण्ड तो कवीर परमेश्वर ही समाप्त कर सकते हैं ।
Great giyan
🍀 अज्ञानी धर्म गुरु कहते हैं कि शिव लिंग भगवान शिव का प्राइवेट पार्ट नहीं है और पूरे हिन्दू समाज को शिव लिंग पूजा करने को बताते हैं। अब आप खुद देखिए शिव पुराण विधवेश्वर संहिता अध्याय 5 श्लोक 27-30 व अध्याय 9 श्लोक 40-43 जिससे आपको स्पष्ट हो जाएगा कि शिव लिंग क्या है। संभलो हिन्दू भाइयों।
वेदो में प्रमाण है पूर्ण परमात्मा साधक के घोर पाप भी काट देता है
Great debeat
Yajurved adhyay 5 Mantra number 32
जबकी परमेश्वर के संविधान अनुसार,और उनके असंख्य गुण मे से एक महत्वपूर्ण गुण ये भी है कि पूर्ण परमात्मा पाप कर्म नष्ट कर देता है पूर्ण परमात्मा की भक्ति केवल सुख देने वाली होती है। इस तथ्य को पूर्ण रूप से सौ फीसदी सच हमारे वेद बताते हैं।
आज तक हमें श्राद्ध करना और पितर पूजा करना मोक्ष की क्रिया बताया जा रहा था। लेकिन गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में श्राद्ध और पिंड आदि कर्मकांड को गलत बताया है। मार्कन्डेय पुराण में भी पितर पूजा को मूर्खों की साधना कहा है।
यदि पवित्र हिन्दू धर्म की पूजाओं पर दृष्टि दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि लगभग पूरा हिन्दू समाज पित्तर पूजा, भूत पूजा, देवी-देवताओं की पूजा करता है जो शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण होने से गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार व्यर्थ प्रयत्न है।
Greatest Details
हिन्दू भाई संभलो
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख होता है ना कोई सिद्धि प्राप्त होती है तथा ना ही उनकी गति अर्थात मोक्ष होता है।
TO KNOW MORE
WATCH SADHNA TV 7:30 PM(IST)
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हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता, जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
हिन्दू भाइयों संभलों
हिन्दू भाई संभलो
सतभकित करने वाली की परमात्मा आयु भी बढ़ा देता है और रोग नषट कर देता है
True knowledge
जितने भी धर्म गुरु है उनका कहना है कि मनुषय को अपने किये कर्मो को भोगकर ही पूरा करना पड़ता है
Wao I am so glad after knowing about things on the basis of full facts.
👌
❤
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32, अध्याय 8 मंत्र 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा पाप कर्म को भी काट देता है।
😊😊
क्या आप जानते हैं कि पापों से मुक्ति पाई जा सकती है?
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में लिखा है कि परमेश्वर अपने साधक के घोर से घोर पाप को भी समाप्त कर देता है। जब पाप ही समाप्त हो गया तो फिर रोग भी नहीं रहेगा।
Very nice
पूर्ण परमात्मा भक्त के सारे पाप कर्म खत्म कर देते हैं
अनेकों मनमाने और शास्त्रविरुद्ध आचरण बताकर धर्मगुरु स्वयं जो सच्चा सन्त सिद्ध करते हैं जबकि वे सभी आचरण या साधनाएँ जैसे मूर्तिपूजा, श्राद्ध, व्रत आदि जो शास्त्रों में नहीं दिए गए हैं वे व्यर्थ हैं और गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में प्रमाण है कि शास्त्र विधि त्यागकर मनमाने आचरण से कोई लाभ नहीं होता
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 मैं प्रमाण है कि परमात्मा सड़क के घर से घर पाप कभी नाश कर देता है और उसको आयु बढ़ा देता है
पवित्र कुरान में पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण सूरत-अर रूम-30, आयत नं. 11:- अल्लाह पहली बार सृष्टि (खिलकित) को उत्पन्न करता है। फिर उसे दोहराएगा। (पुनरावृत्ति करेगा।)
हिन्दू भाई संभलोहम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता। जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
Factful Debates
आज तक हमें श्राद्ध करना और पित्र पूजा करना मोक्ष कि क्रिया बताया जा रहा लेकिन गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में श्राद्ध और पिंड आदि कर्मकांड को गलत बताया है। मार्कन्डेय पुराण में भी पित्र पूजा को अविधा यानि मूर्खों कि साधना कहा है। तो फिर ये साधना क्यों कारवाई जा रही हैं। संभलों हिन्दू भाइयों।
😮😮😮
gregarious debate
Factful Debates है ❤❤❤❤
पूर्ण परमेश्वर पाप कर्म आदि को काट सकते हैं।
हमारे हिन्दू धर्म ने अपने पवित्र ग्रंथों गीता, चारों वेदों, महाभारत तथा अठारह पुराणों को नहीं
समझा।
कृपया पढ़ें मेरा यथार्थ अनुवाद गीता अध्याय 8 श्लोक 16 का:-
हे अर्जुन! (आब्रह्मभुवनात्) ब्रह्मलोक पर्यन्त सब लोक (पुनरावतिर्नः) पुनरावृत्ति में हैं यानि जहाँ जाकर भी पीछे संसार में आना पड़े, ऐसे हैं। (तु) परंतु (कौन्तेय!) हे कुंती पुत्र! (न विद्यते) जो यह नहीं जानते (माम् उपेत्य) मुझे प्राप्त होकर भी उनका
(पुनर्जन्म) पुनर्जन्म होता है। भावार्थ है कि जो यह नहीं जानते कि ब्रह्मलोक में जाकर भी वापिस आना पड़ता है, वे मेरी भक्ति करके मुझे प्राप्त होकर भी जन्म-मरण के चक्र में रह जाते हैं।
शास्त्र अनुसार भक्ति करने से पाप का भी नाश होता है
गीता अध्याय 9/30.31मे कहा है कि मै पापी से पापी का पाप नाश कर सकता हू
किसी भी गुरु की शरण में जाने से मुक्ति संभव है या नहीं
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
गीता कहती है, भूत पूजोगे तो भूत बनोगे।
और हमारे धर्म गुरु हर घर में भूत पुजवा रहे हैं, कुछ तो शर्म करो। शास्त्रों के अंदर तो खोल के देख लो।
पाप कर्म सिर्फ पूर्ण परमात्मा काट सकता हैं
झूठे गुरु को तज जो आना ता पशुओं का फोकट ज्ञाना
📚 “पवित्र गीता में व्रत के विषय में"
👉🏻 प्रश्न:- क्या एकादशी, कृष्ण अष्टमी या अन्य व्रत भी शास्त्रों में वर्जित हैं❓
👉🏻 उत्तर:- गीता अध्याय 6 2 लोक 16 में बताया है कि बिल्कुल न खाने वाले यानि व्रत रखने वाले का योग यानि परमात्मा से मिलने का उद्देश्य पूरा नहीं होता।
गीता अध्याय 6 श्लोक 16:- हे अर्जुन यह योग (यानि परमात्मा प्राप्ति के लिए की गई साधना) न तो बहुत खाने वाले का और न बिल्कुल न खाने वाले का तथा न बहुत शयन करने वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है। इसलिए व्रत रखना शास्त्रविरुद्ध होने से व्यर्थ सिद्ध हुआ।
हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं!
गीता कहती है, भूत पूजोगे तो भूत बनोगे।
और हमारे धर्म गुरु हर घर में भूत पुजवा रहे हैं, कुछ तो शर्म करो। शास्त्रों के अंदर तो खोल के देख लो।
Kabir is god sant rampal ji Maharaj he samaj sudarak hai or sary nakli dharam guru h
हमारे धर्म गुरुओं ने जो भी गीता अनुवादित की है सबने गीता अध्याय 18 के श्लोक 66 में "व्रज" शब्द का अर्थ आना किया है। जबकि संस्कृत हिन्दी शब्द कोश में साफ लिखा है व्रज का मतलब जाना। यानि अर्जुन तू केवल उस परमात्मा कि शरण में जा। वो परमात्मा कौन है। इस सवाल को छिपाने के लिए धर्म गुरुओ ने व्रज शब्द का मतलब ही गलत कर दिया। ये हमारे साथ धोखा है।
जब कर्म का भोग भोगना पड़ता है तो भक्ति क्यों की जाये
ये अज्ञानी है इनके बहकावे में न आये
अपने धर्म शास्त्रों को स्वयं पढ़े
हिंदू धर्म सबसे पुराना धर्म है जिसे सनातन धर्म के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है शाश्वत धर्म। हिंदू धर्म को मानने वाले मुख्य रूप से ब्रह्मा, विष्णु, महेश/शिव/शंकर, देवी दुर्गा, भगवान गणेश, भगवान राम और सीता, श्री कृष्ण, हनुमान, शनि देव, सूर्य, देवी सरस्वती, धर्मराज (मृत्यु के देवता) और इंद्र इत्यादि देवी देवताओं की पूजा करते हैं। जबकि हिंदू धर्म के अनुसार 33 कोटि (करोड़) देवी-देवता और 88 हज़ार ऋषि हैं जिनकी हिंदू समाज में पूजा की जाती है।
श्री कृष्ण पाप कर्म नहीं काट सकते
सत्य और असत्य को पहचने इस वीडीओ मे