"आचार्य प्रशांत से समझें गीता, लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022 ✨ प्रतिमाह 20+ लाइव सत्र और नियमित परीक्षाएँ ✨ 40,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी ✨ पिछले 1,000+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क ✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल"
पेट्रीआर्की को ज्यादातर महिलाएं ही चला रही है, क्योकि हम दैह ही बने बैठे है, इस मै हमारा भी कुछ स्वार्थ है तभी ये सालों से चला रहा है, ये बात महिलायो के मन मै बचपन से ही भर दिया जाता है की हम दैह है और कही न कही इस मै हमारा ही स्वार्थ है, हमे इस स्वार्थ को छोड़ कर आज़ादी और ज्ञान का महत्व समझना होगा.. और अब ये समझ आ रहा है। धन्यवाद आचार्य जी❤
अध्यात्म जितना जरूरी पुरुषों के लिए है उससे कई गुना ज्यादा महिलाओं के लिए है। क्योंकि सबसे ज्यादा कैद में महिला ही है तो मुक्ति की भी सबसे ज्यादा जरूरत महिला को ही है।
अपने शरीर को ना तो अपनी पूंजी मानो ना अपना हथियार और महिलाएं शरीर भाव में इसीलिए जीती हैं क्योंकि वो शरीर को पूंजी भी मानती है और शरीर को हथियार भी मानती हैं इसीलिये महिलाये गलत रिश्ते में कैद हो जाती हैं
agar ladki ban na bhi na chahe toh usko jabardasti voh banaya jata hai Main PhD karna chahti hun but parents force me ki ghar ke kam seekh itne saal nhi de skate tujhe
सही कह अपने में भी आचार्य प्रशांत जी को bhot time' se sun rhi hu or unle app se bhi judi hu mere jivan me saghrsh chal rha jisme yah h ki mujhe बंधक बना kr rakha hua h भावनाओं के नाम pr or सामाजिक व्यवस्था के नाम pr
Yes , and same thing is said in Vedant "चेतना का विकास ही मुक्ति तक ले जाता है" 😊❤ the way is different but the meaning is same :) I have Huge respect for Baba Saheb 🙏🙌✨
B.R. Ambedkar ne sahi me dekhe to dharm sudhar karne ke liye hi kaam kiya tha, jitne bhi thor samaj sevak the vo sab sanatan dharma ki ladhai lad rahe the, vo sab sachhe sanatana vedanti aur budhha vaicharik the ~ Acharya Prashant
@@atharvgharge1394 बिल्कुल सही बात,👍🏽 "धर्म इंसान के लिए है ना कि इंसान धर्म के लिए। इसलिए मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जिसमें समानता, स्वतंत्रता, भाईचारा, मैत्री और करुणा हो, यह सब केवल मनुष्य तक नहीं बल्कि संपूर्ण जीव जगत के लिए व्याप्त हो।" ~ डॉ. B.R. अम्बेडकर 🙏🏽
आचार्य जी में पिछले 15माह से भगवत गीता सत्रों से जुड़ा हु आप को यूट्यूब पर 2020से सुन रहा हु आज मुझे देह भाव को समझने में बहुत मदद मिली है आचार्य जी शुक्रिया अभी न जाने क्या क्या और समझना बाकी है आप से जुड़े रहना ये एक मात्र मेरा चुनाव रहेगा ।
सबसे ज्यादा आध्यात्म की ज़रूरत महिलाओ को है क्योंकि आध्यात्म का काम ही है मुक्ति देना, मुक्ति की जरूरत भी सबसे ज्यादा उसी को होगी जो बंधनों में होगा । बंधनों में महिला ही है ओर सबसे पहला बंधन तो देह ही है ।
हमारे भारत में, श्री प्रशांत जी के आने से पहले, कोई बड़ा मंच इस पर बात नहीं करता था, लेकिन आज लोग इस मुद्दे को उजागर भी करते हैं, लेकिन श्री प्रशांत जी की तरह नहीं।🙏🏻🗣️🙏🏻
दैह का अर्थ है, दैह ही सब कुछ है लेकिन ये जनवारो के लिए था... हमारे लिए दैह से बहुत ऊँची कीमत ज्ञान को देना था , लेकिन हम अज्ञान बस दैह ही बने बैठे है 🤦🏼♀️
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी आपका ,जो आप हम झुन्नुओ को इतनी ऊंची बातें बता रहे हैं,जो बातें हमको जीवन भर में नही पता चलती । आपका कितना भी धन्यवाद कर लूं मैं वो कम ही है।
00:04 - Women's roles and societal expectations are challenged in relationships. 00:48 - Sacrifices in relationships beyond superficial aspirations. 02:26 - Understanding the essence of identity beyond societal labels. 03:38 - Deh Bhav dictates identity and behavior based on physical form. 05:47 - Animals have innate instincts for survival from birth. 06:51 - Deconstructing the illusion of physical existence and consciousness. 09:08 - Exploration of gender roles and bodily definitions in relationships. 10:09 - Understanding the balance of gender strengths and weaknesses. 12:16 - Discussion on gender roles and women's reproductive responsibilities. 13:05 - Discussion on societal roles of women and men regarding childbirth and caregiving. 14:48 - Paternal roles are socially constructed, limiting women's choices and freedom. 15:48 - Gender dynamics involve complex family relations, not strict male-female conflict. 17:43 - Identity cannot solely be defined by physical appearance. 18:40 - Identity extends beyond the physical body and societal perceptions. 20:41 - Women should demonstrate equal capability in challenging tasks. 21:31 - Physicality and equality perceptions hinder true understanding of relationships. 23:50 - Gender roles perpetuate traditional patriarchal structures. 24:36 - Recognizing the body as a functional tool rather than an identity. 26:23 - Emotions are physical manifestations of internal bodily processes. 27:35 - Emotions are chemically based and influenced by societal roles. 29:17 - Current generation's view on gender roles and feminism. 30:03 - Dehbhav shapes relationships regardless of modern achievements. 31:48 - The film 'Animal' critiques modern relationships through a primitive lens. 32:36 - Equality can exist beyond physical differences. 34:19 - Women face greater spiritual confinement than men in religious practices. 35:10 - Spirituality is essential for women's liberation from physical and emotional bondage. 37:25 - Women perceive their bodies as both capital and weapon. 38:39 - Master's rejection stems from fear of moral decline. 40:30 - स्वार्थ और देह की सीमाओं से बंधा जीवन सच्चे प्यार को रोकता है। 41:07 - Relationships are often transactional, misunderstanding true intent and effort. 42:50 - Critique of undeserved respect awarded to certain individuals. 43:49 - Understanding the complexities of emotional relationships beyond materialistic views. 46:01 - Effort should align with potential for success. 47:06 - मुक्ति प्राकृतिक और स्वेच्छिक होनी चाहिए, न कि जबरदस्ती थोपने की। 49:16 - Explains the difference between self-knowledge and action.
आचार्य जी इस युग के संत हैं।🙏सभी लोग केवल सुने नहीं,जीवन में भी उतारें,तभी फ़ायदा होगा। यथा संभव दान💸 करें।🫵कौन-कौन चाहता है आचार्य जी का चैनल 100✓Milion का हो।🥰
"आचार्य प्रशांत से समझें गीता,
लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022
✨ प्रतिमाह 20+ लाइव सत्र और नियमित परीक्षाएँ
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✨ पिछले 1,000+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क
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आज के विषय का अर्थ समझाने के लिए
🙏🏻धन्यवाद 🌟श्रीप्रशांत जी
🙏🙏🙏🙏❤️
Jay Shri Ram Aacharya ji ko sat sat Naman
Jay Shri Ram Aacharya ji ko sat sat Naman
🙏🙏🙏🙏
पेट्रीआर्की को ज्यादातर महिलाएं ही चला रही है, क्योकि हम दैह ही बने बैठे है, इस मै हमारा भी कुछ स्वार्थ है तभी ये सालों से चला रहा है, ये बात महिलायो के मन मै बचपन से ही भर दिया जाता है की हम दैह है और कही न कही इस मै हमारा ही स्वार्थ है, हमे इस स्वार्थ को छोड़ कर आज़ादी और ज्ञान का महत्व समझना होगा.. और अब ये समझ आ रहा है।
धन्यवाद आचार्य जी❤
Kuch nahi bahut bahut jyada svarth h pitrasatta me mahilaon ka ladkiyon ka
अध्यात्म जितना जरूरी पुरुषों के लिए है उससे कई गुना ज्यादा महिलाओं के लिए है। क्योंकि सबसे ज्यादा कैद में महिला ही है तो मुक्ति की भी सबसे ज्यादा जरूरत महिला को ही है।
Yes u are right ok
💯💯absolutely right 👍👍👍
Unko khud kaid me rahna pasnd h sister,aur khulapan Dene ka karan dekh lo short video reel me ,nach rhi aslilta faila rhi h ,
जो अपनी भावनाओं के पीछे चल रहे हैं, वो भी देह केंद्रित जीवन ही जी रहे हैं।
"ज्ञान शरीर से बहुत ऊंची बात है।"
अपने शरीर को ना तो अपनी पूंजी मानो ना अपना हथियार और महिलाएं शरीर भाव में इसीलिए जीती हैं क्योंकि वो शरीर को पूंजी भी मानती है और शरीर को हथियार भी मानती हैं इसीलिये महिलाये गलत रिश्ते में कैद हो जाती हैं
सचमुच अगर पूरी मनुष्यता का ही स्तर उठना है तो आत्मज्ञान चाहिए। ****आचार्य प्रशांत****
Subhah ki shuruaat aacharya ji ke sath ❤❤❤❤
❤
सभी दर्शक को विनंती है आचार्य प्रशांत जी के विङीयो मे जो सिध्दांतीक वाक्य और सुञ गुढ बाते कमेंट मे लिखा करे धन्यवाद
"ऐसा कोई काल नहीं
कृष्ण जब होते नहीं
नाम अलग संग्राम वही
गीता धार बहती रही"🌌
आचार्य जी की दहाड़ शेर की है, 💪💪💪💪💪💪💪💪
रहना Body है, चाहिए Equality नहीं हाे सकता!❤
agar ladki ban na bhi na chahe toh usko jabardasti voh banaya jata hai
Main PhD karna chahti hun but parents force me ki ghar ke kam seekh itne saal nhi de skate tujhe
Best line-
Feminism can't remove patriarchy,
Only self knowledge can remove patriarchy
कोई आपको अगर बंधक बना रहा है तो बंधन में कहीं ना कहीं आपका भी स्वार्थ हैं ⛓️👰🏻♀️🤵🏻♂️⛓️
सही कह अपने में भी आचार्य प्रशांत जी को bhot time' se sun rhi hu or unle app se bhi judi hu mere jivan me saghrsh chal rha jisme yah h ki mujhe बंधक बना kr rakha hua h भावनाओं के नाम pr or सामाजिक व्यवस्था के नाम pr
हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है, अन्यथा हमारी यह सोच भी भविष्य में देश के विनाश का कारण बनेगी👰🏻♀️🤵🏻♂️🤔🙄🌋🌍
🙏🙏🙏
❤
Aap sbhi video me comment krte ho ❤❤
"बुद्धि का विकास ही मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।"
~ डॉ. बी. आर. अंबेडकर
प्रणाम आचार्य जी ❤
Yes , and same thing is said in Vedant "चेतना का विकास ही मुक्ति तक ले जाता है" 😊❤ the way is different but the meaning is same :)
I have Huge respect for Baba Saheb 🙏🙌✨
"प्रेम पंख देता है, पिंजरा नहीं" - आचार्य प्रशान्त
B.R. Ambedkar ne sahi me dekhe to dharm sudhar karne ke liye hi kaam kiya tha, jitne bhi thor samaj sevak the vo sab sanatan dharma ki ladhai lad rahe the, vo sab sachhe sanatana vedanti aur budhha vaicharik the ~ Acharya Prashant
💙🙏
@@atharvgharge1394 बिल्कुल सही बात,👍🏽 "धर्म इंसान के लिए है ना कि इंसान धर्म के लिए। इसलिए मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जिसमें समानता, स्वतंत्रता, भाईचारा, मैत्री और करुणा हो, यह सब केवल मनुष्य तक नहीं बल्कि संपूर्ण जीव जगत के लिए व्याप्त हो।"
~ डॉ. B.R. अम्बेडकर 🙏🏽
Thank you Acharyaji for such a clear and practical explanation of patriarchy n feminism 👏
बहुत कुछ बदल रहा है जीवन में अंदर से ❤ धन्यवाद आचार्य जी
प्रेम संबंध हो या विवाह संबंध सब मै सबको देह भावना ही चाहिए ✅💯
💯
"जो अपने आप को शरीर-शरीर ही करता रहा है, वो तुम्हें भी शरीर से आगे कुछ देखने में असमर्थ ही रहेगा।"
~ Aachrya ji 🙏🏻❤
आचार्य जी को सुनने के बाद सच में बहुत ज्यादा जीवन में सकारात्मक बदलाव आया। धन्यवाद आचार्य जी
👍👍great
देह भाव का अर्थ है, देह ही सब कुछ है। ****आचार्य प्रशांत****
आचार्य जी में पिछले 15माह से भगवत गीता सत्रों से जुड़ा हु
आप को यूट्यूब पर 2020से सुन रहा हु
आज मुझे देह भाव को समझने में बहुत मदद मिली है
आचार्य जी शुक्रिया
अभी न जाने क्या क्या और समझना बाकी है
आप से जुड़े रहना ये एक मात्र मेरा चुनाव रहेगा ।
Thanks
Gita community join kro
"प्रेम पंख देता है, पिंजरा नहीं" - आचार्य प्रशान्त
Nice 👍
शरीर को बस संसाधन की तरह इस्तेमाल करो ।जब तक देहभाव रहेगा तब तक कैद में ही रहोगे ।
जब तक पुरुष,पुरुष बना रहेगा,,और जब तक महिला,महिला बनी रहेगा तब तक पितृसत्त जायज है
प्रणाम आचार्य जी ❤❤❤❤❤❤❤
अपने शरीर को न पूंजी मानो, ना हथियार 🙏💯 _ श्री आचार्य प्रशांत जी 🙏🙏🌹
कोई आपको बंधक बना रहा है तो बंधन में कहीं न कहीं आपका भी स्वार्थ है।
~ आचार्य प्रशांत।
🦁🐰🐭🐱ये हैं पशु की देह भौ का विषय👇🏻
तुम मुझे कोई भी ऊँची से ऊँची चीज़ देते रहो मैं तो वो ही करोगा के जो मेरे देह कहती हैं
Nice 👍
हमारी असली पहचान चेतना है।
मेरे लिए तो सबसे उत्तम काम यही है कि सुबह उठकर सबसे पहले आचार्य प्रशांत जी की वीडियो देखूं और समझूं,,
मेरा भी यही दिनचर्या है।
बिल्कुल सच्ची बात कही हे आपने आचार्य जी मेरा प्रणाम हे आपको 🕉🕉🇮🇳🇮🇳🙏🙏🌺🌺🌺
ज्यादातर महिलाएं खुद बंधन में रहना चाहती हैं, कुछ (गरीब)मजबूरी का तर्क देती हैं तो कुछ(अमीर) बाहर निकलना ही नहीं चाहती 🙏
मूलतः patriarchy देहभाव है; देहभाव मतलब मेरी पूरी पहचान, मेरी जिंदगी, मेरी हस्ती, मेरा व्यवहार, मेरे सोच, मेरे सम्बंध, सबकुछ मेरी देह से निर्धारित होंगे, देह ही सबकुछ है।
👍🙏👍
हमे अपनी सोच बदलनी होगी, नही तो हमारी यह सोच भी भविष्य मै देश के विनाश का कारण होगी..।
सबसे ज्यादा आध्यात्म की ज़रूरत महिलाओ को है क्योंकि आध्यात्म का काम ही है मुक्ति देना, मुक्ति की जरूरत भी सबसे ज्यादा उसी को होगी जो बंधनों में होगा ।
बंधनों में महिला ही है ओर सबसे पहला बंधन तो देह ही है ।
patriarchy exists till the time you exist as a body....beautifully explained acharya prashant
Thanks!
Acharya Prashant ❤
धन्यवाद आचार्य जी ❤❤
Definitely Right
आचार्य जी शत् शत् नमन् आपको🙏🙏
Good morning achrya ji pranam achrya ji Charan sparsh achrya ji good morning achrya ji pranam achrya ji 🎉🌹🌹🕉️🕉️🕉️🔱🔱🔱🌹💯💯🙏🙏🍫❤️❤️❤️
बाहर से भले हम मनुष्य देखते है पर अन्दर से हम अभी भी जंगल वाले पशु है 💯✅
Good morning ❤
God is great
God Bless You
Be Happy
Take care
Keep smiling
Good day
Love You 💕
मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसकी अज्ञानता हैं
स्त्री और पुरुष जब तक के एक दूसरे के शरीर को पशु की तरह देखेंगे तो कभी भी ये देह भाव के मसले खत्म नहीं होंगे👰🏻♀️🤵🏻♂️❌👀
🙏🙏🙏
कोन कोन जंगल से निकल के मनुष्य बना है श्री प्रशांत जी को सुनने के बाद🗣️🌟💯🙏🏻
Bas manushya bane ki Roz koshish jari hain gulab bhai🙄☺️🙏
😌Aap nikal gaye ho jangal se bhai ya apka hal bhi humari tarah hain 😢😔
Kosis jaari h insaan banney ki❤
@VeganShivani2405 Meri bhi Shivani ji 🙏🏻🥲
Jungle se hum tab nikalenge jab hum humara asli wajood samajh jayenge
Striyo ki suraksha.
❤❤आचार्य जी❤❤
Jai sri krishna ji abtar kalyog ❤❤❤
हमें ये स्वीकार करना होगा की हमें खुद की सोच को बदलना है नहीं तो आगे चल के हमारे ये सोच ही हमें नष्ट करके रख देंगी🙏🏻🤔❌🔄🤔💥😵
Right right bhai🙏
❤❤❤❤
देह को त्यागा नहीं जाता है उसको उसकी जगह पर रखा जाता है ।
हर चीज की अपनी औकात होती है ।
आचार्य प्रशांत जी
🙏🙏
हमारे भारत में, श्री प्रशांत जी के आने से पहले, कोई बड़ा मंच इस पर बात नहीं करता था, लेकिन आज लोग इस मुद्दे को उजागर भी करते हैं, लेकिन श्री प्रशांत जी की तरह नहीं।🙏🏻🗣️🙏🏻
Acharya Prashant ji great teacher and great speaker
Great student is here 🙏😉
@@Taif-AbazaYes Your topic too great my friend
@@Rizwan13GoodTime🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी आप किसी भी बात को इतने अच्छे से समझाते हैं कि उससे जुड़ी सारी समस्याओं का समाधान अपने आप ही हो जाता है ❤❤🙏🙏
पशुओं में देह ही सबकुछ है
भावनाएं भी शरीर है,विचारधारा भी शरीर है✅✅✅
दैह का अर्थ है, दैह ही सब कुछ है लेकिन ये जनवारो के लिए था... हमारे लिए दैह से बहुत ऊँची कीमत ज्ञान को देना था , लेकिन हम अज्ञान बस दैह ही बने बैठे है 🤦🏼♀️
आचार्य जी को सुनते हुए 50 मिनट कब निकल जाते है पता भी नहीं लगता, आपकी हर एक बात में गहराई और तथ्य होता है।❤
आचार्य जी हमारे भारत को एक नई दिशा में ले जारहे है वास्तविक सच्चाई और अध्यात्म के तरफ 🙏🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी आपका ,जो आप हम झुन्नुओ को इतनी ऊंची बातें बता रहे हैं,जो बातें हमको जीवन भर में नही पता चलती । आपका कितना भी धन्यवाद कर लूं मैं वो कम ही है।
Good morning achrya ji pranam achrya ji Charan Sparsh achrya ji good morning achrya ji
प्रणाम achary जी ❤❤❤
स्त्री और पुरुष जब तक के एक दूसरे के शरीर को पशु की तरह देखेंगे तो कभी भी ये देह भाव के मसले खत्म नहीं होंगे🤦🏻♂️👰🏻♀️❌🤵🏻♂️👀
💯🙏🙏
Om❤❤
देह भाव का त्याग करो ज्ञान स्वरूप हो जाओ 🙏
बिलकुल सही बात है गुरु जी आज कल की गिर्ल कुछ कम नहीं है
इनकी वाड़ी बना रही हर नारी को वीरांगना 💯💯💯🙏🙏🙏🙏
जो लोग अपनी भावनाओं के पीछे बहुत चल रहे हैं वो भी बॉडी सेंटर जीवन ही तो जीवन जीवन रहे हैं...
Patriyarchy आत्मज्ञान से जाएगी ❤️🙏
❤❤❤❤🌹🌹🌹प्रणाम आचार्य जी🙏🙏🙏❤❤❤❤🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹❤❤❤
Great personality
00:04 - Women's roles and societal expectations are challenged in relationships.
00:48 - Sacrifices in relationships beyond superficial aspirations.
02:26 - Understanding the essence of identity beyond societal labels.
03:38 - Deh Bhav dictates identity and behavior based on physical form.
05:47 - Animals have innate instincts for survival from birth.
06:51 - Deconstructing the illusion of physical existence and consciousness.
09:08 - Exploration of gender roles and bodily definitions in relationships.
10:09 - Understanding the balance of gender strengths and weaknesses.
12:16 - Discussion on gender roles and women's reproductive responsibilities.
13:05 - Discussion on societal roles of women and men regarding childbirth and caregiving.
14:48 - Paternal roles are socially constructed, limiting women's choices and freedom.
15:48 - Gender dynamics involve complex family relations, not strict male-female conflict.
17:43 - Identity cannot solely be defined by physical appearance.
18:40 - Identity extends beyond the physical body and societal perceptions.
20:41 - Women should demonstrate equal capability in challenging tasks.
21:31 - Physicality and equality perceptions hinder true understanding of relationships.
23:50 - Gender roles perpetuate traditional patriarchal structures.
24:36 - Recognizing the body as a functional tool rather than an identity.
26:23 - Emotions are physical manifestations of internal bodily processes.
27:35 - Emotions are chemically based and influenced by societal roles.
29:17 - Current generation's view on gender roles and feminism.
30:03 - Dehbhav shapes relationships regardless of modern achievements.
31:48 - The film 'Animal' critiques modern relationships through a primitive lens.
32:36 - Equality can exist beyond physical differences.
34:19 - Women face greater spiritual confinement than men in religious practices.
35:10 - Spirituality is essential for women's liberation from physical and emotional bondage.
37:25 - Women perceive their bodies as both capital and weapon.
38:39 - Master's rejection stems from fear of moral decline.
40:30 - स्वार्थ और देह की सीमाओं से बंधा जीवन सच्चे प्यार को रोकता है।
41:07 - Relationships are often transactional, misunderstanding true intent and effort.
42:50 - Critique of undeserved respect awarded to certain individuals.
43:49 - Understanding the complexities of emotional relationships beyond materialistic views.
46:01 - Effort should align with potential for success.
47:06 - मुक्ति प्राकृतिक और स्वेच्छिक होनी चाहिए, न कि जबरदस्ती थोपने की।
49:16 - Explains the difference between self-knowledge and action.
गजब
Parnam aachary ge
आचार्य जी इस युग के संत हैं।🙏सभी लोग केवल सुने नहीं,जीवन में भी उतारें,तभी फ़ायदा होगा।
यथा संभव दान💸 करें।🫵कौन-कौन चाहता है आचार्य जी का चैनल 100✓Milion का हो।🥰
भावनाएं भी शरीर हैं, विचारधारा भी शरीर है.. जिसको हम बोलते हैं ये मेरी भावनाएं हैं या भावनाएं हैं....वो सब भी तो शारिरिक उत्सर्जन ही है
got clear fundamentals ❤
राधे राधे
Namaste guruji main aapko bahut dinon se jaanta hun aur aapki kitaben padhta hun
Thankyou
आभार❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏~~प्रणाम आचार्य जी ~~❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏~~प्रणाम आचार्य जी ~~❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Pranam acharya ji 🙏🙏🙏
सही कहा आज अध्यात्म की जरूरत पुरुषों से जादा महिलाओं को है तो कृपया कर के आप सभी अपने आस पास के महिलाओं को आचार्य जी की विडियो शेयर करें
Aacharya ji parnam
✨जब तक अपने आप को शरीर मानते रहोगे तब तक patriarchy चलती रहेगी।
Shri Prashant ji ke charanon mein court court Naman aap hi to Hero Hai jis Hero Ki talash Hai
विश्व गुरु है आचार्य जी❤
बहुत सुंदर
आचार्य जी के साथ गीता सत्रों मे आवशय जुड़े
"आग लगी आकाश में, झर-झर गिरे अंगार।
जो न होते साधुजन, जल मरता संसार।।"🙏
🙏 आचार्य श्री 🙏
सुरक्षा नहीं मकान में, लड़की रहो उड़ान में 🌟🌟🌟
Sablog like aur comment jarur kare taaki aisi videos ki reach jyada bade
प्रणाम आचार्य जी प्रणाम ❤❤❤
आचार्य जी 🙌🏻
🙏
Shat Shat Naman Acharya Ji 🙏🙏🙏🙏
जो व्यवहार हम अपने लिए नहीं चाहते तो हम दूसरों के प्रति क्यों करते हैं
मैं देह नहीं चेतना हूं 😊