कीर्तन सेवा। आनंद अद्वय नित्य निरामय। गुरुवर्य पद्माकरजी महाराज पाटोळे। पंढरपूर। आषाढी महावारी २०२४

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  • เผยแพร่เมื่อ 29 ต.ค. 2024

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