हमारी आज किसान में हमने कृषकों के दर्द और उनके परिश्रम का वर्णन करने का प्रयास किया है| किसान किस तरह अपनी जी तोड़ मेहनत से धरती का सीना चिर कर अन्न उपजाता है , किन्तु कई बार उसे अपनी परिश्रम का उचित फल भी नहीं मिलता , कितनी बार प्राकृतिक प्रकोपों से उसका सबकुछ नष्ट हो जाता है , फिर भी वो हर बार उसी लगन से और जूनून से प्रयास करता है ,और खाद्यान्न की पैदावार करता है | इसी लिए तो कहा जाता है - जय जवान जय किसान हमारी आज की कविता के प्रति आपके विचार कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं | इसी तरह की अन्य कविताओं का लाभ लेने के लिए आपके अपने चैनल संघर्ष के मोती को सब्सक्राइब करें मिलते हैं नई वीडियो में नई कविता के साथ तब तक के लिए जय हिंद जय भारत
हमारी आज किसान में हमने कृषकों के दर्द और उनके परिश्रम का वर्णन करने का प्रयास किया है| किसान किस तरह अपनी जी तोड़ मेहनत से धरती का सीना चिर कर अन्न उपजाता है , किन्तु कई बार उसे अपनी परिश्रम का उचित फल भी नहीं मिलता , कितनी बार प्राकृतिक प्रकोपों से उसका सबकुछ नष्ट हो जाता है , फिर भी वो हर बार उसी लगन से और जूनून से प्रयास करता है ,और खाद्यान्न की पैदावार करता है | इसी लिए तो कहा जाता है - जय जवान जय किसान
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Bahot Sundar Kavita👌👌👍👍👏👏👏👏 Jai Jawan Jai Kisan🇮🇳Jai Hind 🙏 Jai Bharat🇮🇳
Thanks a lot
Adhbhut kavita bahut jabardast leekha hai..
Har dard jis se kisaan gujarta hai use bakhubi bayan kiya hai..
Beautifully written..
बहुत - बहुत धन्यवाद
Adbhut poem di
बहुत - बहुत धन्यवाद
Sundar!
बहुत - बहुत धन्यवाद