राजेन्द्र यादव साहित्य के सबसे बड़े पुरोधा हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि वे एकमात्र ऐसे महान् व्यक्ति हैं कि अत्यंत सरल सहज स्वभाव के हैं उनसे कोई भी अपरिचित व्यक्ति कभी भी किसी भी समय मुलाकात करके या फ़ोन पर बात कर सकता है और आलोचना कर सकता है। ऐसा व्यक्ति हजारों साल बाद पैदा होता है वे मेरे घनिष्ठ मित्र थे।
मैनेजर पाण्डेय जी की मानसिकता पर तरस आता है। साहित्य में दलित और स्त्री विमर्श छोड़िए उन्हें विमर्श को शामिल होने से भी समस्या है जैन की तो अपनी अलग ही राग है।
राजेन्द्र यादव साहित्य के सबसे बड़े पुरोधा हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि वे एकमात्र ऐसे महान् व्यक्ति हैं कि अत्यंत सरल सहज स्वभाव के हैं उनसे कोई भी अपरिचित व्यक्ति कभी भी किसी भी समय मुलाकात करके या फ़ोन पर बात कर सकता है और आलोचना कर सकता है। ऐसा व्यक्ति हजारों साल बाद पैदा होता है वे मेरे घनिष्ठ मित्र थे।
राजेन्द्र यादव मूर्धन्य कहानीकार और साहित्यिक पत्रकारिता के पुरोधा थे।नमन।
दलित-विमर्श और स्त्री-विमर्श जैसे मुद्दों को उठाना निर्मला जी को विवादास्पद लग रहा है।वाह!क्या विचार है।
साहित्य के पुरोधा नमन आपको
Is mahan sahityakar ki kritiyan samaj ka darpan hain, naman Rajendra Yadav ji 🌺
राजेन्द्र यादव ने साहित्य में दलित-स्त्री विमर्श को हिंदी साहित्य के मुख्यधारा में शामिल करवाया।
राजेंद्र यादव जी को प्रणाम🙏🇮🇳
Happy diwali to all of You
ई मैनेजर तो बड़े खतरनाक दिख रहे😂😂😂
मैनेजर पाण्डेय जी की मानसिकता पर तरस आता है।
साहित्य में दलित और स्त्री विमर्श छोड़िए उन्हें विमर्श को शामिल होने से भी समस्या है जैन की तो अपनी अलग ही राग है।
राजेन्द्रजी के स्वर्गवास के बाद से ही हंस पत्रिका पढ़ना ही छोड़ दिया। २५/९/२१
✌
Rajendra yadav is best
Rajendra Singh ji 🙏
When this interview conducted?
Sir kindly upload SUNO KAHANI and KHOJ KHAJANA KHOJ
Thanks PB