पूज्य आचार्य वेद प्रकाश श्रोत्रिय जी के इस अत्यंत प्रेरणा देने वाले और नये ज्ञान से ओतप्रोत करने वाले प्रवचन को सुनकर, हम सब अपने जीवन को सार्थक बनाने में सफल हुए हैं , पहली बार जीवन में इतना प्रामाणिक और स्वामी दयानंद सरस्वती जी द्वारा बताए गए प्रमाणों सहित व्याख्यान सुनने का सौभाग्य मिला । आचार्य जी सादर चरण स्पर्श स्वीकार करना। नमन है आपकी श्रद्धा को , जो स्वामी दयानंद के प्रति इतनी गहरी है।
आपका हृदय से आभार व धन्यवाद। देख रहा हूँ कि इतना गणितीय विश्लेषण वेदों का होने पर भी कम लोगो तक पहुच पाया है। क्यों आप लोग इसे शेयर नही कर रहें हैं इसे आगे बढ़ाने का कार्य कर दूसरे व्यक्तियों को भी लाभ लेने का अवसर दें।
वेद मे लिखने से और ऋषियोसे कह दिनेसे मात्र से सच होगा है क्या? सत्य होगा भि तो कौन सा आधार पे वो सचको स्पष्टता कर सकेगे वो भि तो आना चाहिए। नहिं तो कहने सुनने सुनाने लिखने, भाष्य लिखने, विवाद करने से, हमारा वैदिक ज्ञान अनुपम था कहकर आत्मरतिमे रमाने के सिवाय प्रेरणा दायक ज्ञान कुछ भि नहिं होगा। हर है होता है बोलने से पहले वो " है" ईस तरह से हम अभि भि परख सकेगे जो पहला ऋषि ने समझ गया था। अगर कोइ लिखा हुवा ज्ञान हम कहने से सिवाय परख नहिं सकेगे तो क्या माइने रखता है युग लाख वरष हो या करोड या चार युग हो या हजार युग, वेदमे लिखा है या नहिं, किसिको कोइ फरक नहिं पडता। ज्ञान तो ऐसा आाना चाहिए जैसे वो ज्ञान के विना हमारा आजका अमुक अमुक काम हो नहिं सकता तब तो विश्वास हो जाएगा न। वेद मे लिखा है इसलिए सच है कह कहकर हम वेदज्ञान से हजारो साल बञ्चित होते आ रहे है। हर एक ऋचा एवं ज्ञान परख कर आगे बढे न ता कि वो ज्ञान प्रेरणादायी होगा । क्या कर रहे हम वेदमे है, उसने पाया, श्रषिने पाया, अमुक व्यक्तिने वेदका भाष्य लिखकर बताया....... ऐसी तरहसे हम आगे बढें तो करोड साल तक ऐसा ब्याख्यान एक मजाक से ज्यादा कुछ नहिं होगा।
आचार्य जी नमस्ते, क्या कारण वैदिक धर्म सबसे सर्वोत्तम होते हुए भी इसकी पकड़ नही है, जब कि अन्य धर्मो मे तथ्य ठीक नहीं है तब भी बहुत मात्रा में अनुयायी है। कृप्या समाधान सुझाने धन्यवाद तथ्य ठीक नहीं है, फिर भी
आपके अनुसार त्रेता से कलयुग शुरू होने पर सारे ग्रह सूर्य पृथ्वी चंद्रमा आदि एक स्थान पर आ जाते है , ये कथन अवैज्ञानिक है । आपको वेद का व भी मालूम नहीं है । आप कहते है आकाश से वायु पदार्थ बनता है , न आपको आकाश का पता है और न ही वायु का ।
Viduaan adbhut and tellented
"ओ३म् भूर्भुवःस्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ।"
शत् शत् नमन।
नमस्ते जी।ज्ञानवर्धक प्रबचन ।
ज्ञानवर्धक
Acharya ji
sadar Namaste
excellent exlaination
महर्षि दयानंद सरस्वती जी को कोटि कोटि नमन करता हूं। और आपको भी नमन करता हूं।
पूज्य आचार्य वेद प्रकाश श्रोत्रिय जी के इस अत्यंत प्रेरणा देने वाले और नये ज्ञान से ओतप्रोत करने वाले प्रवचन को सुनकर,
हम सब अपने जीवन को सार्थक बनाने में सफल हुए हैं , पहली बार जीवन में इतना प्रामाणिक और स्वामी दयानंद सरस्वती जी द्वारा बताए गए प्रमाणों सहित व्याख्यान सुनने का सौभाग्य मिला ।
आचार्य जी सादर चरण स्पर्श स्वीकार करना।
नमन है आपकी श्रद्धा को , जो स्वामी दयानंद के प्रति इतनी गहरी है।
Jai reya
Om Namste 🇨🇮🇮🇳🇨🇮🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
Adbhut and accurate
Dhanyawad guru ji
Thank you Aacharyaji what a lovely words of wisdom 🙏🙏🙏🙏
पंडित जी नमस्ते जी। अति सुन्दर।
❤😊
🙏
आचार्य जी को ईश्वर देवताओं वाली आयु 400 चार सौ वर्ष प्रदान करें । धन्यवाद यशपाल शास्त्री
Bahut sunder viyakhya achariya ji
AUM Aadarniye sri maan ji aapko saader pranaam 🙏🙏,. Maharishi Dayanand Saraswati ji ki jai 🌹🌹🙏🙏
Acharya ji ko koti koti pranam for vaidik scientific updesh.
आपका हृदय से आभार व धन्यवाद।
देख रहा हूँ कि इतना गणितीय विश्लेषण वेदों का होने पर भी कम लोगो तक पहुच पाया है।
क्यों आप लोग इसे शेयर नही कर रहें हैं
इसे आगे बढ़ाने का कार्य कर दूसरे व्यक्तियों को भी लाभ लेने का अवसर दें।
अति सुन्दर । इसी प्रकार और भी बहुत से ऐसे ही उपदेश देने की कृपा करें।
Veery good
Acharya ji ko koti koti pranam for amazing scientific updesh .
Swami ji sadar namaste g aap ka Kam bada hi sarahniy h
Jsca
Guruji koti koti naman
धन्यवाद आचार्य जी ।
Dhnywad aacharya ji
Bohot accha.
नमन आचार्य जी । आपने आर्य लोगों का गौरव बढ़ा दिया है, अब हम किसी से डरेंगे नहीं ।
🙏🙏🙏
नमस्ते जी
कृपया इस पर भी प्रकाश डाले वेदों की उत्पत्ति कैसे हुई।
Namaste ji
OM TAT SAT KA KYA MATLAB H BABA JI
आपने बहुत अच्छा बताया लेकिन आदमी एक रट्टू तोता है जो उसे रखा जाता है वह उसी को धर्म मान लेता है
Yani 12yugg
Pad poudha kaisey utpan whoa
वेद मे लिखने से और ऋषियोसे कह दिनेसे मात्र से सच होगा है क्या? सत्य होगा भि तो कौन सा आधार पे वो सचको स्पष्टता कर सकेगे वो भि तो आना चाहिए। नहिं तो कहने सुनने सुनाने लिखने, भाष्य लिखने, विवाद करने से, हमारा वैदिक ज्ञान अनुपम था कहकर आत्मरतिमे रमाने के सिवाय प्रेरणा दायक ज्ञान कुछ भि नहिं होगा। हर है होता है बोलने से पहले वो " है" ईस तरह से हम अभि भि परख सकेगे जो पहला ऋषि ने समझ गया था। अगर कोइ लिखा हुवा ज्ञान हम कहने से सिवाय परख नहिं सकेगे तो क्या माइने रखता है युग लाख वरष हो या करोड या चार युग हो या हजार युग, वेदमे लिखा है या नहिं, किसिको कोइ फरक नहिं पडता। ज्ञान तो ऐसा आाना चाहिए जैसे वो ज्ञान के विना हमारा आजका अमुक अमुक काम हो नहिं सकता तब तो विश्वास हो जाएगा न। वेद मे लिखा है इसलिए सच है कह कहकर हम वेदज्ञान से हजारो साल बञ्चित होते आ रहे है। हर एक ऋचा एवं ज्ञान परख कर आगे बढे न ता कि वो ज्ञान प्रेरणादायी होगा । क्या कर रहे हम वेदमे है, उसने पाया, श्रषिने पाया, अमुक व्यक्तिने वेदका भाष्य लिखकर बताया....... ऐसी तरहसे हम आगे बढें तो करोड साल तक ऐसा ब्याख्यान एक मजाक से ज्यादा कुछ नहिं होगा।
आचार्य जी नमस्ते,
क्या कारण वैदिक धर्म सबसे सर्वोत्तम होते हुए भी इसकी पकड़ नही है, जब कि अन्य धर्मो मे तथ्य ठीक नहीं है तब भी बहुत मात्रा में अनुयायी है।
कृप्या समाधान सुझाने
धन्यवाद
तथ्य ठीक नहीं है, फिर भी
🙏🏻Bible kehti h ki 12khbhe gtdhe h
6 मन्वन्तर पक्षियों का निर्माण और सातवें मन्वन्तर में मनुष्यों की उत्तपत्ति की कल्पना ठीक नहीं है ।
भाषण आपका काल गणना पर हो रहा है,विषय सृष्टि की उत्पत्ति उचित नहीं है। विषय वदलें भाषण अच्छा है।
Arya ak jati nahi he
घंटा
आपके अनुसार त्रेता से कलयुग शुरू होने पर सारे ग्रह सूर्य पृथ्वी चंद्रमा आदि एक स्थान पर आ जाते है , ये कथन अवैज्ञानिक है । आपको वेद का व भी मालूम नहीं है । आप कहते है आकाश से वायु पदार्थ बनता है , न आपको आकाश का पता है और न ही वायु का ।
आचार्य जी इसी तरह बीडियो बनाते रहे ताकि लोग जान सके i
Dhanyawad guru ji