Lapete Me Netaji : महाराष्ट्र, झारखंड में चुनावी महाभारत ! | News18India | BJP | Congress

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 31

  • @rajivmangrulkar4853
    @rajivmangrulkar4853 25 วันที่ผ่านมา +1

    हिंदुस्तान मे प्रेम नगर हैं मोहब्बत की दुकान कही नहीं

  • @naranvaviya3973
    @naranvaviya3973 27 วันที่ผ่านมา +3

    जय हिन्द वन्दे मातरम

  • @marketingpanda_
    @marketingpanda_ 29 วันที่ผ่านมา +3

    Waah Piyush Malviya ji, jya dhoya hai...

  • @shabdon_ke_ashishak47theul82
    @shabdon_ke_ashishak47theul82 29 วันที่ผ่านมา +1

    पता नहीं नेताओं का कवियों से कैसा नाता है
    जो दिन-रात सकल समाज को लपेटता है वो यहाँ आकर लपेटा जाता है
    😂😂😂😂

  • @vinodjoharapurkar9632
    @vinodjoharapurkar9632 หลายเดือนก่อน +3

    जॉनी जोकर झूम झूम नाचे,
    उछल उछल कर मौज मनाये !!!
    😂😂😂😂🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣

  • @KaranRajput-pm1rp
    @KaranRajput-pm1rp หลายเดือนก่อน +1

    जय श्री राम 🙏🚩

  • @vishnukantsharma1227
    @vishnukantsharma1227 28 วันที่ผ่านมา +1

    ईपीएफ पैंशनर की न्यूनतम पेंशन जब तक नहीं बढ़ाईगी मोदी सरकार जब सत्यानाश होता ही चला जाएगा भाजपा का। इस सरकार को ईपीएफ पैंशनरों की हाय लगेगी। भाजपा मुर्दाबाद ईपीएफ पैंशनर जिंदाबाद जय सियाराम।

  • @newannpuranaglowsign
    @newannpuranaglowsign 29 วันที่ผ่านมา

    वक्फ बोर्ड कानून भारत में वक्फ अधिनियम, 1954 के माध्यम से बनाया गया था। यह कानून प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में पारित हुआ, जिसका उद्देश्य मुस्लिम धार्मिक और धर्मार्थ संपत्तियों (वक्फ संपत्तियों) के प्रबंधन और प्रशासन को संगठित करना था। वक्फ अधिनियम, 1954 के तहत देश में प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई, ताकि इन संपत्तियों का संरक्षण, देखरेख और सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

  • @SonuK240
    @SonuK240 28 วันที่ผ่านมา

    im from Jharkhand❤

  • @newannpuranaglowsign
    @newannpuranaglowsign 29 วันที่ผ่านมา

    भारत में हिंदू मंदिरों से एकत्र किए जाने वाले कर का कोई केंद्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, क्योंकि यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वे अपने संबंधित मंदिरों की आय को कैसे प्रबंधित और कर-निर्धारित करते हैं। अधिकतर राज्यों में मंदिरों के प्रबंधन के लिए धार्मिक और धर्मार्थ ट्रस्ट अधिनियम या राज्य-स्तरीय बंदोबस्ती कानून लागू हैं, जिनके तहत राज्य सरकारें मंदिरों की आय में से एक निश्चित अंश ले सकती हैं।
    कुछ प्रमुख राज्यों के नियमों पर एक नजर डालते हैं:
    तमिलनाडु: तमिलनाडु में, हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (HR&CE) मंदिरों के प्रबंधन को देखता है और उनकी आय का एक हिस्सा, आमतौर पर 12-15%, सरकार के पास जाता है। इस धनराशि का उपयोग मंदिरों के प्रबंधन और राज्य के सामाजिक कार्यों के लिए किया जाता है।
    कर्नाटक: कर्नाटक राज्य सरकार भी हिंदू मंदिरों से आय का एक हिस्सा एकत्र करती है, जो लगभग 10-15% के आसपास होता है। इस राशि का उपयोग अन्य क्षेत्रों में किया जाता है, जिनमें मंदिरों की देखभाल के अलावा सामाजिक और सांस्कृतिक परियोजनाएँ शामिल होती हैं।
    आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश सरकार भी कई बड़े मंदिरों से कर के रूप में योगदान प्राप्त करती है। प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर से एकत्र की गई आय का एक हिस्सा राज्य के विकास और अन्य कल्याणकारी कार्यों में लगाया जाता है।
    महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में सार्वजनिक ट्रस्ट अधिनियम के तहत मंदिरों की आय का एक निश्चित हिस्सा राज्य सरकार को जाता है। यह प्रतिशत अलग-अलग हो सकता है और यह इस पर निर्भर करता है कि मंदिर का वार्षिक राजस्व कितना है।
    केरल: केरल के मंदिरों का प्रबंधन त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड और मलाबार देवस्वम बोर्ड के द्वारा होता है, और उनकी आय का एक अंश देवस्वम बोर्ड द्वारा सरकार को दिया जाता है।
    मंदिर कर संग्रह के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु:
    आय का वितरण: मंदिरों से एकत्रित आय का एक हिस्सा मंदिरों की मरम्मत, पुनर्निर्माण और अन्य सेवाओं में खर्च किया जाता है। शेष राशि अक्सर राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कल्याणकारी और विकास कार्यों के लिए उपयोग की जाती है।
    हिंदू मंदिरों का अनन्य नियंत्रण: अधिकतर मंदिरों के राजस्व का एक हिस्सा सरकारी नियंत्रण में जाने से कई हिंदू धार्मिक समूहों में नाराजगी है। उनके अनुसार, मंदिरों की आय को पूरी तरह से धार्मिक और समाज सेवा के कार्यों में ही उपयोग होना चाहिए।
    वक्फ बोर्ड और चर्च संपत्तियों पर नियंत्रण नहीं: यह बात भी उठाई जाती है कि वक्फ बोर्ड और चर्च संपत्तियों पर सरकार का सीधा कर नहीं होता है, और उनकी आय पर वैसा नियंत्रण भी नहीं है जैसा हिंदू मंदिरों पर होता है। वक्फ बोर्ड और चर्च संपत्तियों का प्रबंधन उनके समुदायों द्वारा ही किया जाता है।
    कुल मिलाकर:
    हर साल भारत के विभिन्न राज्यों में हिंदू मंदिरों से सैकड़ों करोड़ रुपये कर के रूप में इकट्ठे किए जाते हैं। राज्य सरकारों का यह कर संग्रह व्यवस्था मंदिरों की आर्थिक गतिविधियों और धार्मिक आय पर निर्भर करती है। हालांकि, इस राशि का कोई केंद्रीकृत आंकड़ा नहीं है क्योंकि यह राज्य स्तर पर अलग-अलग होती है और हर राज्य की अपनी व्यवस्था होती है।

  • @anantyuvabharat5874
    @anantyuvabharat5874 29 วันที่ผ่านมา

    Itni akal hai inaki....Shivaji Maharaj k "Oosool"....hamare yahan neeti hoti hai....Chanakya neeti padhake aanaa.

  • @BhagwanDass-d3q
    @BhagwanDass-d3q 29 วันที่ผ่านมา

    Ab congressi parhwngey Hanuman chalisa

  • @anantyuvabharat5874
    @anantyuvabharat5874 29 วันที่ผ่านมา

    Shivaji Maharaj k "Ossool"😂😂😂
    Babasahab k "Mohabbat k paigaam"...😂😂😂 congressi pravakta bhi kitana bik chuka hai vo bhi fokat mein😂😂😂

  • @anantyuvabharat5874
    @anantyuvabharat5874 29 วันที่ผ่านมา

    Can't imagine congress pravakta is so educated but such a brain washed fellow😂😂😂ridiculous. Kya majaboori hai😂😂😂pravakta ki salary?

  • @SanjayGupta-mq9ge
    @SanjayGupta-mq9ge หลายเดือนก่อน +1

    Abe dube jee tere muh se chatrpati Shivajee maharaj ka nam sobha nahi deta, tera neta pappu Shivajee ki murti ko hat me lena nahi chahta, veer Sawarkar ka apman karta hai tum maharashtra ki bat kar rahe ho.