Bhagvat Geeta Aarati

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  • เผยแพร่เมื่อ 1 ธ.ค. 2024
  • जय देवी जय देवी जय भगवत गीते | आरती ओवाळू तुज वेद माते--||धृ ||
    सुख करणी दुख हरिणी जननी वेदाची | अगाध महिमा तुझा नेणे विरंची ||
    ते तुं ब्रम्ही होतीस लीन ठायीची | अर्जुनाचे भाग्या प्रगट मोक्षीनची -||१||
    सात शतें श्लोक व्यासोक्तिं सार | अष्ठादश अध्याये ईतुका विस्तार||
    एक अर्ध पाद श्लोक उच्चांर | करिती भावे त्यांचा निरसे संसार -||जय||
    काय तुझा पार नेणे मी दिन | अनन्य भावे आलो तुजला शरण ||
    सनाथ करी ओ माते कृपा करून | बापरखुमादेवी वरदा अभिमान-||जय ||

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