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- เผยแพร่เมื่อ 22 ก.ย. 2024
- सत्यार्थ प्रकाश को ऑनलाइन पढ़ने के लिए- satyarthprakash...
प्रश्न- फिर वे यहां कैसे आये ?
उत्तर- जब आर्य्य और दस्युओं में अर्थात् विद्वान् जो देव, अविद्वान् जो असुर, उनमें सदा लड़ाई- बखेड़ा हुआ किया। जब बहुत उपद्रव होने लगा, तब आर्य्य लोग सब भूगोल में उत्तम इस भूमि के खण्ड को जानकर यहीं आकर बसे । इसी से इस देश का नाम 'आर्यावर्त्त' हुआ।
प्रश्न - आर्यावर्त्त की अवधि कहां तक है ?
उत्तर-
आसमुद्रात्तु वै पूर्वादासमुद्रात्तु पश्चिमात् ।
तयोरेवान्तरं गिर्योरार्य्यावर्त्तं विदुर्बुधाः ॥ १ ॥
सरस्वतीदृषद्वत्योर्देवनद्योर्यदन्तरम् ।
तं देवनिर्मितं देशमार्यावर्त्तं प्रचक्षते ॥ २ ॥ - मनु० [२ २२; तु० - २२ । १७ ] ॥
उत्तर में हिमालय, दक्षिण में विन्ध्याचल, पूर्व और पश्चिम में समुद्र ॥ १ ॥
तथा सरस्वती पश्चिम में 'अटक' नदी, जो उत्तर के पहाड़ों से निकल के दक्षिण के समुद्र की खाड़ी में मिली है। और पूर्व में 'दृषद्वती ' जो नेपाल के पूर्व भाग पहाड़ से निकल के, बङ्गाले के, आसाम के पूर्व और ब्रह्मा के पश्चिम ओर होकर दक्षिण के समुद्र में मिली है जिसको 'ब्रह्मपुत्र' कहते हैं। हिमालय की मध्यरेखा से दक्षिण और पहाड़ों के भीतर और रामेश्वर - पर्यन्त विन्ध्याचल के भीतर जितने देश हैं, उन सबको आर्य्यावर्त्त कह���े हैं। यह देश देवनिर्मित आर्यावर्त्त इसलिये कहाता है कि 'देव' नाम विद्वानों ने बसाया और आर्यजनों के निवास करने से 'आर्यावर्त्त' कहाया है ॥ २ ॥
प्रश्न - प्रथम इस देश का नाम क्या था और इसमें कौन बसते थे ? उत्तर- इसके पूर्व इस देश का नाम कोई भी नहीं था और न कोई आयों के पूर्व इस देश में बसते थे। क्योंकि आर्य्य लोग सृष्टि की आदि में कुछ काल के पश्चात् तिब्बत से सूधे इसी देश में आकर बसे थे।
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