नकली धार्मिक आदमी को कैसे पहचानें? || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2023)
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- เผยแพร่เมื่อ 22 ก.ย. 2024
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वीडियो जानकारी: 31.12.23, संत सरिता, ग्रेटर नोएडा
प्रसंग:
~ धार्मिक आदमी कौन है?
~ ज़िंदगी में घटाना आसान है या जोड़ना?
~ हटो और घटो, इससे क्या आशय है?
~ जो सबकुछ मैं जान रहा हूँ उससे पा क्या रहा हूँ?
~ नकली धार्मिक आदमी को कैसे पहचानें?
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रैन दिवस पिय संग रहत हैं ,
मैं पापिन नहिं जाना ॥
मात पिता घर जन्म बीतिया,
आया गवन नगिचाना।
आजै मिलो पिया अपने से,
करिहो कौन बहाना ॥ १ ॥
मानुष जनम तो बिरथा खोये,
राम नाम नहिं जाना।
हे सखि मेरो तन मन काँपै,
सोई शब्द सुनि काना ॥ २ ॥
रोम-रोम जाके परकाशा,
ताको निर्मल ज्ञाना।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो,
करो स्थिर मन ध्याना ॥ ३ ॥
~ कबीर साहब
शब्दार्थ: रैन दिवस- रात दिन; गवन- संसार से जाने की दशा; नगिचाना: निकट आना; विरथा- व्यर्थ
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श्लोक:
एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः ।
स कालेनेह महता योगो नष्टः परंतप ॥
अन्वय:
एवं (इस प्रकार) परम्पराप्राप्तं (परम्परा से प्राप्त) इम् (यह योग) राजा ऋषयः (राजा और ऋषि) विदुः (जानते थे) परन्तप (हे अर्जुन) इह (इस लोक में) स: (वह) योग: (योग) महता (दीर्घ) कालेन (काल से) नष्टः (नष्ट हो गया है)
काव्यात्मक अर्थ:
परम से ना विलग हों
परंपरा बस यही है
शेष विषय अतीत के
नहीं ज़रूरी नहीं हैं
~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 4, श्लोक 2
संगीत: मिलिंद दाते
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कया दादागीरी कया बादशाही ओर क्या खुमारी हे सत्य अध्यात्मकी प्रशांतजीमें ठीक मेरेही जेसी अध्यात्म सत्यकी खोज हे ज्ञानीका ज्ञान शरणमें आही जाता हे लेकिन हमारे जेसे लोगोकों समजना कठिन होता हे अगर समजमें आ जाऐ तो क्षणमेंही ऊतर जाता हे ये कोई अपवादही समझेगा
आचार्य प्रशांतको नमन
🙏🙏🙏
Pranaam Acharya ji
जो अनावश्यक है वही बोझ है। प्रणाम आचार्य जी❤❤❤
Aacharya ji Pranam❤❤❤
❤📚📚✍️✍️🖌️🖌️✒️❤
Thank you so much sir 🙏🙏🔥🔥
सात समुंद्र की मसी करू गुरु गुण लिखा न जाए🙏🙏🙏
प्रणाम आचार्य जी ❤❤
आचार्य जी को सादर प्रणाम 🙏🏼
🕉️🙏
Aacharya ji parnam
प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏🕉️🕉️🙏🙏
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Acharya ji aap apni life ko complete mante hai I mean gyaan sabhi ko complete banata hai fir kisi aur thing ki need nhi hoti
🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
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Pranam Acharya ji❤
प्रणाम आचार्य जी।
❤❤❤
Parnaam Acharya ji
❤ प्रणाम आचार्य जी।
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