You should also make a video on the horrible Cast system in Buddheism that sadly 99% of Hindus still don't know about!,that video is needed specially for all the Neo Buddheists in Bharat who only wants to blame and disrespect Hinduism,that video is needed!🙏🕉️
@@SamratZenith1 Sir Navbodh yani Neo Buddheists bohat irritating hota hai,ya Jaan bujhkar Hindu Dharm ka against jhuth aur bhrantiya phalata hai taki Buddheism ko Hindu Dharm sa shrastra dikha saka!,ya log Islam sa bhi jyada bara threat hai hamara Sanatan Dharm ka liya!
Any proof kuch bhi mat bol bhai phele Mahabharat ko different perspectives se padh har patraone galti ki thi har patrao ka kamjori thi Mahabharat ka yudh ka nib yuddhdhistir aur Sakuni, Duryodhan tha karna ne srif Duryodhan ko samarthan kiya tha phele original mahabharta acchhe se alak perspectives se padh warna jake mar
@@mahayodha_arjun भाई, कर्ण को सबसे 'evil personality' कहना थोड़ा ज़्यादा हो गया, नहीं? महाभारत में हर किरदार की अपनी अच्छाइयाँ और कमजोरियाँ थीं-यहाँ तक कि पांडवों और कौरवों की भी। कर्ण के खिलाफ जितनी भी बातें की जाती हैं, उनमें से कई उस समय के समाज की सोच और जाति-व्यवस्था की वजह से पैदा हुई पीड़ा का हिस्सा थीं। कर्ण ने अपने सम्मान और अधिकारों के लिए संघर्ष किया और उसके चुनावों का एक बड़ा कारण वही भेदभाव और अन्याय था जो उस पर हर मोड़ पर किया गया। अगर कर्ण 'core reason' होता, तो क्या सिर्फ उसके होते ही युद्ध होता? महाभारत का युद्ध उन तमाम गलतफहमियों, जातिगत अन्याय, और कौरवों की सत्ता की भूख का नतीजा था, जिसमें हर किरदार की अपनी भूमिका थी। महाभारत को हर किरदार की दृष्टि से पढ़ने का प्रयास करो, जैसे कि कई विद्वान करते हैं-यह कहानी उतनी सरल नहीं है जितना कि एक व्यक्ति को दोषी ठहरा कर बताई जा सकती है। Mahabharat को अलक perspective से study करो like Khan Sir, Khan sir ek great scholar है फिर भि khan sir Karna को Support karte sayad tumne unke podcast mein dekha nahi hoga so Khan sir ke jesa perspectives se mahabharat pado srif drama adrama hi nahi balki uss time ka social system, social inequality, social discrimination mein bhi dhyan do
@@mahayodha_arjun भाई, लगता है तुम्हें आधी-अधूरी कहानियाँ ही पता हैं। कर्ण ने युद्ध का समर्थन किया था, लेकिन सिर्फ वही अकेला शांति के खिलाफ नहीं था। महाभारत में खुद श्रीकृष्ण ने पहले शांति प्रस्ताव रखा था, जिसे दुर्योधन ने ठुकरा दिया था। और हाँ, कर्ण ने एक दोस्त के नाते दुर्योधन का साथ दिया, लेकिन पूरा युद्ध सिर्फ कर्ण की वजह से नहीं हुआ-ये उन सारे पात्रों के अहंकार और स्वार्थ की टकराहट का नतीजा था। महाभारत में हर पात्र ने अपनी भूमिका निभाई है। इसे सिर्फ एक नज़रिये से देखना अधूरा समझ है। महाभारत पढ़ने से पहले थोड़ा गहराई से सोचो-तभी समझ पाओगे कि सिर्फ 'कर्ण युद्ध का कारण था' कहना कितना हास्यास्पद है। और हाँ, 'peace' को 'peice' लिखकर गूढ़ ज्ञान बाँटने से पहले कम से कम सही spelling तो सीख लो! लगता है अरजुन का फैन क्लब जॉइन कर लिया है, बिना महाभारत की असली गहराई को समझे।
You should make a video on how contrary to mainstream narrative Karn wasn't just the greatest warrior but also the greatest character of Mahabharat!,because every single Hindu must realise that Karn was the true hero of Mahabharat,that video is needed!🚩🕉️
Bilkul bhai, mera next video mere channel ka ab tak ka sabse bada project hoga jismein misconceptions ko detail mein expose karunga. Aajkal ke kuch fake guru, jinhone asli *Mahabharata* ki kitaab kabhi dekhi bhi nahi, woh bas retold versions padke Karna ko Duryodhan se bhi bada villain bana dete hain. Inko *Mahabharata* sirf dharma aur adharma ke chashme se dikhayi deta hai, jabki humein isay naye perspectives se dekhne ki zaroorat hai. Khan Sir jaise educated insaan bhi Karna ko support karte hain - aur yeh kuch dharma ke thekedar bas caste aur jaati ke bina samajh ke Karna se nafrat karte hain. Meri agli podcast mein asli *Mahabharata* ki kitab ke saath proof bhi hoga, jo un logon ko jawab dega jo bina depth ke bas dharma ka theka liye baithe hain. Yeh sab log Mahabharata ke asli themes aur social system ko samjhe bina, bas jaatibad aur purane soch ke saath Karna ko galat samajhte hain. Channel subscribe karna na bhoolna, yeh ek naya perspective lekar aa raha hoon!
listen, winner write history(ik wrote by someone else but favoured us only 1sided read true Mahabharat book than u definitely know 1: vedur /maid son/ is main reason behind all of it as he was the one who was jealous cause he knows he can never be king ,SO HE CONVINCED EVERYONE TO MAKE PANDU 2ND AND WEAK SON AS KING (if u see pandav as rightful king because they were PANDU PUTAR than dhritrashra was right full heir to throne reject on opinion of vidur that he's blind , even tho later accept him as ruler than why didn't DO IT AT 1ST PLACE (if this were happened I don't think shakuni wouldn't have ever succesful manipulated duryodhana) 2: pandavs and kunti killed 1 hungry women with her 5 hungry kids and put there bodies in wax house , Was that hungry family they klled them because they were hungry beggars? Or There life was not unworthy?How many son's pandav killed before war and after war wrongfully) 3: what about eklavya? Arjun used to Envy and in this envy dornoachar took eklavya thumb just to satisfied Arjun envy 4:also I find out that pandavs and that Krishna these people made rules for Mahabharata with kurus and broke all the rules of war ,EVEN WHEN HACKER WAS IN THERE SIDE 5:I find out dharm raj yudisthar put 1millions woman on gambling before his wife 6: it wasn't dharm or adharam war it was political war 7: Bheem used tourtue 99brother of gandhari , he used to brutality tourtue those kids he used to put them in rivers till than they die for fun, he used to shake the tree were those kids used to take fruits , break there hands and legs than duroydhan took this step to poisoned him (read real book my son) 8: (my pov) winner's wrote history so we can never know what is truth or what is not no matter how much we debate And this is from real Mahabharat I learnt in gurukul , u asked for opinion you have it
Mahabharat 😢 mujhe nhi pata kya kya hua lekin agar in baat per deyan de toh us samay un logo ki Haight 10 feet 20 hoti thi 100 nhi 1000 nhi 100000 nhi crore nhi 166 crore log mare gye matlab agar hum Prabhu sree ghatusayam ki jagah hote to hum Mahabharat dekh ke hi mar jate
@@Stromedevx 166 crore nahi mare, it is just symbolic not actual video mein bhi bataya hai dost pratigatmak ke rup mein uss time utna population bhi nahi hota tha ❤️
@@SurajYadav70000 Arre, emojis ke raja, tu emoji fekne mein toh maharat hasil kar li! 😆 Kabhi asli Mahabharata bhi padh le, emojis se upar uthke kuch samajh aayega. Varna tu bas Arjun ke andhbhakton ki tarah thumbs down hi deta reh jayega!
Mai Manta हूं की युधिष्ठिर ने अपनी पत्नी को दांव लगाया क्योंकि उस समय कौरवों ने छल किया । लेकिन कर्ण ने इसका कोई प्रतिकार क्यों nhi kiya. Pandavon ne प्रतिकार स्वरूप युद्ध लड़े। और द्रौपती के सामने अपनी गलती को स्वीकार करके माफी भी मांगी।
अच्छा, तो युधिष्ठिर का अपनी पत्नी को दांव पर लगाना सिर्फ 'छल' का नतीजा था और माफ़ी मांगने से वो सही हो गए? इस तर्क से तो पांडवों की गलती भी ढक गई और सब कुछ पवित्र हो गया! ये कैसा धर्म है कि अपनी गलती के बाद भी युद्ध का झंडा उठाकर खुद को 'धर्मी' बताओ, लेकिन किसी ने भी द्रौपदी का अपमान रोकने की कोशिश नहीं की। भीम का तो क्रोध हर छोटी बात पर फटता है, लेकिन यहाँ सब मौन थे। अर्जुन, जो धर्म के नाम पर सब कुछ करता है, उसने क्यों कुछ नहीं कहा? क्या इनका धर्म सिर्फ कर्ण के लिए ही लागू होता है? दोष मढ़ना है तो उस राजसभा के हर सदस्य पर मढ़ें जिसने उस अन्याय का समर्थन किया और मौन थे सिर्फ कर्ण पर नहीं।
🤣अरे ! मेरा Starplus, ऐसा लगता है कि महाभारत तो दूर, तूने शायद ठीक से हिंदी भी नहीं पढ़ी! यहाँ कर्ण भक्त और भक्ति का नाम लेके बार-बार वही गलत बात दोहरा रहा है। महाभारत के आदिपर्व में भीम को ज़हर देने की योजना मुख्य रूप से दुर्योधन और शकुनि ने बनाई थी, और कर्ण का इसमें प्रत्यक्ष तौर पर कोई योगदान नहीं था। अगर सच में तुने महाभारत का प्रामाणिक संस्करण (BORI Critical Edition या गीता प्रेस का संस्करण) पढ़ा होता, तो यह बात इतनी आसानी से समझ में आ जाती। इसलिए अपने अधकचरे ज्ञान के साथ दूसरों को ज्ञान देने से पहले खुद तथ्यों की जाँच कर ले। और हाँ, मैं कर्ण का भक्त नहीं हूँ-सिर्फ महाभारत के पहलुओं को समझाने के लिए वीडियो बनाया है।
@@SamratZenith1 [27/10, 5:44 pm] Lucifer Morningstar: अष्टाविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः भीमसेनके न आनेसे कुन्ती आदिकी चिन्ता, नागलोकसे भीमसेनका आगमन तथा उनके प्रति दुर्योधनकी कुचेष्टा वैशम्पायन उवाच ततस्ते कौरवाः सर्वे विना भीमं च पाण्डवाः । वृत्तक्रीडाविहारास्तु प्रतस्थुर्गजसाह्वयम् ॥ १ ॥ वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय । तदनन्तर समस्त कौरव और पाण्डव फ्रीड़ा और विहार समाप्त करके भीमसेनके बिना ही हस्तिनापुरकी ओर प्रस्थित हुए ॥ १ ॥ रथैर्गजैस्तथा चाश्वैर्यानैश्चान्यैरनेकशः । नुवन्तो भीमसेनस्तु यातो हाव्रत एव नः ॥ २ ॥ ततो दुर्योधनः पापस्तत्रापश्यन् वृकोद्रम् । भ्रातृभिः सहितो दृष्टो नगरं प्रविवेश ह ॥ ३ ॥ रथ, हाथी, घोड़े तथा अन्य अनेक प्रकारकी सवारियों द्वारा वहाँसे चलकर वे आपसमें यह कह रहे थे कि भीमसेन तो इमलोगौसे आगे ही चले गये हैं। पापी दुर्योधनने भीमसेनको वहाँ न देखकर अत्यन्त प्रसन्न हो भाइयोंके साय नगरमें प्रवेश किया ॥ २-३ ॥ युधिष्ठिरस्तु धर्मात्मा शाविदन् पापमात्मनि । स्वेनानुमानेन परं साधुं समनुपश्यति ॥ ४॥ राजा युधिष्ठिर धर्मात्मा थे, उनके पवित्र हृदयमें दुर्योधनके पापपूर्ण विचारका भानतक न हुआ। वे अपने ही अनुमानसे दूसरेको मी साधु ही देखते और समझते थे ॥ सोऽभ्युपेत्य तदा पार्थों मातरं भ्रातृवत्सलः । अभिवाद्याब्रवीत् कुन्तीमम्ब भीम इहागतः ॥ ५ ॥ [27/10, 5:48 pm] Lucifer Morningstar: यद्यपि वह विप बड़ा तेज गा०तो भी उनके लिये कोईविगाड़ न कर सका। भयंकर शरीरवाले भीमसेनके उदरमें वृक नामकी अधि थी; अतः वहाँ जाकर वह विष पन्च गया।॥ ३९॥ एवं दुर्योधनः कर्णः शकुनिश्चापि सौबलः । अनेकैरभ्युपायैस्ताञ्जिघांसन्ति स्म पाण्डवान् ॥ ४० ॥ इस प्रकार दुर्योधनः कर्ण तथा मुदलपुत्र शकुनि अनेक उपायर्योद्वारा पाण्डयोंको मार डालना चाहते थे ॥ ४०॥ पाण्डवाश्चापि तत् सर्वे प्रत्यजाननमर्थिताः । उद्भावन मकुर्वन्तो विदुरस्य मते स्थिताः ॥ ४१ ॥ पाण्डव भी यह सब जान लेते और क्रोधमें भर जाते थे तो भी विदुरकी रायके अनुसार चलने के कारण अपनेअमर्षको प्रकट नहीं करते थे ॥ ४१ ॥ Ab kya bolega sonyputra corona
@@SamratZenith1lakhyagriha me to karn saamil thaa, usko kyaa kahegaa betaa.. Draupadi ko vesyaa bolnaa bhi koi majburi thi kyaa. Dyutvan me jaane ke liye duryodhan ko kisne uksaayaa thaa
@@prashant-bm4fp अबे, तू महाभारत के नाम पर बस सुनी-सुनाई बातें लेकर आ गया, बिना असली ग्रंथ को समझे। लक्षागृह की चाल में असल मास्टरमाइंड दुर्योधन और शकुनि थे, कर्ण तो उनकी तरफ था, पर पूरी प्लानिंग का नेता नहीं। और अगर तुझे ये भी नहीं पता कि द्रौपदी का अपमान सिर्फ कर्ण का अकेला दोष नहीं था, तो तेरे अधूरे ज्ञान पर तरस आता है। महाभारत को समझना है तो पहले खुद पढ़, वरना हर बार आकर यूँ ही हंसी का पात्र बनेगा। किस-किस को बलि का बकरा बनाएगा? पूरे किरदारों की कमजोरियों को देख, फिर तर्क दे।
इस तर्क से तो द्रोणाचार्य और भीष्म , Pandavon भी उतने ही अपराधी हैं, जिन्होंने चुप्पी साध रखी। कर्ण ने वफादारी दिखाई, उसने किसी अपराध को बढ़ावा नहीं दिया। अगर दोस्ती निभाना 'अपराध' है, तो इस तर्क से भीष्म, द्रोणाचार्य और खुद युधिष्ठिर (Pandavon) भी कटघरे में खड़े हैं। अपने किए की जिम्मेदारी न लेना आसान है, और फिर कर्ण पर सवाल उठाना और भी आसान।
🤣अरे ! मेरा Starplus, ऐसा लगता है कि महाभारत तो दूर, तूने शायद ठीक से हिंदी भी नहीं पढ़ी! यहाँ कर्ण भक्त और भक्ति का नाम लेके बार-बार वही गलत बात दोहरा रहा है। महाभारत के आदिपर्व में भीम को ज़हर देने की योजना मुख्य रूप से दुर्योधन और शकुनि ने बनाई थी, और कर्ण का इसमें प्रत्यक्ष तौर पर कोई योगदान नहीं था। अगर सच में तुने महाभारत का प्रामाणिक संस्करण (BORI Critical Edition या गीता प्रेस का संस्करण) पढ़ा होता, तो यह बात इतनी आसानी से समझ में आ जाती। इसलिए अपने अधकचरे ज्ञान के साथ दूसरों को ज्ञान देने से पहले खुद तथ्यों की जाँच कर ले। और हाँ, मैं कर्ण का भक्त नहीं हूँ-सिर्फ महाभारत के पहलुओं को समझाने के लिए वीडियो बनाया है।
@@SamratZenith1 [27/10, 5:44 pm] Lucifer Morningstar: अष्टाविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः भीमसेनके न आनेसे कुन्ती आदिकी चिन्ता, नागलोकसे भीमसेनका आगमन तथा उनके प्रति दुर्योधनकी कुचेष्टा वैशम्पायन उवाच ततस्ते कौरवाः सर्वे विना भीमं च पाण्डवाः । वृत्तक्रीडाविहारास्तु प्रतस्थुर्गजसाह्वयम् ॥ १ ॥ वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय । तदनन्तर समस्त कौरव और पाण्डव फ्रीड़ा और विहार समाप्त करके भीमसेनके बिना ही हस्तिनापुरकी ओर प्रस्थित हुए ॥ १ ॥ रथैर्गजैस्तथा चाश्वैर्यानैश्चान्यैरनेकशः । नुवन्तो भीमसेनस्तु यातो हाव्रत एव नः ॥ २ ॥ ततो दुर्योधनः पापस्तत्रापश्यन् वृकोद्रम् । भ्रातृभिः सहितो दृष्टो नगरं प्रविवेश ह ॥ ३ ॥ रथ, हाथी, घोड़े तथा अन्य अनेक प्रकारकी सवारियों द्वारा वहाँसे चलकर वे आपसमें यह कह रहे थे कि भीमसेन तो इमलोगौसे आगे ही चले गये हैं। पापी दुर्योधनने भीमसेनको वहाँ न देखकर अत्यन्त प्रसन्न हो भाइयोंके साय नगरमें प्रवेश किया ॥ २-३ ॥ युधिष्ठिरस्तु धर्मात्मा शाविदन् पापमात्मनि । स्वेनानुमानेन परं साधुं समनुपश्यति ॥ ४॥ राजा युधिष्ठिर धर्मात्मा थे, उनके पवित्र हृदयमें दुर्योधनके पापपूर्ण विचारका भानतक न हुआ। वे अपने ही अनुमानसे दूसरेको मी साधु ही देखते और समझते थे ॥ सोऽभ्युपेत्य तदा पार्थों मातरं भ्रातृवत्सलः । अभिवाद्याब्रवीत् कुन्तीमम्ब भीम इहागतः ॥ ५ ॥ [27/10, 5:48 pm] Lucifer Morningstar: यद्यपि वह विप बड़ा तेज गा०तो भी उनके लिये कोईविगाड़ न कर सका। भयंकर शरीरवाले भीमसेनके उदरमें वृक नामकी अधि थी; अतः वहाँ जाकर वह विष पन्च गया।॥ ३९॥ एवं दुर्योधनः कर्णः शकुनिश्चापि सौबलः । अनेकैरभ्युपायैस्ताञ्जिघांसन्ति स्म पाण्डवान् ॥ ४० ॥ इस प्रकार दुर्योधनः कर्ण तथा मुदलपुत्र शकुनि अनेक उपायर्योद्वारा पाण्डयोंको मार डालना चाहते थे ॥ ४०॥ पाण्डवाश्चापि तत् सर्वे प्रत्यजाननमर्थिताः । उद्भावन मकुर्वन्तो विदुरस्य मते स्थिताः ॥ ४१ ॥ पाण्डव भी यह सब जान लेते और क्रोधमें भर जाते थे तो भी विदुरकी रायके अनुसार चलने के कारण अपनेअमर्षको प्रकट नहीं करते थे ॥ ४१ ॥ Ab boll sonyputra corona
@@SamratZenith1 slok dekh le aankhe phadh ke एवं दुर्योधनः कर्णः शकुनिश्चापि सौबलः । अनेकैरभ्युपायैस्ताञ्जिघांसन्ति स्म पाण्डवान् ॥ ४० ॥ इस प्रकार दुर्योधनः कर्ण तथा मुदलपुत्र शकुनि अनेक उपायर्योद्वारा पाण्डयोंको मार डालना चाहते थे ॥
Lovalty genrocity and warrior sprit😂😂😂😂😂😂ye kaisa kalyug aa gya hai ki ek adharmi ko ab bhagwan mante hai agar tune vedvyas ji ka mahabharat padha hota to tu es sonyputra corona ko gali deta. Sabse jyada esi ne pap kiye hai.
लगता है कि आप सिर्फ 'अधर्म' को देख रहे हैं, लेकिन महाभारत का पूरा सार नहीं। अगर वफादारी, दानशीलता, और युद्ध कौशल को कुरीति मानते हैं, तो शायद आपको महाभारत को फिर से पढ़ने की ज़रूरत है। महाभारत में कर्ण का संघर्ष उन सामाजिक भेदभावों के खिलाफ था, जो आज भी कई लोगों के लिए कड़वा सच है। उन्होंने अपनी पहचान बनाए रखी और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे - अगर ये गलत है, तो फिर सही क्या है? ये कहानी केवल अपराध और सजा की नहीं, बल्कि मानवता और सामाजिक असमानता की भी है।
@@SamratZenith1 भीम जब छोटा था तो, कर्ण, दुर्योधन तथा सकुनी ने भीम को जहर देके मारने की कोसीस की, भीम को सर्पों से कटवाने का प्रयास किया। भीम को नाना प्रकार से मारने की इच्छा की।अब तू ये बोलेगा की कर्ण ने ये सब किया वो भी सही था। Wa re karn भक्तो। ये सब वेदव्यास जी की बुक में है। Bori Geeta press, kmg mahabharat me Jake dekh le।
अरे भाई, तुझे 'loyalty' का सही स्पेलिंग भी नहीं पता और तू महाभारत की गहराई पर ज्ञान दे रहा है? 'Loval' और 'genrocity' 'sprit' जैसे शब्दों से ही समझ आता है कि तुने कितनी पढ़ाई की है। अगर तुने असली महाभारत पढ़ी होती, तो कर्ण की कहानी की जटिलता समझता। लेकिन लगता है तुने बस चाय की दुकान पर सुनाई गई गप्पें सुनी हैं या Mahabharat का retold stories सुना है तुने
@@SamratZenith1 Mahabharat padh le tu pahle. Agar mahabharat padha hota to tu karn ko gali deta. droupati ko nagn karne ka adesh us sonyputra karn ne hi dussasan ko diya tha. Pahle Jake check kr le
@@LuciferMorningstar-md5sm असली महाभारत में अगर ध्यान से पढ़ा होता, तो तुझे यह समझ आता कि द्रौपदी को निर्वस्त्र करने का आदेश खुद दुर्योधन ने दिया था और दुःशासन ने उसे अंजाम देने की कोशिश की थी। कर्ण ने उस समय द्रौपदी को अपशब्द कहे और दुर्योधन का समर्थन किया, लेकिन सीधे तौर पर ऐसा कोई आदेश कर्ण ने नहीं दिया। लगता है तुने आधी-अधूरी महाभारत की कहानियाँ ही सुनी हैं, तभी इस तरह की गलतफहमी है। पहले असली महाभारत पढ़, ताकि अगली बार जब ज्ञान बांटे तो अपनी नासमझी का प्रदर्शन न हो। तेरे ज्ञान का स्तर इतना नीचे है कि तुझे खुद पर शर्म आनी चाहिए। अगली बार जब तू ज्ञान की बातें करे, तो पहले अपनी शब्दावली सुधार ले, वरना तु हमेशा 'गंवार' बना रहेगा।
You should also make a video on the horrible Cast system in Buddheism that sadly 99% of Hindus still don't know about!,that video is needed specially for all the Neo Buddheists in Bharat who only wants to blame and disrespect Hinduism,that video is needed!🙏🕉️
Bikul bhai, mein jaroor video banaunga iss topic par bhi ❤❤❤
@@SamratZenith1 Sir Navbodh yani Neo Buddheists bohat irritating hota hai,ya Jaan bujhkar Hindu Dharm ka against jhuth aur bhrantiya phalata hai taki Buddheism ko Hindu Dharm sa shrastra dikha saka!,ya log Islam sa bhi jyada bara threat hai hamara Sanatan Dharm ka liya!
@@Anubhavsengupta1902 ❤Much might be said on both side I will make a video on it soon 💯
Karn was one of most evil personality.
He was the core reason behind War.
Any proof kuch bhi mat bol bhai phele Mahabharat ko different perspectives se padh har patraone galti ki thi har patrao ka kamjori thi Mahabharat ka yudh ka nib yuddhdhistir aur Sakuni, Duryodhan tha karna ne srif Duryodhan ko samarthan kiya tha phele original mahabharta acchhe se alak perspectives se padh warna jake mar
Yes of course. Karn was the only one who supported war. He was the one who didn't in favour of Peice.
@@mahayodha_arjun mein proof maga tha tera bichar nahi 😂
@@mahayodha_arjun भाई, कर्ण को सबसे 'evil personality' कहना थोड़ा ज़्यादा हो गया, नहीं? महाभारत में हर किरदार की अपनी अच्छाइयाँ और कमजोरियाँ थीं-यहाँ तक कि पांडवों और कौरवों की भी। कर्ण के खिलाफ जितनी भी बातें की जाती हैं, उनमें से कई उस समय के समाज की सोच और जाति-व्यवस्था की वजह से पैदा हुई पीड़ा का हिस्सा थीं।
कर्ण ने अपने सम्मान और अधिकारों के लिए संघर्ष किया और उसके चुनावों का एक बड़ा कारण वही भेदभाव और अन्याय था जो उस पर हर मोड़ पर किया गया। अगर कर्ण 'core reason' होता, तो क्या सिर्फ उसके होते ही युद्ध होता? महाभारत का युद्ध उन तमाम गलतफहमियों, जातिगत अन्याय, और कौरवों की सत्ता की भूख का नतीजा था, जिसमें हर किरदार की अपनी भूमिका थी।
महाभारत को हर किरदार की दृष्टि से पढ़ने का प्रयास करो, जैसे कि कई विद्वान करते हैं-यह कहानी उतनी सरल नहीं है जितना कि एक व्यक्ति को दोषी ठहरा कर बताई जा सकती है।
Mahabharat को अलक perspective से study करो like Khan Sir, Khan sir ek great scholar है फिर भि khan sir Karna को Support karte sayad tumne unke podcast mein dekha nahi hoga so Khan sir ke jesa perspectives se mahabharat pado srif drama adrama hi nahi balki uss time ka social system, social inequality, social discrimination mein bhi dhyan do
@@mahayodha_arjun भाई, लगता है तुम्हें आधी-अधूरी कहानियाँ ही पता हैं। कर्ण ने युद्ध का समर्थन किया था, लेकिन सिर्फ वही अकेला शांति के खिलाफ नहीं था। महाभारत में खुद श्रीकृष्ण ने पहले शांति प्रस्ताव रखा था, जिसे दुर्योधन ने ठुकरा दिया था। और हाँ, कर्ण ने एक दोस्त के नाते दुर्योधन का साथ दिया, लेकिन पूरा युद्ध सिर्फ कर्ण की वजह से नहीं हुआ-ये उन सारे पात्रों के अहंकार और स्वार्थ की टकराहट का नतीजा था।
महाभारत में हर पात्र ने अपनी भूमिका निभाई है। इसे सिर्फ एक नज़रिये से देखना अधूरा समझ है। महाभारत पढ़ने से पहले थोड़ा गहराई से सोचो-तभी समझ पाओगे कि सिर्फ 'कर्ण युद्ध का कारण था' कहना कितना हास्यास्पद है। और हाँ, 'peace' को 'peice' लिखकर गूढ़ ज्ञान बाँटने से पहले कम से कम सही spelling तो सीख लो! लगता है अरजुन का फैन क्लब जॉइन कर लिया है, बिना महाभारत की असली गहराई को समझे।
You should make a video on how contrary to mainstream narrative Karn wasn't just the greatest warrior but also the greatest character of Mahabharat!,because every single Hindu must realise that Karn was the true hero of Mahabharat,that video is needed!🚩🕉️
Bilkul bhai, mera next video mere channel ka ab tak ka sabse bada project hoga jismein misconceptions ko detail mein expose karunga. Aajkal ke kuch fake guru, jinhone asli *Mahabharata* ki kitaab kabhi dekhi bhi nahi, woh bas retold versions padke Karna ko Duryodhan se bhi bada villain bana dete hain. Inko *Mahabharata* sirf dharma aur adharma ke chashme se dikhayi deta hai, jabki humein isay naye perspectives se dekhne ki zaroorat hai. Khan Sir jaise educated insaan bhi Karna ko support karte hain - aur yeh kuch dharma ke thekedar bas caste aur jaati ke bina samajh ke Karna se nafrat karte hain.
Meri agli podcast mein asli *Mahabharata* ki kitab ke saath proof bhi hoga, jo un logon ko jawab dega jo bina depth ke bas dharma ka theka liye baithe hain. Yeh sab log Mahabharata ke asli themes aur social system ko samjhe bina, bas jaatibad aur purane soch ke saath Karna ko galat samajhte hain. Channel subscribe karna na bhoolna, yeh ek naya perspective lekar aa raha hoon!
pehle HINDI sikh gulaam, fir updesh dena
listen, winner write history(ik wrote by someone else but favoured us only 1sided
read true Mahabharat book than u definitely know
1: vedur /maid son/ is main reason behind all of it as he was the one who was jealous cause he knows he can never be king ,SO HE CONVINCED EVERYONE TO MAKE PANDU 2ND AND WEAK SON AS KING (if u see pandav as rightful king because they were PANDU PUTAR than dhritrashra was right full heir to throne reject on opinion of vidur that he's blind , even tho later accept him as ruler than why didn't DO IT AT 1ST PLACE (if this were happened I don't think shakuni wouldn't have ever succesful manipulated duryodhana)
2: pandavs and kunti killed 1 hungry women with her 5 hungry kids and put there bodies in wax house , Was that hungry family they klled them because they were hungry beggars? Or There life was not unworthy?How many son's pandav killed before war and after war wrongfully)
3: what about eklavya? Arjun used to Envy and in this envy dornoachar took eklavya thumb just to satisfied Arjun envy
4:also I find out that pandavs and that Krishna these people made rules for Mahabharata with kurus and broke all the rules of war ,EVEN WHEN HACKER WAS IN THERE SIDE
5:I find out dharm raj yudisthar put 1millions woman on gambling before his wife
6: it wasn't dharm or adharam war it was political war
7: Bheem used tourtue 99brother of gandhari , he used to brutality tourtue those kids he used to put them in rivers till than they die for fun, he used to shake the tree were those kids used to take fruits , break there hands and legs than duroydhan took this step to poisoned him (read real book my son)
8: (my pov) winner's wrote history so we can never know what is truth or what is not no matter how much we debate
And this is from real Mahabharat I learnt in gurukul , u asked for opinion you have it
Pandav andhbhakt never wanted to understand dark side of pandavo
Dark side 😂😂ha tabhi bhagwan Shree Krishna unke sath the 😂😂 sonyputra
Yr animated movie ka kya naam hai
@@kaushalanand1671 Bhai iss video mein Jojo scenes, characters use huwa hai woh sab mein ne digitally banaya hai ❤️
Mahabharat 😢 mujhe nhi pata kya kya hua lekin agar in baat per deyan de toh us samay un logo ki Haight 10 feet 20 hoti thi 100 nhi 1000 nhi 100000 nhi crore nhi 166 crore log mare gye matlab agar hum Prabhu sree ghatusayam ki jagah hote to hum Mahabharat dekh ke hi mar jate
@@Stromedevx 166 crore nahi mare, it is just symbolic not actual video mein bhi bataya hai dost pratigatmak ke rup mein uss time utna population bhi nahi hota tha ❤️
@SamratZenith1 yahi to problem hai jo dekh Jo suna bo sahi man leta hu Mahabharat Satya hai per jo Mahabharat me dikhaya jata hai kya bo Satya hai ?
Karna-The greatest warrior of Mahabharata after Krishna for a reason
👎👎
@@SurajYadav70000 Arre, emojis ke raja, tu emoji fekne mein toh maharat hasil kar li! 😆 Kabhi asli Mahabharata bhi padh le, emojis se upar uthke kuch samajh aayega. Varna tu bas Arjun ke andhbhakton ki tarah thumbs down hi deta reh jayega!
Mai Manta हूं की युधिष्ठिर ने अपनी पत्नी को दांव लगाया क्योंकि उस समय कौरवों ने छल किया । लेकिन कर्ण ने इसका कोई प्रतिकार क्यों nhi kiya. Pandavon ne प्रतिकार स्वरूप युद्ध लड़े। और द्रौपती के सामने अपनी गलती को स्वीकार करके माफी भी मांगी।
अच्छा, तो युधिष्ठिर का अपनी पत्नी को दांव पर लगाना सिर्फ 'छल' का नतीजा था और माफ़ी मांगने से वो सही हो गए? इस तर्क से तो पांडवों की गलती भी ढक गई और सब कुछ पवित्र हो गया! ये कैसा धर्म है कि अपनी गलती के बाद भी युद्ध का झंडा उठाकर खुद को 'धर्मी' बताओ, लेकिन किसी ने भी द्रौपदी का अपमान रोकने की कोशिश नहीं की। भीम का तो क्रोध हर छोटी बात पर फटता है, लेकिन यहाँ सब मौन थे। अर्जुन, जो धर्म के नाम पर सब कुछ करता है, उसने क्यों कुछ नहीं कहा? क्या इनका धर्म सिर्फ कर्ण के लिए ही लागू होता है? दोष मढ़ना है तो उस राजसभा के हर सदस्य पर मढ़ें जिसने उस अन्याय का समर्थन किया और मौन थे सिर्फ कर्ण पर नहीं।
🤣अरे ! मेरा Starplus, ऐसा लगता है कि महाभारत तो दूर, तूने शायद ठीक से हिंदी भी नहीं पढ़ी! यहाँ कर्ण भक्त और भक्ति का नाम लेके बार-बार वही गलत बात दोहरा रहा है। महाभारत के आदिपर्व में भीम को ज़हर देने की योजना मुख्य रूप से दुर्योधन और शकुनि ने बनाई थी, और कर्ण का इसमें प्रत्यक्ष तौर पर कोई योगदान नहीं था।
अगर सच में तुने महाभारत का प्रामाणिक संस्करण (BORI Critical Edition या गीता प्रेस का संस्करण) पढ़ा होता, तो यह बात इतनी आसानी से समझ में आ जाती। इसलिए अपने अधकचरे ज्ञान के साथ दूसरों को ज्ञान देने से पहले खुद तथ्यों की जाँच कर ले।
और हाँ, मैं कर्ण का भक्त नहीं हूँ-सिर्फ महाभारत के पहलुओं को समझाने के लिए वीडियो बनाया है।
@@SamratZenith1 [27/10, 5:44 pm] Lucifer Morningstar: अष्टाविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः
भीमसेनके न आनेसे कुन्ती आदिकी चिन्ता, नागलोकसे भीमसेनका आगमन तथा उनके प्रति दुर्योधनकी कुचेष्टा
वैशम्पायन उवाच ततस्ते कौरवाः सर्वे विना भीमं च पाण्डवाः । वृत्तक्रीडाविहारास्तु प्रतस्थुर्गजसाह्वयम् ॥ १ ॥
वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय । तदनन्तर समस्त कौरव और पाण्डव फ्रीड़ा और विहार समाप्त करके भीमसेनके बिना ही हस्तिनापुरकी ओर प्रस्थित हुए ॥ १ ॥ रथैर्गजैस्तथा चाश्वैर्यानैश्चान्यैरनेकशः । नुवन्तो भीमसेनस्तु यातो हाव्रत एव नः ॥ २ ॥ ततो दुर्योधनः पापस्तत्रापश्यन् वृकोद्रम् । भ्रातृभिः सहितो दृष्टो नगरं प्रविवेश ह ॥ ३ ॥
रथ, हाथी, घोड़े तथा अन्य अनेक प्रकारकी सवारियों
द्वारा वहाँसे चलकर वे आपसमें यह कह रहे थे कि भीमसेन तो इमलोगौसे आगे ही चले गये हैं। पापी दुर्योधनने भीमसेनको वहाँ न देखकर अत्यन्त प्रसन्न हो भाइयोंके साय नगरमें प्रवेश किया ॥ २-३ ॥
युधिष्ठिरस्तु धर्मात्मा शाविदन् पापमात्मनि । स्वेनानुमानेन परं साधुं समनुपश्यति ॥ ४॥
राजा युधिष्ठिर धर्मात्मा थे, उनके पवित्र हृदयमें दुर्योधनके पापपूर्ण विचारका भानतक न हुआ। वे अपने ही अनुमानसे दूसरेको मी साधु ही देखते और समझते थे ॥
सोऽभ्युपेत्य तदा पार्थों मातरं भ्रातृवत्सलः । अभिवाद्याब्रवीत् कुन्तीमम्ब भीम इहागतः ॥ ५ ॥
[27/10, 5:48 pm] Lucifer Morningstar: यद्यपि वह विप बड़ा तेज गा०तो भी उनके लिये कोईविगाड़ न कर सका। भयंकर शरीरवाले भीमसेनके उदरमें वृक नामकी अधि थी; अतः वहाँ जाकर वह विष पन्च गया।॥ ३९॥
एवं दुर्योधनः कर्णः शकुनिश्चापि सौबलः । अनेकैरभ्युपायैस्ताञ्जिघांसन्ति स्म पाण्डवान् ॥ ४० ॥
इस प्रकार दुर्योधनः कर्ण तथा मुदलपुत्र शकुनि अनेक उपायर्योद्वारा पाण्डयोंको मार डालना चाहते थे ॥ ४०॥ पाण्डवाश्चापि तत् सर्वे प्रत्यजाननमर्थिताः । उद्भावन मकुर्वन्तो विदुरस्य मते स्थिताः ॥ ४१ ॥
पाण्डव भी यह सब जान लेते और क्रोधमें भर जाते थे तो भी विदुरकी रायके अनुसार चलने के कारण अपनेअमर्षको प्रकट नहीं करते थे ॥ ४१ ॥ Ab kya bolega sonyputra corona
@@SamratZenith1lakhyagriha me to karn saamil thaa, usko kyaa kahegaa betaa.. Draupadi ko vesyaa bolnaa bhi koi majburi thi kyaa. Dyutvan me jaane ke liye duryodhan ko kisne uksaayaa thaa
@@prashant-bm4fp अबे, तू महाभारत के नाम पर बस सुनी-सुनाई बातें लेकर आ गया, बिना असली ग्रंथ को समझे। लक्षागृह की चाल में असल मास्टरमाइंड दुर्योधन और शकुनि थे, कर्ण तो उनकी तरफ था, पर पूरी प्लानिंग का नेता नहीं। और अगर तुझे ये भी नहीं पता कि द्रौपदी का अपमान सिर्फ कर्ण का अकेला दोष नहीं था, तो तेरे अधूरे ज्ञान पर तरस आता है।
महाभारत को समझना है तो पहले खुद पढ़, वरना हर बार आकर यूँ ही हंसी का पात्र बनेगा। किस-किस को बलि का बकरा बनाएगा? पूरे किरदारों की कमजोरियों को देख, फिर तर्क दे।
Esse sandes es prakar jayega ki criminal ka sath do. Aur uske sath wafadar rho aur crime kro😂😂😂😂...
इस तर्क से तो द्रोणाचार्य और भीष्म , Pandavon भी उतने ही अपराधी हैं, जिन्होंने चुप्पी साध रखी। कर्ण ने वफादारी दिखाई, उसने किसी अपराध को बढ़ावा नहीं दिया। अगर दोस्ती निभाना 'अपराध' है, तो इस तर्क से भीष्म, द्रोणाचार्य और खुद युधिष्ठिर (Pandavon) भी कटघरे में खड़े हैं। अपने किए की जिम्मेदारी न लेना आसान है, और फिर कर्ण पर सवाल उठाना और भी आसान।
🤣अरे ! मेरा Starplus, ऐसा लगता है कि महाभारत तो दूर, तूने शायद ठीक से हिंदी भी नहीं पढ़ी! यहाँ कर्ण भक्त और भक्ति का नाम लेके बार-बार वही गलत बात दोहरा रहा है। महाभारत के आदिपर्व में भीम को ज़हर देने की योजना मुख्य रूप से दुर्योधन और शकुनि ने बनाई थी, और कर्ण का इसमें प्रत्यक्ष तौर पर कोई योगदान नहीं था।
अगर सच में तुने महाभारत का प्रामाणिक संस्करण (BORI Critical Edition या गीता प्रेस का संस्करण) पढ़ा होता, तो यह बात इतनी आसानी से समझ में आ जाती। इसलिए अपने अधकचरे ज्ञान के साथ दूसरों को ज्ञान देने से पहले खुद तथ्यों की जाँच कर ले।
और हाँ, मैं कर्ण का भक्त नहीं हूँ-सिर्फ महाभारत के पहलुओं को समझाने के लिए वीडियो बनाया है।
@@SamratZenith1 ruk bacche abhi Mai tujhe proof bhejta hu. Dekh lena aankhe fadh ke.
@@SamratZenith1 [27/10, 5:44 pm] Lucifer Morningstar: अष्टाविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः
भीमसेनके न आनेसे कुन्ती आदिकी चिन्ता, नागलोकसे भीमसेनका आगमन तथा उनके प्रति दुर्योधनकी कुचेष्टा
वैशम्पायन उवाच ततस्ते कौरवाः सर्वे विना भीमं च पाण्डवाः । वृत्तक्रीडाविहारास्तु प्रतस्थुर्गजसाह्वयम् ॥ १ ॥
वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय । तदनन्तर समस्त कौरव और पाण्डव फ्रीड़ा और विहार समाप्त करके भीमसेनके बिना ही हस्तिनापुरकी ओर प्रस्थित हुए ॥ १ ॥ रथैर्गजैस्तथा चाश्वैर्यानैश्चान्यैरनेकशः । नुवन्तो भीमसेनस्तु यातो हाव्रत एव नः ॥ २ ॥ ततो दुर्योधनः पापस्तत्रापश्यन् वृकोद्रम् । भ्रातृभिः सहितो दृष्टो नगरं प्रविवेश ह ॥ ३ ॥
रथ, हाथी, घोड़े तथा अन्य अनेक प्रकारकी सवारियों
द्वारा वहाँसे चलकर वे आपसमें यह कह रहे थे कि भीमसेन तो इमलोगौसे आगे ही चले गये हैं। पापी दुर्योधनने भीमसेनको वहाँ न देखकर अत्यन्त प्रसन्न हो भाइयोंके साय नगरमें प्रवेश किया ॥ २-३ ॥
युधिष्ठिरस्तु धर्मात्मा शाविदन् पापमात्मनि । स्वेनानुमानेन परं साधुं समनुपश्यति ॥ ४॥
राजा युधिष्ठिर धर्मात्मा थे, उनके पवित्र हृदयमें दुर्योधनके पापपूर्ण विचारका भानतक न हुआ। वे अपने ही अनुमानसे दूसरेको मी साधु ही देखते और समझते थे ॥
सोऽभ्युपेत्य तदा पार्थों मातरं भ्रातृवत्सलः । अभिवाद्याब्रवीत् कुन्तीमम्ब भीम इहागतः ॥ ५ ॥
[27/10, 5:48 pm] Lucifer Morningstar: यद्यपि वह विप बड़ा तेज गा०तो भी उनके लिये कोईविगाड़ न कर सका। भयंकर शरीरवाले भीमसेनके उदरमें वृक नामकी अधि थी; अतः वहाँ जाकर वह विष पन्च गया।॥ ३९॥
एवं दुर्योधनः कर्णः शकुनिश्चापि सौबलः । अनेकैरभ्युपायैस्ताञ्जिघांसन्ति स्म पाण्डवान् ॥ ४० ॥
इस प्रकार दुर्योधनः कर्ण तथा मुदलपुत्र शकुनि अनेक उपायर्योद्वारा पाण्डयोंको मार डालना चाहते थे ॥ ४०॥ पाण्डवाश्चापि तत् सर्वे प्रत्यजाननमर्थिताः । उद्भावन मकुर्वन्तो विदुरस्य मते स्थिताः ॥ ४१ ॥
पाण्डव भी यह सब जान लेते और क्रोधमें भर जाते थे तो भी विदुरकी रायके अनुसार चलने के कारण अपनेअमर्षको प्रकट नहीं करते थे ॥ ४१ ॥ Ab boll sonyputra corona
@@SamratZenith1 slok dekh le aankhe phadh ke एवं दुर्योधनः कर्णः शकुनिश्चापि सौबलः । अनेकैरभ्युपायैस्ताञ्जिघांसन्ति स्म पाण्डवान् ॥ ४० ॥
इस प्रकार दुर्योधनः कर्ण तथा मुदलपुत्र शकुनि अनेक उपायर्योद्वारा पाण्डयोंको मार डालना चाहते थे ॥
Karan ke jagah Apne aapko rakhke Dekho tumi Apne aapko dosi hi Nahi paoge
Lovalty genrocity and warrior sprit😂😂😂😂😂😂ye kaisa kalyug aa gya hai ki ek adharmi ko ab bhagwan mante hai agar tune vedvyas ji ka mahabharat padha hota to tu es sonyputra corona ko gali deta. Sabse jyada esi ne pap kiye hai.
लगता है कि आप सिर्फ 'अधर्म' को देख रहे हैं, लेकिन महाभारत का पूरा सार नहीं। अगर वफादारी, दानशीलता, और युद्ध कौशल को कुरीति मानते हैं, तो शायद आपको महाभारत को फिर से पढ़ने की ज़रूरत है। महाभारत में कर्ण का संघर्ष उन सामाजिक भेदभावों के खिलाफ था, जो आज भी कई लोगों के लिए कड़वा सच है। उन्होंने अपनी पहचान बनाए रखी और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे - अगर ये गलत है, तो फिर सही क्या है? ये कहानी केवल अपराध और सजा की नहीं, बल्कि मानवता और सामाजिक असमानता की भी है।
@@SamratZenith1 भीम जब छोटा था तो, कर्ण, दुर्योधन तथा सकुनी ने भीम को जहर देके मारने की कोसीस की, भीम को सर्पों से कटवाने का प्रयास किया। भीम को नाना प्रकार से मारने की इच्छा की।अब तू ये बोलेगा की कर्ण ने ये सब किया वो भी सही था। Wa re karn भक्तो। ये सब वेदव्यास जी की बुक में है। Bori Geeta press, kmg mahabharat me Jake dekh le।
अरे भाई, तुझे 'loyalty' का सही स्पेलिंग भी नहीं पता और तू महाभारत की गहराई पर ज्ञान दे रहा है? 'Loval' और 'genrocity' 'sprit' जैसे शब्दों से ही समझ आता है कि तुने कितनी पढ़ाई की है।
अगर तुने असली महाभारत पढ़ी होती, तो कर्ण की कहानी की जटिलता समझता। लेकिन लगता है तुने बस चाय की दुकान पर सुनाई गई गप्पें सुनी हैं या Mahabharat का retold stories सुना है तुने
@@SamratZenith1 Mahabharat padh le tu pahle. Agar mahabharat padha hota to tu karn ko gali deta. droupati ko nagn karne ka adesh us sonyputra karn ne hi dussasan ko diya tha. Pahle Jake check kr le
@@LuciferMorningstar-md5sm असली महाभारत में अगर ध्यान से पढ़ा होता, तो तुझे यह समझ आता कि द्रौपदी को निर्वस्त्र करने का आदेश खुद दुर्योधन ने दिया था और दुःशासन ने उसे अंजाम देने की कोशिश की थी। कर्ण ने उस समय द्रौपदी को अपशब्द कहे और दुर्योधन का समर्थन किया, लेकिन सीधे तौर पर ऐसा कोई आदेश कर्ण ने नहीं दिया।
लगता है तुने आधी-अधूरी महाभारत की कहानियाँ ही सुनी हैं, तभी इस तरह की गलतफहमी है। पहले असली महाभारत पढ़, ताकि अगली बार जब ज्ञान बांटे तो अपनी नासमझी का प्रदर्शन न हो।
तेरे ज्ञान का स्तर इतना नीचे है कि तुझे खुद पर शर्म आनी चाहिए। अगली बार जब तू ज्ञान की बातें करे, तो पहले अपनी शब्दावली सुधार ले, वरना तु हमेशा 'गंवार' बना रहेगा।