pahadpani Dali patti kauthik नन्दा देवी नंदाष्टमी की आदिशक्ति मां नंदा देवी का मेला, (डाली पाती)

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  • เผยแพร่เมื่อ 9 ก.ย. 2024
  • नंदा देवी उत्तराखंड की बहुमान्य और बहु पूज्य देवी है। उत्तराखंड के दोनों मंडलों (कुमाऊं और गढ़वाल ) में पूज्य देवी है नंदा। उत्तराखंड वासियों का माँ नंदा के साथ ऐसा रिश्ता है , शायद देश में किसी भक्त और उसके आराध्य का हो। कोई इन्हे अपनी बेटी मानता है , कोई बहिन ! मानवीय रिश्तों में बांध कर देवी माँ को प्रेम और स्नेह के बंधन में बांधना भक्ति का एक अलग ही रूप है। यह देवी कत्यूर पंवार और चांद वंशों की कुलदेवी के रूप में पूजित है। कत्यूरी वंश की सभी शाखाओं में जिया रानी को नंदा देवी का अवतार मानते हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री आदिशक्ति माँ पार्वती के रूप नंदा देवी की हिमवन अर्थात पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में विशेष मान्यता रही है। पौराणिक साहित्य के अनुसार वाराह पुराण नंदा देवी के नाम का अर्थ बताते हुए कहा गया है कि ,” देवी के इस रूप का हिमवन में आनंद पूर्ण विचरण करने की वजह से इसे नंदा नाम से उद्घोषित किया गया है। उत्तराखंड के बारे में वर्णित स्कंदपुराण के मानस खंड और केदारखंड में नंदा ”दारुमूर्तिसमासीना ‘ कहा गया है। इसका अर्थ है ,नंदा देवी का प्रतिनिधितव काष्ठ पर ही किया जाता है। इसी परम्परानुसार अल्मोड़ा और नैनीताल के नंदा महोत्सव में कदली वृक्ष पर नंदा की मूर्ति बनाई जाती है।

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