प्रतापनारायण मिश्र भारतेंदु युग आधुनिक काल Pratapnarayan Mishra Bharatendu Yug Ke Lekhak Adhunik Kal

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  • เผยแพร่เมื่อ 29 ส.ค. 2024
  • प्रतापनारायण मिश्र भारतेंदु युग आधुनिक काल Pratapnarayan Mishra Bharatendu Yug Ke Lekhak Adhunik Kal
    भारतेंदु युग के लेखक
    प्रतापनारायण मिश्र का जन्म
    ब्राह्मण पत्र के सम्पादक
    ब्राह्मण पत्रिका के सम्पादक
    रसिक समाज
    प्रतापनारायण मिश्र की रचनाएं
    bharat durdasha
    Pratapnarayan Mishra ka janma
    Brahman Patra Ke Sampadak
    Brahman Patrika Ke Sampadak
    Brahman Patra kahan se prakashit
    Brahman Patrika kahan se prakashit
    Brahman Patra kahan se nikalta
    Brahman Patrika kahan se nikalti
    Rasik samaj
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    ABOUT THIS VIDEO-
    इस वीडियो में आपको प्रतापनारायण मिश्र के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
    पिता - संकठा प्रसाद मिश्र
    जन्म - 24 सितम्बर 1856 को उन्नाव जिले के 'बैजे / 'बेथर' गाँव
    मृत्यु - 06 जुलाई 1894 को 38 वर्ष की अवस्था में कानपुर में।
    पं. प्रताप नारायण मिश्र ने 27 वर्ष की उम्र में सवाई सिंह का हाता से 15 मार्च 1883 को ठीक होली के दिन 12 पृष्ठों के मासिक पत्र ब्राह्मण का प्रकाशन और संपादन शुरू किया था।
    इसका प्रकाशन 1894 तक चला।
    11 वर्ष प्रकाशन हुआ।
    भारतेंदु युग (1868 से 1900 तक) का पत्र।
    1889 में मिश्र जी 25 रू. मासिक पर "हिंदोस्थान" के सहायक संपादक होकर कालाकाँकर आए।
    1891 में कानपुर में "रसिक समाज" की स्थापना की।
    कानपुर में 'नाटक सभा' की स्थापना की।
    'हिंदी, हिंदू, हिदुस्तान' उनका प्रसिद्ध नारा था। सबसे पहले इन्होंने ही यह नारा दिया था।
    आधुनिक हिंदी-निर्माताओं की वृहत्त्रयी में भारतेंदु हरिश्चंद्र, बालकृष्ण भट्ट और प्रतापनारायण मिश्र की गणना होती है।
    वह हिंदी खड़ी बोली और भारतेंदु युग के उन्नायकों में से एक थे।
    वह 'प्रतिभारतेन्दु' और 'द्वितीयचन्द्र' भी पुकारे जाते थे।
    भारतेंदु हरिश्चंद्र को अपना गुरु माना।
    पहली काव्य-कृति 'प्रेम पुष्पांजलि' 1883 में प्रकाशित हुई।
    प्रमुख काव्य-कृतियाँ:- 'प्रेम पुष्पांजलि','प्रेम पुष्पावली', 'मन की लहर', 'प्रताप लहरी','लोकोक्तिशतक', 'कानपुर महात्मय', 'तृप्यंताम्', 'दंगल खंड', 'ब्रेडला स्वागत', 'तारापति पचीसी', 'शोकाश्रु', 'बेगारी विलाप', मानस विनोद, 'प्रार्थना शतक', 'फाल्गुन माहात्म्य' , 'युवराज कुमार स्वागतन्ते', 'श्रृंगार विलास', 'श्री प्रेम पुराण', 'होली है' 'दीवाने बरहमन(उर्दू)
    उनकी प्रमुख काव्य-रचनाओं का 'प्रतापनारायण मिश्र कवितावली' में संकलन।
    निबंध संग्रह :-बात, निबंध नवनीत, प्रताप पीयूष, प्रताप समीक्षा
    इनके निबंधों का 'प्रतापनारायण ग्रंथावली (खंड-1)' में संकलन
    नाट्य-साहित्य -'हठी हमीर', 'भारत दुर्दशा' (रूपक),'गौ संकट', 'कलि कौतुक' (रूपक), 'कलि प्रभाव','कलि प्रवेश' (गीतिरूपक),'जुआरी खुआरी' (प्रहसन, अपूर्ण), 'दूध का दूध और पानी का पानी' (भाण, अपूर्ण) ,'संगीत शाकुन्तल' ('अभिज्ञान शाकुन्तलम्' के आधार पर रचित गीति रूपक),
    आत्मकथा - 'प्रताप चरित्र' (अपूर्ण)
    उपन्यास (अनूदित) - 'अमरसिंह', 'इन्दिरा', 'कपाल कुंडला', 'देवी चौधरानी', 'युगलांगुलीय' और 'राजसिंह राधारानी'
    कहानी (अनूदित) - 'कथा बाल संगीत', 'कथा माला', 'चरिताष्टक'।
    अनुवाद (उपदेश):- पंचामृत ,नीति रत्नावली
    संग्रहीत रचनाएँ - 'मानस विनोद' (पद्य), 'रसखान शतक' (पद्य), 'रहिमन शतक' (पद्य), और 'सती चरित' (गद्य)।
    सभी रचनाओं का संग्रह 'प्रतापनारायण मिश्र ग्रन्थावली' नाम से प्रकाशित
    प्रताप नारायण मिश्र जी का प्रसिद्ध निबंध "बात" हास्य-व्यंग्य-प्रधान शैली में लिखा गया निबंध
    "पं० प्रतापनारायण मिश्र और पं० बालकृष्ण भट्ट ने हिंदी गद्य साहित्य में वही काम किया जो अंग्रेजी गद्य साहित्य में एडीसन और स्टील ने किया।"- रामचंद्र शुक्ल
    YOUR QUERIES AND KEYWORDS:-
    प्रतापनारायण मिश्र की काव्य रचनाएँ
    प्रतापनारायण मिश्र के नाटक
    प्रतापनारायण मिश्र के निबन्ध
    प्रतापनारायण मिश्र के अनुवाद
    प्रेम पुष्पांजलि
    प्रताप लहरी
    ब्राह्मण पत्र कहाँ से प्रकाशित
    ब्राह्मण पत्र पत्र के संपादक कौन थे
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