व्याकरण का उद्देश्य क्या ? l Vaidic Physics l Acharya Agnivrat
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- เผยแพร่เมื่อ 8 ก.พ. 2025
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❤ऋषि मिल गया है, विज्ञान छा रहा है!
जो ऋत सत्य नियमों से, अवगत कर रहा है!❤
सावधान! सभी लोग पक्षपातरहित होकर इस वीडियो को सुनकर विचार कीजिए और ऋषि अग्निव्रत के साथ मिलकर कार्य करो अन्यथा वेद विरुद्ध मत वाले हमे निगल जायेगे।
जिनकी विज्ञान की आंखे हैं, वहीं वेद को समझ सकता है! "नान्य पंथा विद्यतेऽयनाय" जय माँ वेद भारती!
आचार्या जी ये वीडियो देख कर प्रमाण मिल गया की swami dayanand ऋषि थे। और आपकी बुद्धि भी ऋषि से कम नहीं।
परम आदरणीय गुरुदेव जी महाराज को सादर प्रणाम स्वीकारहो 🙏🙏
वेद का सत्य अर्थ करने के लिए बैयाकरण होने के साथ साथ योगी होना अति आवश्यक है।
आँखे खोलने वाला व्याख्यान। बहुत ही तार्किक। आचार्य जी नमस्ते।
आचार्य जी सादर प्रणाम आप बिल्कुल सत्य बोल रहे हैं व्याकरण के साथ उहा जरूर होनी चाहिए धन्यवाद।
गुरुदेव चरण स्पर्श -गुरुदेव यदि आपकी शैली से व्याकरण नहीं पढ़ा तब व्याकरण पढ़ना व्यर्थ है , ऐसा ही व्याकरण गुरुकुलो एवं मेने भी पढ़ा है । जैसा व्याकरण वर्तमान गुरुकुलों में पढ़ाया जाता है उससे वेद में सारे पाप सिद्ध होते है ।
आचार्य प्रवर, धन्य हैं आप, आपने लगा जैसे मस्तिष्क के कोनों में लगे सारे जाले साफ कर दिए तथा मन आत्म, भारतीय ज्ञान परंपरा तथा वेदों पर और अधिक स्थित हो गया
नमन, शत शत नमन
ओउम् नमस्ते आचार्य ऋषीवर जी, महाराष्ट्र बोईसर नवापूर, बहुत सुंदर स्पष्टिकरण बहुत बहुत धन्यवाद जी
Very important video.. Dhanyavaad....
चरण स्पर्श आचार्य जी🙏🕉️
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
ओ3म l आचार्य जी नमस्ते I बहुत उपयुक्त शीर्षक इस चिंतन में विचार/ व्याख्या प्रस्तुति है, अनेक साधुवाद l
सादर नमस्ते एवं आभार स्वामी जी
प्रणाम आचार्य जी 🙏
बलम वै ब्रह्म, बल (force) ब्रह्म जी ने सब कुछ धारण कर रखा है
अत्युत्तम विवेचन
ओउम् आचार्य जी आपका ये व्यक्तय मुझे पहले ही पता था। वीडियो द्वारा जानकर और भी अच्छा लगा। ❤
सत्यवचन। यदि बिना ऊहा का उपयोग किए पंचमहाभूत के वायु और अग्नि को air और fire समझते रहे, तो व्याकरण पढ़ने का अधिक लाभ नहीं है, उल्टा हानि होगी और वेदों/ऋषियों पर आक्षेप लगेंगे। यदि आपके बताए रास्ते पर गुरुकुल चले, तो गुरुकुलों से वैज्ञानिक निकलेंगे 🙏🏻
आचार्य जी प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
गुरुजी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏
आज बहुत कुछ नया सीखने को मिला आप से। आप महान हो गुरुजी
Yes Satya Baat Kahi Hai Aapne. Aapki video agar english Mai bhi translate ho toh aur accha rahega. Jisse auro ko bhi pata chalega iske baare Mai. Jai Sanatan Dharma Har Har Mahadev.
Why do you want Guruji to give his प्रवचण in English
This is a. Foolish opinion
Why don’t you learn a भारतिया Language
Do you want the दक्षिण (western) लोगो who has been stealing our scripture’s ज्ञान
We should be thankful that our ancestors and Rishi log who wrote our secret coded knowledge
Macaulay choor jaise. Sab loot choori howe
Guruji ko dhanyabaad karo aur apne desh ki bhashaa सीखो
गुरवे नमः
माफ कीजिये अगर आप मेरी बात को अच्छा न लगे।
❤❤❤🌷🌷🕉️
Pranam Acharya G
जय मां वेद भारती
आचार्य जी आपका वेदांत सुनकर वेद पढ़ने का मन करता है
किसका अर्थ क्या हुआ पढ़ें
Parmatma aapka sahayog karen ,hamari isawar se yahi prarthna hai
गला सूख जाता है बोलते बोलते फिर भी लोग नहीं मानते पाखंड से जितना दूर रहने को बोलता हु सुन लेते है पांच मिनट बाद फिर उसी पाखंड में लग जाते है और कुछ तो जानना ही नहीं चाहते 😞😞 क्या किया जाएं
प्रणाम आचार्य जी ❤❤❤❤
नमस्ते आचार्या जी। जैसे वेद पाठि लोग वेद के मन्त्रों का अर्थ बिल्कुल नहीं जानते वेसे वेद का फिर क्या लाभ? इसी तरह व्याकरण के सूत्रों को कंठस्थ करने से और उसके पीछे गम्भीर उहा ना करने से भी उस व्याकरण का क्या लाभ? फिर तो सायण आचार्या जेसे अनर्थ होगा। उपनिषद मे यू ही नहीं कहा कि सिर्फ वेद पढ़ने वालों को ईश्वर नहीं मिलता। आपके द्वारा katoupanishad के श्लोक का अर्थ अद्वैत ब्रह्म वाले pdf से पाढ़ कर मुझे बहुत कुछ समझ मे आया कि किस तरह से पदो का अर्थ किया जा सकता है, अपने बखूबी आर्ष ग्रंथो को समझा है एवं अपने बहुत ही गम्भीरता पूर्वक अर्थ किए है। आपका अर्थ पड़ कर मुझे इतनी खुशी हुई कि अगर मेरे पास प्रॉपर्टी होता तो मैं सब आपको दे देता।
Where I can find the pdf
17:40 ये कहानी बहुत शिक्षाप्रद है
Thankyou 🙏
Pranam. Aachary ji
Aum... Acharya ji
Guruji apke charnomain pranam...
नमस्ते गुरुजी ।
❤
नमस्ते 🙏 आदरणीय आचार्य जी!
आपने व्याकरण पढ़ा हो या न पढ़ा हो। परन्तु आपने व्याकरण को गम्भीरता से समझ कर उसका सदनुप्रयोग अवश्य किया है। पढ़ना कोई महत्व नहीं रखता है, यदि उसे समझा न गया हो और उसका लाभ न उठाया हो। मुझे नहीं लगता है कि आप व्याकरण के विद्वान् नहीं है। इस जन्म में आपने भले ही व्याकरण में ज्यादा पुरुषार्थ न किया हो लेकिन पिछले जन्मों में अवश्य ही आपने इसमें महारथ प्राप्त की है। जो गहराई आपमें है वह पूरी जिन्दगी व्याकरण में पुरुषार्थ करने वालों में भी दुर्लभ है।
जैसा कि आपने कहा वेद का वेद से अर्थ करें। यदि सामर्थ्य न हो तो ब्राह्मण ग्रन्थों की सहायता से अर्थ करें । लेकिन यदि किसी को ब्राह्मण भी समझ में न आये तो ब्राह्मण ग्रन्थों को कैसे समझें। आप मुझे यह मत कहियेगा कि आप वेद विज्ञान आलोक पढ़ें। उससे ऐतरेय ब्राह्मण समझ में आयेगा। अन्य ब्राह्मण तो समझ में नहीं आयेंगे। अतः आप आर्ष परम्परा के अनुसार ही मुझे समुचित उत्तर दीजिए। मैं आपसे कोई विरोध नहीं कर रहा हूं। न ही वेदविज्ञान आलोक की उपयोगिता को नकार रहा हूं। मैं आपसे एक तथ्यात्मक प्रश्न कर रहा हूं। अतः आप विचारपूर्वक ही समुचित उत्तर देने की कृपा कीजियेगा।
आपके विचारों को सुनकर एक प्रेरणा मिलती है। आपके अन्दर की एक तड़प दृष्टि में आती है। आज का वीडियो व्याकरण पढ़ने पढ़ाने वाले के लिये एक प्रेरणा का स्रोत है।
धन्यवाद 🙏
नमस्ते गुरु जी हमारे विद्वान कि विद्युता का अभिमान एक जगह नहीं होने देती नहीं तो आज भारत कि परस्थिति कुछ और होती
नमस्ते गुरुजी
🙏🙏
जय श्री राम
Namaste ji
🚩🕉️🙏🚩🎤⚖️
ओउम नमशते सवामीजी
Swamiji hum apko apke kam pe kaise help kar sakte hey
दान करके, स्वाध्याय करके, प्रचार करके, अनुसंधान करके, स्वयं, परिवार और समाज को सुधार के, आदि अनेक प्रकार से सहयोग कर सकते हैं, जिस भी कार्य में आपकी निपुणता हो। 🙏🏻
नमस्कार आचार्य 🙏🏻
Rigved 1.24.2 का अर्थ स्प्ष्ट कारे कृपया 🙏🏻
Main pote ko gurukul Main padana chahati hu margadarshan karain
Acharya Agnivrath जी मेरा comment पढिय़े, इंद्र को वेदों में परमेश्वर कहा गया है और मुझ पर असमान से २.५ साल से बारिश हो रहा है,तो क्या मानू में की परमेश्वर मुझ पर बारिश कर रहा है, पर में canfuse में हु की वेदों ईश्वर ग्रन्थ है वा नहीं, इसका समाधान कीजिए और आपका सुझाव क्या है मेरे लिए ये भी बताइए। जी धन्यवाद, और rply जरूर कीजियेगा, मेरा मनो बल बढ़ेगा
किसका भाष्य पढ़ रहे है और कौन सा वेद मंत्र है। पहले इसके बारे में बताये
आचार्या जी मेरा प्रश्न है क्या पुराण मे भी इस प्रकार का अर्थ करने से बहुत ही गम्भीर विज्ञान पता चलेगा? क्यु की कुछ कुछ स्थान पुराण मे देख कर लगता है यहा गंभीर विज्ञान बताई गई है।
हो सकता है कुछ जगह।
हो सकता है
ब्राह्मण ग्रन्थ ही वास्तविक पुराण है।
जय मां वेद भारती ।