Points to remember: पूजा के अनेक अर्थ: - उपासना (केवल परमात्मा की) - उचित उपयोग - सम्मान / सत्कार मूर्ति / चित्र से दो बातों का ध्यान होता है, अन्य किसी का नहीं: - जिसकी मूर्ति / चित्र है - जिसने मूर्ति / चित्र बनाई साकार के बिना निराकार का ध्यान नहीं लग सकता। सृष्टि / ब्रह्मांड (साकार) को देखकर बनाने वाले परमात्मा (निराकार) का ध्यान करें
आचार्य जी सादर नमस्ते,🙏🚩 वास्तविक मूर्ति पूजा का रहस्य बहुत ही अच्छी प्रकार से समझाया। वैदिक धर्म ही संसार में वास्तविक शांति स्थापित हो सकती है। सरकार वैदिक धर्म को प्राथमिकता दें। पहले की भांति शास्त्रार्थ प्रक्रिया शुरू हो
बहुत ही सुन्दर और बिल्कुल सत्य कहा आपने गुरु जी को शत् शत् नमन। ईश्वर एक है और हम सब एक हैं सम्मान सभी धर्मों का एक नजरिया है और हम आना पान विपश्यना ध्यान साधना करेंगे तो प्राकृतिक रूप से सारे विश्व को समझने लगे हैं और फिर पांच शिल का पालन करना आवश्यक है जीवन में एक बार दस दिवसीय शिविर में आना पान विपश्यना ध्यान साधना जरुर करें जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
अति सुन्दर प्रस्तुति। आचार्य जी को नमन। मूर्ति पूजा,विशेषकर,देवी देवताओं की,को मैं उस आम आदमी की स्थिति के संदर्भ में देखता हूं तो उस बच्चे की तरह लेता हूं जिसे अक्षर ज्ञान चित्रों के माध्यम से ही सिखाया जाता है।बड़े होने पर ,ज्ञान होने पर ही उसे पता चलता है कि अ से अमरूद ही नही होता अ से अनेक शब्द बनते हैं। उसी प्रकार मूर्ति ईश्वर नहीं है ,परंतु ईश्वर क्योंकि सर्वत्र व्याप्त है तो मूर्ति में भी भी उसकी सत्ता का अंश है। स्पष्ट है कि मूर्ति भगवान नहीं है परंतु मूर्ति में भी भगवान है ठीक वैसे ही जैसे वह सर्वत्र व्याप्त है।
परंतु ऐसे पढ़ने वाले बच्चों कभी आगे नहीं बढ़ पाते मरते दम तक उस अक्षर ज्ञान तक ही रहते हैं। यदि उनके विचार आपकी तरह हो और ऐसा माने की मेरी अगली कड़ी निराकर ईश्वर को मानने की है तब ही उन्नति संभव है परंतु ऐसे लोग न के बराबर है।
13:19 आचार्य जी यहां आपने सही बात रखी। यहां पर हम हिंदू चूक जाते हैं। धर्म ग्रंथों को पढ़ने और पढ़ाने की संस्कृति में कमी तो आ गई है। वेद तो शायद ही कोई पढ़ता है, पर इसकी वजह है - संस्कृत भाषा का ज्ञान नहीं होना।
Aacharya ji, kin shabdon se aapka dhanyawad kare, shabd nahi hain. Hindu samaaj k patan ka yeh wastavik kaaran hai. Charitra pe dhyan na diya- jo thoda bahot diya weh chitra par diya. isliye hi western world atheist hota ja raha hai, wo jaanta hai ki kam se kam jis ko hum paramishwar maan baithe hain wo to wah satta nahi hai jisne sansaar racha hai. Yeh ajyaan dheere dheere samaaj se nikalna chahiye. is marg par aapka parishram sarahniy hai. param pita parmatma aapko lambi aayu, aur swasth de. weh bal de ki aaap swayam ka jeevan sarthak kare avam is ajyaan, pidhit, bhatke hue samaaj ka bhi. om!
जिन्हें हम सद्गुणों का भंडार मानकर/ जानकर भगवान् कहते हैं। उनके ध्यान के माध्यम से ही निराकार को सर्वतोभावेन समझ सकते हैं। हां, आपने जो यह बात कही कि जिनको पूजते हो, उनके जैसा बनो - यह सब दिन से स्वीकार्य है कि उपास्य के जैसा बनने में ही सच्ची उपासना है। अतः सगुण साकार उपास्य और निर्गुण निराकार ज्ञेय हैं। चरित्र सगुण से सहजता से सीख सकते हैं।
आचार्य जी, इस कलियुग में कोई नहीं समझेगा, अधर्म 99.99% पहुँच चुका है। अब लोग अधर्म को ही धर्म मान बैठे है, और अपना अपना राग अलाप कर उसकी पैरवी करते है, वेद, दर्शन आदि ग्रन्थ कोइ नहीं पढता
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो आर्यावर्त की जय हो महर्षि दयानंद की जय हो आर्य समाज अमर रहे वेद की ज्योति जलती रहे ओम का झंडा ऊंचा रहे वैदिक वैज्ञानिक आचार्य अग्निव्रत जी को नमस्ते
Aacharya ji Aapko koti koti naman🙏 Bhot bhot ache se samjhaya aapne guru ji. Aapko bhot bhot sadhuwaad Meri dil se kamna h ki aapki aaj wali vedio ek baar sansad bhawan se live chla di jaye jisko sara bharat sun skey. Om aaryawart🙏🙏 Jai shree Ram Jai gau maa🙏🙏💖
वेदों को प्रनाम । प्रमाणिकता पर कोई संशय नहीं एक विनम्र निवेदन वेदों के उच्चारण से रश्मियाॅ कैसा स्पंदन पैदा करती हैं ऐसा एक अध्ययन एवं शोध का कार्य शुरू करना चाहिए
आचार्य जी महाभारत में वर्णन आता है कि धर्मराज युधिष्ठिर की सभा में ऋषि-महर्षि गण धर्मराज की उपासना किया करते थे। तो मुझे ऐसा लगता है कि महापुरुषों की उपासना और ईश्वर की उपासना दोनो में अंतर है।
उपासना का शाब्दिक अर्थ पास बैठने से है उन्होंने इसी अर्थ में प्रयुक्त किया होगा! और अधिक स्पष्ट करने के लिए महाभारत के इस प्रसंग का सन्दर्भ दे सकते हो!!
मनुष्य भी तो ईश्वर की रचना है और हर वस्तु जीव सब फिर तो हम किसी भी तरह से किसी भी को आधार बनाकर ईश्वर की उपासना कर सकते हैँ... यह तो आपके ही तर्क से सही है।
Agar apko pathar hi ki Puja karni hai to Jesus ki bhi Puja karo or kisi bhi pathar ki Puja karo lekin nahi tum ye nahi karoge kyuki tum sirf Ram Krishna shiv etc jese logo ko ishwar mante ho
वेदों को पुनः आर्यावर्त विधान बनाना हमारा परम् उद्देश्य है!
ईश्वर की नहीं सुनेगा लेकिन ईश्वर को सुनाने के लिए पुरे दिन बड़े बड़े भोंपू पर पिछवाड़ा उठा उठा कर चिल्लाता रहेगा!
आचार्य श्री को सादर प्रणाम 🙏
ईश्वर को समझने पर बहुत ही गहरा ज्ञान मिला ।
- धन्यवाद
आचार्य जी क्या तर्क देते हो आप, एकदम बेहतरीन, लाजवाब।
आप सचमे एक बेहतरीन गुरु है। मेरा प्रणाम है आपको 🙏
Points to remember:
पूजा के अनेक अर्थ:
- उपासना (केवल परमात्मा की)
- उचित उपयोग
- सम्मान / सत्कार
मूर्ति / चित्र से दो बातों का ध्यान होता है, अन्य किसी का नहीं:
- जिसकी मूर्ति / चित्र है
- जिसने मूर्ति / चित्र बनाई
साकार के बिना निराकार का ध्यान नहीं लग सकता।
सृष्टि / ब्रह्मांड (साकार) को देखकर बनाने वाले परमात्मा (निराकार) का ध्यान करें
जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि ईश्वर साकार भी निराकार स्वरुप भी और दोनों भी और दोनों से परे भी
आचार्य जी सादर नमस्ते,🙏🚩
वास्तविक मूर्ति पूजा का रहस्य बहुत ही अच्छी प्रकार से समझाया।
वैदिक धर्म ही संसार में वास्तविक शांति स्थापित हो सकती है।
सरकार वैदिक धर्म को प्राथमिकता दें।
पहले की भांति शास्त्रार्थ प्रक्रिया शुरू हो
बहुत ही सुन्दर और बिल्कुल सत्य कहा आपने गुरु जी को शत् शत् नमन।
ईश्वर एक है और हम सब एक हैं सम्मान सभी धर्मों का एक नजरिया है और हम आना पान विपश्यना ध्यान साधना करेंगे तो प्राकृतिक रूप से सारे विश्व को समझने लगे हैं और फिर पांच शिल का पालन करना आवश्यक है
जीवन में एक बार दस दिवसीय शिविर में आना पान विपश्यना ध्यान साधना जरुर करें
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
आप बिल्कुल सही कह रहे हैं आचार्य जी 🙏🏻🙏🏻
अति सुन्दर प्रस्तुति। आचार्य जी को नमन।
मूर्ति पूजा,विशेषकर,देवी देवताओं की,को मैं उस आम आदमी की स्थिति के संदर्भ में देखता हूं तो उस बच्चे की तरह लेता हूं जिसे अक्षर ज्ञान चित्रों के माध्यम से ही सिखाया जाता है।बड़े होने पर ,ज्ञान होने पर ही उसे पता चलता है कि अ से अमरूद ही नही होता अ से अनेक शब्द बनते हैं।
उसी प्रकार मूर्ति ईश्वर नहीं है ,परंतु ईश्वर क्योंकि सर्वत्र व्याप्त है तो मूर्ति में भी भी उसकी सत्ता का अंश है।
स्पष्ट है कि मूर्ति भगवान नहीं है परंतु मूर्ति में भी भगवान है ठीक वैसे ही जैसे वह सर्वत्र व्याप्त है।
परंतु ऐसे पढ़ने वाले बच्चों कभी आगे नहीं बढ़ पाते मरते दम तक उस अक्षर ज्ञान तक ही रहते हैं। यदि उनके विचार आपकी तरह हो और ऐसा माने की मेरी अगली कड़ी निराकर ईश्वर को मानने की है तब ही उन्नति संभव है परंतु ऐसे लोग न के बराबर है।
@@VaidicRastra bachhon ko pahle murta baten hi samajh ATI hain uske bad ve amurta ko samajhte hain
इतने सुन्दर ढंग से परमात्मा का व्याख्यान नमन है गुरुजन 🙏🙏
13:19 आचार्य जी यहां आपने सही बात रखी। यहां पर हम हिंदू चूक जाते हैं। धर्म ग्रंथों को पढ़ने और पढ़ाने की संस्कृति में कमी तो आ गई है। वेद तो शायद ही कोई पढ़ता है, पर इसकी वजह है - संस्कृत भाषा का ज्ञान नहीं होना।
नमस्ते ऋषिवर, आप बहुत ही उत्तम प्रकार से सभी समस्याओं का समाधान कर समझा देते हो और उदाहरण भी अति उत्तम प्रस्तुत करते हो। भुरिशह धन्यवाद।
आपके और मेरे विचार बहुत मिलते हैं। जो बाते आपने बतायी उन पर मैं पहले से ही ऐसे ही विचार रखता हूं। और चिंतन भी किया..
नमस्ते परम आदरणीय ऋषिवर महृषि अग्निवृत् नेश्ठिक जी। आपका सौभाग्य अखंड बना रहे।
Rishiver Agnivrat ji Ko Shat Shat Pranam 🙏🏽🙏🏽🙏🏽 . Excellent , Outstanding Discourse , So very Educative and Interesting .
पूज्य गुरुवर आचार्य जी को कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏
Aacharya ji, kin shabdon se aapka dhanyawad kare, shabd nahi hain. Hindu samaaj k patan ka yeh wastavik kaaran hai. Charitra pe dhyan na diya- jo thoda bahot diya weh chitra par diya. isliye hi western world atheist hota ja raha hai, wo jaanta hai ki kam se kam jis ko hum paramishwar maan baithe hain wo to wah satta nahi hai jisne sansaar racha hai. Yeh ajyaan dheere dheere samaaj se nikalna chahiye. is marg par aapka parishram sarahniy hai.
param pita parmatma aapko lambi aayu, aur swasth de. weh bal de ki aaap swayam ka jeevan sarthak kare avam is ajyaan, pidhit, bhatke hue samaaj ka bhi. om!
जिन्हें हम सद्गुणों का भंडार मानकर/ जानकर भगवान् कहते हैं। उनके ध्यान के माध्यम से ही निराकार को सर्वतोभावेन समझ सकते हैं। हां, आपने जो यह बात कही कि जिनको पूजते हो, उनके जैसा बनो - यह सब दिन से स्वीकार्य है कि उपास्य के जैसा बनने में ही सच्ची उपासना है।
अतः सगुण साकार उपास्य और निर्गुण निराकार ज्ञेय हैं। चरित्र सगुण से सहजता से सीख सकते हैं।
Guruji ek baar Shree Krishan ki hi bhanti Shree Ram ke charitra ka bhi vyakhyan kijiye....apse hardik prarthna hai......
मूर्ति पूजा से ध्यान एक जगह टिक जाता है
और मन एक जगह टिक जाता हैं
मैं आपसे 100% सहमत हूँ 🚩🚩🚩
Parampita paramtma aapko lambi aayu de.. dhanyawad guruji..apki Gyan k aagey mei natmastak hu ..🙏
वास्तव में इन कथा वाचको ने जितना सनातन धर्म को भटकाया है और हानि पहुंचाई है उसका मोल चुकाया नही जा सकता।
जागो हिन्दू जागो।
आचार्य जी, इस कलियुग में कोई नहीं समझेगा, अधर्म 99.99% पहुँच चुका है।
अब लोग अधर्म को ही धर्म मान बैठे है, और अपना अपना राग अलाप कर उसकी पैरवी करते है, वेद, दर्शन आदि ग्रन्थ कोइ नहीं पढता
ओउम् नमस्ते आचार्य ऋषीवर जी महाराष्ट्र बोईसर नवापूर
सत्य गुरुवर्य
आपकी बातों का सीधा सीधा इशारा रोहजड़ की तरफ जा रहा है।
वेदों के महान ज्ञान की जय हो। ❤❤❤
Namaste guruji
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो आर्यावर्त की जय हो महर्षि दयानंद की जय हो आर्य समाज अमर रहे वेद की ज्योति जलती रहे ओम का झंडा ऊंचा रहे वैदिक वैज्ञानिक आचार्य अग्निव्रत जी को नमस्ते
यां मेधां देवगणा: पितरश्र्चो पासते |
तया मामध मेध्याग्ने मेधा विनं कुरू स्वाहा ||
गुरुदेव चरण स्पर्श -
गुरुदेव आज बहुत शंका का समाधान हुआ ।
pranam aacharya ji🙏🏼
me Bangal se
हर हर महादेव🚩जय श्री गणेश🚩जय श्री कृष्ण🚩🙏
Pranam aacharya ji 🙏🙏❤
👍🙏👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍
ॐ 卐 ॐ
सादर नमस्ते जी ☀️🚩🔥💥🙏🏼🌺🙏🏻
Gurudev (mere bhagwan naishthik ji)ke charno mein koti koti naman
Aacharya ji
Aapko koti koti naman🙏
Bhot bhot ache se samjhaya aapne guru ji.
Aapko bhot bhot sadhuwaad
Meri dil se kamna h ki aapki aaj wali vedio ek baar sansad bhawan se live chla di jaye jisko sara bharat sun skey.
Om aaryawart🙏🙏
Jai shree Ram
Jai gau maa🙏🙏💖
Om koti koti Naman guru ji ko.aati durlabh Jyaan Kari di.
सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏🙏
🙏🙏ॐ
Aum brahmane namah🕉️
नमस्ते आचार्य जी 🙏
रामकृष्ण हरी ...........🙏🙏🙏
तेरे डीपी में गांजा कौन फुंक रहा है?
ओम् शांति ओ३म् शम्। 😊🙏
ॐ गुरु जी.
ओ३म् सादर नमस्ते आचार्य जी।
Acharya ji Sadar pranaam. Jai ho
वेदों को प्रनाम ।
प्रमाणिकता पर कोई संशय नहीं
एक विनम्र निवेदन
वेदों के उच्चारण से रश्मियाॅ कैसा स्पंदन पैदा करती हैं ऐसा एक अध्ययन एवं शोध का कार्य शुरू करना चाहिए
धार्मिक मूडता दोनों समूह का दृरभाग है
नमस्ते गुरूजी
Jai shri krishna 🙏
नमस्ते जी 🙏🙏अचारय जी आष्टांग योग पर भी समझाओ कभी 🙏🙏
आचार्य जी महाभारत में वर्णन आता है कि धर्मराज युधिष्ठिर की सभा में ऋषि-महर्षि गण धर्मराज की उपासना किया करते थे। तो मुझे ऐसा लगता है कि महापुरुषों की उपासना और ईश्वर की उपासना दोनो में अंतर है।
उपासना और पदचिन्हों पर चलने में अंतर होता है।
उपासना का शाब्दिक अर्थ पास बैठने से है उन्होंने इसी अर्थ में प्रयुक्त किया होगा!
और अधिक स्पष्ट करने के लिए महाभारत के इस प्रसंग का सन्दर्भ दे सकते हो!!
सही कहा प्रभु 🙏
आचार्य जी कोटि कोटि नमन
नमस्ते आचार्य जी, सबको सादर नमस्ते जी। 🕉️🚩😊🙏
ओ३म्।
नमस्ते आचार्य जी। बहुत ही प्रेरणादायक प्रवचन।
Jai sanatani
ओम्
सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
प्रणाम
❤ जय हो ❤
प्रणाम आचार्य
मनुष्य भी तो ईश्वर की रचना है और हर वस्तु जीव सब फिर तो हम किसी भी तरह से किसी भी को आधार बनाकर ईश्वर की उपासना कर सकते हैँ... यह तो आपके ही तर्क से सही है।
Agar apko pathar hi ki Puja karni hai to Jesus ki bhi Puja karo or kisi bhi pathar ki Puja karo lekin nahi tum ye nahi karoge kyuki tum sirf Ram Krishna shiv etc jese logo ko ishwar mante ho
Great wisdom work for humanity
सत्य वचन ।
प्रणाम येड्या माणसा 🙏
Om Om Om 🙏🙏🙏
Acharayji namskar. ❤❤❤❤
🙏श्रद्धेय आचार्य श्री सादर नमस्ते जी l
Acharya agnivrat ji ko pranam 🙏
नमस्ते आचार्य जी
🕉 🕉 🕉 🕉
Om parmatma
🕉️🕉️🕉️🙏चरण स्पर्श आचार्य जी।।।
Thanks
Oum namaste ji guruji
🕉🔱🚩
Guruji,pranaam
ओम।
प्रणाम गुरुवर 😢
Pranam Guruji
Om
1:02:37 प्रणाम गुरुवर। 🙏🙏🙏
नमस्ते आचार्यजी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏, अति उत्तम।
great knowledge
अति सुंदर प्रवचन
🙏
Ati uttam veidio thank you so much acharya ji 🙏
🙏✔️🙏✔️🙏
ओउम्
🕉️🕉️🕉️🙏
Rishi , Maharishi , Bramrishi adi .. Kaise bante hai .. Kripiya Video banaye 😊.. Mujhe iss bare me bhot jigyasa hai
गुरु जी साकार से निराकार की ओर जाना चाहिए सभी को
आपको प्रणाम 🙏🙏🙏
Sadar namaste acharya ji aapki y video se hm dusro ko aasani se smjha payenge aapne bhut mahttav purn tarike s samjhaya h bahut bahut aabhar aapka
What is the Sadhanatmak
Spiritual science and philosophy of
Shaiv , Shakta ,kaul , Tric , Trambak , Spand , Pratyabhinya , ....
Parampara