जीवन खत्म हुआ तो जीने का ढंग आया BY kailash Karmath Ji / Vaidik Prachar

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  • เผยแพร่เมื่อ 29 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 5

  • @munnalal-ui6lb
    @munnalal-ui6lb 9 หลายเดือนก่อน

    🎉 ओउम।
    🎉 अकार उकार मकार।
    🎉 सतोगुण रजोगुण तमोगुण।
    🎉 पांच तत्व:-जल प्रथ्वी वायु आकाश अग्नि।
    🎉 पच्चीस प्रकृति साकार निराकार ईश्वर जीव प्रकृति यह संसार है। यह सब महा प्रलय की सामग्री है।
    🎉 पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद स्वरुप कहां है उसका किसी को पता नहीं।
    🎉 28वे कलि बुध शाका में परम धाम का जागृत ज्ञान प्रगट हुआ है इस लिए कलि चारों युगों में श्रेष्ठ है उसे जाने। प्रणाम जी।🎉🎉

  • @sarvandhull3114
    @sarvandhull3114 10 หลายเดือนก่อน

    नमस्ते जी🙏 कैथल हरियाणा

  • @harishgupta3892
    @harishgupta3892 10 หลายเดือนก่อน

    आर्य समाज अमर रहेगा।🙏🙏

  • @lakshminarayanagrawal9592
    @lakshminarayanagrawal9592 10 หลายเดือนก่อน

    जब जीवन समाप्त हो रहा होता है तभी व्यक्ति को जीवन जीने का मर्म समझ आता है किन्तु तब क्या होता है जब खेत को चिड़ियां चुग चुकी हों!🙏🙏

  • @deepakkumarpatel8933
    @deepakkumarpatel8933 10 หลายเดือนก่อน

    नमस्ते