@@suryapratapsingh9739 एक करुण आवाज सुनी थी, उस दिन धरती पर सोया था । भारत माँ की विह्वलता सुन, मैं आँसू भरकर रोया था। बोली बेटा सुनो आज तुम, तुमको कुछ बतलाती हूँ। जो कुछ अब तक बीता मुझपे, तुमको आज सुनाती हूँ। अफ्रीका का भाग थी पहले, तिब्बत से आकर टकराई। जीवन हो गया धीरे-2, सिंधु की घाटी तब कहलाई। सोना और चाँदी सब मुझमें, इतना ज्यादा भरा हुआ था। हिन्द महासागर तक मेरे , चरणों मे ही पड़ा हुआ था। भीषण रक्तपात को मैने, शुरुआत से देखा है। भालो को कैसे लोगों ने, एक दूसरे पर फेंका है। अब भी रक्त से सनी हुई हूँ, अब भी सीना जाली है। फिर कैसे कह दूं भारत ने, आजादी पूरी पा ली है। शुरुवात से ही विदेशी, मुझे सताते आएँ हैं । शुरुवात से भाषा का मेरी, पतन कराते आए हैं। आ-2 करके लोगों ने, मुझे पकड़ 2 कर तोड़ा है। खण्ड-2 में बाँटा मुझको, ना कि किसी ने जोड़ा है। गजनवी, तैमूरलंग और, अब्दाली ने लूटा है। फिर भी इन ददों से मेरा, हृदय न कभी टूटा है । पर जो मेरे खुद के बेटे, नेता बनकर बैठ गए हैं। उनकी लूट खसोट से मेरे, अंग. 2 तक ऐंठ गए हैं। तब क्रांतिकारियों की लाशें, गोद मे अपने जलाती थी। तब भी लोगों की आवाजे, चिलाकर के आती थीं । और सेना की लाशों से अब भी, सिर ना मेरा खाली है। फिर कैसे कह दूं भारत ने, आजादी पूरी पा ली है। जो कवि होते थे स्वतंत्र और, लिखते थे निष्पक्ष कविताएं। बादशाह उनको थे मार देते, या फिर दरबार ले आएं। न जाने क्यों मेरी धरती, निष्पक्ष कवियों की भूखी थी। आजाद रूपी जल ना था , इसलिए यह धरती सूखी थी। कविताओं में राजनीति बस, प्रकृति को तो भुला ही दिया। अरे नूतन के कवियों तुमने, भारत मां को रुला ही दिया। जो भारत सबका विश्वगुरु, सबसे महान कहलाता है। उस भारत में निष्पक्ष कविता, बस कुछ ही भाग सुनाता है। जिस नेता की करो बुराई, उसको ही ना भाता है। इसीलिए निष्पक्ष कवि, दरबारी कवि बन जाते हैं। हिन्द बगीचा स्वतंत्र है पर, अधीन यहाँ का माली है। फिर कैसे कह दूँ भारत ने, आजादी पूरी पा ली है।
वाह वाह 👌
Yeh video baar baar dekhta hoon pink beauty ke liye, graceful!
Waah gajendra ji👏👏
❤❤😊😊😊
वाह वाह दादा।❤
❤❤❤❤
LOVE from ASSAM.
❤❤
Thank you very much ,Yug Yog jio Priyanshu, You are the best of all
❤❤❤
😊😊
Super
❤❤❤❤❤❤❤❤
❤❤
Ye gulaabi sadi wali bhabhi kisko kisko achhi lag rhi he 😂😂
❤❤
😂@@AnitaSharma-iw1to
@@TheExhilaratedMan please🙏🙏🙏
🎉🎉🎉🎉🎉pranma
❤❤
Barabanki UP
Very nice 👌 👍
❤❤
बेहया फूल अब कमल हो गए 😂
हाथ मे अंगुठी न थी पर कंगन उतारे नही क्या समझें
ये कवि सम्मेलन मैने लाइव सुना था।
Apna likha bhi kuch sunAo bhai
@@suryapratapsingh9739 एक करुण आवाज सुनी थी,
उस दिन धरती पर सोया था ।
भारत माँ की विह्वलता सुन,
मैं आँसू भरकर रोया था।
बोली बेटा सुनो आज तुम,
तुमको कुछ बतलाती हूँ।
जो कुछ अब तक बीता मुझपे,
तुमको आज सुनाती हूँ।
अफ्रीका का भाग थी पहले,
तिब्बत से आकर टकराई।
जीवन हो गया धीरे-2,
सिंधु की घाटी तब कहलाई।
सोना और चाँदी सब मुझमें,
इतना ज्यादा भरा हुआ था।
हिन्द महासागर तक मेरे ,
चरणों मे ही पड़ा हुआ था।
भीषण रक्तपात को मैने,
शुरुआत से देखा है।
भालो को कैसे लोगों ने,
एक दूसरे पर फेंका है।
अब भी रक्त से सनी हुई हूँ,
अब भी सीना जाली है।
फिर कैसे कह दूं भारत ने,
आजादी पूरी पा ली है।
शुरुवात से ही विदेशी,
मुझे सताते आएँ हैं ।
शुरुवात से भाषा का मेरी,
पतन कराते आए हैं।
आ-2 करके लोगों ने,
मुझे पकड़ 2 कर तोड़ा है।
खण्ड-2 में बाँटा मुझको,
ना कि किसी ने जोड़ा है।
गजनवी, तैमूरलंग और,
अब्दाली ने लूटा है।
फिर भी इन ददों से मेरा,
हृदय न कभी टूटा है ।
पर जो मेरे खुद के बेटे,
नेता बनकर बैठ गए हैं।
उनकी लूट खसोट से मेरे,
अंग. 2 तक ऐंठ गए हैं।
तब क्रांतिकारियों की लाशें,
गोद मे अपने जलाती थी।
तब भी लोगों की आवाजे,
चिलाकर के आती थीं ।
और सेना की लाशों से अब भी,
सिर ना मेरा खाली है।
फिर कैसे कह दूं भारत ने,
आजादी पूरी पा ली है।
जो कवि होते थे स्वतंत्र और,
लिखते थे निष्पक्ष कविताएं।
बादशाह उनको थे मार देते,
या फिर दरबार ले आएं।
न जाने क्यों मेरी धरती,
निष्पक्ष कवियों की भूखी थी।
आजाद रूपी जल ना था ,
इसलिए यह धरती सूखी थी।
कविताओं में राजनीति बस,
प्रकृति को तो भुला ही दिया।
अरे नूतन के कवियों तुमने,
भारत मां को रुला ही दिया।
जो भारत सबका विश्वगुरु,
सबसे महान कहलाता है।
उस भारत में निष्पक्ष कविता,
बस कुछ ही भाग सुनाता है।
जिस नेता की करो बुराई,
उसको ही ना भाता है।
इसीलिए निष्पक्ष कवि,
दरबारी कवि बन जाते हैं।
हिन्द बगीचा स्वतंत्र है पर,
अधीन यहाँ का माली है।
फिर कैसे कह दूँ भारत ने,
आजादी पूरी पा ली है।
आप कहा से है sr
Gajendra sir barabanki se h aur hm bhi
Uttar Pradesh
सर बाराबंकी के निवासी हैं
कुछ अच्छा लिखो सोच कर लिखो ।
Barabanki UP