गरीब, बंक नाल के अंतरे, त्रिवैणी के तीर। जहां हम सतगुरु ले गया, बन्दी छोड़ कबीर गरीब, अजब नगर में ले गया, हम कुं सतगुरु आन। झिलके बिम्ब अगाध गति, सूते चादर तान।। Www.jagatgururampalji.org
कबीर, तीन देव की जो करते भक्ति, उनकी कभी न होवे मुक्ति। गुण तीनो की भक्ति में, भूल पड़ो संसार। कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरो पार।। ये बात केवल कबीर साहेब जी ही नही कह रहे, बल्कि हमारी गीताजी कह रही है।
★सोलह संख पर हमरा तकिया,गगन मण्डल के जिन्दा । हुक्म हिसाबी हम चल आए, काटन यम का फंदा ।। ★सिर सोप्या गुरुदेव को, सफल हुआ यों शिश । नितानन्द इस शीश पर, आप बसे जगदीश ।।
*सत साहेब सत साहेब सत साहेब।* *पूर्ण परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म श्री सतगुरू श्री कबीरसा साहेब जी के चरणों में बारम्बार प्रणामं।* 🙏🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷 *जेता मीठा बोलही, तेतां संत ना होय।* *खरी खरी जो कहत हैं, संत कहावे सोई।।* __________________________________
परमात्मा का ज्ञान "" ना तो रुका है और ना कभी रुकेगा , ना कभी झुका है और ना कभी झुकेगा"" परमात्मा का ज्ञान जिस किसी को भी समझ आ गया है वो इंसान जरूर झुक गया है और सभी प्रकार की बुराइयों को छोड़कर मालिक के वचनो पर रुक जाता है ।
सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद । कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥ अर्थ : अच्छे समय में भगवान् को भूल गए, और संकट के समय ही भगवान् को याद किया। ऐसे भक्त कि प्रार्थना कौन सुनेगा ?
सद्गुरु रामपाल जी महाराज जी की जय हो l वर्त्मान में सन्त रामपाल जी महाराज जी के रूप मे परमात्मा स्वयं धरती पर आए हैं और ग्यान फ़ैला रहे हैं l इसलिए हमे गुरु जी की सर्व आदेशो का पालन करना चाहिए l सत् साहेब जी 🙏🙏🙏🙏
अनंत कोटि बृह्माण्ड का ,एक रति नही भार।सतगुरु पुरुष कबीर हैं।,कुल के सिरजनहार।।
कबीर,तीन गुणन की भक्ति में,भूलि परयौ संसार।कहै कबीर निज नाम बिन,कैसे उतरै पार।।
कबीर यह तन विष की बेलड़ी,गुरु अमृत की खानि।
शीश दिए जो गुरु मिले, तोभी सस्ता जान ।।
कबीर, नौ मण सूत उलझिया, ऋषि रहे झकमार।
सतगुरू ऐसा सुलझा दे ,उलझे न दूजी बार |।
सत साहेब
कबीर,आप ठगाइये, और न ठगिए कोय।
आप ठगाए सुख होत है,और ठगे दुःख होय।।
बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।।
कबीर, नौ मण सूत उलझिया ऋषि रहे झकमार, सतगुरू ऐसा सुलझा दे उलझे न दूजी बार
पूर्णब्रह्म जगतगुरु तत्वदर्शी संत बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणों में कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम
सभी भक्तों को सत साहेब
Bandichhod satguru Rampalji maharaj k charnon m koti koti dundwat parnam
वेदो में प्रमाण है कबीर साहिब भगवान है
संत रामपाल जी महाराज पूर्ण परमात्मा के अवतार आए हुए हैं आप सभी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लो और भक्ति करो
कबीर ओंकार नाम ब्रह्म का यह करता मति जानि सांचा शब्द कबीर का परदा माहिं पहिचानि
मात पिता मिल जाएंगे, लख चौरासी माय।
सतगुरु सेवा और बन्दगी, फेर मिलन की नायं।।
Sat sahib ji
सत साहेबजी पूर्ण परमात्मा की जानकारी के लिए सुनो सत्संग साधना tv 7.40pm देखो
गरीब ऐसा सतगुरु सेइये बेग उतारे पार चोैरासी भ्रम मेटहीं आवा गवन निवार
Bandichhod satguru rampal ji maharaj ki jai ho
गरीब, बंक नाल के अंतरे, त्रिवैणी के तीर।
जहां हम सतगुरु ले गया, बन्दी छोड़ कबीर
गरीब, अजब नगर में ले गया, हम कुं सतगुरु आन।
झिलके बिम्ब अगाध गति, सूते चादर तान।।
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काल जो पीसे पीसना जौरा है पनिहार ।
ये दो असल मजदूर है मेरे सतगुरू के दरबार।।
सत साहेब
कबीर, बंजारे के बैल ज्यों, भरमि फिरयो बहु देश। खाण्ड लाद भुस खात है, बिन सतगुरु।।
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान की श्री चरणो में दास का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
कोटि-कोटि प्रणाम मालिक
कबीर, तीन देव की जो करते भक्ति, उनकी कभी न होवे मुक्ति।
गुण तीनो की भक्ति में, भूल पड़ो संसार।
कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरो पार।।
ये बात केवल कबीर साहेब जी ही नही कह रहे, बल्कि हमारी गीताजी कह रही है।
जिन मुझको निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सिरजनहार
वेदो मे प्रमाण हे कबीर साहैब भगवान हे
अनराते सुख सोवना, राते नींद न आय ।
यों जल छूटी माछरी, तलफत रैन बिहाय ॥
कबीर राम नाम कड़वा लागे मीठे लागे दाम दुविघा मै दोनो गए माया मिली ना राम
सुमिरन तब ही जानिये,जब रोम रोम धुन होय।
कुंज कमल में बैठ कर,माला फेरै सोय।।
Satguru Dev Ji Ki Jai Sat Sahib g
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर। दास मलुक सलूक कहत हैं, खोजो खसम कबीर।।.
sat sahib
अकथ कहानी प्रेम की, कुछ कही न जाए ।
गूंगे केरी सरकारा, बैठे मुस्काए ॥
कबीर, गुरु बड़े गोविंद से मन मैं देख बिचार।
हरि सुमरे सो रह गए गुरु सुमरे हुए पार।।
कबीर इस संसार को समझाऊ के बार पूछ पकड़ के भेड़ की उत्तरी या जाऊं पार
भक्ति भजन हरि नाम है, दूजा दुःख अपार ।
मनसा वाचा कर्मणा, कबीर सुमिरन सार ॥
कबीर साधू भूखा भाव का धन का भूखा नाहीं जो धन का भूखा वो साधु ही ना ही
कबीर गुरुवां गाम बिगाड़े संतो, गुरुवां गाम बिगाड़े।
ऐसे कर्म जीव के ला दिए, इब झड़े नही झाड़े।।
आहार करे मन भावता, इंदी किए स्वाद ।
नाक तलक पूरन भरे, तो का कहिए प्रसाद ॥
★सोलह संख पर हमरा तकिया,गगन मण्डल के जिन्दा । हुक्म हिसाबी हम चल आए, काटन यम का फंदा ।। ★सिर सोप्या गुरुदेव को, सफल हुआ यों शिश । नितानन्द इस शीश पर, आप बसे जगदीश ।।
Bandi chhod satguru rampal ji maharaj ki jai ho
राम बुलावा भेजिया , दिया कबीरा रोय
जो सुख है सत्संग में, वो बैकुंठ में ना होय।।
परमधनी पूरण परमात्मा जगतगुरु तत्वदृशी संत रामपाल जी गुरू महाराज के चरणों में कोटि कोटि दंड़बत प्रणाम.... सत् साहिब जी....
*सत साहेब सत साहेब सत साहेब।*
*पूर्ण परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म श्री सतगुरू श्री कबीरसा साहेब जी के चरणों में बारम्बार प्रणामं।*
🙏🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷
*जेता मीठा बोलही, तेतां संत ना होय।*
*खरी खरी जो कहत हैं, संत कहावे सोई।।*
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पूर्णबृहम कृपा निधान सुन कैशौ करतार ✴️✴️✴️✴️✴️✴️🙏।।।
गरीबदास मुज दीन की रखीयो
बहुत संभार ✴️✴️✴️✴️✴️🙏
आज कहे हरि कल भजुंगा, काल कहे फिर काल ।
आज कालके करत ही, अवसर जासी चाल ॥
अविगत से चल आए, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया। (टेक) न मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक हो दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया।।
बलिहारी वा दूध की, जामे निकसे घीव ।
घी साखी कबीर की, चार वेद का जीव ॥
कुरान शरीफ में प्रमाण है कबीर भगवान है
भक्ति महल बहु ऊँच है, दूर ही से दर्शाय
।
जो कोई जन भक्ति करे, शोभा बरनी ना जाय ॥
Sat saheb ji
सतगुरु के दरबार मैं कमी काई नाई।
हँसा मौज ना पाबता तेरी चूक चाकरी माई।।
कबीर,या तो माता भक्त जनै,या दाता या शूर |
या फिर रहै बांझड़ी,क्यों व्यर्थ गंवावै नूर ||
चिड़ी चोंच भर ले गयी ,नदी न घट्यो नीर
दान दिये धन ना घटे ,कहे गये साहिब कबीर ।।
यह संसार समझदा नाही कहंदा शाम दोपहररेनू।
गरीबदास यह वक्त जात है रोएंगे इस पहरे नूं।।
कबीर,
फल कारण सेवा करै निशदिन याचै राम,
कहै कबीर सेवा नहीं जो चाहे चौगुने दाम l
कबीर सच्छा सब्द सतगुरु रामरालजी महाराज का सुनकर लागे अाग अगया नी तो जल मरे गयानि जाए जाग सत साहेब जी
कबीर, हम सूल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया। जात जुलाह भैद नहीं पाया, वह काशी मांय कबीर हुआ।।
और ज्ञान सब ज्ञानडी,कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोब का करता चले मैदान।।
Bandi chhod rampal ji Maharaj ki charno me koti koti pranam
संत रामपाल जी महाराज ने समाज में फैली दहेज प्रथा जैसी कुरीति को खत्म किया है
भजन करो उस रबका जो मालिक हे हम सबका कबीर साहेब जी
पीछे लाग्या जाऊं था लोकवेद के साथ।
रस्ते मे सतगुरू मिल गये ,दीपक दे दिये हाथ।
अन्तर्यामी एक तुम, आत्मा के आधार ।
जो तुम छोड़ो हाथ तो, कौन उतारे पार ॥
परमात्मा का ज्ञान "" ना तो रुका है और ना कभी रुकेगा , ना कभी झुका है और ना कभी झुकेगा""
परमात्मा का ज्ञान जिस किसी को भी समझ आ गया है वो इंसान जरूर झुक गया है और सभी प्रकार की बुराइयों को छोड़कर मालिक के वचनो पर रुक जाता है ।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के चरणो में कोटि कोटि प्रणाम सत साहिब
बैरागी बिरकत भला, गिरही चित्त उदार ।
दोऊ चूकि खाली पड़े, ताको वार न पार ॥
Kabir Saheb is complete God in the world
सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥
अर्थ : अच्छे समय में भगवान् को भूल गए, और संकट के समय ही भगवान् को याद किया। ऐसे भक्त कि प्रार्थना कौन सुनेगा ?
सत् साहेब जी 🙏🙏 जय हो बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपालजी भगवान की 🙏🙏
जो तोको कांटा बोवे वाको वो तू फूल
तोहि फूल के फूल हैं वाको है त्रिशूल।।
Bandi chhod sant rampal ji maharaj ki jay ho
कबीर,पिछले पाप से,हरि चर्चा ना सुहावे !
जैसे ज्वर के वेग से,भूख विदा हो जावे ।।
बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय हो।
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल महराज की जय हो
कुरान शरीफ सुरति 42 में परमात्मा की भक्ति का तीन नाम का मन्त्र है
राम नाम की लुट है लूट सके तो लुट अंत समय पछतावेगा प्राण जायेगा छुट
P
हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गौस और पीर।
गरीबदास खालिक धणी, हमरा नाम कबीर॥
कबीर सत्य नाम हृदय देव भयो पाप को नाश जैसे चिंगारी अग्नि की पड़े पुराने घास
गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम फिरता दाने दाने नूँ। सर्व कला सतगुरु साहेब की हरि आये हरियाणे नूँ।।
बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।
संत सताये तीनों जाये मोह माया और वंश
ना मानो तो देख लो रावण कौरव और कंस
हरि सेवा जुग चार हैं गुरू सेवा पल एक दास पन्टतन ना तुले संततन किया विवेक
जय हो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो 🙏🙏🪔🌹🙏🙏
हम सुल्तानी नानक तारे,दादूं कू उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद नहीं पाया,कांशी माहीं कबीर हुआ।।
Sat saheb
संत रामपाल जी महाराज है जो भारत को विश्व गुरू बनायेगा।कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाएगा और अपने ज्ञानसे पाखंड वाद को खत्म कर देंगे
सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥
राम नाम कङवा लागे मीठा लागे दाम
दुविधा मे दोनो गये माया मिली नही राम
एसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय ।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय ॥
अगर अपने भाषा से अहं को हटा दिया जाए, तो दूसरों के साथ खुद को भी शान्ति मिलती है।
Satguru Dev Ki Jai Bandi chhor Satguru Rampal Ji Maharaj ki jai
सतगुरु चले शिकार पर लेकर तीर कमान।
मूर्ख मूर्ख बच गये मर गए संत सुजान। । 🙏 सत साहेब जी🙏
कबीर घोडा प्रेम का , चेतनी चढ़ी अवसार |
ज्ञान खडग गहि काल सीरी , भली मचाई मार ||
कुल करनी के करणे हँसा ग्या बिगोह
जब तु चार पैर का होगा तेरा कुल जावेगा कहा खोह
सद्गुरु जी के श्री चरणों में दंडवत कोटि-कोटि प्रणाम
सतगुरू रामपालजी महाराज के चरणो मे कोटी कोटी दण्ड्वत प्रणाम सत साहेब जी देवा
वेद पढ पढ पंडित मुआ पंडित भैया न कोई
धाई अक्षर प्रेम का पढै सो पंडित होई
सात समुन्दर की मसी करू लेखनी करू वनराय ।
धरती का कागज करू गुरू गुण लिखा न जाय।।
सद्गुरु रामपाल जी महाराज जी की जय हो l वर्त्मान में सन्त रामपाल जी महाराज जी के रूप मे परमात्मा स्वयं धरती पर आए हैं और ग्यान फ़ैला रहे हैं l इसलिए हमे गुरु जी की सर्व आदेशो का पालन करना चाहिए l सत् साहेब जी 🙏🙏🙏🙏
सिद्ध तारे पिंड आफ्ना, साधू तारे खंड।
उसको सतगुरु जनियों, जो तार देवे ब्रह्मण्ड। सतगुरु संत रामपाल जी महाराज है जो ब्रह्मांड को तार सकते हैं
देखिए विश्व का सबसे बड़ा रहस्य जो आपकी जिंदगी की खुशियों में चार चांद लगा दे वह ज्ञान जो आज तक आपने देखा सुना नही है जरूर देखें
तीर तुपक से जो लड़े, सो तो शूर न होय ।
माया तजि भक्ति करे, सूर कहावै सोय ॥
बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय हो।
kabir saheb purn parmatma hai
SAt sahib ji
कबीर तीन लोक पिजरा भया पाप पुण्य दो जाल सभी जीव भोजन भये खाने वाला एक काल
Very nice satang by jagatguru tatvadarshi santh Rampal Ji Maharaj ji
सिर सौपा गुरुदेव को सफल हुआ यह शीश
नित्यानान्द इस शीश पर आप बसै जगदीश
nirmala Dasi भक्ति भजन हरि नाम है, दूजा दुःख अपार ।
मनसा वाचा कर्मणा, कबीर सुमिरन सार ॥
कबीर यह घर प्रेम का, खाला का घर नाहि ।
सीस उतारे हाथि करि, सो पैसे घर माहि ॥
संत रामपाल जी महाराज है जो भारत को विश्व गुरू बनायेगें।कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाएगें और अपने ज्ञानसे पाखंड वाद को खत्म कर देंगे