*|| ॐ श्री गंगाई नाथाय नमः ||* *समर्थ सद्गुरूदेव श्री रामलाल जी सियाग की दिव्य आवाज में मंत्र दीक्षा द्वारा कुण्डलीनी जागरण* *सिद्ध योग (ध्यान)* *पूर्णतः निःशुल्क* कोरोना का कहर उमड़ पड़ा विश्व पर...मनुष्य समझ सके इसके पहले ही इसके संक्रमण से ग्रसित होने की कल्पना मात्र से वह सिहर उठा...स्वयं को संक्रमण से बचाने के लिए तरह तरह के जतन भी करता है इस भय से तरबतर कि कोरोना जैसी लाईलाज बीमारी से ग्रस्त होकर तड़प तड़प कर मरना कितना दुःखदायी होगा। मनुष्य अपनी सीमित बुद्धि से प्रकृति को न मात दे पाया है न दे पाएगा।कोरोना जैसी बीमारियाँ ज़रिया मात्र हैं यह जतलाने का... कि मनुष्य को अपने मूल की ओर लौटना चाहिए। मूल का अर्थ ही है जीवन के उद्गम से जुड़ना।जड़ें सुरक्षित होती हैं बजाय पत्तों के... जो धरा से जुड़ी होती हैं। भीतर के जीव तत्त्व में इतना सामर्थ्य है कि वह अपने भीतर की व्यवस्था सम्भाल सके।परम् तत्त्व का अंश होकर वह निर्बल नहीं हो सकता।किन्तु मानव ने अपनी बुद्धि पर इतना अहंकार किया कि "विनाश कालै विपरीत बुद्धि " को चरितार्थ करते हुए परम् सत्ता पर ही उँगली उठाने लगा। मानव देह के भीतर रोग उत्पत्ति का कारण ही है प्राण तत्त्वों में असंतुलन।मानव जीवन भोग के लिए मिला रोग के लिए नहीं...रोग होना प्रमाण है कि आंतरिक व्यवस्था में असंतुलन हावी हो गया। इसे ठीक करने के लिए निस्संदेह चिकित्सा शास्त्र है।किंतु इस चिकित्सा शास्त्र पर ही इतना अभिमान हो गया कि रोग नितांत सहज ,उपचारणीय और मानव बुद्धि की कुशाग्रता की ढाल लगने लगे। मनुष्य भूल गया कि रोग होते ही सचेत हो जाए कि उसकी आंतरिक संरचना और प्रकृति में जो असंतुलन है ,जो अव्यवस्था है उसे दूर करना उसके स्वयं के जीवन के लिए अनिवार्य है। प्रकृति ने चिकित्साशास्त्र के रूप में आयुर्वेद दिया और "योग" भी...योग ...एक चमत्कारिक विधि जिसके द्वारा मानव अपने शारीरिक,मानसिक और आध्यात्मिक तीनों स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त कर सकता है। 'योग' वह नहीं जो महज कसरत या व्यायाम हो।'योग' वह जो मानव शरीर के अंदर की पूरी व्यवस्था ठीक करके उसे प्रकृति के साथ synchronized कर दे। 'सिद्धयोग' ऐसा ही विज्ञान और चमत्कार है जिसकी कल्पना क्षुद्र बुद्धि स्वीकार नहीं कर पाएगी। पर अटल सत्य है कि इस योग से हर अनुपचारित रोग ठीक हुआ । हर वह रोग जो लाईलाज करार दे दिया गया वह चंद दिनों में ही पूर्णतः ठीक हो गया।यह योग मानव देह की रोग प्रतिरोधक क्षमता को आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ाता है जिससे व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है। भौतिकता के नङ्गे नाच में डूबे प्राणियों को कोरोना का जवाब नहीं मिल रहा।पता नहीं ऐसे कितने रोग मुँह बाए खड़े होंगे। मनुष्य को ठहर कर अपने भीतर बैठे उस चिकित्सक से जुड़ने की आवश्यकता है जो कोरोना जैसी बीमारियों को निःसन्देह जवाब दे सकता है। बाहर का चिकित्सक और भीतर का चिकित्सक दोनों आवश्यक हैं क्योंकि हर मनुष्य जानता है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता यदि कम हुई तो अच्छी से अच्छी दवा भी कार्य नहीं करेगी। कोरोना क्या किसी भी बीमारी से ग्रस्त हों या जो रोग मुक्त रहना चाहते हों वे 'सिद्धयोग' ज़रूर आज़माएँ क्योंकि मानव बुद्धि के पार जो 'चेतना' है उसी के सहारे मनुष्य जीवित है इस बार को झुठलाना मनुष्य के वश की बात नहीं... एक छोटा सा "संजीवनी मंत्र" जप जो आपको विवश कर देगा यह सोचने को कि मानव अहंकार में पारस को ही नहीं समझ पाया... ' जय गुरुदेव ' ■ *अधिक जानकारी हेतु -* *www.gurusiyag.in* *th-cam.com/video/ZEQpSSQM0o0/w-d-xo.html*
Kripya kahi aur se content na churaiye . Agar sabka bhala chahte hai toh apne experience share kijiye ya anya saadhkon k share kijiye apna khud ka content banaiye .,,🙏🙏Jai Gurudev 🙏🙏
*|| ॐ श्री गंगाई नाथाय नमः ||*
*समर्थ सद्गुरूदेव श्री रामलाल जी सियाग की दिव्य आवाज में मंत्र दीक्षा द्वारा कुण्डलीनी जागरण*
*सिद्ध योग (ध्यान)*
*पूर्णतः निःशुल्क*
कोरोना का कहर उमड़ पड़ा विश्व पर...मनुष्य समझ सके इसके पहले ही इसके संक्रमण से ग्रसित होने की कल्पना मात्र से वह सिहर उठा...स्वयं को संक्रमण से बचाने के लिए तरह तरह के जतन भी करता है इस भय से तरबतर कि कोरोना जैसी लाईलाज बीमारी से ग्रस्त होकर तड़प तड़प कर मरना कितना दुःखदायी होगा।
मनुष्य अपनी सीमित बुद्धि से प्रकृति को न मात दे पाया है न दे पाएगा।कोरोना जैसी बीमारियाँ ज़रिया मात्र हैं यह जतलाने का... कि मनुष्य को अपने मूल की ओर लौटना चाहिए।
मूल का अर्थ ही है जीवन के उद्गम से जुड़ना।जड़ें सुरक्षित होती हैं बजाय पत्तों के... जो धरा से जुड़ी होती हैं।
भीतर के जीव तत्त्व में इतना सामर्थ्य है कि वह अपने भीतर की व्यवस्था सम्भाल सके।परम् तत्त्व का अंश होकर वह निर्बल नहीं हो सकता।किन्तु मानव ने अपनी बुद्धि पर इतना अहंकार किया कि "विनाश कालै विपरीत बुद्धि " को चरितार्थ करते हुए परम् सत्ता पर ही उँगली उठाने लगा।
मानव देह के भीतर रोग उत्पत्ति का कारण ही है प्राण तत्त्वों में असंतुलन।मानव जीवन भोग के लिए मिला रोग के लिए नहीं...रोग होना प्रमाण है कि आंतरिक व्यवस्था में असंतुलन हावी हो गया। इसे ठीक करने के लिए निस्संदेह चिकित्सा शास्त्र है।किंतु इस चिकित्सा शास्त्र पर ही इतना अभिमान हो गया कि रोग नितांत सहज ,उपचारणीय और मानव बुद्धि की कुशाग्रता की ढाल लगने लगे।
मनुष्य भूल गया कि रोग होते ही सचेत हो जाए कि उसकी आंतरिक संरचना और प्रकृति में जो असंतुलन है ,जो अव्यवस्था है उसे दूर करना उसके स्वयं के जीवन के लिए अनिवार्य है।
प्रकृति ने चिकित्साशास्त्र के रूप में आयुर्वेद दिया और "योग" भी...योग ...एक चमत्कारिक विधि जिसके द्वारा मानव अपने शारीरिक,मानसिक और आध्यात्मिक तीनों स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त कर सकता है।
'योग' वह नहीं जो महज कसरत या व्यायाम हो।'योग' वह जो मानव शरीर के अंदर की पूरी व्यवस्था ठीक करके उसे प्रकृति के साथ synchronized कर दे।
'सिद्धयोग' ऐसा ही विज्ञान और चमत्कार है जिसकी कल्पना क्षुद्र बुद्धि स्वीकार नहीं कर पाएगी। पर अटल सत्य है कि इस योग से हर अनुपचारित रोग ठीक हुआ । हर वह रोग जो लाईलाज करार दे दिया गया वह चंद दिनों में ही पूर्णतः ठीक हो गया।यह योग मानव देह की रोग प्रतिरोधक क्षमता को आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ाता है जिससे व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है।
भौतिकता के नङ्गे नाच में डूबे प्राणियों को कोरोना का जवाब नहीं मिल रहा।पता नहीं ऐसे कितने रोग मुँह बाए खड़े होंगे।
मनुष्य को ठहर कर अपने भीतर बैठे उस चिकित्सक से जुड़ने की आवश्यकता है जो कोरोना जैसी बीमारियों को निःसन्देह जवाब दे सकता है।
बाहर का चिकित्सक और भीतर का चिकित्सक दोनों आवश्यक हैं क्योंकि हर मनुष्य जानता है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता यदि कम हुई तो अच्छी से अच्छी दवा भी कार्य नहीं करेगी।
कोरोना क्या किसी भी बीमारी से ग्रस्त हों या जो रोग मुक्त रहना चाहते हों वे 'सिद्धयोग' ज़रूर आज़माएँ क्योंकि मानव बुद्धि के पार जो 'चेतना' है उसी के सहारे मनुष्य जीवित है इस बार को झुठलाना मनुष्य के वश की बात नहीं...
एक छोटा सा "संजीवनी मंत्र" जप जो आपको विवश कर देगा यह सोचने को कि मानव अहंकार में पारस को ही नहीं समझ पाया...
' जय गुरुदेव '
■ *अधिक जानकारी हेतु -*
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*th-cam.com/video/ZEQpSSQM0o0/w-d-xo.html*
JAi shree gurudev Jai shree dada gurudev 🙏🙏❤️
जय गुरुदेव
Jai garudev 🙏
Jai Gurudev Ji !!
Jai Gurudev
Kripya kahi aur se content na churaiye . Agar sabka bhala chahte hai toh apne experience share kijiye ya anya saadhkon k share kijiye apna khud ka content banaiye .,,🙏🙏Jai Gurudev 🙏🙏
Jai guru dev ki