शूद्रों का सूरज ! अंग्रेजों के राज में क्यों उगा ? मनुस्मृति / संविधान ।

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 29 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 3.2K

  • @sundarsingh4874
    @sundarsingh4874 9 หลายเดือนก่อน +56

    मै सलूट करता हूँ आपको की आपकी इतनी अच्छी सोच है सर ला जबाब वीडियो

  • @ashokhindiclasses3739
    @ashokhindiclasses3739 8 หลายเดือนก่อน +25

    आपको बहुत बहुत धन्यवाद। इस वीडियो बनाने के लिए कि दलितों की पीड़ा को उजागर किया है।

  • @kavikijuban
    @kavikijuban 5 หลายเดือนก่อน +27

    जैसा मैंने इतिहास को पढ़कर निष्कर्ष निकाला, बिल्कुल आपसे वैसा ही सुना। मेरी सोच आपसे मिलती है great sir

  • @sureshprasad3692
    @sureshprasad3692 8 หลายเดือนก่อน +27

    त्रिपाठी sir को बहुत-बहुत धन्यवाद और साधुवाद

  • @pandhrikapse7710
    @pandhrikapse7710 7 หลายเดือนก่อน +93

    ब्राहमण सब जानता हैं ।I जानता तो तथाकथित
    शूद्र समाज नही जानता है ।।
    ज्योतिबाफुले की लिखित गुलामगिरी को पढ़ना चाहिए।
    ये सर की हिम्मत को साधुवाद।

    • @bittub34
      @bittub34 2 หลายเดือนก่อน

      sab jante hai? jabi alag alag jaatiyo ko brahman sudra me dal diya janm ke hisab se issliye bure paap karne wale bhi brahman unche kahalate hai aur ache paap karne wale sudra neech hee kahlaate hai hindu dharam brahman ki chal thi aur sudra banana gulami karwana hee tha

  • @sukhramtudu8494
    @sukhramtudu8494 7 หลายเดือนก่อน +103

    काश आपके जैसे हर ब्राह्मण क्षत्रिय समाज सोचा होता तो देश कितना खुशहाल होता आपको बहुत बहुत आभार

    • @KundanKumar-ih3mz
      @KundanKumar-ih3mz 4 หลายเดือนก่อน +6

      आप बहादुर हो

    • @DhannuPrasadKosale-b8s
      @DhannuPrasadKosale-b8s หลายเดือนก่อน +2

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน +1

      चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार
      चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
      ब्रह्म वर्ण = ज्ञानी वर्ग।
      क्षत्रम वर्ण = ध्यानी वर्ग।
      शूद्रम वर्ण = तपसी वर्ग।
      वैशम वर्ण = तमसी वर्ग।
      1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
      2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
      3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
      4- वितरक वणिक = वैश्य
      पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = दासजन सेवकजन राजसेवक ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน +1

      मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं ।
      जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं?
      यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए।
      वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए।
      चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा
      पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      नाम ज्ञाति वंश/ जाति वर्ण पर अनर्गल प्रलाप करना अज्ञानतापूर्ण सोच रखकर समय खराब कर अपना नुकसान करना होता है।
      दिमाग सदुपयोग कर निष्पक्ष सोच अपनाकर व्यर्थ अंधविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच छोड़कर सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए।
      शिक्षित विद्वान मानव जनों! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रियां समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य में कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
      हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं। इन सबको भी समान अवसर उपलब्ध है।
      चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म विभाग होता है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए।
      कर्मधारी वर्ण वाला कैसे? जानें -
      चार कर्म शिक्षण, सुरक्षण, उत्पादण और वितरण। चारवर्ण कर्म में ब्रह्म वर्ण ( ज्ञान शिक्षण वैद्यन संगीत कर्म करने वाले जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण अध्यापक होते हैं ,
      क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय होते हैं,
      शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण होते हैं और
      वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य होते हैं। महिला भी अध्यापिका ही ब्राह्मणी, सुरक्षिका ही क्षत्राणी, उत्पादिका निर्माता ही शूद्राणी और वितरिका ट्रांसपोर्टर व्यापारी ही वैश्याणी होती हैं। यह समान अवसर महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा ने सबजन को उपलब्ध कराया है। हरएक मानव जन को खुद की सोच सुधार करनी चाहिए।
      चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरत हैं। प्रत्यक्ष भी प्रमाण उपलब्ध है।
      पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापति की इस ज्ञान भरी पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ा कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करना कराना उचित सोच वाला कार्य है और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना उचित सोच कदम है।
      चार आयु आश्रम परिवार कल्याण के लिए निर्मित हैं जैसे कि ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ और यतिआश्रम।
      सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्।। ॐ ।।

  • @deepakkumar-gs9ej
    @deepakkumar-gs9ej 10 หลายเดือนก่อน +17

    जब तक ऐ संसार रहे तब तक आपका जीवन और नाम रहे आप जैसे दिव्य पुरुष को चरण स्पर्श प्रणाम दीपक कुमार

  • @KishanLal-bi7oz
    @KishanLal-bi7oz 10 หลายเดือนก่อน +27

    आप की जितनी तारीफ की जाऐ उतनी ही कम है भगवान आप को हमेशा खुशी रखें

  • @amaryadav1791
    @amaryadav1791 7 หลายเดือนก่อน +18

    आपको सुनने के पश्चात मुझे फिर से इंसानियत पर गर्व महसूस हुआ ,आप सदैव स्वस्थ और मस्त रहें।

  • @amaryadav1791
    @amaryadav1791 8 หลายเดือนก่อน +29

    आप की यह वीडियो मानवता की जिंदा मिसाल है आप पर आश्रित प्रत्येक जीव दिन दूना रात चौगुना तरक्की करें, ऐसी कामना है ।

  • @vinodprasad2826
    @vinodprasad2826 ปีที่แล้ว +158

    नो डाउट आप एक समाज सुधारक और एक सच्चे इंसान है आपको दिल से सलाम

    • @DharmendraKumarTilua
      @DharmendraKumarTilua 6 หลายเดือนก่อน +3

      Galat fahami m ho aaj bhi ye Jo word use kar raha hai ye vahi kaam kar raha hai Jo pahle vo kar rahe the otherwise aaj is word ki jarurat kya constitution of bharat ne sabko citizen bana diya par ye log aapko us mansikta se free nahi hone denge

    • @m.mahesh19
      @m.mahesh19 3 หลายเดือนก่อน

      ​@@DharmendraKumarTilua constitution of Bharat,
      Apke words. Mai bhi vhi galfemi ki bu aa rhi h
      India that is bharat ( bharat yaani India) shall be a union of states.

  • @SITARAM-of4xk
    @SITARAM-of4xk 5 หลายเดือนก่อน +22

    बहुत बहुत धन्यवाद सर जी समाज को जागृत करने के लिए । अब बार्म्हण समाज समझ रहा है कि वास्तव मे दलितो पर बहुत अत्याचार हुआ है हर समाज मे कुछ इंसानियत पसंद लोग उस समय भी थे और आज भी है उस समय बाबासाहब डा भीम राव अंबेडकर जी को प्रायमरी शिक्षा देने वाले और उनको मोरल सपोर्ट करने वाले और अपना सरनेम देने वाले शिक्षक अंबेडकर जी जैसे महान शिक्षक भी थे जिनकी बदौलत बाबासाहब को शिक्षा का एक मजबूत आधार मिला ।हम सब ऐसे महान शिक्षक अंबेडकर जी के सदैव ऋणी और कृतज्ञ है । जय भीम जय भारत जय संविधान ।

    • @bgaikwad4796
      @bgaikwad4796 3 หลายเดือนก่อน +1

      सर नमस्कार
      सर आप ब्राह्मण नही सच्चे भारतीय है आप जैसे शिक्षक की तरह और भी शिक्षक तयार हो के भारत मे सच्चे दिल से समाज मे समांतर लाने की कोशिश करेंगे मै यही कामना करता हु जय भीम जय संविधान

    • @Tapeshwarichoubey
      @Tapeshwarichoubey 14 วันที่ผ่านมา

      ❤❤ तहेदिल से धन्यवाद और नमन 👍👍🙏

  • @banshidharyadav2620
    @banshidharyadav2620 ปีที่แล้ว +259

    सत्य को वेबाकी से जनता तक पहुंचाने के लिए आप को और आप के चैनल को क्रांतिकारी सलाम 🙏

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @ramanandyada9061
      @ramanandyada9061 10 หลายเดือนก่อน +2

      आप के बिचार से मैं हमेशा सहमत हूं

    • @JagdishA6655
      @JagdishA6655 9 หลายเดือนก่อน

      Goo🎉d​@@thelogicalindian99

  • @YuvaJyoti
    @YuvaJyoti 11 หลายเดือนก่อน +94

    सच को सच कहने की हिम्मत हर किसी में नहीं हैं लेकिन आप को सलाम करते हैं सर

  • @NaryansinghSuryawanshi
    @NaryansinghSuryawanshi 7 หลายเดือนก่อน +16

    आप मानवतावादी एवं बौद्ध विचारधारा को बढ़ाने वाले सामान्य वादी पहले व्यक्ति हैं आपको तहे दिल से धन्यवाद जय भीम जय भारत

  • @laldharram9308
    @laldharram9308 8 หลายเดือนก่อน +18

    पंकज जी इसानो मे एक इसान है जो इसानियत आप मे है
    धन्य है आप का विचार है।।।।।

  • @satbirbissyer8585
    @satbirbissyer8585 8 หลายเดือนก่อน +15

    सलाम है त्रिपाठी जी आपको ,जो आप सच बता रहे हैं।

  • @ArjunKumar-fx8vv
    @ArjunKumar-fx8vv 6 หลายเดือนก่อน +11

    आप महान हैं. सही इतिहास दिखाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आप जिस कैटेगरी से हैं उस कैटेगरी ने ही वर्ण व्यवस्था का निर्माण किया है फिर भी आपने सही इतिहास बताया है आप महान हैं

  • @user-ix1kc5ej2o
    @user-ix1kc5ej2o ปีที่แล้ว +170

    सर ,आप जैसे इमानदार, सत्यवादी और सच्चाई को दिखाने वालो की इस देश को बहुत जरूरत है ।आप एसे ही ज्ञान की बारिश करते रहे ।धन्यवाद साहब

    • @mahesh6958
      @mahesh6958 ปีที่แล้ว +4

      800 mughal
      200 sal angrez
      70 sal Congress
      To fir dalit ka sosan kisane kiya 🧐😢

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว

      ​@@mahesh6958
      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @sapnasingh8370
      @sapnasingh8370 9 หลายเดือนก่อน +2

      ​@@mahesh6958mugal ke sath milkar bramahano ne bad angrejo ne Sudhar ki Kosis ki jiska virodh bramahan ne kiya hai gulami ka Karan bhi bramahan

  • @jitendraoraon1991
    @jitendraoraon1991 6 หลายเดือนก่อน +13

    श्रीमान अपनी वीडियो के माध्यम से समाज में ज्योति फैलने का कार्य किया इसके लिए आपको हार्दिक धन्यवाद। काश हर कोई ऐसे ही समाज की जो दबे कुचले हुए हैं उनको जगाने और उठाने का विचार करे। ताकि हम सब मिलकर भारत को नई दिशा दे सकें। और भारत प्रेम और विकास बढ़ा सकें।

  • @bundelilokgeetbhajanrambab8398
    @bundelilokgeetbhajanrambab8398 หลายเดือนก่อน +7

    त्रिपाठी जी मैं आपको साधारण इंसान नहीं मानता हूं आप सचमुच ईश्वर के द्वाराभेजे हुए ईश्वर अंश है । क्योंकि इतना सत्य बोलना साधारण इंसान के बस की बात है ही नहीं। सत्य को उजागर करने के लिए आपको कोटीकोटी प्रणाम

  • @TimesofManavta
    @TimesofManavta 8 หลายเดือนก่อน +29

    जय भीम भैया... बहुजन समाज को जगाने के अथक प्रयास का बहुत बहुत साधुवाद 🙏

  • @zoomfunnyshorts
    @zoomfunnyshorts 10 หลายเดือนก่อน +37

    सर आप देश को जगाने का काम कर रहे है बहुत ही सराहनीय है काम है, मुझे लगता है इस देश में जाति प्रथा खत्म हो जाए तो देश बहुत तरक्की करेगा बहुमूल्य ज्ञान देने के लिए बहुत धन्यवाद सर

    • @TeraBaap-b2p2l
      @TeraBaap-b2p2l 23 วันที่ผ่านมา

      Beta soja nind kharab mt kr 😂

  • @historyshinestudy7471
    @historyshinestudy7471 5 หลายเดือนก่อน +8

    बहुत ही सच्चाई बातें। अगर इसी प्रकार से जातिवाद रहा तो बहुत बड़ा आन्दोलन हो सकता हैं, जो लोग शोषण कर रहे हैं, हो सकता है ये लोग जाग जाएं।

  • @mayaramnetam4642
    @mayaramnetam4642 9 หลายเดือนก่อน +26

    सर जी, भारत में अभी भी बहुत सी कुरुतियां हैं,जो शुद्रों को उच्च वर्ण के बराबर स्तर पर लाने के लिए, आप जैसे विचारों वाले महामानव शक्त जरूरत है।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार
      चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
      ब्रह्म वर्ण = ज्ञानी वर्ग।
      क्षत्रम वर्ण = ध्यानी वर्ग।
      शूद्रम वर्ण = तपसी वर्ग।
      वैशम वर्ण = तमसी वर्ग।
      1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
      2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
      3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
      4- वितरक वणिक = वैश्य
      पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = दासजन सेवकजन राजसेवक ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं ।
      जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं?
      यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए।
      वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए।
      चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा
      पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      विश्वमित्रो! ऊची नीची जाति होने का मतलब? ऊची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं।
      चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
      1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन।
      2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय।
      3- शूद्रम वर्ण में- उत्‍पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण।
      4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य ।
      पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं।
      यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है।
      जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
      शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      राष्ट्र राज धर्म- सनातन दक्षधर्म। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार।
      भगवान विष्णु के चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय विधि-विधान नियम अनुसार -
      अध्यापक ( ब्रह्मण) का काम अध्यापन शिक्षण, क्षत्रिय का काम राष्ट्र पृथ्वी जन की सुरक्षा , शूद्रण का काम तपसेवा शिल्पोद्योग और वैश्य का काम कृषि पशुपालन वाणिज्य व्यापार।
      मेरे ( बुद्ध प्रकाश ) विचार अनुसार- अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीत कर्म करने वाला आचार्य गुरूजन ब्रह्मण , सुरक्षा चौकीदार न्याय करने वाला क्षत्रिय, उत्पादन निर्माण शिल्प उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण और वितरण वाणिज्य व्यापार ट्रांसपोर्ट करने वाला वैश्य तथा इन चारो वर्ण में पांचवेजन सहयोग करने वाले वेतनमान पर कार्यरत राजसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन ।
      संस्कृत श्लोक विधिनियम-
      अथैतेशां वृत्तय: ब्राह्मसय याजनप्रतिग्रहौ क्षत्रियस्य क्षितित्राणं कृषिगोरक्षवाणिज्यकुसीदबोनिपोषणानि वैशस्य: सरवशिल्पानि। ॐ ।।
      सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार।
      जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं लेकिन लेखक प्रकाशक सही से अंतर को समझकर नहीं लिखते हैं इसलिए सामन्य जन भी नहीं समझते हैं।

  • @nandsinghyadav5391
    @nandsinghyadav5391 ปีที่แล้ว +361

    त्रिपाठी जी आपने ब्राह्मण होकर इस तरह की कड़वी सच्चाई पर वीडीओ बनाई आपको सलाम 🙏🏻🙏🏻

    • @RajaramYadav-ln4ep
      @RajaramYadav-ln4ep 9 หลายเดือนก่อน +1

      8:12

    • @shrikrishan5267
      @shrikrishan5267 8 หลายเดือนก่อน +4

      🎉sunder jankari

    • @phoolsinghjatavpsrafsoulsi9140
      @phoolsinghjatavpsrafsoulsi9140 8 หลายเดือนก่อน +1

      Very good video

    • @RamlalYadav-vw4xw
      @RamlalYadav-vw4xw 4 หลายเดือนก่อน

      ​@@RajaramYadav-ln4epand 😊😊 oklo look pp on pp lw LL o look ollo😊 lol oloo😊l😊😊LL ki ll😊😊 pp we ok ao😊oo😊Wo😊 look o l😊lwoooaoolo😊o😊aoolollloloLoalolooaoooLoll😊oo😊la ls a new one o😊😊 olpp loollwooaolowolow to 😊aoaooo

  • @chittrangadips3887
    @chittrangadips3887 7 หลายเดือนก่อน +37

    आपकी निष्पक्षता को नमन।आप जैसे 10% शिक्षक देश को सुधारने के लिए पर्याप्तहै।

  • @Sanjeevkumar-bx5yp
    @Sanjeevkumar-bx5yp ปีที่แล้ว +100

    वाह क्या बात है । पंडित हो तो ऐसा, जो वास्तव मे ज्ञानी हो वास्तविकता से समाज देश व दुनिया को अवगत कराये। जिसका अवलोकन कर उसमे सुधार किया जाए।आप को शत् शत् नमन।🙏🙏

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

  • @VijayYadav-vn7cp
    @VijayYadav-vn7cp ปีที่แล้ว +120

    आप की ईमानदार सोच और कर्म को सैल्यूट ❤

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

  • @sudarshankushwaha2187
    @sudarshankushwaha2187 2 หลายเดือนก่อน +5

    बहुत बहुत धन्यवाद वकील साहब ,आप ने संक्षिप्त ऐतिहासिक दर्शन को बताया ,यदि आप के समाज में आप जैसी सोच आ जय तो शायद भारत पुनः सोने की चिड़िया हो जाता लेकिन लगता है आप के समाज के नेतृत्व के द्वारा पुनः भारत में मनुस्मृति जैसा व्यवहार किया जाने लगा है को खेद का विषय है और भारत के लिए दुर्भाग्य है

  • @nastikindia123
    @nastikindia123 8 หลายเดือนก่อน +38

    सच्चाई को आप स्वीकार कर रहे हैं ये बहुत अच्छी बात है।आप ये भी बतायें कि हजारों सालों तक शूद्र गुलाम थे और आज भी मानसिक गुलामी कर रहे हैं उसका एकमात्र जिम्मेदार ब्राह्मण और उसका ब्राह्मणवाद है।

  • @satyanarayanmahto8480
    @satyanarayanmahto8480 11 หลายเดือนก่อน +31

    वाह पंकज सर। जब आपके जैसे सछूत द्वारा समाज को सही दिशा दिखाने के लिए बिना डर के जोर पक्ष रखे। तो वह दिन दूर नहीं जो भारत को विश्व गुरू बनने से रोक नहीं सकता।

  • @Jaishankar1250
    @Jaishankar1250 5 หลายเดือนก่อน +9

    आप जैसे सच्चे लोगो को आज बहुत जरूरत है क्योंकी आज भी पाखंड चरम सीमा पर है।

  • @rambilashsahu4465
    @rambilashsahu4465 11 หลายเดือนก่อน +96

    मैं ब्राह्मणवादी व्यवस्था से पीड़ित रहा हूं।
    आप जैसे सत्य वक्ता को कोटि कोटि नमन। चरण स्पर्श वंदना।

    • @chandrakantgaikwad5349
      @chandrakantgaikwad5349 3 หลายเดือนก่อน

      सर आप जैसे सत्य वक्ता ही शूद्रोंको सच्चा ग्यान दे सकते हैं,आपको कोटी कोटी प्रणाम

    • @dineshkumarsharma322
      @dineshkumarsharma322 2 หลายเดือนก่อน

      पीड़ित थे अब

  • @veersingh7562
    @veersingh7562 11 หลายเดือนก่อน +41

    एक ब्राह्मण होकर भी आप सूत्रों के उत्थान की बात करते हो, यह आपका एक महान कार्य है❤

  • @chhatrapalsingh3344
    @chhatrapalsingh3344 7 หลายเดือนก่อน +14

    मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आप चाणक्य जैसे महान व्यक्ति बने आप महान है

  • @Astr1
    @Astr1 9 หลายเดือนก่อน +12

    काश आप जैसा हर ब्राह्मण भाई ऐसा वीडियो बनाता तो समाज सुधार जाता मेरे भाई आप की जय हो , जय भीम नमो buddhay🙏

  • @maheshkohli7622
    @maheshkohli7622 ปีที่แล้ว +36

    बहुत सुंदर, इन्हें कहा जाता हैं खुला दिमाग, इन्ही लोगों से देश सलामत है, और देश की एकता आखंडता मजबूत है! ऐसे लोगों को राजनीति में आना चाहिए!

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

  • @Shashishekharazad-su1ml
    @Shashishekharazad-su1ml 29 วันที่ผ่านมา +4

    Pankaj sir आपने ब्रह्मण वाद के खिलाफ जो आन्दोलन शुरू किया है उसके लिए बहुजन समाज आपको कोटि कोटि धन्यवाद देता है।

  • @RamSingh-wl9fn
    @RamSingh-wl9fn ปีที่แล้ว +17

    इस कुप्रथा को आप जैसे बुद्धिमान ब्राम्हण ही समाप्त कर सकते हैं। इस ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यावाद। जय हिंद जय भारत जय संविधान

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      आप सबकी सहयोग चाहिए।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार
      चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
      ब्रह्म वर्ण = ज्ञानी वर्ग।
      क्षत्रम वर्ण = ध्यानी वर्ग।
      शूद्रम वर्ण = तपसी वर्ग।
      वैशम वर्ण = तमसी वर्ग।
      1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
      2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
      3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
      4- वितरक वणिक = वैश्य
      पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = दासजन सेवकजन राजसेवक ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं ।
      जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं?
      यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए।
      वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए।
      चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा
      पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      गुप्तांग शिश्न को ढककर रखना चाहिए जैनाचार्य को और गुप्तांग शिश्न की योन हिंसा खतना बंद करनी चाहिए मुस्लिम को। लोकतंत्र संविधान युग में सुधार करें।शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं लेकिन लेखक प्रकाशक सही से अंतर को समझकर नहीं लिखते हैं इसलिए सामन्य जन भी नहीं समझते हैं।मित्रो ! सवर्ण और असवर्ण । कब कब कैसे होते हैं? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें और सबजन को बताएं।
      जब ब्रह्मण (अध्यापक) और शूद्रण (उद्योगण) दोनो आपस मे मिलते हैं तो दोनो एक दूसरे के लिए असवर्ण होते हैं कियोंकि वे एक दूसरे के वर्ण कर्म विभाग वाले नही होते हैं।
      लेकिन जब अध्यापक (ब्रह्मण) अगर दूसरे अध्यापक ( ब्रह्मण) से मिले तो एक वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण होते है।
      इसी प्रकार शूद्रण ( उत्पादक निर्माता उद्योगण ) अगर दूसरे शूद्रण ( उद्योगण) से मिले तो दोनो शूद्रण भी सवर्ण होते हैं।
      इसी प्रकार अन्य वर्ण कर्म विभाग के लिए समझना चाहिए।
      अर्थात चारो वर्ण ( शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम ) कर्म विभाग वाले सवर्ण होते हैं और चारो वर्ण वाले असवर्ण भी परिस्थिति अनुसार होते हैं।
      अतः सवर्ण और असवर्ण का शब्दो का अर्थ प्रयोग समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य जन को अवगत करवाना चाहिए।
      सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
      जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ ।।
      चार कर्म = शिक्षण + सुरक्षण + उत्पादन + वितरण।
      चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम ।
      चार गुण = सत + रज + तप + तम।
      चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम।
      इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर सबजन को भेजकर अज्ञान मिटाई करवाएं ।।
      हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण ( अध्यापक/ज्ञानी) हैं इसलिए हरएक मानव जन नामधारी ब्रह्मण वर्ण मानकर बताकर जीवनयापन कर सकते हैं। यह महर्षि नारायण वेदमंत्र दर्शनशास्त्र अनुसार और हरएक मानव जन शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग कर्म करने वाले ब्रह्मण ( अध्यापक/ वैद्यन /पुरोहित) हैं।
      इसप्रकार हरएक पेशाजाति कर्म करने वाले मुख समान ब्रह्मण हैं और जब अपने पेशेवर जाति कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म करते हैं तब वे कर्मधारी ब्रह्मण ( अध्यापक) होते हैं।
      यह चतुरवर्ण कर्म को जानने के लिए निष्पक्ष सोच अपनाकर सत्य शाश्वत सनातन सदाबहार ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
      गुलाम नौकर दासजन जनसेवक सेवकजन दासजन चारो वर्ण और चारो आश्रम में वेतनमान दान पर कार्यरत होते हैं।पंचामृत और पंचगव्य कब प्रयोग करना चाहिए?
      सनातन धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार- पंचामृत पूजा-पाठ व्रत उपवास अनुष्ठान पर्व में प्रसाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए और
      पंचगव्य चोरकर्म करने वाले को अंहिसक दण्ड देकर सुधार करने के लिए प्रयोग करना चाहिए।
      पौराणिक वैदिक सनातन धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार।दस प्रकार के मल/ मैल बताये हैं उनमे रक्त भी और पसीना भी है लेकिन मूर्ख नासमझ लेखक प्रकाशक ने रक्त अर्थ लेने के बजाय पसीना मैल ले लिया और अर्थ का अनर्थ कर दिया।
      खीर में आयुर्वेदिक दवाई मिलाकर खायी और अपने पति के साथ सोयी थी। जब किसी गैर मर्द के साथ सोना नहीं लिखा है तो अपने पति के साथ ही माना जायेगा।
      व्यर्थ अन्धविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच छोड़कर निष्पक्ष सोच रखकर पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      नाम ज्ञाति वंश/ जाति वर्ण पर अनर्गल प्रलाप करना अज्ञानतापूर्ण सोच रखकर समय खराब कर अपना नुकसान करना होता है।
      दिमाग सदुपयोग कर निष्पक्ष सोच अपनाकर व्यर्थ अंधविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच छोड़कर सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए।
      शिक्षित विद्वान मानव जनों! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रियां समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य में कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
      हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं। इन सबको भी समान अवसर उपलब्ध है।
      चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म विभाग होता है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए।
      कर्मधारी वर्ण वाला कैसे? जानें -
      चार कर्म शिक्षण, सुरक्षण, उत्पादण और वितरण। चारवर्ण कर्म में ब्रह्म वर्ण ( ज्ञान शिक्षण वैद्यन संगीत कर्म करने वाले जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण अध्यापक होते हैं ,
      क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय होते हैं,
      शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण होते हैं और
      वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य होते हैं। महिला भी अध्यापिका ही ब्राह्मणी, सुरक्षिका ही क्षत्राणी, उत्पादिका निर्माता ही शूद्राणी और वितरिका ट्रांसपोर्टर व्यापारी ही वैश्याणी होती हैं। यह समान अवसर महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा ने सबजन को उपलब्ध कराया है। हरएक मानव जन को खुद की सोच सुधार करनी चाहिए।
      चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरत हैं। प्रत्यक्ष भी प्रमाण उपलब्ध है।
      पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापति की इस ज्ञान भरी पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ा कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करना कराना उचित सोच वाला कार्य है और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना उचित सोच कदम है।
      चार आयु आश्रम परिवार कल्याण के लिए निर्मित हैं जैसे कि ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ और यतिआश्रम।
      सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्।। ॐ ।।

  • @samarathsingh8017
    @samarathsingh8017 ปีที่แล้ว +59

    वास्तविक सत्य है। जो आप ने
    पंडित होकर सत्य बोलने की
    हिम्मत की। बहुत-बहुत धन्यवाद!

    • @RajKishor-ld1io
      @RajKishor-ld1io ปีที่แล้ว +2

      ❤❤❤❤❤❤❤❤❤

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +2

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +2

      ​@@RajKishor-ld1io
      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

  • @AshokKumar-dy4lw
    @AshokKumar-dy4lw 28 วันที่ผ่านมา +5

    बहुत बहुत धन्यवाद सर जी जो आपने भारत देश की वर्तमान में जो हकीकत है उसको उजागर किया

  • @a.p.1778
    @a.p.1778 11 หลายเดือนก่อน +36

    मैं 10 वर्ष की आयु में ही समझ गया था कि हम दलितों का उद्धार करने वाले मनुष्य रूपी ईश्वर अंग्रेज ही है
    जिनके कारण बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी को पढ़ने लिखने का मौका मिला
    जिन्होंने संविधान लिख कर हमारी आजादी की लड़ाई लड़ी
    मैं 10 वर्ष की उम्र से अभी तक पंद्रह अगस्त नही मनाता
    क्यों कि हमारे मुक्ति दाता अंग्रेजो के जाने के बाद
    मनुवादियों की सत्ता फिर हम पर हावी हो गई

    • @VisionaryMovieVault_7930
      @VisionaryMovieVault_7930 6 หลายเดือนก่อน +5

      Main bhi yahi manta hun bhai

    • @sanjaysrivastava6897
      @sanjaysrivastava6897 2 หลายเดือนก่อน

      बाबा साहब का अंबेडकर टाइटल जो है वह ब्राह्मणों का ही है

  • @kedarnath927
    @kedarnath927 ปีที่แล้ว +296

    कास, ब्राह्मणों के पास ऐसा ज्ञान होता और इतना समझदार होते तो जाति व्यवस्था खत्म हो जाती जिसके लिए बाबा साहब और बहुजन नायकों ने संघर्ष
    किया ।

    • @gyankumar1600
      @gyankumar1600 ปีที่แล้ว +11

      भैया जी ब्राह्मण के पास नहीं नेताओं के पास खासकर के सत्ताधारी नेता के पास यह ज्ञान हो तो सुधर जाए समाज।

    • @hariram33
      @hariram33 ปีที่แล้ว +4

      ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤Jay bhim

    • @adittyaff5833
      @adittyaff5833 11 หลายเดือนก่อน +2

      ब्राम्हणो के पास अगर ऐसा ज्ञान होता तो भारत आज महसत्ता होने से कोई नही रोक सकता था

    • @omprakashkori7087
      @omprakashkori7087 10 หลายเดือนก่อน +2

      Thanks. Sir. ❤. Se

    • @satvirsingh2547
      @satvirsingh2547 5 หลายเดือนก่อน

      सबसे अधिक ब्राह्मणों ने ही छुआछूत का विरोध किया

  • @goverdhanparmar9268
    @goverdhanparmar9268 5 หลายเดือนก่อน +2

    आदरणीय महोदय आप पहले व्यक्ति हैं जो सत्य को स्वीकार करके जनता को जागरुक कर रहे हैं

  • @BudhPrakashRajoriya-mz6wj
    @BudhPrakashRajoriya-mz6wj ปีที่แล้ว +46

    आपके शब्दों की शब्दों में सहारना करना असम्भव है । आपको प्रणाम

  • @chandrashekharazad4489
    @chandrashekharazad4489 7 หลายเดือนก่อน +7

    त्रिपाठी जी आपके विचार से लगता है कि ऐसे महान व्यक्ति ब्राह्मणों से उत्तम विचार है इसलिए भारतीय संविधान में आपने सच्चे प्रहरी बनकर समाज को सुधारने में मदद मिलेगी जय भीम नमो बुद्धाय

  • @shivweexbbdrahjmgmx8847
    @shivweexbbdrahjmgmx8847 6 หลายเดือนก่อน +6

    आप को हार्दिक नमस्कार असली शिक्षक की यही पहचान है । आपने बहुत कुछ उजागर किया । ज्ञान उसी को कहते है जो सबके काम आए इसलिए सबका साथ होना आवश्यक है आपको धन्यवाद

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें ।
      शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है।
      आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है।
      संस्कृत श्लोक विधिनियम-
      ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।।
      तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार।
      शूद्रण ही तपस्वी है।
      शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए।
      पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग ।
      जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      विश्व राष्ट्र मानवो ! गुरुपूर्णिमा दक्षराज जन्म की शुभकामनाएं ।
      इस दिवस पर सभी माता पिता अपने बच्चो के यज्ञोपवित संस्कार करवायें ।
      सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
      सौ साल औसतन आयु मानकर गुरूकुल जाने की आयु आठ साल मानी गई थी।
      जब तक बालक की आठ वर्ष की अवस्था न हो तब तक बालक को उत्पन्न हुये बालक के समान जानना चाहिए। गुरुकुल जाने लिए आठ साल आयु तक नहीं जाने के लिए कहा गया था गर्भस्थ शिशु मात्र बालक समान माना गया था । मानवजन की औसतन आयु वेद दर्शन शास्त्र अनुसार सौ साल मानी गई थी। आज‍कल गुरुकुल/ स्कूल जाने के लिए अस्सी साल औसतन आयु मानकर छः साल तक आयु मानी गई है।
      जब तक बालक का जनेऊ ना हो तब तक भक्ष्य अभक्ष्य, पेय, अपेय, सत्य और असत्य में बालक को दोष नहीं जानना चाहिए।
      संस्कृत श्लोक विधिनियम-
      जातमात्र: शिशुस्तावद्यावदष्टौ समा वय: । स हि गर्भसमो ज्ञेयो व्यक्तिमात्रप्रदरशित: ।। भक्ष्याभक्ष्ये तथा पेये वाच्यावाच्ये ऋतानृते। अस्मिन्बाले न दोष: स्यात्स यावन्नोपनीयते ।। दक्षराज स्मृतिज्ञान।
      जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम। ॐ ।।

  • @kulanandarya5385
    @kulanandarya5385 8 หลายเดือนก่อน +9

    ऐसी विभूतियों का एक-एक शब्द सारगर्भित और प्रेरणादायक होता है।नमन सरजी।

  • @harilal4860
    @harilal4860 9 หลายเดือนก่อน +55

    वकील साहब जी आप ब्राह्मण होते हुए यथार्थ को वे हिचक बोल रहे हैं। आप वास्तव में बहुत ही महान है। महान भी इसलिए कि आप बहुत ही मेधावी है। कोटि कोटि प्रणाम।

  • @chandrikaninama4452
    @chandrikaninama4452 7 หลายเดือนก่อน +10

    जय जोहार जय आदिवासी। पाखंड समाज व्यवस्था को अच्छी तरह समझाया है

  • @dharampratappratap1163
    @dharampratappratap1163 ปีที่แล้ว +255

    ऐसे महान लोगों की ही भारत देश में जरूरत है,

  • @daskumarajay3634
    @daskumarajay3634 8 หลายเดือนก่อน +14

    आपको सारा भारतीय समाज सलाम करता है !
    आपके जैसे लोग ही भारत का उद्धार कर सकते हैं !

  • @RamSingh-jw8md
    @RamSingh-jw8md 5 หลายเดือนก่อน +16

    आप जैसे समाज सुधारो की जरूरत है पांडे जी के विचारों को सुनकर ऐसा लग रहा है कि आप वास्तव में सच्चे समाज सुधारक हैं

  • @vivekkumarbharti7451
    @vivekkumarbharti7451 10 หลายเดือนก่อน +18

    बहुत ही शानदार वीडियो रहा सर जी सामानता के क्षेत्र में इतिहास पृष्ठभूमि लोगों के बीच संवैधानिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर निम्न वर्ग को आरक्षण से आगे आकर समानता दिखे ।
    सब के साथ समता एकता करूंणा दया एवं समानता का भाव उत्पन्न हो।

  • @Tiz_Anjali_kumari
    @Tiz_Anjali_kumari 18 วันที่ผ่านมา +2

    समाज सुधार की बात तो हमेशा होनी चाहिए जी शैलूट सर आप कों ।

  • @kritiroyofficial2336
    @kritiroyofficial2336 ปีที่แล้ว +71

    सर आपने जाति व्यवस्था तथा शुद्रो के ऊपर किए गए अत्याचार को ईमानदारी से समाज तक पहुंचाने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @ramawadhverma1740
      @ramawadhverma1740 ปีที่แล้ว +1

      महिलाओं और शूद्रों पर अत्याचार करने वाले कौन थे?

    • @sunitarai9168
      @sunitarai9168 ปีที่แล้ว +1

      ​@@thelogicalindian992:04

  • @satishparchhe4840
    @satishparchhe4840 11 หลายเดือนก่อน +16

    बहुत ही अच्छे विचार पेश किये आपने, मैं आपका बहुत आभारी हूँ, काश आप जैसी समझदारी थोड़े बहुत लोगों में होती तो इंसानियत जिंदा रहती आज धर्म के नाम पर लोग पागलों जैसी हरकत कर रहे हैं

  • @rohitofficial2143
    @rohitofficial2143 4 วันที่ผ่านมา +2

    सेकेंड आप राहुल सांकृत्यायन है आप को प्रकृति लम्बी उम्र दे बहुत बहुत धन्यवाद आप को।

  • @satishgardia-dh1im
    @satishgardia-dh1im ปีที่แล้ว +132

    सर आपको कोटी कोटी प्रणाम, पहली बार किसी ब्राह्मण को नमन करते हुए खुशी हो रही है, सत्य की राह पर आप जैसा सत्य वीर मनुष्य बहूत कम है , जुग जुग जियो,

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @TarachandDhawalpuri
      @TarachandDhawalpuri ปีที่แล้ว +2

      Denku sar

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
      एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
      ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
      ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
      ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
      क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
      क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
      क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
      शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से ।
      शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
      शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
      वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
      वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
      वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
      चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
      दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
      जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है ।
      यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं ।
      शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं।
      चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है।
      कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
      पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं।
      कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं।
      द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं।
      शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं।
      अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है।
      क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
      इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।

  • @bhuvanmaravi750
    @bhuvanmaravi750 ปีที่แล้ว +135

    इतिहास में आपका भी नाम दर्ज होगा जिन्होंने बिना पूर्वानुग्रह के इतिहास में शूद्रों की वास्तविकता बताई,,, ऐसे गुरु को नमन...🇮🇳🇮🇳🇮🇳👌

    • @mahesh6958
      @mahesh6958 ปีที่แล้ว

      800 mughal
      200 sal angrez
      70 sal Congress
      To fir dalit ka sosan kisane kiya 🧐😢

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें ।
      शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है।
      आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है।
      संस्कृत श्लोक विधिनियम-
      ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।।
      तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार।
      शूद्रण ही तपस्वी है।
      शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए।
      पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग ।
      जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      सभी राजनेता जनसेवक 75 वर्ष आयु पूरी होने पर संवैधानिक लोकतांत्रिक पद छोड़ें और अपनी मानव सेवा अपने परिवार समाज के लिए अपनी इच्छानुसार प्रदान करें। अन्य जनसेवको को भी संवैधानिक लोकतांत्रिक पदो पर आगे आकर जनसेवा करने का अवसर उपलब्ध कराएं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
      एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
      ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
      ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
      ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
      क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
      क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
      क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
      शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से ।
      शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
      शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
      वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
      वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
      वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
      चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
      दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
      जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।

  • @pardeshirambanjare
    @pardeshirambanjare 4 หลายเดือนก่อน +2

    ब्राम्हद होकर निर्भय होकर बोलने वाले बड़ा साहस का काम है आपको नमन.

  • @pprasad6863
    @pprasad6863 ปีที่แล้ว +35

    बहुत ही ज्ञानवर्धक वीडियो। आपको तहेदिल से सलाम।

  • @justiceforall8308
    @justiceforall8308 ปีที่แล้ว +64

    आपकी यह पहल जरूर एक नया सवेरा लायेगी
    आपके इस पहल के लिए बहुत बहुत स्वागत🙏

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

  • @Prageet8899
    @Prageet8899 7 หลายเดือนก่อน +5

    Aaise teacher ko sat- sat naman,aaj k time m aise hi teacher ki zarurat h,🙏🙏🙏🙏

  • @ramtejverma3395
    @ramtejverma3395 ปีที่แล้ว +111

    जातीय श्रेष्ठा का भाव आज भी सबसे ज्यादा ब्रह्मण समाज के लोगों में और सवर्ण में है। आपका यह वीडियो ज्ञानवर्धक हैऔर समाज के सभी वर्गों कोइन तथ्यों पर देश हित में सच्चे मन से विचार करना चाहिए ।

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      विश्वमित्रो! ऊंचा नीचा पद विभाग जीविका प्राप्त करने के लिए और कोई भी वर्ण मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है।हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं।
      चारवर्ण =
      1- अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन।
      2- सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय।
      3- उत्‍पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण।
      4- वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य। चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैशम वर्ण है।
      - चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन हैं।
      यह पंचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण व्यवस्था है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत सदाबहार वर्ण कर्म विभाग व्यवस्था जीविकोपार्जन के लिए मेरे द्वारा निर्मित है।
      जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे बताएं यह कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण, सुरक्षण, उत्पादण और वितरण कर्म किये बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
      शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं लेकिन लेखक प्रकाशक सही से अंतर को समझकर नहीं लिखते हैं इसलिए सामन्य जन भी नहीं समझते हैं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं लेकिन लेखक प्रकाशक सही से अंतर को समझकर नहीं लिखते हैं इसलिए सामन्य जन भी नहीं समझते हैं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      मित्रो ! सवर्ण और असवर्ण । कब कब कैसे होते हैं? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें और सबजन को बताएं।
      जब ब्रह्मण (अध्यापक) और शूद्रण (उद्योगण) दोनो आपस मे मिलते हैं तो दोनो एक दूसरे के लिए असवर्ण होते हैं कियोंकि वे एक दूसरे के वर्ण कर्म विभाग वाले नही होते हैं।
      लेकिन जब अध्यापक (ब्रह्मण) अगर दूसरे अध्यापक ( ब्रह्मण) से मिले तो एक वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण होते है।
      इसी प्रकार शूद्रण ( उत्पादक निर्माता उद्योगण ) अगर दूसरे शूद्रण ( उद्योगण) से मिले तो दोनो शूद्रण भी सवर्ण होते हैं।
      इसी प्रकार अन्य वर्ण कर्म विभाग के लिए समझना चाहिए।
      अर्थात चारो वर्ण ( शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम ) कर्म विभाग वाले सवर्ण होते हैं और चारो वर्ण वाले असवर्ण भी परिस्थिति अनुसार होते हैं।
      अतः सवर्ण और असवर्ण का शब्दो का अर्थ प्रयोग समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य जन को अवगत करवाना चाहिए।
      सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
      जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ ।।
      चार कर्म = शिक्षण + सुरक्षण + उत्पादन + वितरण।
      चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम ।
      चार गुण = सत + रज + तप + तम।
      चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम।
      इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर सबजन को भेजकर अज्ञान मिटाई करवाएं ।।
      हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण ( अध्यापक/ज्ञानी) हैं इसलिए हरएक मानव जन नामधारी ब्रह्मण वर्ण मानकर बताकर जीवनयापन कर सकते हैं। यह महर्षि नारायण वेदमंत्र दर्शनशास्त्र अनुसार और हरएक मानव जन शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग कर्म करने वाले ब्रह्मण ( अध्यापक/ वैद्यन /पुरोहित) हैं।
      इसप्रकार हरएक पेशाजाति कर्म करने वाले मुख समान ब्रह्मण हैं और जब अपने पेशेवर जाति कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म करते हैं तब वे कर्मधारी ब्रह्मण ( अध्यापक) होते हैं।
      यह चतुरवर्ण कर्म को जानने के लिए निष्पक्ष सोच अपनाकर सत्य शाश्वत सनातन सदाबहार ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
      गुलाम नौकर दासजन जनसेवक सेवकजन दासजन चारो वर्ण और चारो आश्रम में वेतनमान दान पर कार्यरत होते हैं।

  • @AmalVerma-z9m
    @AmalVerma-z9m 10 หลายเดือนก่อน +10

    आप क्या वास्तव में ब्राहमण है . आप का अभिनंदन.

  • @ramanathya1946
    @ramanathya1946 4 หลายเดือนก่อน +1

    आप एक महान विद्वान हैं महान् क्रान्तिकारी विचारक हैं आप एक आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ समाज सुधारक हैं हम हर तरीके से आपके साथ हैं

  • @shivadharprasadravi7075
    @shivadharprasadravi7075 ปีที่แล้ว +46

    सच्चाई को जनता के बीच लाने के लिए आपको बहुत बहुत नमस्कार भारत का मूल ग्रंथ भारतीय संविधान ही है

  • @sheshnathkumar2843
    @sheshnathkumar2843 ปีที่แล้ว +23

    ब्राह्मण का काम है ज्ञान को बांटना और लोगों के बीच ज्ञान का अलख जगाना, और यही काम आप सत्य और निष्ठा के साथ कर रहे हैं। आपको कोटि कोटि नमन।

  • @safeer-e-alfaaz
    @safeer-e-alfaaz 4 หลายเดือนก่อน +2

    त्रिपाठी जी आप को कोटि कोटि नमन वास्तव में आप सच्चे समाज सुधारक है।

  • @mpkicbarestaprayagraj3244
    @mpkicbarestaprayagraj3244 ปีที่แล้ว +28

    आप ही सच्चे और निष्पक्ष विद्वान और विचारक हैं। बहुत बहुत धन्यवाद आपको,!

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

  • @vedparkash9815
    @vedparkash9815 10 หลายเดือนก่อน +20

    धर्म सदैव अफीम की तरह है जो तर्कशीलता और विवेकशिलता चिंतन को ख़त्म करता है

  • @sumransinghmasram4350
    @sumransinghmasram4350 7 หลายเดือนก่อน +2

    आप एक सच्चा इंसान हैं आप मानव जीवन के दुःख दर्द को भारतीय जनता और सम्पूर्ण विश्व में आपके द्वारा बनाए गए वीडियो को दिखाया जाना चाहिए।

  • @आत्माकीआवाज़-प9ट
    @आत्माकीआवाज़-प9ट 8 หลายเดือนก่อน +12

    जय हो आपकी , आप अंधेरे के बीच उजाला हैं, समाज को दर्पण दीदार कराने के लिए साधुवाद

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार
      चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
      ब्रह्म वर्ण = ज्ञानी वर्ग।
      क्षत्रम वर्ण = ध्यानी वर्ग।
      शूद्रम वर्ण = तपसी वर्ग।
      वैशम वर्ण = तमसी वर्ग।
      1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
      2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
      3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
      4- वितरक वणिक = वैश्य
      पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = दासजन सेवकजन राजसेवक ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं ।
      जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं?
      यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए।
      वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए।
      चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा
      पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      विश्वमित्रो! ऊची नीची जाति होने का मतलब? ऊची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं।
      चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
      1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन।
      2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय।
      3- शूद्रम वर्ण में- उत्‍पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण।
      4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य ।
      पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं।
      यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है।
      जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
      शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      मित्रो ! सवर्ण और असवर्ण । कब कब कैसे होते हैं? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें और सबजन को बताएं।
      जब ब्रह्मण (अध्यापक) और शूद्रण (उद्योगण) दोनो आपस मे मिलते हैं तो दोनो एक दूसरे के लिए असवर्ण होते हैं कियोंकि वे एक दूसरे के वर्ण कर्म विभाग वाले नही होते हैं।
      लेकिन जब अध्यापक (ब्रह्मण) अगर दूसरे अध्यापक ( ब्रह्मण) से मिले तो एक वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण होते है।
      इसी प्रकार शूद्रण ( उत्पादक निर्माता उद्योगण ) अगर दूसरे शूद्रण ( उद्योगण) से मिले तो दोनो शूद्रण भी सवर्ण होते हैं।
      इसी प्रकार अन्य वर्ण कर्म विभाग के लिए समझना चाहिए।
      अर्थात चारो वर्ण ( शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम ) कर्म विभाग वाले सवर्ण होते हैं और चारो वर्ण वाले असवर्ण भी परिस्थिति अनुसार होते हैं।
      अतः सवर्ण और असवर्ण का शब्दो का अर्थ प्रयोग समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य जन को अवगत करवाना चाहिए।
      सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
      जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ ।।
      चार कर्म = शिक्षण + सुरक्षण + उत्पादन + वितरण।
      चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम ।
      चार गुण = सत + रज + तप + तम।
      चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम।
      इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर सबजन को भेजकर अज्ञान मिटाई करवाएं ।।
      हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण ( अध्यापक/ज्ञानी) हैं इसलिए हरएक मानव जन नामधारी ब्रह्मण वर्ण मानकर बताकर जीवनयापन कर सकते हैं। यह महर्षि नारायण वेदमंत्र दर्शनशास्त्र अनुसार और हरएक मानव जन शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग कर्म करने वाले ब्रह्मण ( अध्यापक/ वैद्यन /पुरोहित) हैं।
      इसप्रकार हरएक पेशाजाति कर्म करने वाले मुख समान ब्रह्मण हैं और जब अपने पेशेवर जाति कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म करते हैं तब वे कर्मधारी ब्रह्मण ( अध्यापक) होते हैं।
      यह चतुरवर्ण कर्म को जानने के लिए निष्पक्ष सोच अपनाकर सत्य शाश्वत सनातन सदाबहार ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
      गुलाम नौकर दासजन जनसेवक सेवकजन दासजन चारो वर्ण और चारो आश्रम में वेतनमान दान पर कार्यरत होते हैं।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 หลายเดือนก่อน

      शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) !
      जब एसी ,एसटी और बीसी कहना लिखना हो तो इसके साथ इडब्लुएस और जनरल कहना बोलना लिखना चाहिए। ये शब्द आजकल के संविधान लोकतंत्र युग काल आरक्षण अनुसार कुछ समय के लिए निर्मित हैं।
      लेकिन
      जब पौराणिक वैदिक शब्द ब्रह्मण को बोलना लिखना प्रयोग करना हो तो इसके साथ अन्य वैदिक शब्द जैसे कि राजन्य, क्षत्रिय, शूद्रण, वैश्य और दास शब्द चयन कर प्रयोग करने चाहिए । ये वैदिक शब्द सदा शाश्वत रहने वाले हैं। पौराणिक वैदिक सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय विधि-विधान नियम अनुसार हैं।
      एक समय काल के शब्द एक स्थान पर प्रयोग करने चाहिए । शिक्षित मनुष्यों को व्यर्थ अन्धविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच छोड़कर निष्पक्ष सोच रखकर पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त शब्दों का सही चयन वार्तालाप बातचीत के लिए प्रयोग करना चाहिए।

  • @parmanandahirwar9376
    @parmanandahirwar9376 8 หลายเดือนก่อน +19

    आप हमारे एवम हमारे समाज के लिए इंसान के रूप में ईश्वर है आपको कोटि कोटि प्रणाम

  • @nareshkaranwal3365
    @nareshkaranwal3365 5 หลายเดือนก่อน +4

    Sir ji aap ne कड़वी सच्ची video banai,,,,,Jai bhim नमो budhay,,,,,

  • @mohammadsaeed9809
    @mohammadsaeed9809 11 หลายเดือนก่อน +21

    शूद्र समाज को जागरूक करने का आपका प्रयास सराहनीय है जयमूलनिवासी भारत वासी

  • @brijkishoreram7748
    @brijkishoreram7748 11 หลายเดือนก่อน +21

    ऐसे ही महान लोगों की भारत में जरूरी है जो की जाती धर्म से उठकर सबके हितों में काम करें और बात बोले सर धन्यवाद जय भीम जय संविधान

  • @OmPrakash66386
    @OmPrakash66386 4 หลายเดือนก่อน +1

    Bahut bahut sunder ऐसे विचारो से ही हमारा समाज और देश का विकास हो सकता है धन्यवाद

  • @BPSingh-zf3vp
    @BPSingh-zf3vp ปีที่แล้ว +34

    भारत के हरेक नागरिक को बकील साहेब का समाचार देखना चाहिए
    जय भारत जय सविँधान
    जय भीम नमो बुदधाये

  • @siddharthborkar4158
    @siddharthborkar4158 11 หลายเดือนก่อน +30

    आपकी मानवता दिल छू लेती है। जातिवाद भारत मै हैवान की थरह है। आप संत समान है। शिल्पा पाण्डेय ❤🎉😢

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      बताओ चरण पांव चलाए बिना स्थान बदले बिना कोई प्रोडक्ट समान एक स्थान से क्रय कर ट्रांसपोर्ट कर दूसरे स्थान पर विक्रय वितरण वाणिज्य आढ़त कैसे होगा?

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
      एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
      ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
      ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
      ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
      क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
      क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
      क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
      शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से ।
      शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
      शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
      वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
      वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
      वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
      चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
      दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
      जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      हे मनुष्यो !
      जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग के समान शरीर के चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं।
      हरएक मानव जन हरएक समय मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं वे किसी भी वर्ण का कार्य चारो अंग से करते रहते हैं।
      इस पोस्ट को पढ़कर समझकर अपना अज्ञान मिटाई करें ओर अपने समाज का ज्ञान वर्धन करवाएं । यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करके कि मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हरएक मानव जन हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म करते हैं। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म है।
      चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन दासजन भी इन्ही चतुरवर्ण कर्म को वेतन पर करते हैं।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाएं और प्रिंट सुधार करवाएं।

  • @AshokKumar-nc7ex
    @AshokKumar-nc7ex 6 หลายเดือนก่อน +4

    बेहतरीन व्याखा के लिए अनेकानेक सदहुवाद👌👌👌🙏

  • @krishnaaiwale6874
    @krishnaaiwale6874 ปีที่แล้ว +33

    त्रिपाठी सरजीने जाती व्यवस्था का वास्तव का सही विश्लेषण किया है. हिंदू धरममे जो भी जाती भेदभाव है इसके बारेमे परखड़ विचार प्रगट किए है. जो गलत है उसको गलत कहनेके लिए हिमत, साहस होना जरूरी होता है.
    त्रिपाठी सर को इस अच्छे कार्य के लिए धन्यवाद.

    • @jugunushaikh237
      @jugunushaikh237 ปีที่แล้ว +1

      Wah bhai wah

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें ।
      शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है।
      आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है।
      संस्कृत श्लोक विधिनियम-
      ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।।
      तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार।
      शूद्रण ही तपस्वी है।
      शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए।
      पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग ।
      जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      विश्व राष्ट्र मानवो ! गुरुपूर्णिमा दक्षराज जन्म की शुभकामनाएं ।
      इस दिवस पर सभी माता पिता अपने बच्चो के यज्ञोपवित संस्कार करवायें ।
      सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
      सौ साल औसतन आयु मानकर गुरूकुल जाने की आयु आठ साल मानी गई थी।
      जब तक बालक की आठ वर्ष की अवस्था न हो तब तक बालक को उत्पन्न हुये बालक के समान जानना चाहिए। गुरुकुल जाने लिए आठ साल आयु तक नहीं जाने के लिए कहा गया था गर्भस्थ शिशु मात्र बालक समान माना गया था । मानवजन की औसतन आयु वेद दर्शन शास्त्र अनुसार सौ साल मानी गई थी। आज‍कल गुरुकुल/ स्कूल जाने के लिए अस्सी साल औसतन आयु मानकर छः साल तक आयु मानी गई है।
      जब तक बालक का जनेऊ ना हो तब तक भक्ष्य अभक्ष्य, पेय, अपेय, सत्य और असत्य में बालक को दोष नहीं जानना चाहिए।
      संस्कृत श्लोक विधिनियम-
      जातमात्र: शिशुस्तावद्यावदष्टौ समा वय: । स हि गर्भसमो ज्ञेयो व्यक्तिमात्रप्रदरशित: ।। भक्ष्याभक्ष्ये तथा पेये वाच्यावाच्ये ऋतानृते। अस्मिन्बाले न दोष: स्यात्स यावन्नोपनीयते ।। दक्षराज स्मृतिज्ञान।
      जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम। ॐ ।।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      ​@@jugunushaikh237शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो) !
      सड़क किनारे रहने वाले सबजन अपने मकान, दुकान, प्रतिष्ठान और संस्थान पर अपना नाम लिखकर लगायें और संचालित करने वाले कर्मचारियों का नाम भी लिखवायें। रेट लिस्ट भी लगायें तो ओर भी उचित सोच कदम है। सड़क किनारे वाले अपने मकान, दुकान, संस्थान और प्रतिष्ठान के आगे की नाली नालो में कुछ भी कचरा ना गिरायें और ना दूसरो को गिरवाएं। सड़क की चौड़ाई ज्यादा रखें जामरहित सड़क मार्ग रहें । सड़क किनारे वाले अपनी अपनी डस्बिन रखें और रखवाएं । सड़क रास्ते से गुजरने वाले मानव जनो को अतिथी देवो भव: का ध्यान रखते हुए राहगीरों को पानी पीने की सुविधा उपलब्ध कराएं। सब माता पिता जुलाई गुरूपूर्णिमा पर अपने बच्चों के यज्ञोपवित संस्कार करायें। अखण्ड भारत की पौराणिक वैदिक सनातन दक्ष धर्म संस्कार संस्कृति का संरक्षण कर मानवता इन्सानियत का सम्मान करें।

  • @premlatatambe2257
    @premlatatambe2257 8 หลายเดือนก่อน +14

    वकील साहब भारत में आर्यों के आने से पहले मात्र प्रधान देश था उस पर भी एक विडियो बनाइएगा जय भीम जय भारत जय संविधान जय मुलनिवासी नमो बुध्दाय

  • @ManshingRajoriyA
    @ManshingRajoriyA 7 หลายเดือนก่อน +1

    आप सच्चे देश भक्त है और साहसी है

  • @Santoshpagalofficial45
    @Santoshpagalofficial45 11 หลายเดือนก่อน +13

    100% दिल से सैल्यूट सर, समझाने का तरीका बहुत अच्छा है आपका और ये बाते हर कोई नही बताता।

  • @niceGamers123
    @niceGamers123 ปีที่แล้ว +58

    बहुत ही निष्पक्षता से दी गई जानकारी के लिए आपको सलाम।

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

  • @dr.ramudayprasad1908
    @dr.ramudayprasad1908 3 หลายเดือนก่อน +2

    आपके समाजिक, राजनीति एवं धार्मिक विष्लेषण लोगों में जागरूक ता पैदा कर देश को एक साफ-सुथरा और प्रगतिशील समाज का निर्माण करने में सहायक सिद्ध होगा,जिससे भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी। मेरे समझ से वर्तमान में आर एस एस और भाजपा की नीति इसमें सबसे बड़ा बाधक है, यह केवल और केवल सत्ता के साधक के रूप में कार्य कर रही है। बहुत बहुत धन्यवाद एवं शुभकामनाएं।❤🌹🙏☸️🕉️☪️✝️

  • @kkgautamproductionhouse209
    @kkgautamproductionhouse209 10 หลายเดือนก่อน +11

    सर आप एक महान विचारक हैं। आपके तथ्य निरपेक्ष व समाज के उत्थान परम सहायक हैं।
    स्कूल अदालत व अस्पताल . तभी देश होगा खुशहाल ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
      एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
      ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
      ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
      ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
      क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
      क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
      क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
      शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से ।
      शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
      शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
      वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
      वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
      वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
      चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
      दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
      जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      पांचजनदेव = ऋषिदेव जनसेवा से /दासदेव वेतनसेवा से × ( ब्रह्मदेव ज्ञानसे शिक्षण प्रशिक्षण से मुखसे + क्षत्रमदेव ध्यानसे सुरक्षण न्याय शासन से बांह से + शूद्रमदेव तपसे उद्योग उत्पादन निर्माण से पेटउदर से + वैशमदेव तमसे वितरण वाणिज्य वित्त क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट से चरण से ) ।

  • @dhansinghmarko4287
    @dhansinghmarko4287 ปีที่แล้ว +10

    आदरणीय सम्माननीय माननीय पत्रकार की निर्भीक निष्पक्ष निडर सवर्ण समाज के लोगों को वास्तविक दर्पण दिखाने का जागरूकता अभियान फैलाने पर आपको कोटि कोटि बधाई नमन वंदन अभिनंदन सेल्यूट सेवा जोहार करता हूं

  • @ramnayanbharti9251
    @ramnayanbharti9251 6 หลายเดือนก่อน +2

    आप सच्चे देशभक्त हैं सर जी आप महान हैं सर जी क्योंकि सच बोलने की हिम्मत सब लोग नहीं कर सकते हैं सर जय भीम जय संविधान

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें ।
      शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है।
      आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है।
      संस्कृत श्लोक विधिनियम-
      ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।।
      तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार।
      शूद्रण ही तपस्वी है।
      शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए।
      पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग ।
      जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      विश्व राष्ट्र मानवो ! गुरुपूर्णिमा दक्षराज जन्म की शुभकामनाएं ।
      इस दिवस पर सभी माता पिता अपने बच्चो के यज्ञोपवित संस्कार करवायें ।
      सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
      सौ साल औसतन आयु मानकर गुरूकुल जाने की आयु आठ साल मानी गई थी।
      जब तक बालक की आठ वर्ष की अवस्था न हो तब तक बालक को उत्पन्न हुये बालक के समान जानना चाहिए। गुरुकुल जाने लिए आठ साल आयु तक नहीं जाने के लिए कहा गया था गर्भस्थ शिशु मात्र बालक समान माना गया था । मानवजन की औसतन आयु वेद दर्शन शास्त्र अनुसार सौ साल मानी गई थी। आज‍कल गुरुकुल/ स्कूल जाने के लिए अस्सी साल औसतन आयु मानकर छः साल तक आयु मानी गई है।
      जब तक बालक का जनेऊ ना हो तब तक भक्ष्य अभक्ष्य, पेय, अपेय, सत्य और असत्य में बालक को दोष नहीं जानना चाहिए।
      संस्कृत श्लोक विधिनियम-
      जातमात्र: शिशुस्तावद्यावदष्टौ समा वय: । स हि गर्भसमो ज्ञेयो व्यक्तिमात्रप्रदरशित: ।। भक्ष्याभक्ष्ये तथा पेये वाच्यावाच्ये ऋतानृते। अस्मिन्बाले न दोष: स्यात्स यावन्नोपनीयते ।। दक्षराज स्मृतिज्ञान।
      जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम। ॐ ।।

  • @dharmendratailar8479
    @dharmendratailar8479 ปีที่แล้ว +51

    हमे‌आप पर गर्व हो रहा है कि आप कम से कम सच हिम्मत तो है जय भीम नमो बुद्धाय जय संविधान जय मूलनिवासी

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

  • @santramsingh6855
    @santramsingh6855 ปีที่แล้ว +35

    आदरणीय, तिवारी जी, आप जैसे महापुरुषों का अवतरण इस मानव समाज के उत्थान हेतु प्रथवी पर यदा कदा ही होता है l आप सच मुच मानव ही नहीं महा मानव हैं l आपको मेरा दिल से नमस्कार और आशीर्वाद, मेरी हार्दिक कामना है कि आपकी और आपके परिवार की दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की हो l

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें ।
      शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है।
      आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है।
      संस्कृत श्लोक विधिनियम-
      ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।।
      तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार।
      शूद्रण ही तपस्वी है।
      शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए।
      पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग ।
      जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 4 หลายเดือนก่อน

      पांचजनदेव = ऋषिदेव जनसेवा से /दासदेव वेतनसेवा से × ( ब्रह्मदेव ज्ञानसे शिक्षण प्रशिक्षण से मुखसे + क्षत्रमदेव ध्यानसे सुरक्षण न्याय शासन से बांह से + शूद्रमदेव तपसे उद्योग उत्पादन निर्माण से पेटउदर से + वैशमदेव तमसे वितरण वाणिज्य वित्त क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट से चरण से ) ।

  • @lakhanchouhan9439
    @lakhanchouhan9439 5 หลายเดือนก่อน +2

    दिशा हीन भारतीय समाज को पटरी पर लाने में सहायक जानकारी, शुक्रिया

  • @factCheckedBharat
    @factCheckedBharat ปีที่แล้ว +664

    सर मैं पहली बार किसी ब्राह्मण से सुन रहा हूँ मुझे विश्वास नही हो रहा है। खैर आप मेरे लिए ब्राह्मण नही हैं आप एक महान शिक्षक और अच्छे विचारक हैं। आपको भारत को बहुत जरूरत है।

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +38

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @sahabram5624
      @sahabram5624 ปีที่แล้ว +27

      बहुत ही अच्छी ज्ञानवर्धक विचार
      गुरु जी को सादर प्रणाम।

    • @RavindraKumar-iu7ju
      @RavindraKumar-iu7ju ปีที่แล้ว +19

      आप अच्छे विचारक महान व्यक्तित्व ब्यक्ति है। जबकी आप एक वार्म्ह्मण परिवार से सम्बध्द रखते है।

    • @mithileshkushwaha9668
      @mithileshkushwaha9668 ปีที่แล้ว +5

    • @shivshankeryadav309
      @shivshankeryadav309 ปีที่แล้ว +17

      भारतीय बहुजन समाज सुधारकअर्जक संघ मिशन 85% राष्ट्रीय अध्यक्ष पेरियार शिव शंकर सिंह यादव अधिवक्ता सिविल कोर्ट आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से हूं सभी साथियों को तहे दिल से सादर नमो बुद्धा जय भीम पेरियार जय विज्ञान जय संविधान

  • @Raj-wf5de
    @Raj-wf5de 7 หลายเดือนก่อน +2

    बहुत शानदार सर।❤

  • @VijaySingh-sx4pn
    @VijaySingh-sx4pn ปีที่แล้ว +32

    श्री त्रिपाठी जी।
    आपकों लाख लाख धऩयवाद
    आपने सही तरीके से शूद्रों की ग़रीबी का आधार बताया।आप जैसे ब्राह्मण पूजनीय है।

    • @sunilkut5941
      @sunilkut5941 ปีที่แล้ว +1

      ye aag laga raha hai shudro ko ser pr chadha raha ishse to apna hi nuksan hai

    • @ayushsinghay
      @ayushsinghay ปีที่แล้ว

      ​@@sunilkut5941 sahi baat hai.
      Neech 85% sudron ko sar par chadhaya jaa raha hai.
      Neech jaat ( Ahir, jaat , chamar, teli,kurmi, koeri, gujjar, Mali, dhobi, aadi ) ye sabhi jaati ko itna sar par chadhaya jaa raha hai ki kya hi bataun.
      Aur Aisa kaam karne waale maximum 15% Dwij samaj se hi aate Hain. Aise logo ke Ghar se hame saadi vivah nahi karna chahiye, ye log apne hi pair par kulhadi maar rahe hain.

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      ​@@sunilkut5941
      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      ​@@sunilkut5941
      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

  • @VijayYadav-vn7cp
    @VijayYadav-vn7cp ปีที่แล้ว +267

    संविधान बचाओ देश बचाओ

    • @thelogicalindian99
      @thelogicalindian99  ปีที่แล้ว +1

      संविधान के दोस्त और दुशमन किस जाति के लोग ??th-cam.com/video/C2gD-_4epd4/w-d-xo.html

    • @mr.kavendrasaini7747
      @mr.kavendrasaini7747 ปีที่แล้ว +4

      Real history of India ❤🎉

    • @SurendraSingh-nd5jg
      @SurendraSingh-nd5jg 11 หลายเดือนก่อน +2

      संविधान के अनुसार ही देश चलता है और चलता रहेगा

    • @hemlatasahu9734
      @hemlatasahu9734 7 หลายเดือนก่อน

      ​@@thelogicalindian9931:06

    • @maheshkumarparmar2594
      @maheshkumarparmar2594 6 หลายเดือนก่อน

      Jay savidhan

  • @keshwarram7430
    @keshwarram7430 26 วันที่ผ่านมา

    समाज सुधारक की कोई जाति, बिरादरी नहीं होती बल्कि एक सोच होती है ,समाज को टूटने और बिखरने से बचाने के लिए । आप का प्रयास सराहनीय है ।धन्यवाद।