जुल्मों से माया जोड़ी कि डाका दिन धोले मारा । @ श्री कैलाश कर्मठ जी @ । आर्य समाज हिसार हरियाणा भारत

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  • เผยแพร่เมื่อ 23 ก.ย. 2024
  • Mission Aryavart , || Arya Samaj Vaidik Bhajan || , Gurukul Aryanagar Hisar Haryana , Arya Samaj Hisar Haryana , Arya Samaj Bhajan by Kailash Karmath Arya Ji , All Arya Samaj Vaidik Bhajan , मिशन आर्यावर्त्त , || आर्य समाज वैदिक भजन || , गुरूकुल आर्यनगर हिसार ( हरियाणा ) , आर्य समाज हिसार ( हरियाणा ) , आर्य जगत के सुविख्यात वैदिक भजनोपदेशक आदरणीय @ श्री कैलाश कर्मठ आर्य जी @
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    Anurag Arya mo. - 7988687245 ( Gurukul Aryanagar Hisar Haryana )
    भजन
    जुल्मों से माया जोड़ी कि डाका दिन धोले मारा ।
    उन्हीं का लगता है जयकारा ।।
    1 - आज नीचे से ऊपर तक चपड़ासी से अफसर तक ।
    छोटे से बड़े दफ्तर तक बड़ी धांधली है अन्दर तक ।
    रिश्वत बाजार गरम है पैसा ही लाज शर्म है ।
    पैसे की दुनियाँ दारी पैसा की आज धर्म है ।
    बन लखी और करोड़ी , कि डाका दिन धोले मारा ।
    उन्हीं का लगता है जयकारा ।।
    2 - दो नंबर की कमाई सरकार रोक नहीं पाई ।
    बड़ी बड़ी तकरीब चलाई वो निकाल लेते राई ।
    पैसों की बढ़ रही चोरी आज लिखा पड़ी है थोड़ी ।
    बड़े बड़े मिनिस्टर करते है यहाँ पर सीना जोड़ी ।
    सारी मर्यादा तोड़ी , कि डाका दिन धोले मारा ।
    उन्हीं का लगता है जयकारा ।।
    3 - जिसका मजबूत हो खूँटा वो बेईमान कहे झूठा ।
    दोनों हाथों से लूटा फिर दिखला रहा अंगूठा ।
    अयासि मौज करते है जुल्मों से ना डरते है ।
    कोई नहीं गरीब का साथी कुत्ते की मौत मरते है ।
    फिर जनता दौड़ी दौड़ी , कि डाका दिन धोले मारा ।
    उन्हीं का लगता है जयकारा ।।
    4 - डाके में ही सा पत्ती थोड़ा है किसी का बत्ती ।
    लूट रही देश सम्पत्ति जनता पर पड़ी विपत्ति ।
    सत न्याय की बात नहीं है अच्छे हालात नहीं है ।
    बदमाश के साथ भतेरे कोई भले के साथ नहीं है ।
    जो देश की किस्मत फोड़ी , कि डाका दिन धोले मारा ।
    उन्हीं का लगता है जयकारा ।।
    5 - ईश्वर का न्याय अटल है जो करता ये छल बल है ।
    तू किस पर रहा उछल है मिलता कर्मों का फल है ।
    ना काया साथ जायेगी ना ये माया साथ जायेगी ।
    `` सतवीर ʼʼ तेरे कर्मों की पर छाया साथ जायेगी ।
    अब संभल जिन्दगी थोड़ी , कि डाका दिन धोले मारा ।
    उन्हीं का लगता है जयकारा ।।
    6 - है जिसके पास में पैसा वो जुल्म करे चाहे जैसा ।
    मजबूत है खूँटा ऐसा फिर उसको डर है कैसा ।
    वो चाहे जिसको मारे मन चाहे जुल्म गुजारे ।
    किसी को कुछ नहीं होता आये बहरी हत्यारे ।
    फिर जनता दौड़ी दौड़ी , कि डाका दिन धोले मारा ।
    उन्हीं का लगता है जयकारा ।।
    7 - दोनों हाथों से लूटा दुनियाँ को दिखा के अंगूठा ।
    अथवा
    ये लिखा पढ़ी है कोरी करते है टेक्स की चोरी ।
    नए नए मिनिस्टर आते करते है सीना जोरी ।
    सत न्याय की बात नहीं है झूठी पंचायत नहीं है ।
    गुण्डों के साथ बहुत तेरे कोई भले के साथ नहीं है ।
    मेरे देश की किस्मत फोड़ी , कि डाका दिन धोले मारा ।
    उन्हीं का लगता है जयकारा ।।
    जुल्मों से माया जोड़ी कि डाका दिन धोले मारा ।
    उन्हीं का लगता है जयकारा ।।
    स्वर - आर्य जगत के एवं भारत सुविख्यात वैदिक भजनोपदेशक आदरणीय @ श्री कैलाश कर्मठ आर्य जी @ कोलकाता ( पश्चिम बंगाल ) भारत । mo. - 9330645181
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