PRABHU BHAKTI SATAK
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- เผยแพร่เมื่อ 11 ก.พ. 2025
- अनंतानंत सिद्ध परमेष्ठी भगवान की जय !
बावनगजा के श्री आदिनाथ भगवान की जय! परमपूज्य आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागरजी महाराज की जय! परमपूज्य आर्यिकारत्न श्री पूर्णमति माताजी की जय! आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज की अनन्य कृपा से भक्ति के कागज पर अनुभूति की कलम से आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी ने अपने हृदयरूपी वीणा केतार को झंकृत किया और उसी झंकार के रूप में प्रस्फुटित हुआ। प्रभु भक्ति शतक।
प्रभुवर को सर्वस्व मानकर, तीन योग से भक्ति की ।
गुरू को अर्पित भक्ति शतक यह, गुरू करे मम "पूर्णमति"॥
आचार्य परमपुज्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज के ५०वें दीक्षा दिवस पर गुरूवर के चरणों में बारम्बार नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु