निधन के बाद आया प्रहलाद मेहरा का नया गीत || पारबती को मैतूड़ा देसा ||

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 16 ต.ค. 2024
  • #pahadisong #prahladmehra #folksinger
    #prahladda #danpur #apnauttrakhand01 #prahladda
    लोक गायक स्व. प्रहलाद मेहरा ने निधन के 20 दिन के बाद उत्तराखंड को फिर भावुक कर दिया। इसकी वजह है प्रहलाद दा का नया गीत। गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की जुगलबंदी में गाया यह गीत मंगलवार शाम यूट्यूब पर जारी हुआ। निधन से कुछ दिन पहले ही प्रहलाद दा ने इसे रिकार्ड कराया था। गीत पर हर कोई भावुक प्रतिक्रिया दे रहा है।
    ये भी आपको पसंद आएगा • कालजई गीतों से अमर हो ...
    कुमाऊं की आवाज कहे जाने वाले प्रहलाद मेहरा का 10 अप्रैल को निधन हो गया था। उनके निधन पर हर कोई दुखी था। आज भी है। कुमाऊं, गढ़वाल ही नहीं, देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले प्रवासियों ने प्रहलाद दा को याद करते हुए इंटरनेट मीडिया पर भावुक पोस्ट किए।
    ------
    30 अप्रैल को स्व. प्रहलाद दा का नया गीत "पारबती को मैतूड़ा देसा" आया है। वीडियो गीत कुमाऊं के प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. शेरदा "अनपढ़" की कविता पर आधारित है। चांदनी इंटरप्राइजेज के बैनर तले तैयार गीत में सिने अभिनेता हेमंत पांडे और पन्नू गुसांई ने अभिनय किया है। संगीत रणजीत सिंह व निर्देशन गोविंद नेगी का है। रिलीज होने के 24 घंटे के भीतर गीत को 50 हजार लोग देख चुके हैं। 800 से अधिक प्रतिक्रिया आई हैं।
    --------
    स्व. शेरदा "अनपढ़" ने अपनी कविता में उत्तराखंड के सौंदर्य का वर्णन किया है। बोल हैं, पारबती को मैतूड़ा देश, म्यर मुलुक कदुग प्यार। ऋषि-मुनियों की तपो भूमि, दुनिया में यो सबौंहै न्यार।
    कविता में शेरदा आगे कहते हैं इसके शीश पर हिमालय मुकुट की तरह चमकता है और पांव में गंगा की धारा छलछलाती है। जंगल, प्रकृति, हिसालु, किल्मोड़ी, बुरांश का भी उल्लेख मिलता है। कविता पर स्व. प्रहलाद दा की मधुर आवाज हर किसी को भावुक कर रही है।
    ---------
    शेरदा की कविता को गीत रूप में लाने के लिए प्रहलाद दा काफी उत्सुक थे। चांदनी इंटरप्राइजेज चैनल के कार्यकारी नरेंद्र टोलिया ने बताया कि प्रहलाद दा की सोच पर ही नरेंद्र सिंह नेगी को गाने के लिए तैयार किया गया। टोलिया बताते हैं, नेगी दा ने चार माह तक गीत व कुमाऊंनी शब्दों पर अपनी पकड़ अच्छी की। प्रहलाद दा के निधन के एक सप्ताह पहले ही देहरादून में रिकार्डिंग पूरी हुई थी। फिर ऋषिकेश गंगा आरती, पौड़ी के एक गांव व पिथौरागढ़ में वीडियो बनाने के बाद गीत पूरा हुआ। प्रहलाद दा की इच्छा शेरदा की अन्य रचनाओं के साथ स्व. गिरीश तिवारी गिर्दा व गढ़वाल के कुछ पुराने साहित्यकारों की रचनाओं को गीत रूप में लाने की थी। प्रहलाद दा के जाने के साथ सफर थम गया।
    ©इस सामग्री की किसी रूप में पुनः प्रसारित करना कॉपी राइट का विषय हो सकता है।©
    धन्यवाद

ความคิดเห็น • 52