ब्रह्म बेदी | Brahm Bedi | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj

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  • เผยแพร่เมื่อ 21 ก.ค. 2023
  • ब्रह्म बेदी | Brahm Bedi | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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    ज्ञान सागर अति उजागर, निर्विकार निरंजनं। ब्रह्मज्ञानी महाध्यानी, सत सुकृत दुःख भंजनं।1।
    मूल चक्र गणेश बासा, रक्त वर्ण जहां जानिये। किलियं जाप कुलीन तज सब, शब्द हमारा मानिये।2।
    स्वाद चक्र ब्रह्मादि बासा, जहां सावित्री ब्रह्मा रहैं। ॐ जाप जपंत हंसा, ज्ञान जोग सतगुरु कहैं।3।
    नाभि कमल में विष्णु विशम्भर, जहां लक्ष्मी संग बास है। हरियं जाप जपन्त हंसा, जानत बिरला दास है।4।
    हृदय कमल महादेव देवं, सती पार्वती संग है। सोहं जाप जपंत हंसा, ज्ञान जोग भल रंग है।5।
    कंठ कमल में बसै अविद्या, ज्ञान ध्यान बुद्धि नासही। लील चक्र मध्य काल कर्मम्, आवत दम कुं फांसही।6।
    त्रिकुटी कमल परम हंस पूर्ण, सतगुरु समरथ आप है। मन पौना सम सिंध मेलो, सुरति निरति का जाप है।7।
    सहंस कमल दल भी आप साहिब, ज्यूं फूलन मध्य गन्ध है। पूर रह्या जगदीश जोगी, सत् समरथ निर्बन्ध है।8।
    मीनी खोज हनोज हरदम, उलट पन्थ की बाट है। इला पिंगुला सुषमन खोजो, चल हंसा औघट घाट है।9।
    ऐसा जोग विजोग वरणो, जो शंकर ने चित धरया। कुम्भक रेचक द्वादस पलटे, काल कर्म तिस तैं डरया।10।
    सुन्न सिंघासन अमर आसन, अलख पुरुष निर्बान है। अति ल्यौलीन बेदीन मालिक, कादर कुं कुर्बान है।11।
    है निरसिंघ अबंध अबिगत, कोटि बैुकण्ठ नखरूप है। अपरंपार दीदार दर्शन, ऐसा अजब अनूप है।12।
    घुरैं निसान अखण्ड धुन सुन, सोहं बेदी गाईये। बाजैं नाद अगाध अग है, जहां ले मन ठहराइये।13।
    सुरति निरति मन पवन पलटे, बंकनाल सम कीजिए। सरबै फूल असूल अस्थिर, अमी महारस पीजिए।14।
    सप्त पुरी मेरूदण्ड खोजो, मन मनसा गह राखिये। उड़हैं भंवर आकाश गमनं, पांच पचीसों नाखिये।15।
    गगन मण्डल की सैल कर ले, बहुरि न ऐसा दाव है। चल हंसा परलोक पठाऊॅ, भौ सागर नहीं आव है।16।
    कन्द्रप जीत उदीत जोगी, षट करमी यौह खेल है। अनभै मालनि हार गूदें, सुरति निरति का मेल है।17।
    सोहं जाप अजाप थरपो, त्रिकुटी संयम धुनि लगै। मान सरोवर न्हान हंसा, गंग् सहंस मुख जित बगै।18।
    कालइंद्री कुरबान कादर, अबिगत मूरति खूब है। छत्र स्वेत विशाल लोचन, गलताना महबूब है।19।
    दिल अन्दर दीदार दर्शन, बाहर अन्त न जाइये। काया माया कहां बपुरी, तन मन शीश चढाइये।20।
    अबिगत आदि जुगादि जोगी, सत पुरुष ल्यौलीन है। गगन मंडल गलतान गैबी, जात अजात बेदीन है।21।
    सुखसागर रतनागर निर्भय, निज मुखबानी गावहीं। झिन आकर अजोख निर्मल, दृष्टि मुष्टि नहीं आवहीं।22।
    झिल मिल नूर जहूर जोति, कोटि पद्म उजियार है। उल्ट नैन बेसुन्य बिस्तर, जहाँ तहाँ दीदार है।23।
    अष्ट कमल दल सकल रमता, त्रिकुटी कमल मध्य निरख हीं। स्वेत ध्वजा सुन्न गुमट आगै, पचरंग झण्डे फरक हीं।24।
    सुन्न मंडल सतलोक चलिये, नौ दर मुंद बिसुन्न है। दिव्य चिसम्यों एक बिम्ब देख्या, निज श्रवण सुनिधुनि है।25।
    चरण कमल में हंस रहते, बहुरंगी बरियाम हैं। सूक्ष्म मूरति श्याम सूरति, अचल अभंगी राम हैं।26।
    नौ सुर बन्ध निसंक खेलो, दसमें दर मुखमूल है। माली न कुप अनूप सजनी, बिन बेली का फूल है।27।
    स्वांस उस्वांस पवन कुं पलटै, नाग फुनी कुं भूंच है। सुरति निरति का बांध बेड़ा, गगन मण्डल कुं कूंच है।28।
    सुन ले जोग विजोग हंसा, शब्द महल कुं सिद्ध करो। योह गुरुज्ञान विज्ञान बानी, जीवत ही जग में मरो।29।
    उजल हिरम्बर स्वेत भौंरा, अक्षै वृक्ष सत बाग है। जीतो काल बिसाल सोहं, तर तीवर बैराग है।30।
    मनसा नारी कर पनिहारी, खाखी मन जहां मालिया। कुभंक काया बाग लगाया, फूले हैं फूल बिसालिया।31।
    कच्छ मच्छ कूरम्भ धौलं, शेष सहंस फुन गावहीं। नारद मुनि से रटैं निशदिन, ब्रह्मा पार न पावहीं।32।
    शम्भू जोग बिजोग साध्या, अचल अडिग समाध है। अबिगत की गति नाहिं जानी, लीला अगम अगाध है।33।
    सनकादिक और सिद्ध चैरासी, ध्यान धरत हैं तास का। चैबीसौं अवतार जपत हैं, परम हंस प्रकास का।34।
    सहंस अठासी और तैतीसों, सूरज चन्द चिराग हैं। धर अम्बर धरनी धर रटते, अबिगत अचल बिहाग हैं।35।
    सुर नर मुनिजन सिद्ध और साधिक, पार ब्रह्म कूं रटत हैं। घर घर मंगलाचार चैरी, ज्ञान जोग जहाँ बटत हैं।36।
    चित्र गुप्त धर्म राय गावैं, आदि माया ओंकार है। कोटि सरस्वती लाप करत हैं, ऐसा पारब्रह्म दरबार है।37।
    कामधेनु कल्पवृक्ष जाकैं, इन्द्र अनन्त सुर भरत हैं। पार्बती कर जोर लक्ष्मी, सावित्री शोभा करत हैं।38।
    गंधर्व ज्ञानी और मुनि ध्यानी, पांचों तत्व खवास हैं। त्रिगुण तीन बहुरंग बाजी, कोई जन बिरले दास हैं।39।
    ध्रुव प्रहलाद अगाध अग है, जनक बिदेही जोर है। चले विमान निदान बीत्या, धर्मराज की बन्ध तौर हैं।40।
    गोरख दत्त जुगादि जोगी, नाम जलन्धर लीजिये। भरथरी गोपी चन्दा सीझे, ऐसी दीक्षा दीजिए।41।
    सुलतानी बाजीद फरीदा, पीपा परचे पाइया। देवल फेरया गोप गोसांई, नामा की छान छिवाइया।42।
    छान छिवाई गऊ जिवाई, गनिका चढी बिमान में। सदना बकरे कुं मत मारै, पहुँचे आन निदान में।44
    अजामेल से अधम उधारे, पतित पावन बिरद तास है। केशो आन भया बनजारा, षट दल कीनी हास है।44
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ความคิดเห็น • 42

  • @r.cjethaniya3457
    @r.cjethaniya3457 9 หลายเดือนก่อน

    True Guru Sant Rampal Ji

  • @gssssahaspuriyahindoli6570
    @gssssahaspuriyahindoli6570 9 หลายเดือนก่อน +1

    Very nice

  • @sanjudara9380
    @sanjudara9380 9 หลายเดือนก่อน +1

    श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 - 4, 16, 17 में कहा गया है जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग बता देगा वह पूर्ण गुरु/सच्चा सद्गुरु है।
    यह तत्वज्ञान केवल पूर्ण संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं। पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लें, अपना कल्याण कराएं।

  • @rimpisekhon9635
    @rimpisekhon9635 9 หลายเดือนก่อน +1

    गोरख से ज्ञानी घने, सुखदेव जती जहान।
    सीता सी बहु भारिया, सन्त दूर अस्थान।।
    Jagatguru Tatvadarshi Saint Rampal Ji Maharaj is Satguru to date; on earth who is providing the correct way of worship of Aadi Ram.

  • @Arvind_Xy
    @Arvind_Xy 8 หลายเดือนก่อน

    सतगुरु के उपकार का लाया एक विचार
    जे सतगुरु मिलता नहीं, जाते नरक द्वार

  • @madanmohansingh7279
    @madanmohansingh7279 9 หลายเดือนก่อน +1

    सच्चा गुरु तत्वज्ञान (सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान) प्रदान करता है जिसके द्वारा व्यक्ति अनन्त भगवान को प्राप्त करता है।
    Take refuge in Sant Rampal Ji Maharaj ☘वर्तमान में सारे प्रमाण और ज्ञान देखकर पूरी धरती पर अगर कोई संत है तो वह सिर्फ SaintRampalJiM जी है, संत रामपाल जी महाराज ज़ी

  • @SunitaDevi-xp8vi
    @SunitaDevi-xp8vi 9 หลายเดือนก่อน +1

    Baakhabar Sant Rampal Ji
    💠पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।

  • @puranmal8002
    @puranmal8002 9 หลายเดือนก่อน +2

    कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं..

  • @laxmimali6778
    @laxmimali6778 9 หลายเดือนก่อน +3

    गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में गीता ज्ञान दाता ने तत्वदर्शी संत (सच्चा सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है कि वह संत संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग अर्थात जड़ से लेकर पत्ती तक का विस्तारपूर्वक ज्ञान कराएगा।

  • @mkverma9922
    @mkverma9922 9 หลายเดือนก่อน +2

    कबीर,अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का,एक रति नही भार
    सतगुरु पुरुष कबीर है,कुल के सिरजनहार।।

  • @shivam8660
    @shivam8660 9 หลายเดือนก่อน +2

    हजार वर्ष तप करने का जो फल प्राप्त होता है उससे अधिक फल तत्वदर्शी संत का एक पल का सत्संग मिल जाए उससे होता है।
    कबीर साहेब जी कहते हैं -
    सत्संग की आधी घड़ी, तप के वर्ष हजार l
    तो भी बराबर है नहीं, कहै कबीर विचार ll

  • @pawan0302
    @pawan0302 9 หลายเดือนก่อน +1

    बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो

  • @pushpendrasinghrathore3946
    @pushpendrasinghrathore3946 9 หลายเดือนก่อน +2

    पर्वत पर्वत मैं फिरा, कारण अपने राम।
    राम जैसे संत मिले, जिन सारे सब काम।।

  • @indrakumargavel7873
    @indrakumargavel7873 5 หลายเดือนก่อน

    बंदीछोड़ सद्गुरु रामपाल महाराज जी के चरणों में कोटिकोटि दण्डवत प्रणाम।
    जयजयसत्यकबीर
    सत-साहेब 🙏🙏🙏

  • @Manavjain5569
    @Manavjain5569 9 หลายเดือนก่อน +2

    गीता अध्याय 5 श्लोक 2 में कहा गया है कि तत्वदर्शी संत न मिलने के कारण वास्तविक भक्ति का ज्ञान न होने से साधकों द्वारा गृहत्याग कर वन में चला जाना या कर्म त्याग कर एक स्थान पर बैठ कर कान, नाक आदि बंद करके या तप आदि करना दोनों ही व्यर्थ हैं अर्थात श्रेयकर नहीं हैं।

  • @rohitashdas9578
    @rohitashdas9578 9 หลายเดือนก่อน +2

    Very nice Satsang

  • @tejpaltak4960
    @tejpaltak4960 2 หลายเดือนก่อน

    कबीर,यह माया अटपटी, सब घट आन अडी।
    किस किस को समझाऊं, या कूऐं भांग पड़ी।।

  • @rajkumarisingh-xy2sj
    @rajkumarisingh-xy2sj 9 หลายเดือนก่อน +1

    Baakhabar Sant Rampal Ji
    🌙हजरत मुहम्मद जी मांस नहीं खाते थे।
    गरीब, नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया।
    एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।।
    संत गरीबदास जी ने कहा है कि नबी मुहम्मद जी को मेरा नमस्कार (सलाम) है। वे (राम) अल्लाह के (रसूल) संदेशवाहक कहलाए। बाबा आदम से लेकर अंतिम नबी
    हजरत मुहम्मद जी तक एक लाख अस्सी हजार नबी हुए हैं तथा जो उनके अनुयाई उस समय थे, कसम है उन्होंने छुरी चलाकर जीव हिंसा नहीं की। ✅

  • @ParamSatyaParameshwer
    @ParamSatyaParameshwer 9 หลายเดือนก่อน

    Satgurudev Bhagavan Ji Ki Jay Ho 🙏🌹🌹

  • @laxmimali6778
    @laxmimali6778 9 หลายเดือนก่อน +2

    Super

  • @anandram6150
    @anandram6150 9 หลายเดือนก่อน +1

    पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं।
    हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
    ‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
    नानक देव जी कहते हैं:-
    हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।

  • @kailashkumari2023
    @kailashkumari2023 9 หลายเดือนก่อน +1

    Very nice satsang

  • @Sumitradassi113
    @Sumitradassi113 9 หลายเดือนก่อน

    🙏🙏🙏🙏

  • @KabirgyanHD
    @KabirgyanHD 9 หลายเดือนก่อน

    🎉🎉🎉

  • @user-lx9wz8zz4h
    @user-lx9wz8zz4h หลายเดือนก่อน

    बहुत अच्छा ज्ञान

  • @Godkabir88890
    @Godkabir88890 9 หลายเดือนก่อน

    😊😊

  • @SunilKumar-pn9qz
    @SunilKumar-pn9qz 9 หลายเดือนก่อน

    anmol amrit wani

  • @user-vl7mp6fj5k
    @user-vl7mp6fj5k 9 หลายเดือนก่อน +2

    मुनिन्दर ऋषि के रूप में त्रैतायुग में कबीर साहेब जी ही आये थे,
    सतयुग में सतसुकृत कह टैरा त्रेता नाम मुनिन्दर मेरा
    द्वापर में करूणामय कहाया कलयुग नाम कबीर धराया!!
    और अधिक जानकारी के लिए पढ़े ज्ञान गंगा पुस्तक

  • @jagatgururampaljibhagwan1988
    @jagatgururampaljibhagwan1988 9 หลายเดือนก่อน +2

    आशा एक नाम की राखे। निज शुभकर्म प्रगट नहिं भाखे।।
    गुरूपद रहे सदा लौ लीना। जैसे जलहि न विसरत मीना।।
    उपदेशी केवल एक नाम की आशा रखे। मान-बड़ाई की चाह हृदय से त्याग दे। अपने शुभ कर्म (दान या अन्य सेवा) किसी के सामने न बताए। गुरू जी के पद (चरण) यानि गुरू की शरण में ऐसे रहे जैसे जल में मीन रहती है।

  • @gurmeetkaur6891
    @gurmeetkaur6891 9 หลายเดือนก่อน

    With proof knowledge

  • @mkverma9922
    @mkverma9922 9 หลายเดือนก่อน +1

    Great gyan

  • @neerajsaini1256
    @neerajsaini1256 9 หลายเดือนก่อน

    Great insights in this satsang

  • @anitapahadiya3417
    @anitapahadiya3417 9 หลายเดือนก่อน

    Supreme god is Kabir 🙏

  • @MISSION_SATLOK_1000
    @MISSION_SATLOK_1000 9 หลายเดือนก่อน

    Sacha gyan

  • @SubhashChand-mv8ph
    @SubhashChand-mv8ph 6 หลายเดือนก่อน

    अमृत गियान

  • @rajkumarisingh-xy2sj
    @rajkumarisingh-xy2sj 9 หลายเดือนก่อน +1

    Baakhabar Sant Rampal Ji
    Sura: Bakra-2 verse no. In 255, he has told the glory of God other than himself and in Surah Fatir-1 verse 1-7 has asked to worship the able Rahman.
    - Bakhabar Sant Rampal Ji Maharaj

  • @pinkiprajapat4620
    @pinkiprajapat4620 9 หลายเดือนก่อน

    𝐓ʀᴜᴇ 𝐀ɴᴅ 𝐂ᴏᴍᴘʟᴇᴛᴇ 𝐆ᴜʀᴜ : 𝐒ᴀɴᴛ 𝐑ᴀᴍᴘᴀʟ 𝐉ɪ 𝐌ᴀʜᴀʀᴀᴊ❤

  • @rajkumarisingh-xy2sj
    @rajkumarisingh-xy2sj 9 หลายเดือนก่อน +1

    Baakhabar Sant Rampal Ji
    Surah Mulk-67 In the verses before verse 9,it has been told that the people who tell the Prophet,who tells the knowledge of this Quran, that you are lying.And by not following the instructions of Allah,they will die by doing wrong practice.

  • @ravidas2072
    @ravidas2072 9 หลายเดือนก่อน +1

    🪕जो भी संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बताता है और भक्त समाज को मार्ग दर्शन करता है तो वह पूर्ण संत है अन्यथा वह भक्त समाज का घोर दुश्मन है जो शास्त्रो के विरूद्ध साधना करवा रहा है। इस अनमोल मानव जन्म के साथ खिलवाड़ कर रहा है। ऐसे गुरु या संत को भगवान के दरबार में घोर नरक में उल्टा लटकाया जाएगा।

  • @gssssahaspuriyahindoli6570
    @gssssahaspuriyahindoli6570 9 หลายเดือนก่อน +1

    Very nice

  • @kiransingh1302
    @kiransingh1302 9 หลายเดือนก่อน +1

    Very nice