Poem: Uttrakhand Meri MatrBhumi | कविता: उत्तराखंड मेरी मातृभूमि - Poet: Girda | कवि: गिर्दा

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 4

  • @anchalnegi1227
    @anchalnegi1227 2 ปีที่แล้ว +2

    मै बता नहीं सकती में ऐसे सुनकर कितना खुश हुई जय हो ऐसे महान विभूतियों की

  • @hemantsingh3435
    @hemantsingh3435 4 ปีที่แล้ว +4

    Wah great poet gem of Kumaon and whole Uttrakhand

  • @anchalnegi1227
    @anchalnegi1227 2 ปีที่แล้ว +2

    सत सत नमन गुरुजी

  • @Juyal.sanjay
    @Juyal.sanjay 4 ปีที่แล้ว +2

    2 दढ़ सुतियों, अब ये उत्तराखंड का राज गीत है ,अब बैठ खुजलाते रहो ...-ऊपर या नीचे