(गीता-25) तीन धर्म जिन पर कभी नहीं चलना (स्वधर्म पहचानिए) || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2023)
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- เผยแพร่เมื่อ 16 ก.ย. 2024
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वीडियो जानकारी: 26.10.23, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् ।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ॥
सुंदर रूप से अनुष्ठित परधर्म की अपेक्षा गुणरहित होने पर भी निजधर्म श्रेष्ठतर है। अपने धर्म के पालन में मृत्यु भी कल्याणकारी है, दूसरों का धर्म भययुक्त या हानिकारक है।
~ श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 3, श्लोक 35)
~ स्वधर्म क्या है?
~ परधर्म क्या है?
~ स्वभाव क्या है हमारा?
~ आज तक हम किन तीन ताकतों के प्रभाव में निर्णय लेते आ रहे हैं?
~ कर्म क्या है?
संगीत: मिलिंद दाते
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In tino dharm ko nhi manne se log unhe bagi khte hai . Lekin aapne jo bataya us dharm pr nhi chalne se shanti milti hai. Shi dharm batane ke liye koti koti naman aacharya ji🙏🙏
🙏🙏धन्यवाद 🙏🙏
Adbhut prasang
Aacharya ji parnam
प्रणाम आचार्य जी ❤❤
Satya
Thank you🙏Aacharya ji🙂
Absolutely right Acharya ji 🙏🏻
Acharyaji Aap sahi kah rahe ham yahi karte Aara he hai
Excellent! Well explained
आचार्य जी सादर प्रणाम अपने पर धर्म और प्रकृति का बहुत ही अच्छे से वर्णन किया है। आज ही मैंने महसूस करके देखा है अगर शरीर समाज और सहयोग को पर हम नहीं चलते हैं तो हमें एक आंतरिक आनंद की अनुभूति अनुभव होती है। क्योंकि हमारे दिमाग में जो भी कुछ चल रहा होता है वह सब पर धर्म से ही चल रहा होता है। अगर हम इन तीनों को हमारे दिमाग से निकाल देते हैं तो हम आज भी एक इनोसेंट बच्चों की तरह अनुभव कर सकते हैं। मान्यता रीति रिवाज और संयोगो ने जीवन को नर्क बना रखा है।। मैंने बहुत बार इस वीडियो को सुना है लेकिन आज मुझे जो अनुभव हुआ है वह अलग ही है पहली बार से । मुझे ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे मेरे आस पास कोई नहीं है मैं बिल्कुल अकेला हूं और बिल्कुल शांति में हूं। बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Next part please
शरीर समाज संयोग ये तीनों ही पर धर्म है ।मर जाऊंगा लेकिन इन तीनों पर नहीं चलूँगा ।क्योंकि श्री कृष्ण कहते हैं कि पर धर्म भयावह है ।🙏🏻♥️
🙏
😊😊🌹🌹🙏🙏
सच बताऊं 38 साल का जीवन सिर्फ़ शरीर, समाज और संयोग बस ही रहा है। अब नहीं पर ।
भगवत गीता के असली अर्थ ने जीवन में प्रकाश लाया। आचार्य जी 🙏
prkrity shrir smaz sanyog he prkrity ki vishy me sansar sadak brhmand mnushy jungle shahar prkrity ke isharo per nhi chalna he ye pardharm he bimari he
हार्दिक आभार 🙏🙏🙏
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