@@आदित्य_वार्ष्णेय 🙏 🔥 🌹वेद के ईश्वर का स्वरुप🌹 यदि ईश्वर साकार है तो दिखना चाहिए, परन्तु दिखता नहीं ? यदि चीटी के समान शरीर है तो सूर्य, भूमि, चन्द्रादि लोक को धारण नहीं कर सकता और यदि पर्वत के समान शरीर है तो चीटी आदि छोटे जन्तुओं के सिर में आंख जैसी सूक्ष्म वस्तु की रचना नहीं कर सकता ! यदि एक ही समय में ईश्वर निराकार और साकार दोनों प्रकार का है तो दो विरोधी बातें ईश्वर में नहीं हो सकती ? क्योंकि :- नैकस्मिन्न सम्भवात् (वेदान्त २/२/३३) विप्रतिषेधाच्च (वेदान्त २/२/४५) अर्थात एक ही वस्तु में एक साथ दो विरोधी धर्म नहीं यह सकते। 🔥जैसे निराकार और साकार !🔥 🌺निराकार और साकार दोनों का परस्पर में विरोध होने से निराकार ईश्वर साकार नहीं हो सकता !!🌺
@@आदित्य_वार्ष्णेय मान्यवर वेद खुद कहता है, परमात्मा की आंखें नहीं फिर भी वह देख सकता है, उसके हाथ नहीं फिर भी स्पर्श कर सकता है, उसके कान नहीं फिर भी सुन सकता है, वह दूर से भी दूर और पास से भी पास है, इसलिए वह सर्वशक्तिमान है, उसके अपने कार्य करने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं, परमात्मा कोई अल्लाह नहीं , जिसे फरिश्ते की जरूरत हो😂, या किसी शरीर की , इसलिए जो जैसा है, उसे बेस मानना ही धर्म है, वही आर्य(श्रेष्ठ)है, वही श्रेष्ठ है,🙏🙏🙏
@@NovusOrto8305 सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा ॥ अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई ॥ सगुण और निर्गुणमें कुछ भी भेद नहीं है-मुनि, पुराण, पण्डित और वेद सभी ऐसा कहते हैं। जो निर्गुण, अरूप (निराकार), अलख (अव्यक्त) और अजन्मा है, वही भक्तोंके प्रेमवश सगुण हो जाता है ॥ १॥ जो गुन रहित सगुन सोइ कैसें। जलु हिम उपल बिलग नहिं जैसें ॥ जासु नाम भ्रम तिमिर पतंगा। तेहि किमि कहिअ बिमोह प्रसंगा ॥ जो निर्गुण है, वही सगुण कैसे है? जैसे जल और ओलेमें भेद नहीं। (दोनों जल ही हैं, ऐसे ही निर्गुण और सगुण एक ही हैं।) जिसका नाम भ्रमरूपी अन्धकारके मिटानेके लिये सूर्य है, उसके लिये मोहका प्रसंग भी कैसे कहा जा सकता है? हरष बिषाद ग्यान अग्याना। जीव धर्म अहमिति अभिमाना ॥ राम ब्रह्म ब्यापक जग जाना। परमानंद परेस पुराना ॥ हर्ष, शोक, ज्ञान, अज्ञान, अहंता और अभिमान- ये सब जीवके धर्म हैं। श्रीरामचन्द्रजी तो व्यापक ब्रह्म, परमानन्दस्वरूप, परात्पर प्रभु और पुराणपुरुष हैं। इस बातको सारा जगत् जानता है । जासु कृपाँ अस भ्रम मिटि जाई। गिरिजा सोड़ कृपाल रघुराई ॥ आदि अंत कोउ जासु न पावा। मति अनुमानि निगम अस गावा ।। हे पार्वती! जिनकी कृपासे इस प्रकारका भ्रम मिट जाता है, वही कृपालु श्रीरघुनाथजी हैं। जिनका आदि और अन्त किसीने नहीं [जान] पाया। वेदोंने अपनी बुद्धिसे अनुमान करके इस प्रकार (नीचे लिखे अनुसार) गाया है । बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना ।। आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी ॥ वह (ब्रह्म) बिना ही पैरके चलता है, बिना ही कानके सुनता है, बिना ही हाथके नाना प्रकारके काम करता है, बिना मुँह (जिह्वा) के ही सारे (छहों) रसोंका आनन्द लेता है और बिना ही वाणीके बहुत योग्य वक्ता है। तन बिनु परस नयन बिनु देखा। ग्रहइ घ्रान बिनु बास असेषा ।। असि सब भाँति अलौकिक करनी। महिमा जासु जाइ नहिं बरनी ॥ वह बिना ही शरीर (त्वचा) के स्पर्श करता है, बिना ही आँखोंक देखता है और बिना ही नाकके सब गन्धोंको ग्रहण करता है (सूँघता है)। उस ब्रह्मकी करनी सभी प्रकारसे ऐसी अलौकिक है कि जिसकी महिमा कहीं नहीं जा सकती । जय श्री राम 🙏🚩🚩
@@NovusOrto8305 श्री रामचरितमानस से आपके प्रश्न का उत्तर :- सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा ॥ अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई ॥ सगुण और निर्गुणमें कुछ भी भेद नहीं है-मुनि, पुराण, पण्डित और वेद सभी ऐसा कहते हैं। जो निर्गुण, अरूप (निराकार), अलख (अव्यक्त) और अजन्मा है, वही भक्तोंके प्रेमवश सगुण हो जाता है ॥ १॥ जो गुन रहित सगुन सोइ कैसें। जलु हिम उपल बिलग नहिं जैसें ॥ जासु नाम भ्रम तिमिर पतंगा। तेहि किमि कहिअ बिमोह प्रसंगा ॥ जो निर्गुण है, वही सगुण कैसे है? जैसे जल और ओलेमें भेद नहीं। (दोनों जल ही हैं, ऐसे ही निर्गुण और सगुण एक ही हैं।) जिसका नाम भ्रमरूपी अन्धकारके मिटानेके लिये सूर्य है, उसके लिये मोहका प्रसंग भी कैसे कहा जा सकता है? हरष बिषाद ग्यान अग्याना। जीव धर्म अहमिति अभिमाना ॥ राम ब्रह्म ब्यापक जग जाना। परमानंद परेस पुराना ॥ हर्ष, शोक, ज्ञान, अज्ञान, अहंता और अभिमान- ये सब जीवके धर्म हैं। श्रीरामचन्द्रजी तो व्यापक ब्रह्म, परमानन्दस्वरूप, परात्पर प्रभु और पुराणपुरुष हैं। इस बातको सारा जगत् जानता है । जासु कृपाँ अस भ्रम मिटि जाई। गिरिजा सोड़ कृपाल रघुराई ॥ आदि अंत कोउ जासु न पावा। मति अनुमानि निगम अस गावा ।। हे पार्वती! जिनकी कृपासे इस प्रकारका भ्रम मिट जाता है, वही कृपालु श्रीरघुनाथजी हैं। जिनका आदि और अन्त किसीने नहीं [जान] पाया। वेदोंने अपनी बुद्धिसे अनुमान करके इस प्रकार (नीचे लिखे अनुसार) गाया है । बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना ।। आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी ॥ वह (ब्रह्म) बिना ही पैरके चलता है, बिना ही कानके सुनता है, बिना ही हाथके नाना प्रकारके काम करता है, बिना मुँह (जिह्वा) के ही सारे (छहों) रसोंका आनन्द लेता है और बिना ही वाणीके बहुत योग्य वक्ता है। तन बिनु परस नयन बिनु देखा। ग्रहइ घ्रान बिनु बास असेषा ।। असि सब भाँति अलौकिक करनी। महिमा जासु जाइ नहिं बरनी ॥ वह बिना ही शरीर (त्वचा) के स्पर्श करता है, बिना ही आँखोंक देखता है और बिना ही नाकके सब गन्धोंको ग्रहण करता है (सूँघता है)। उस ब्रह्मकी करनी सभी प्रकारसे ऐसी अलौकिक है कि जिसकी महिमा कहीं नहीं जा सकती । जय श्री राम 🙏🚩
@@NovusOrto8305 baat zarurat ki nahi kshamata ki ho rahi hai, ishwar pruthvi par insaan ya kisi bhi rup me aa sakta hai ki nahi ye baat ho rahi hai, ayega ya nahi, ane ki zarurat hai ki nahi ye to baad ki baat hai lekin ye kah dena ki nahi aa sakta ye galat hai.
अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्, प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय सम्भवाम्यात्ममायया श्रीमदभगवद्गीता का यह श्लोक अवतार विरोधियों की मान्यता पर पानी फेर देता है ।
@@Shribhargav 🙏 🔥 🌹वेद के ईश्वर का स्वरुप🌹 यदि ईश्वर साकार है तो दिखना चाहिए, परन्तु दिखता नहीं ? यदि चीटी के समान शरीर है तो सूर्य, भूमि, चन्द्रादि लोक को धारण नहीं कर सकता और यदि पर्वत के समान शरीर है तो चीटी आदि छोटे जन्तुओं के सिर में आंख जैसी सूक्ष्म वस्तु की रचना नहीं कर सकता ! यदि एक ही समय में ईश्वर निराकार और साकार दोनों प्रकार का है तो दो विरोधी बातें ईश्वर में नहीं हो सकती ? क्योंकि :- नैकस्मिन्न सम्भवात् (वेदान्त २/२/३३) विप्रतिषेधाच्च (वेदान्त २/२/४५) अर्थात एक ही वस्तु में एक साथ दो विरोधी धर्म नहीं यह सकते। 🔥जैसे निराकार और साकार !🔥 🌺निराकार और साकार दोनों का परस्पर में विरोध होने से निराकार ईश्वर साकार नहीं हो सकता !!🌺
@@Shribhargav मान्यवर 🙏 योगेश्वर श्री कृष्णा भगवान है, कोई परमात्मा नहीं, भगवान मतलब जो भाग्य पर विजय प्राप्त किया हो, वह योगिराज है, लेकिन पौराणिक हिंदुओं ने उन्हें कपड़ा और माखन चुराने वाला बना दिया , योगेश्वर श्री कृष्णा जैसे लोग करोड़ों में एक होते है
@@NovusOrto8305 योगिनां देवः यः स योगेश्वरः। अर्थात जो योगियों के ईश्वर है वो योगेश्वर है। श्रीकृष्ण योगियों के ईश्वर है इसलिए उन्हें योगेश्वर भी कहा गया है। श्रीकृष्ण भगवान ने स्वयं को गीता जी में ईश्वर कह रहे है । और खुद वेदव्यास जी ने भी महाभारत और पुराणों में श्रीकृष्ण जी को परब्रह्म परमात्मा कहा है । आप माने या न माने सत्य तो सत्य ही रहेगा। 🙏🚩🚩 जय श्री कृष्ण 🙏🚩
आर्य समाजियों की नवीन भगवद्गीता में भी इन लोगों ने लिख रखा है जब धर्म की हानि होती है तब ऐसी शक्तियां प्रगट हो जाती हैं जो धर्म स्थापना करतीं हैं इन मूर्खों के अनुसार शक्तियां प्रगट हो जाती हैं पर ईश्वर प्रगट नहीं हो सकता
भैया बहुत तगड़ा उत्तर दे दिया आपने इस कलयुगी योगी को 😅👌👏 इसका सारा खेल उल्टा पड़ गया 😂 भैया आपने अच्छे से शास्त्र प्रमाणों के साथ उत्तर दिया है ।🚩 अब अगर ये कुछ भी आपके विरोध में बोलेगा तो सीधे सीधे शास्त्र विरोधी सिद्ध हो जाएगा। 😂🚩🚩 वैसे भी इसने अपना tag तो कलयुगी योगी रखा हुआ है तो कलयुग का प्रभाव तो इसपर दिखेगा ही न 😂😂🚩 निरुत्तर हो गया ये कलयुगी योगी 😂 इसलिए कहा जाता है :- मत पड़ो चक्कर में , कोई है नही टक्कर में 🚩🚩 जय श्री राम 🙏🚩 जय श्री कृष्ण 🙏🚩 हर हर महादेव 🙏🚩
शास्त्रार्थ की प्रतिभा तो है भाई आपमें, ये जो चार्वाक, जैन, बौद्ध, सिख सिद्धांत है तोड़ने की जरूरत। अभी तो एक नव बौद्ध मार्केट में आया है और कम्युनिस्ट विचार धारा आज की पीढी दिग्भर्मित हो रही। दिशा दिखाने की जरूरत।
@@RakeshKumar-ld3obईश्वर (परमात्मा) क्या है ?🌻🌹 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 इसका उत्तर है कि जिससे यह संसार बना है, चल रहा है व अवधि पूर्ण होने पर जो इस ब्रह्माण्ड की प्रलय करेगा, उसे ईश्वर कहते हैं। वह ईश्वर कैसा है तो चारों वेद, उपनिषद व दर्शन सहित सभी आर्ष ग्रन्थों ने बताया है कि ईश्वर - ‘‘ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनादि, अनन्त, निर्विकार, अनुपम,, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, पवित्र व सृष्टिकर्ता है। (सभी मनुष्यों को) उसी की उपासना करनी योग्य है।
शिवांश भाई इससे पूछे की कब यह स्वामी दयानंद जी के ऊपर भी एक लाइव करे की स्वामी दयानंद जी कहा गलत है। मैंने भी इसको पूछा है की जब यह एक लाइव करे की स्वामी दयानंद जी कहा कहा गलत है तब मैं इसको आर्य समाज बोलना बंद करूंगा।
Haan tmhare jaiso ki siddhant ko Shivansh bhaiya vaise dubadenge jaise Hanuman ji ne us samundar ki chaaya rakhasi ko kiya thaa😂 ruke raho Suruwat tmne kiy hain khatam ham kharngee@@sushilarya1424
@@sushilarya1424 आपको कहा से पता चला की ईश्वर हमारी आंखों का विषय नही बन सकता ? शास्त्रों से ? तो देखिए हमारे श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण जी क्या कह रहे है :- अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्। प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय सम्भवाम्यात्ममायया ॥(4.6) मैं अजन्मा और अविनाशीस्वरूप होते हुए भी तथा समस्त प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी अपनी प्रकृति को अधीन करके अपनी योगमाया से प्रकट होता हूँ। अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः । परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम्॥(7.24) बुद्धिहीन पुरुष मेरे अनुत्तम अविनाशी परम भाव को न जानते हुए मन-इन्द्रियों से परे मुझ सच्चिदानन्दघन परमात्मा को मनुष्य की भाँति जन्मकर व्यक्ति भाव को प्राप्त हुआ मानते हैं अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम्। परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम् ॥(9.11) मेरे परमभाव को न जानने वाले मूढ़ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ संपूर्ण भूतों के महान् ईश्वर को तुच्छ समझते हैं अर्थात् अपनी योग माया से संसार के उद्धार के लिए मनुष्य रूप में विचरते हुए मुझ परमेश्वर को साधारण मनुष्य मानते हैं। सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढ़व्रताः। नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते ॥(7.14) वे दृढ़ निश्चय वाले भक्तजन निरंतर मेरे नाम और गुणों का कीर्तन करते हुए तथा मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करते हुए और मुझको बार-बार प्रणाम करते हुए सदा मेरे ध्यान में युक्त होकर अनन्य प्रेम से मेरी उपासना करते हैं । यहां बताया जा रहा है की जो श्री कृष्ण को ईश्वर भगवान न मान कर मात्र साधारण मनुष्य समझता है वो मूढ़ (मूर्ख) है। 🚩🚩🚩 जय श्री कृष्ण 🙏🚩🚩
Har jagah itna anyay h adharma ka bol bala h 800 salo se mara gaya kata gaya fir koi bhagwan avtar kyu nhi lete h....arya samaj ki ideology right lagti h..
ईश्वर (परमात्मा) क्या है ? इसका उत्तर है कि जिससे यह संसार बना है, चल रहा है व अवधि पूर्ण होने पर जो इस ब्रह्माण्ड की प्रलय करेगा, उसे ईश्वर कहते हैं। वह ईश्वर कैसा है तो चारों वेद, उपनिषद व दर्शन सहित सभी आर्ष ग्रन्थों ने बताया है कि ईश्वर - ‘‘ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनादि, अनन्त, निर्विकार, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, पवित्र व सृष्टिकर्ता है। (सभी मनुष्यों को) उसी की उपासना करनी योग्य है।
@@NovusOrto8305 Haan to unhi arsh grantho mein sarvashaktiman ishwar ko badhit kar rha hain 1 sanstha jiska naam Arya samaj hain 🙏 Apni sakar ke prati atyant ghrina se nastik banae wali sanstha aap se Vedic Guru Parampara cheen kar aap macoulay ki dwara prayojit gurukul de rhi hain 🙏
@@Ekatva-c3j मान्यवर वेद खुद कहता है, परमात्मा की आंखें नहीं फिर भी वह देख सकता है, उसके हाथ नहीं फिर भी स्पर्श कर सकता है, उसके कान नहीं फिर भी सुन सकता है, वह दूर से भी दूर और पास से भी पास है, इसलिए वह सर्वशक्तिमान है, उसके अपने कार्य करने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं, परमात्मा कोई अल्लाह नहीं , जिसे फरिश्ते की जरूरत हो😂, या किसी शरीर की , इसलिए जो जैसा है, उसे बेस मानना ही धर्म है, वही आर्य(श्रेष्ठ)है, वही श्रेष्ठ है,🙏🙏🙏
Tmhari sui ghoom phir ke musalman par aakr ruk jati hain isiliye jaise Qur'an ka Allah kehta hain main janm nhi le sakta vaise hi tm log bhi chilate rehte ho. Veda kehta hain ishwar Sarvashaktiman hain tmne bola iska arth hain tmhe ye samjhna padega upar diye kuch swabhav ya phir kuch gun uske sarvashaktimatta ke prateek hain kintu Sarvashaktiman ka arth sirf atmanirbhar nhi hona hota hain. Nhi to aap mujhe atmanirbhar ka hi arth batlade🙏@@NovusOrto8305
@@NovusOrto8305 ईश्वर को तो सृष्टि रचना करने की भी क्या आवश्यकता पड़ गई ? हमारे सनातन में वेद , पुराण , स्मृतियां , इतिहासग्रंथ ( रामायण , महाभारत ) सभी का बहुत महत्व है । आप किसी बात को नही समझ पा रहे हो तो इसका अर्थ ये नही की ईश्वर सगुण साकार नही हो सकता । आप किस गुरुपरंपरा प्राप्त आचार्य के पास गए वेदों को समझने के लिए ? आप यदि रामायण , महाभारत के पात्र को मानते है लेकिन उस पात्र के विषय में जो रामायण , महाभारत में लिखा हुआ है वो नही मानते हो तो तुम मानते क्या हो ? 😂 मनमुखी बातें ? 😂😂
@@harshjha9743 हम कहां थे, कहां से क्या हो गए, अभी आगे भी क्या होंगे, यह पता भी हो गया है 🤫😂 सबसे पहले लोगों को अपनी दुकानदारी देखनी होती है अपने पेट के आजीविका चलाना होती है, अब तुम ईश्वर के बारे में जो मर्जी बना लो 😂
भैया, वास्तव ने कहूँ तो कलयुगी ने चर्चा की है वह कम से कम अगर मिलावट उवाच से तो अच्छी कर सकता है। मिलावट उवाच तो एकदम बात सुनना या कहना कही भी इस कलयुगी के आसपास भी नहीं है। सोचो कलयुगी का इतना मध्यम स्तर है तो मिलावट उवाच का कितना निम्न होगा ।
@@Ahvaan 🙏 मान्यवर वेद खुद कहता है, परमात्मा की आंखें नहीं फिर भी वह देख सकता है, उसके हाथ नहीं फिर भी स्पर्श कर सकता है, उसके कान नहीं फिर भी सुन सकता है, वह दूर से भी दूर और पास से भी पास है, इसलिए वह सर्वशक्तिमान है, उसके अपने कार्य करने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं, परमात्मा कोई अल्लाह नहीं , जिसे फरिश्ते की जरूरत हो😂, या किसी शरीर की , इसलिए जो जैसा है, उसे बेस मानना ही धर्म है, वही आर्य(श्रेष्ठ)है, वही श्रेष्ठ है,🙏🙏🙏
@@Ahvaan ईश्वर साकार है तो इसका अर्थ है कि उसका आकार किसी ने बनाया है । लेकिन ये कैसे हो सकता है क्यूंकि उसीने तो सबको बनाया है तो उससे पहले तो कोई था ही नहीं तो फिर उसे कोई कैसे बना सकता है । और अगर ये कहें कि उसने खुद अपना आकार बनाया तो इसका अर्थ हुआ कि उसके पहले वो निराकार था ।
@@NovusOrto8305 agr asi baat hai to arya samaji ke ishwar ko sristi banane ke liye prakriti ki jaroorat kyun padi.. To fir arya samaji ke khud ko madhyam ki jaroorat kyun padi.. Ved me agar ishwar ko nirakar kaha gya hai wo akar nhi le sakta kaha gya hai to fir uske varnan karte time akar jaise hathon, paon ki varnan se kyun liya gya..?? Iska matalb hi hai ishwar akar le sakta hai..
Sastra kisi guru ke sanidh me padna chahie.. Warna tum khud padh kar asi bicar bana kar prachar karna suru kardoge to.. Usko thik karne me bohut time lagega.. Aur dharam ka kshay aur khndan hota rahega.. alag alag vichar bante jainge Isliye khud bhi padna hai padho lekin jo padh rahe aapne andar rakhon kisi ko bolo maat..
Ishwar ko ishwar kahena galat hai kyun ki ishwar infinite hai to fir ek finite shabd ishwar kahe kar bandh kaise sakte hai.. Agr arya samaji ke hisab se murti me puja karne se ishwar limited ho jata hai to?? Aur arya samaji dhyan karte samay mann ko kaha kendrit karta hai.. Ishwar anant hai to kisi ek jagah kendra kara sambhav kaise?? Agr kisi ek jagah kendrit kar liya to waha bhi ishwar limited ho gya..
@@KamalKishorHirwani बिलकुल अब इस कलयुगी योगी का कोई योग काम नहीं आएगा 😂 उसका सारा प्रोपेगंडा का अंत हुआ 🚩 भैया ने अच्छा उत्तर दिया इस कलयुगी योगी को 👏👌🚩 जय श्री हरि 🙏🚩🚩
@@Ahvaan मान्यवर वेद खुद कहता है, परमात्मा की आंखें नहीं फिर भी वह देख सकता है, उसके हाथ नहीं फिर भी स्पर्श कर सकता है, उसके कान नहीं फिर भी सुन सकता है, वह दूर से भी दूर और पास से भी पास है, इसलिए वह सर्वशक्तिमान है, उसके अपने कार्य करने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं, परमात्मा कोई अल्लाह नहीं , जिसे फरिश्ते की जरूरत हो😂, या किसी शरीर की , इसलिए जो जैसा है, उसे बेस मानना ही धर्म है, वही आर्य(श्रेष्ठ)है, वही श्रेष्ठ है,🙏🙏🙏
@@sushilarya1424 Haan bhai sushil tmhe samjh mein nhi aegaa padhaai likhaai karni padti hain jab padhoge sahi jagaah se tab samajh mein aaega Arya lagane se agar log Arya ho jate Dayanand Saraswati Ji ke age Dayanand Arya hota😊 apni alp buddhi ko yahaa prayog mein na laeee padhaai likhai kare. Aapko kal 8 min ki kalyug Yogi ki videos mein sab samjh mein agaya thaa 🤣
@@AB-yp7nc हां ईश्वर खाने -पीने,मरने, विवाह करने के हेतु व्यवहार में आता है परन्तु वास्तविक करता नहीं 😀 यही तो आपका कहना है। परन्तु वास्तव में वो ये सब नहीं करता क्योंकि उसे इसकी आवश्यकता नहीं ,। वो वास्तव में नहीं करता ये आपको स्वीकार करना पड़ेगा नहीं तो वो वो सच में मरने वाला हो जायेगा 😮 यही तो हम कहते हैं झूठा व्यवहार क्यों कल्पित करते हो जब उसको मरना ही नहीं है
@sushilarya1424 Tmhe ye Tak nhi pata samrth mein panch dev upasana hain aur unse udrit jitne bhi avtar hain unki upasana ka bhi vidhaan hain Smarth Parampra mein tm kahi se mat padho kyunki tmhare man mein zeher bhara hai avtar ke prati vaise samrth mein Nirakar ki upasana bhi hain 😶🌫️ par tmhare jaise badmash jinke liye ghrina hi dharm hain wo kuch bhi padhle karenge kutark hi. Doosra tmhari buddhi itni Vikrit hain hain ki tm siddhant aur isht swaroop ki tulna kar rhe 😁 siddhant Parampra ke hote hain aur tmhari to parampara hi nhi 🤣 expected 😁
Ahvaan yeh Arya samaji ke translation use kare h aap ke khilaaf reference pe refute krne ke liye story pe vo dekh aap ne ?? Aur ek baat yeh ek baari bol raha tha ki ohso wala h Arya samaj ko support kar raha h bas followers ke liye
Avatar ko samjhane ka accha tarika rahega ki. Pani aur bulbule ka udaharan. Jaise samundar me pani hi pani hai aur ush pani me bulbule... Arya samaji ka mand murkh buddhi hai. Yeh sochte hai ishwar avatar lega to pura ishwar ek body ke ander me rahega aur kahi nhi hoga..😂😂😂
Ye sab cheap stunts h jo ahvaan karta h😂 bas Arya samaji h ya nhi iska ek hi parikhan h or kalyugi Yogi to Arya samaji sach me nhi h 2 mahine pehle yt par aaya h sirf jativad nhi manta h
karne to vo avtarvaad ka khandan aya tha .or app keh rahe h ki bas jativad nhi manta . vakti ki sangati tatha jhukav se anuman lagaya ja sakta h vo or uski vichardhara kya h. is kalyugiyogi ne abhi abhi kuch hi dino pehle under covered gunda ya arya samajiyo ka betaj badshah rishi uvach ke sath live ki thi. or cheapness ki parakashtha to vo h jab tum ek siddhantik prashn puche jane par shivansh bhaiya ke pure parivar ko is vad vivad m ganseet late ho tum logon ko tanik lajja nahi aati h .vo konsa stunt tha bhrata .phir bhi hum apni puri shakti se apke kutarko ka prativadd karte rahenge.मत पड़ो चक्कर में, कोई नहीं टक्कर में|🚩 ||NARAYAN||
चूहा से ब्रह्म ज्ञान प्राप्त किया उसी के चेलेलोग, अब आदि शंकराचार्य के और उनसे बनने वाले आचार्य के ग्रंथ ना पढ़कर के फालतू मगजमारी में बैठेहैं गलत तर्क करते रहते हैं😅
Hence Proved:
100 अधर्मियों की, एक आह्वान की🙌🏻
सिर्फ एक सिद्धांत ईश्वर की सर्वशक्तिमत्ता,सिर्फ एक सिद्धांत ने मलेच्छ तंत्रों की नाक में दम कर रखा है🙌🏻
ईश्वर वही जो कुछ भी कर सकता है✊🏻
@@आदित्य_वार्ष्णेय 🙏 🔥 🌹वेद के ईश्वर का स्वरुप🌹 यदि ईश्वर साकार है तो दिखना चाहिए, परन्तु दिखता नहीं ? यदि चीटी के समान शरीर है तो सूर्य, भूमि, चन्द्रादि लोक को धारण नहीं कर सकता और यदि पर्वत के समान शरीर है तो चीटी आदि छोटे जन्तुओं के सिर में आंख जैसी सूक्ष्म वस्तु की रचना नहीं कर सकता ! यदि एक ही समय में ईश्वर निराकार और साकार दोनों प्रकार का है तो दो विरोधी बातें ईश्वर में नहीं हो सकती ? क्योंकि :- नैकस्मिन्न सम्भवात् (वेदान्त २/२/३३) विप्रतिषेधाच्च (वेदान्त २/२/४५) अर्थात एक ही वस्तु में एक साथ दो विरोधी धर्म नहीं यह सकते। 🔥जैसे निराकार और साकार !🔥 🌺निराकार और साकार दोनों का परस्पर में विरोध होने से निराकार ईश्वर साकार नहीं हो सकता !!🌺
@@आदित्य_वार्ष्णेय मान्यवर वेद खुद कहता है, परमात्मा की आंखें नहीं फिर भी वह देख सकता है, उसके हाथ नहीं फिर भी स्पर्श कर सकता है, उसके कान नहीं फिर भी सुन सकता है, वह दूर से भी दूर और पास से भी पास है, इसलिए वह सर्वशक्तिमान है, उसके अपने कार्य करने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं, परमात्मा कोई अल्लाह नहीं , जिसे फरिश्ते की जरूरत हो😂, या किसी शरीर की , इसलिए जो जैसा है, उसे बेस मानना ही धर्म है, वही आर्य(श्रेष्ठ)है, वही श्रेष्ठ है,🙏🙏🙏
@@NovusOrto8305 सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा ॥
अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई ॥
सगुण और निर्गुणमें कुछ भी भेद नहीं है-मुनि, पुराण, पण्डित और वेद सभी ऐसा कहते हैं। जो निर्गुण, अरूप (निराकार), अलख (अव्यक्त) और अजन्मा है, वही भक्तोंके प्रेमवश सगुण
हो जाता है ॥ १॥
जो गुन रहित सगुन सोइ कैसें। जलु हिम उपल बिलग नहिं जैसें ॥
जासु नाम भ्रम तिमिर पतंगा। तेहि किमि कहिअ बिमोह प्रसंगा ॥
जो निर्गुण है, वही सगुण कैसे है? जैसे जल और ओलेमें भेद नहीं। (दोनों जल ही हैं, ऐसे ही निर्गुण और सगुण एक ही हैं।) जिसका नाम भ्रमरूपी अन्धकारके मिटानेके लिये सूर्य है, उसके लिये मोहका प्रसंग भी कैसे कहा जा सकता है?
हरष बिषाद ग्यान अग्याना। जीव धर्म अहमिति अभिमाना ॥
राम ब्रह्म ब्यापक जग जाना। परमानंद परेस पुराना ॥
हर्ष, शोक, ज्ञान, अज्ञान, अहंता और अभिमान- ये सब जीवके धर्म हैं। श्रीरामचन्द्रजी तो व्यापक ब्रह्म, परमानन्दस्वरूप, परात्पर प्रभु और पुराणपुरुष हैं। इस बातको सारा जगत् जानता है ।
जासु कृपाँ अस भ्रम मिटि जाई। गिरिजा सोड़ कृपाल रघुराई ॥
आदि अंत कोउ जासु न पावा। मति अनुमानि निगम अस गावा ।।
हे पार्वती! जिनकी कृपासे इस प्रकारका भ्रम मिट जाता है, वही कृपालु श्रीरघुनाथजी हैं।
जिनका आदि और अन्त किसीने नहीं [जान] पाया। वेदोंने अपनी बुद्धिसे अनुमान करके इस प्रकार (नीचे लिखे अनुसार) गाया है ।
बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना ।।
आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी ॥
वह (ब्रह्म) बिना ही पैरके चलता है, बिना ही कानके सुनता है, बिना ही हाथके नाना प्रकारके काम करता है, बिना मुँह (जिह्वा) के ही सारे (छहों) रसोंका आनन्द लेता है और बिना ही वाणीके बहुत योग्य वक्ता है।
तन बिनु परस नयन बिनु देखा। ग्रहइ घ्रान बिनु बास असेषा ।।
असि सब भाँति अलौकिक करनी। महिमा जासु जाइ नहिं बरनी ॥
वह बिना ही शरीर (त्वचा) के स्पर्श करता है, बिना ही आँखोंक देखता है और बिना ही नाकके सब गन्धोंको ग्रहण करता है (सूँघता है)। उस ब्रह्मकी करनी सभी प्रकारसे ऐसी अलौकिक है कि जिसकी महिमा कहीं नहीं जा सकती ।
जय श्री राम 🙏🚩🚩
@@NovusOrto8305
श्री रामचरितमानस से आपके प्रश्न का उत्तर :-
सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा ॥
अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई ॥
सगुण और निर्गुणमें कुछ भी भेद नहीं है-मुनि, पुराण, पण्डित और वेद सभी ऐसा कहते हैं। जो निर्गुण, अरूप (निराकार), अलख (अव्यक्त) और अजन्मा है, वही भक्तोंके प्रेमवश सगुण
हो जाता है ॥ १॥
जो गुन रहित सगुन सोइ कैसें। जलु हिम उपल बिलग नहिं जैसें ॥
जासु नाम भ्रम तिमिर पतंगा। तेहि किमि कहिअ बिमोह प्रसंगा ॥
जो निर्गुण है, वही सगुण कैसे है? जैसे जल और ओलेमें भेद नहीं। (दोनों जल ही हैं, ऐसे ही निर्गुण और सगुण एक ही हैं।) जिसका नाम भ्रमरूपी अन्धकारके मिटानेके लिये सूर्य है, उसके लिये मोहका प्रसंग भी कैसे कहा जा सकता है?
हरष बिषाद ग्यान अग्याना। जीव धर्म अहमिति अभिमाना ॥
राम ब्रह्म ब्यापक जग जाना। परमानंद परेस पुराना ॥
हर्ष, शोक, ज्ञान, अज्ञान, अहंता और अभिमान- ये सब जीवके धर्म हैं। श्रीरामचन्द्रजी तो व्यापक ब्रह्म, परमानन्दस्वरूप, परात्पर प्रभु और पुराणपुरुष हैं। इस बातको सारा जगत् जानता है ।
जासु कृपाँ अस भ्रम मिटि जाई। गिरिजा सोड़ कृपाल रघुराई ॥
आदि अंत कोउ जासु न पावा। मति अनुमानि निगम अस गावा ।।
हे पार्वती! जिनकी कृपासे इस प्रकारका भ्रम मिट जाता है, वही कृपालु श्रीरघुनाथजी हैं।
जिनका आदि और अन्त किसीने नहीं [जान] पाया। वेदोंने अपनी बुद्धिसे अनुमान करके इस प्रकार (नीचे लिखे अनुसार) गाया है ।
बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना ।।
आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी ॥
वह (ब्रह्म) बिना ही पैरके चलता है, बिना ही कानके सुनता है, बिना ही हाथके नाना प्रकारके काम करता है, बिना मुँह (जिह्वा) के ही सारे (छहों) रसोंका आनन्द लेता है और बिना ही वाणीके बहुत योग्य वक्ता है।
तन बिनु परस नयन बिनु देखा। ग्रहइ घ्रान बिनु बास असेषा ।।
असि सब भाँति अलौकिक करनी। महिमा जासु जाइ नहिं बरनी ॥
वह बिना ही शरीर (त्वचा) के स्पर्श करता है, बिना ही आँखोंक देखता है और बिना ही नाकके सब गन्धोंको ग्रहण करता है (सूँघता है)। उस ब्रह्मकी करनी सभी प्रकारसे ऐसी अलौकिक है कि जिसकी महिमा कहीं नहीं जा सकती ।
जय श्री राम 🙏🚩
@@NovusOrto8305 baat zarurat ki nahi kshamata ki ho rahi hai, ishwar pruthvi par insaan ya kisi bhi rup me aa sakta hai ki nahi ye baat ho rahi hai, ayega ya nahi, ane ki zarurat hai ki nahi ye to baad ki baat hai lekin ye kah dena ki nahi aa sakta ye galat hai.
अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्, प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय सम्भवाम्यात्ममायया
श्रीमदभगवद्गीता का यह श्लोक अवतार विरोधियों की मान्यता पर पानी फेर देता है ।
योगेश्वर श्री कृष्ण माता देवकी के गर्भ से पैदा हुए, थे, वह अजन्मा कैसे हुए
@NovusOrto8305 अजन्मा तो आप भी है लेकिन माता के गर्भ से जन्म लिया है कि नहीं ? बस आपका परतंत्र है और भगवान् का स्वतंत्र ।
@@Shribhargav 🙏 🔥 🌹वेद के ईश्वर का स्वरुप🌹 यदि ईश्वर साकार है तो दिखना चाहिए, परन्तु दिखता नहीं ? यदि चीटी के समान शरीर है तो सूर्य, भूमि, चन्द्रादि लोक को धारण नहीं कर सकता और यदि पर्वत के समान शरीर है तो चीटी आदि छोटे जन्तुओं के सिर में आंख जैसी सूक्ष्म वस्तु की रचना नहीं कर सकता ! यदि एक ही समय में ईश्वर निराकार और साकार दोनों प्रकार का है तो दो विरोधी बातें ईश्वर में नहीं हो सकती ? क्योंकि :- नैकस्मिन्न सम्भवात् (वेदान्त २/२/३३) विप्रतिषेधाच्च (वेदान्त २/२/४५) अर्थात एक ही वस्तु में एक साथ दो विरोधी धर्म नहीं यह सकते। 🔥जैसे निराकार और साकार !🔥 🌺निराकार और साकार दोनों का परस्पर में विरोध होने से निराकार ईश्वर साकार नहीं हो सकता !!🌺
@@Shribhargav मान्यवर 🙏 योगेश्वर श्री कृष्णा भगवान है, कोई परमात्मा नहीं, भगवान मतलब जो भाग्य पर विजय प्राप्त किया हो, वह योगिराज है, लेकिन पौराणिक हिंदुओं ने उन्हें कपड़ा और माखन चुराने वाला बना दिया , योगेश्वर श्री कृष्णा जैसे लोग करोड़ों में एक होते है
@@NovusOrto8305
योगिनां देवः यः स योगेश्वरः।
अर्थात जो योगियों के ईश्वर है वो योगेश्वर है।
श्रीकृष्ण योगियों के ईश्वर है इसलिए उन्हें योगेश्वर भी कहा गया है।
श्रीकृष्ण भगवान ने स्वयं को गीता जी में ईश्वर कह रहे है । और खुद वेदव्यास जी ने भी महाभारत और पुराणों में श्रीकृष्ण जी को परब्रह्म परमात्मा कहा है ।
आप माने या न माने सत्य तो सत्य ही रहेगा। 🙏🚩🚩
जय श्री कृष्ण 🙏🚩
हर हर महादेव 🙏🚩🙏🚩🚩🙏
𝕁𝕒𝕚 𝕊𝕙𝕣𝕖𝕖 ℝ𝕒𝕞😇🙏🙏
ℍ𝕒𝕣 ℍ𝕒𝕣 𝕄𝕒𝕙𝕒𝕕𝕖𝕧😇🙏🙏
Jai Shree Ram 😇❤️🙏 Pyari Bahena
Har Har Mahadev 😇❤️🙏 Pyari Bahena
Lord krishna bless you ❤😊
Har Har Mahadev 🙏
।। जय जय सियाराम ।। 🌹🌺🙏♥️🚩❤️🌟🌎🔱✅🏹🪷
😂👏👏❤❤🙏🙏
भक्तियोग रसावतार जगतगुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज जी को सुनो सारा भ्रम दूर हो जाएगा 👏😊
ये शास्त्रार्थ करने आया था😂
फिर शिवांश भैया की बात मानके गया|
इसीलिए
मत पड़ो चक्कर में, कोई नहीं टक्कर में|🚩
Jay Sharee ram
Jai jai shree ram 💐 🚩 🕉 🙏 jai sanatan dharm 🙏💐
Jai Shree Ram
हर हर महादेव 🚩
Jai mahakal guru ji
जय श्री राम
Jay Shri Ram 🙏🚩
Jay Shri Krishna
जय श्रीराम 🎉
Jai mahakal gurudev ji
Ye arya samaj ke brhata hai ye inhone bilkul shanti se counter kiya isley inhone shivansh bhai se gyan prapt kiya ❤
Har Har Sankar
आर्य समाजियों की नवीन भगवद्गीता में भी इन लोगों ने लिख रखा है जब धर्म की हानि होती है तब ऐसी शक्तियां प्रगट हो जाती हैं जो धर्म स्थापना करतीं हैं इन मूर्खों के अनुसार शक्तियां प्रगट हो जाती हैं पर ईश्वर प्रगट नहीं हो सकता
Konsi geeta h naam batana
Shivansh ji jay shree ram
नारायण ❤
भैया बहुत तगड़ा उत्तर दे दिया आपने इस कलयुगी योगी को 😅👌👏
इसका सारा खेल उल्टा पड़ गया 😂
भैया आपने अच्छे से शास्त्र प्रमाणों के साथ उत्तर दिया है ।🚩
अब अगर ये कुछ भी आपके विरोध में बोलेगा तो सीधे सीधे शास्त्र विरोधी सिद्ध हो जाएगा। 😂🚩🚩
वैसे भी इसने अपना tag तो कलयुगी योगी रखा हुआ है तो कलयुग का प्रभाव तो इसपर दिखेगा ही न 😂😂🚩
निरुत्तर हो गया ये कलयुगी योगी 😂
इसलिए कहा जाता है :-
मत पड़ो चक्कर में , कोई है नही टक्कर में 🚩🚩
जय श्री राम 🙏🚩
जय श्री कृष्ण 🙏🚩
हर हर महादेव 🙏🚩
100 sonar ki 1 lohar ki Jai Shri Ram bhaiya ❤
नारायण
Jay sree ram 🕉
Har har mahadev 🕉
Jay maa kali 🕉
शास्त्रार्थ की प्रतिभा तो है भाई आपमें, ये जो चार्वाक, जैन, बौद्ध, सिख सिद्धांत है तोड़ने की जरूरत। अभी तो एक नव बौद्ध मार्केट में आया है और कम्युनिस्ट विचार धारा आज की पीढी दिग्भर्मित हो रही। दिशा दिखाने की जरूरत।
Hello sir ram ram ❤ hamare pass ज्ञान गंगा kitab hai isame bahut galat likha hai please 🙏 contact
Jaise ap pahle video bnate the pls banao isckon aur arya samaji se discussion kijiye offline bhi online bhi
आप सब ईश्वर ईश्वर करते रहिए उसके ऊपर परमेश्वर हैं
कैसी मूर्ख हो जैसी ऐसी बातें कर रहे हो भाई😂
ईश्वर और परमेश्वर में क्या भेद है
आप परमेश्वर परमेश्वर करते रही ये उसके ऊपर परम परमेश्वर है मूर्खानंद
@@PappuPal-dp5wgAap Parmeshwar Parmeshwar karte rahiye uske upar Maha Parama Parmeshwar hain 😂
@@Ekatva-c3j aap parmeshwar parmeshwar karte rahiye uske upar aati Maha parram parmeshwar hain .🤣
@@RakeshKumar-ld3obईश्वर (परमात्मा) क्या है ?🌻🌹
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
इसका उत्तर है कि जिससे यह संसार बना है, चल रहा है व अवधि पूर्ण होने पर जो इस ब्रह्माण्ड की प्रलय करेगा, उसे ईश्वर कहते हैं। वह ईश्वर कैसा है तो चारों वेद, उपनिषद व दर्शन सहित सभी आर्ष ग्रन्थों ने बताया है कि ईश्वर -
‘‘ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनादि, अनन्त, निर्विकार, अनुपम,, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, पवित्र व सृष्टिकर्ता है। (सभी मनुष्यों को) उसी की उपासना करनी योग्य है।
शिवांश भाई इससे पूछे की कब यह स्वामी दयानंद जी के ऊपर भी एक लाइव करे की स्वामी दयानंद जी कहा गलत है। मैंने भी इसको पूछा है की जब यह एक लाइव करे की स्वामी दयानंद जी कहा कहा गलत है तब मैं इसको आर्य समाज बोलना बंद करूंगा।
जो आंखो का विषय नहीं है उसे आंखो का विषय बना दिया ,
ईश्वर तो आत्मा का विषय है 😂
ये शिवांश ले डूबेगा तुम्हें
@sushilarya1424 आप लाइव आएं
Haan tmhare jaiso ki siddhant ko Shivansh bhaiya vaise dubadenge jaise Hanuman ji ne us samundar ki chaaya rakhasi ko kiya thaa😂 ruke raho Suruwat tmne kiy hain khatam ham kharngee@@sushilarya1424
@@sushilarya1424 आपको कहा से पता चला की ईश्वर हमारी आंखों का विषय नही बन सकता ? शास्त्रों से ?
तो देखिए हमारे श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण जी क्या कह रहे है :-
अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्। प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय सम्भवाम्यात्ममायया ॥(4.6)
मैं अजन्मा और अविनाशीस्वरूप होते हुए भी तथा समस्त प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी अपनी प्रकृति को अधीन करके अपनी योगमाया से प्रकट होता हूँ।
अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः । परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम्॥(7.24)
बुद्धिहीन पुरुष मेरे अनुत्तम अविनाशी परम भाव को न जानते हुए मन-इन्द्रियों से परे मुझ सच्चिदानन्दघन परमात्मा को मनुष्य की भाँति जन्मकर व्यक्ति भाव को प्राप्त हुआ मानते हैं
अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम्। परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम् ॥(9.11)
मेरे परमभाव को न जानने वाले मूढ़ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ संपूर्ण भूतों के महान् ईश्वर को तुच्छ समझते हैं अर्थात् अपनी योग माया से संसार के उद्धार के लिए मनुष्य रूप में विचरते हुए मुझ परमेश्वर को साधारण मनुष्य मानते हैं।
सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढ़व्रताः। नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते ॥(7.14)
वे दृढ़ निश्चय वाले भक्तजन निरंतर मेरे नाम और गुणों का कीर्तन करते हुए तथा मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करते हुए और मुझको बार-बार प्रणाम करते हुए सदा मेरे ध्यान में युक्त होकर अनन्य प्रेम से मेरी उपासना करते हैं ।
यहां बताया जा रहा है की जो श्री कृष्ण को ईश्वर भगवान न मान कर मात्र साधारण मनुष्य समझता है वो मूढ़ (मूर्ख) है। 🚩🚩🚩
जय श्री कृष्ण 🙏🚩🚩
पाकिस्तानी जीस्ट जी आपको तो रेल दिया है कर्तव्य वालों ने
Bhai wo शास्त्रार्थ/चर्चा का क्या हुआ?
@vigyandarshan Arya samaji Mohit gaur ke sath debate Karo varan ashram pr shivansh ji
कभी - कभी तर्क...भी करना चाहिए...
Har jagah itna anyay h adharma ka bol bala h 800 salo se mara gaya kata gaya fir koi bhagwan avtar kyu nhi lete h....arya samaj ki ideology right lagti h..
ईश्वर (परमात्मा) क्या है ?
इसका उत्तर है कि जिससे यह संसार बना है, चल रहा है व अवधि पूर्ण होने पर जो इस ब्रह्माण्ड की प्रलय करेगा, उसे ईश्वर कहते हैं। वह ईश्वर कैसा है तो चारों वेद, उपनिषद व दर्शन सहित सभी आर्ष ग्रन्थों ने बताया है कि ईश्वर -
‘‘ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनादि, अनन्त, निर्विकार, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, पवित्र व सृष्टिकर्ता है। (सभी मनुष्यों को) उसी की उपासना करनी योग्य है।
@@NovusOrto8305 Haan to unhi arsh grantho mein sarvashaktiman ishwar ko badhit kar rha hain 1 sanstha jiska naam Arya samaj hain 🙏 Apni sakar ke prati atyant ghrina se nastik banae wali sanstha aap se Vedic Guru Parampara cheen kar aap macoulay ki dwara prayojit gurukul de rhi hain 🙏
@@Ekatva-c3j मान्यवर वेद खुद कहता है, परमात्मा की आंखें नहीं फिर भी वह देख सकता है, उसके हाथ नहीं फिर भी स्पर्श कर सकता है, उसके कान नहीं फिर भी सुन सकता है, वह दूर से भी दूर और पास से भी पास है, इसलिए वह सर्वशक्तिमान है, उसके अपने कार्य करने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं, परमात्मा कोई अल्लाह नहीं , जिसे फरिश्ते की जरूरत हो😂, या किसी शरीर की , इसलिए जो जैसा है, उसे बेस मानना ही धर्म है, वही आर्य(श्रेष्ठ)है, वही श्रेष्ठ है,🙏🙏🙏
Tmhari sui ghoom phir ke musalman par aakr ruk jati hain isiliye jaise Qur'an ka Allah kehta hain main janm nhi le sakta vaise hi tm log bhi chilate rehte ho. Veda kehta hain ishwar Sarvashaktiman hain tmne bola iska arth hain tmhe ye samjhna padega upar diye kuch swabhav ya phir kuch gun uske sarvashaktimatta ke prateek hain kintu Sarvashaktiman ka arth sirf atmanirbhar nhi hona hota hain. Nhi to aap mujhe atmanirbhar ka hi arth batlade🙏@@NovusOrto8305
@@NovusOrto8305 ईश्वर को तो सृष्टि रचना करने की भी क्या आवश्यकता पड़ गई ? हमारे सनातन में वेद , पुराण , स्मृतियां , इतिहासग्रंथ ( रामायण , महाभारत ) सभी का बहुत महत्व है ।
आप किसी बात को नही समझ पा रहे हो तो इसका अर्थ ये नही की ईश्वर सगुण साकार नही हो सकता ।
आप किस गुरुपरंपरा प्राप्त आचार्य के पास गए वेदों को समझने के लिए ?
आप यदि रामायण , महाभारत के पात्र को मानते है लेकिन उस पात्र के विषय में जो रामायण , महाभारत में लिखा हुआ है वो नही मानते हो तो तुम मानते क्या हो ? 😂 मनमुखी बातें ? 😂😂
@@harshjha9743 हम कहां थे, कहां से क्या हो गए, अभी आगे भी क्या होंगे, यह पता भी हो गया है 🤫😂 सबसे पहले लोगों को अपनी दुकानदारी देखनी होती है अपने पेट के आजीविका चलाना होती है, अब तुम ईश्वर के बारे में जो मर्जी बना लो 😂
Iskcon ke upar or video chahia prabhu 🙏🙏
❤❤❤❤❤
भैया, वास्तव ने कहूँ तो कलयुगी ने चर्चा की है वह कम से कम अगर मिलावट उवाच से तो अच्छी कर सकता है। मिलावट उवाच तो एकदम बात सुनना या कहना कही भी इस कलयुगी के आसपास भी नहीं है। सोचो कलयुगी का इतना मध्यम स्तर है तो मिलावट उवाच का कितना निम्न होगा ।
Ye wahi hai jinhone यह कहा yha ki ईश्वर जगत nhi ban सकता है
यह व्यक्ति अलंकारियों द्वारा भेजा गया था ताकि आपके तर्क और भेद का पता लगा पाए शास्त्रार्थ शास्त्रार्थ के लिए उछलने वाले के लिए।
मन में इतना खौफ है । 😂
एक बंदर और आया था जो स्वयं की तुलना हनुमान जी से करता है
@@Ahvaan यहां भी आप मन्तव्य के विरुद्ध कह गये 😀
@@Ahvaan 🙏 मान्यवर वेद खुद कहता है, परमात्मा की आंखें नहीं फिर भी वह देख सकता है, उसके हाथ नहीं फिर भी स्पर्श कर सकता है, उसके कान नहीं फिर भी सुन सकता है, वह दूर से भी दूर और पास से भी पास है, इसलिए वह सर्वशक्तिमान है, उसके अपने कार्य करने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं, परमात्मा कोई अल्लाह नहीं , जिसे फरिश्ते की जरूरत हो😂, या किसी शरीर की , इसलिए जो जैसा है, उसे बेस मानना ही धर्म है, वही आर्य(श्रेष्ठ)है, वही श्रेष्ठ है,🙏🙏🙏
@@Ahvaan ईश्वर साकार है तो इसका अर्थ है कि उसका आकार किसी ने बनाया है । लेकिन ये कैसे हो सकता है क्यूंकि उसीने तो सबको बनाया है तो उससे पहले तो कोई था ही नहीं तो फिर उसे कोई कैसे बना सकता है । और अगर ये कहें कि उसने खुद अपना आकार बनाया तो इसका अर्थ हुआ कि उसके पहले वो निराकार था ।
@@NovusOrto8305 agr asi baat hai to arya samaji ke ishwar ko sristi banane ke liye prakriti ki jaroorat kyun padi..
To fir arya samaji ke khud ko madhyam ki jaroorat kyun padi..
Ved me agar ishwar ko nirakar kaha gya hai wo akar nhi le sakta kaha gya hai to fir uske varnan karte time akar jaise hathon, paon ki varnan se kyun liya gya..??
Iska matalb hi hai ishwar akar le sakta hai..
Sat Rampal Ji bhagwan ki jai
Ha ha jail me rha Tu be😂😂😂murkh andhbhakt
Rampal Garbh se janma ya prakat hua
@@अंशः 😂😂 अभी वह तिहाड़ जेल है, कबीर लोक में 😂
@@deepakshukla-ek8ge जबरदस्ती खींचा गया🤣🤣🫨😂
Bhaiya hame shastra kaha se padhne cheya Gita press se padh sakte hai Mahabharat kya vo real 1 lakh slokas ke mahabharat hai
Sastra kisi guru ke sanidh me padna chahie..
Warna tum khud padh kar asi bicar bana kar prachar karna suru kardoge to..
Usko thik karne me bohut time lagega..
Aur dharam ka kshay aur khndan hota rahega.. alag alag vichar bante jainge
Isliye khud bhi padna hai padho lekin jo padh rahe aapne andar rakhon kisi ko bolo maat..
Kalnemi hai yeh Kalyugiyogi.Issko pata nahi hai ki avtar lene ke baad bhi wo Ishwar nirakar Ishwar nirakar roop main rehta hai.
Infinity mein se kitna bhi nikalo infine rehta hain padhaai karta to samjh mein ayaaa🙏 anant ko bandhna sambhav nhi hain
@Ekatva-c3j jyada gyaan na de.Arya samaji hai toh swami Dayananda ji ko sahi sabit kar.
@@sanataniGist Bhai main advaiti smarth Vaishnav hun 🥴🥴🥴 aapke hi support mein bola thaa 😁 aap thoda sa apni bhasa saili par kaam kariye kintu 🧐
@Ekatva-c3j मुझे अच्छा नही लगता की कोई मुझे मेरे भाषा को लेके ज्ञान दे।
@@sanataniGist Koi nhi bahut achhe then bina soche samjhe apne bhaiyo ko gali deijye bahar walo ki kya hi avasyakta hain 🤣
Ishwar ko ishwar kahena galat hai kyun ki ishwar infinite hai to fir ek finite shabd ishwar kahe kar bandh kaise sakte hai..
Agr arya samaji ke hisab se murti me puja karne se ishwar limited ho jata hai to??
Aur arya samaji dhyan karte samay mann ko kaha kendrit karta hai..
Ishwar anant hai to kisi ek jagah kendra kara sambhav kaise??
Agr kisi ek jagah kendrit kar liya to waha bhi ishwar limited ho gya..
Itna acha explanation diya tha aapne ise bhaiya lekin phir bhi isne "avtarvaad ka khandan" naam se video upload kar diya, kitna murkh vyakti hai ye
Channel name
Aap ka adhar kya hai
ईश ,ईश्वर ,परमेश्वर
पुत्र,पिता, दादा
शिवांश वो तुम्हारा अद्वैत मत का पापा है
Bhai wo arya samaji nhi hai, tum arya samaj se debate kyun ni karte ho😂😂
पूरा वीडियो देखिए
Jab isne mann liya ishwar hi maa bahen mein ke roop me pratibhasit ho rha..
To fir kaise nhi mann rha ishwar vyvharic dristhi se avatar nhi le sakta..
Lekin bhaiya usne toh aapke against me ek video bnai thi kata fiti krke ....
यह उसी प्रमाद का निराकरण है
@Ahvaan achha ..! fir toh mja hi aane wala aaj🙌🏻😃
@@KamalKishorHirwani बिलकुल अब इस कलयुगी योगी का कोई योग काम नहीं आएगा 😂 उसका सारा प्रोपेगंडा का अंत हुआ 🚩
भैया ने अच्छा उत्तर दिया इस कलयुगी योगी को 👏👌🚩
जय श्री हरि 🙏🚩🚩
@@KamalKishorHirwaniushka channel name
@@Ahvaan मान्यवर वेद खुद कहता है, परमात्मा की आंखें नहीं फिर भी वह देख सकता है, उसके हाथ नहीं फिर भी स्पर्श कर सकता है, उसके कान नहीं फिर भी सुन सकता है, वह दूर से भी दूर और पास से भी पास है, इसलिए वह सर्वशक्तिमान है, उसके अपने कार्य करने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं, परमात्मा कोई अल्लाह नहीं , जिसे फरिश्ते की जरूरत हो😂, या किसी शरीर की , इसलिए जो जैसा है, उसे बेस मानना ही धर्म है, वही आर्य(श्रेष्ठ)है, वही श्रेष्ठ है,🙏🙏🙏
Jai shree ram guru ji ❤❤❤❤❤
Sanatan dharm shabdh kya vedo mai likha hai ??
Yeh log khud ko arya samaji mante nhi.. lekin arya samaji par jab kataksh hota hai to inke ego hurt ho jata hai..
Akhir kya log hai yeh..😂😂😂.
#HONDA HINDU😂
Santh Rampal ji hi asli iswar avtar hain
itni samta to mujhe bhi chahiye 4 saal se advait darshan ka prachaar karne par 5 logo ko hi jood paya.
ईश्वर व्यवहार में नहीं होता जब परमार्थ में होता है अजीब कथन है बिना सर पैर का
lagta hai aapko itna bhi nahi samjha ki vo keh kya rahe hain
@@sushilarya1424 Haan bhai sushil tmhe samjh mein nhi aegaa padhaai likhaai karni padti hain jab padhoge sahi jagaah se tab samajh mein aaega Arya lagane se agar log Arya ho jate Dayanand Saraswati Ji ke age Dayanand Arya hota😊 apni alp buddhi ko yahaa prayog mein na laeee padhaai likhai kare. Aapko kal 8 min ki kalyug Yogi ki videos mein sab samjh mein agaya thaa 🤣
@@AB-yp7nc हां ईश्वर खाने -पीने,मरने, विवाह करने के हेतु व्यवहार में आता है परन्तु वास्तविक करता नहीं 😀 यही तो आपका कहना है।
परन्तु वास्तव में वो ये सब नहीं करता क्योंकि उसे इसकी आवश्यकता नहीं ,।
वो वास्तव में नहीं करता ये आपको स्वीकार करना पड़ेगा नहीं तो वो वो सच में मरने वाला हो जायेगा 😮
यही तो हम कहते हैं झूठा व्यवहार क्यों कल्पित करते हो जब उसको मरना ही नहीं है
@@Ekatva-c3j किस जगह से पढ़ना है बताओ,
शैव से पढ़े, शाक्त से पढ़े वा वैष्णव से पढ़े , कित मत का अध्ययन करें ताकि आपके सिद्धान्त वेद से पुष्ट हो जाएं 🤗
@sushilarya1424 Tmhe ye Tak nhi pata samrth mein panch dev upasana hain aur unse udrit jitne bhi avtar hain unki upasana ka bhi vidhaan hain Smarth Parampra mein tm kahi se mat padho kyunki tmhare man mein zeher bhara hai avtar ke prati vaise samrth mein Nirakar ki upasana bhi hain 😶🌫️ par tmhare jaise badmash jinke liye ghrina hi dharm hain wo kuch bhi padhle karenge kutark hi. Doosra tmhari buddhi itni Vikrit hain hain ki tm siddhant aur isht swaroop ki tulna kar rhe 😁 siddhant Parampra ke hote hain aur tmhari to parampara hi nhi 🤣 expected 😁
इनके दीमा के बार हैं ईश्वर जानना
Ahvaan yeh Arya samaji ke translation use kare h aap ke khilaaf reference pe refute krne ke liye story pe vo dekh aap ne ??
Aur ek baat yeh ek baari bol raha tha ki ohso wala h Arya samaj ko support kar raha h bas followers ke liye
जीवात्मा हूं। जानता हूं लेकिन मानता नहीं हूं। ऐसा बोल रहा है ये
Okay saarrr evolution theory fake saarrr, god made earth, sun, wirh his hands saarrr🤡🤡
Evolution to bakloli hi hai..
Hume koi matlab ni jinko sahi lagta hai wo jane..
Inn kalyugi yogi ke siddhanto mei toh sankarta aa gyi🫣
Avatar ko samjhane ka accha tarika rahega ki.
Pani aur bulbule ka udaharan.
Jaise samundar me pani hi pani hai aur ush pani me bulbule...
Arya samaji ka mand murkh buddhi hai. Yeh sochte hai ishwar avatar lega to pura ishwar ek body ke ander me rahega aur kahi nhi hoga..😂😂😂
त्रैतवाद उत्तम है 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
चतुर्थ वाद aur bhi achcha hai
@@पाखंड_का_खंडन nahi bhai pancham vaad jyada accha hai.🤣🤣
@@rishabh-trivedi-j9y nahi bhai shashtam vaad usse bhi badhiya hai
@@आर्यावर्तSanatanVedicभारत भाई किसको बतला रहे हो , जब वही खालिक है वही मुन्सिफ है इनके लिए तो क्या वाद ?
ये जो भी मान ले सब ठीक ही है 😊
@@आर्यावर्तSanatanVedicभारत भाई किसको बतला रहे हो , जब वही खालिक है वही मुन्सिफ है इनके लिए तो क्या वाद ?
ये जो भी मान ले सब ठीक ही है 😊
Puran is history saarrr🤡🤡
Veda bhi Veda viruddh hain sir when alankari caught in fire🤣🤣🤣🤣
Sab milawat hai saaar 🤡🤡🤡
48 yrs old man should not marry 25 yrs old women saarrr🤡🤡😂
Ye sab cheap stunts h jo ahvaan karta h😂 bas Arya samaji h ya nhi iska ek hi parikhan h or kalyugi Yogi to Arya samaji sach me nhi h 2 mahine pehle yt par aaya h sirf jativad nhi manta h
karne to vo avtarvaad ka khandan aya tha .or app keh rahe h ki bas jativad nhi manta . vakti ki sangati tatha jhukav se anuman lagaya ja sakta h vo or uski vichardhara kya h. is kalyugiyogi ne abhi abhi kuch hi dino pehle under covered gunda ya arya samajiyo ka betaj badshah rishi uvach ke sath live ki thi. or cheapness ki parakashtha to vo h jab tum ek siddhantik prashn puche jane par shivansh bhaiya ke pure parivar ko is vad vivad m ganseet late ho tum logon ko tanik lajja nahi aati h .vo konsa stunt tha bhrata .phir bhi hum apni puri shakti se apke kutarko ka prativadd karte rahenge.मत पड़ो चक्कर में, कोई नहीं टक्कर में|🚩 ||NARAYAN||
Unarya Samaji 😂
Shivansh bhai be like - aao beta tumko batata hoon 😂🔥
चूहा से ब्रह्म ज्ञान प्राप्त किया उसी के चेलेलोग, अब आदि शंकराचार्य के और उनसे बनने वाले आचार्य के ग्रंथ ना पढ़कर के फालतू मगजमारी में बैठेहैं गलत तर्क करते रहते हैं😅
Tu kitna janta h re lampat
Jay Sharee Krishna
जय श्री राम
Jay shree ram 🙏🏼
Jai shree Ram
Sat Rampal Ji bhagwan ki jai
Wo insaan hai bhagwan nahi.
@THERACHITANAND jo पूर्ण गुरु होता है ना वही भगवान ही होता है
@@अंशःkaha se hua guru vo to manushya bhi pura nahi hai
tuje rampal ki kheer tasty lagti hai kya
@@hiteshs1008😂😂😂