बालकृष्ण भट्ट । हिंदी प्रदीप । Balkrishna Bhatt । Hindi Pradeep

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  • เผยแพร่เมื่อ 29 ส.ค. 2024
  • बालकृष्ण भट्ट । हिंदी प्रदीप । Balkrishna Bhatt । Hindi Pradeep
    हिंदी प्रदीप पत्र के संपादक Hindi Pradeep Ke Sampadak
    हिंदी प्रदीप पत्र के सम्पादक
    पं बालकृष्ण भट्ट
    पं बालकृष्ण भट्ट का सम्पादन
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    इस वीडियो में आपको पं. बालकृष्ण भट्ट और 'हिंदी प्रदीप' पत्र के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी । 'हिंदी प्रदीप' पत्र कहां से प्रकाशित होता था? 'हिंदी प्रदीप' पत्र के संपादक कौन थे ? 'हिंदी प्रदीप' पत्र के संस्थापक कौन थे? 'हिंदी प्रदीप' पत्र कब प्रकाशित होना शुरू हुआ? किस युग में 'हिंदी प्रदीप' पत्र का प्रकाशन हुआ ? 'हिंदी प्रदीप' पत्र किस तरह का पत्र या पत्रिका थी?
    बालकृष्ण भट्ट का जन्म- 3 जून, 1844, प्रयाग, उत्तर प्रदेश;
    मृत्यु- 20 जुलाई, 1914
    पिता -पं॰ वेणी प्रसाद
    माता-पार्वती देवी
    1867 में प्रयाग के मिशन स्कूल से एंट्रेंस की परीक्षा दी।
    1869 से 1875 तक प्रयाग के मिशन स्कूल में अध्यापन 1885 में प्रयाग के सी० ए० वी० स्कूल में संस्कृत का अध्यापन । 1888 में प्रयाग की कायस्थ पाठशाला इंटर कॉलेज में अध्यापक हुए।
    काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा आयोजित हिंदी शब्दसागर के संपादन में भी उन्होंने बाबू श्याम सुंदर दास तथा शुक्ल जी के साथ कार्य किया।
    हिन्दी प्रचार के लिए उन्होंने संवत्‌ 1933 में प्रयाग में हिन्दीवर्द्धिनी नामक सभा की स्थापना की ।
    हिन्दीवर्द्धिनी सभा की ओर से सितम्बर 1877 ई. में एक हिन्दी मासिक पत्र का प्रकाशन भी किया, जिसका नाम था "हिन्दी प्रदीप"। पत्रिका का पहला अंक कालेज के छात्रों द्वारा दिए गए पांच-पांच रुपये के चंदा-राशि से सितंबर 1877 में प्रकाशित हुआ।
    यह पत्र फरवरी 1910 ई. के अंक के प्रकाशनोपरांत बंद हो गया।
    ये कालाकांकर से प्रकाशित होने वाले पत्र 'हिन्दोस्थान' के कुछ समय तक सहायक सम्पादक थे।
    डॉक्टर वार्ष्णेय पंडित बालकृष्ण भट्ट को हिंदी का सर्वप्रथम निबंध-लेखक स्वीकार करते हैं।
    निबन्ध संग्रह :-
    साहित्य सुमन
    भट्ट निबंधमाला [इनके निबन्धों के दो संग्रह ‘भट्ट निबन्ध-माला’ (भाग-1, भाग-2) उनके सुपुत्र धनंजय भट्ट ने नागरी प्रचारिणी सभा से प्रकाशित करवाए]
    'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' प्रयाग ने इनके कुछ निबन्धों का संग्रह 'निबन्धावली' नाम से प्रकाशित भी करवाया था।
    लक्ष्मी व्यास के संपादकत्व में ‘बालकृष्ण भट्ट के निबन्धों का संग्रह’ उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से प्रकाशित हुआ है। इसमें 101 निबन्ध हैं। इनके दो निबन्ध-संग्रह (1) साहित्य समन तथा (2) साहित्य सरोज, 140 कॉटन स्ट्रीट कलकत्ता से प्रकाशित हुए हैं, परन्तु उपलब्ध नहीं हैं।
    प्रसिद्ध निबन्ध:- साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है (V.Imp), आंसू (V.Imp), आँख, कान, नाक, बातचीत, आत्मनिर्भरता (1893), चारु चरित्र, चंद्रोदय, संसार महानाट्यशाला, प्रेम के बाग का सैलानी, माता का स्नेह, लक्ष्मी, कालचक्र का चक्कर, शब्द की आकर्षण शक्ति, प्रतिभा, माधुर्य, साहित्य का सभ्यता से घनिष्ठ संबंध है, आशा, आत्मगौरव, रुचि, भिक्षावृत्ति, मेला ठेला, आकाश पिप्पल, बोध, एक अनोखा स्वप्न, स्त्रियां और उनकी शिक्षा, हमारे नये सुशिक्षितों में परिवर्तन । इनके निबंधों में "पुरुष अहेरी की स्त्रियाँ अहेर हैं", "ईश्वर की भी क्या ठठोल है", "नाक निगोड़ी भी बुरी बला है", "अकल अजीरन रोग", "भकुआ कौन कौन है", "हम डार-डार तुम पात-पात", "पंचों की सोहबत", "अब तो बासी भात में भी खुदा का साझा होने लगा", "इंग्लिश पढ़े सो बाबू होय" आदि विशेष चर्चित रहे।
    उपन्यास:-
    भट्ट जी के प्रकाशित पूर्ण उपन्यासों की संख्या दो है।
    नूतन ब्रह्मचारी 1886 ई. (V.Imp)
    सौ अजान और एक सुजान 1890 ई.(V.Imp)
    'नूतन ब्रह्मचारी' शीर्षक उपन्यास को सन 1886 ई. में भट्ट जी ने स्वयं अपने व्यय से पुस्तक रूप में प्रकाशित किया और 'हिंदी प्रदीप' के पाठकों और ग्राहकों को उपहार स्वरुप वितरित किया।'नूतन ब्रह्मचारी' उपन्यास बालकों के लिए लिखा गया, ताकि यह उपन्यास पढ़कर बालक अपने सह्रदय का विकास करें।
    उन्होंने कुछ अन्य उपन्यास भी लिखे जो अपूर्ण रहे। इनका प्रकाशन तत्कालीन युग की महत्वपूर्ण पत्रिका 'हिंदी प्रदीप' में धारावाहिक रुप में कुछ अंकों तक जारी रहा था। ये 'रहस्य कथा' (1879 ई.), 'गुप्त बैरी' (1882 ई.), 'उचित दक्षिणा' (1884 ई.), 'सद्भाव का अभाव' (1889 ई.). 'हमारी घड़ी' (1892 ई.) और 'रसातल यात्रा' (1892 ई.) आदि हैं।
    मौलिक नाटक :-
    रेल का विकट खेल (V.imp), नल दमयंती या दमयन्ती स्वयंवर (1897), बाल-विवाह, चन्द्रसेन, वृहन्नला (1907), कलिराज की सभा,
    अनुवाद :-
    वेणीसंहार, नाटक (1909), मृच्छकटिक, नाटक पद्मावती, नाटक
    प्रहसन:- जैसा काम वैसा परिणाम(1907), नई रोशनी का विष, आचार विडंबन।
    बालकृष्‍ण भट्ट की प्रतिनिधि रचनाओं का संकलन साहित्‍य अकादमी ने 'बालकृष्‍ण भट्ट : रचना संचयन' नाम से प्रकाशित
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    देखने के लिये धन्यवाद🙏

ความคิดเห็น • 2

  • @SumanSingh-qe3it
    @SumanSingh-qe3it 3 หลายเดือนก่อน +2

    Pdf please

    • @hindikiduniyase
      @hindikiduniyase  3 หลายเดือนก่อน

      PDF नहीं है। प्लीज नोट्स बना लीजिए।