Pranam aapko 🙏 Aap jo Gyan de rhe h,wo sabki samjh me aaye ,ye zaruri nhi h, kyoki ye Gyan unche leval ka hota h,jisko hr koi nhi samajhta. Aap kishi ka bura mat maniye.agyani aadmi hi galt comment krta h.👍👍👍🙏
गुरुजी यह बात सही है हमारे साथ इस तरह का एक बार घटा है और मैं यही जानता हूं एक ऐसी स्थान है यह कैसी ध्यान का अवस्था है जहां व्यक्ति सांस नहीं लेता है मैं अशोक रजनीश का किताब लेकर अशुद्ध ध्यान योग का किताब था उसे किताब के मार्गदर्शन से मैं बहुत से ध्यान किया आज भी मैं विपश्यना ध्यान करता हूं लेकिन बीच में एक बार मुझे ध्यान में भूत प्रवेश हो चुका था मेरा कोई गुरु नहीं था उसके बाद वह भूत ने मुझे इतना डलवा दिया कि मैं अंधेरे से आज तक भी डरता हूं ओशो बोलते हैं अंधेरा सबसे अच्छा और प्यारा लगता है इसी तरह मुझे अंधेरे से बहुत प्रेम था मगर आज मुझे अंधेरे से डर लगता है इसलिए अंधेरे से निकलने के लिए कोई मार्गदर्शन बताएं
वो भूत नहीं है वो वही है जो हम पर नजर रखता है अगर हम उसके लोक से बाहर जाने के लिए आंतरिक साधनाएं करते हैं वो अंधेरे में भी और उजाले में भी दिखता है, सदगुरु मिलने के बाद वो कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, डरना नहीं है किसी भी कीमत पर भय को चीर के आगे बढ़ना है 🪬
ध्यान तो ठीक है वह आत्मा का ही गुण है। लेकिन समाधी अवस्था में ही क्यों जाना है। क्या मिलेगा समाधी अवस्था में जा कर। वह भी तो गहन माया का परदा है। समाधी अवस्था में जा कर आत्मा तो खुद को भूल ही जाती है। खुद को भूलना मतलब दूसरे के वश में जाना जैसे universal energy ।
Awesome
❤
😙Thank u. Respected Guru ji!!!
🙏 you are my future creator
🙏❤️💓💔💕 गुरुवर!!!
Pranam aapko 🙏
Aap jo Gyan de rhe h,wo sabki samjh me aaye ,ye zaruri nhi h, kyoki ye Gyan unche leval ka hota h,jisko hr koi nhi samajhta.
Aap kishi ka bura mat maniye.agyani aadmi hi galt comment krta h.👍👍👍🙏
गुरुजी यह बात सही है हमारे साथ इस तरह का एक बार घटा है और मैं यही जानता हूं एक ऐसी स्थान है यह कैसी ध्यान का अवस्था है जहां व्यक्ति सांस नहीं लेता है मैं अशोक रजनीश का किताब लेकर अशुद्ध ध्यान योग का किताब था उसे किताब के मार्गदर्शन से मैं बहुत से ध्यान किया आज भी मैं विपश्यना ध्यान करता हूं लेकिन बीच में एक बार मुझे ध्यान में भूत प्रवेश हो चुका था मेरा कोई गुरु नहीं था उसके बाद वह भूत ने मुझे इतना डलवा दिया कि मैं अंधेरे से आज तक भी डरता हूं ओशो बोलते हैं अंधेरा सबसे अच्छा और प्यारा लगता है इसी तरह मुझे अंधेरे से बहुत प्रेम था मगर आज मुझे अंधेरे से डर लगता है इसलिए अंधेरे से निकलने के लिए कोई मार्गदर्शन बताएं
वो भूत नहीं है वो वही है जो हम पर नजर रखता है अगर हम उसके लोक से बाहर जाने के लिए आंतरिक साधनाएं करते हैं वो अंधेरे में भी और उजाले में भी दिखता है, सदगुरु मिलने के बाद वो कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, डरना नहीं है किसी भी कीमत पर भय को चीर के आगे बढ़ना है 🪬
🕉
Parnam Namaste ji 🙏
Dhyan me uter jane ke bad dikhne wale uperi darsya, suksam man ki kalpna h ya vastvik hote h.
🕉 Parnam Namaste 🙏
ध्यान तो ठीक है वह आत्मा का ही गुण है।
लेकिन समाधी अवस्था में ही क्यों जाना है।
क्या मिलेगा समाधी अवस्था में जा कर।
वह भी तो गहन माया का परदा है।
समाधी अवस्था में जा कर आत्मा तो
खुद को भूल ही जाती है।
खुद को भूलना मतलब दूसरे के वश में जाना जैसे universal energy ।