जिद्दू कृष्ण मूर्ति जी जिस दृष्टा और दृश्य की बात कर रहे है तो वो भगवद गीता में श्रीकृष्ण जी प्रकृति और पुरुष की बात करते,जड़ और चेतन की बात करते है वो वही है दृष्टा माने पुरष या चेतना और दृश्य माने प्रकृति या जड़ कह लीजिए आगे श्रीकृष्ण जी कहते है की ये जो जड़ और चेतन है ये दोनो एक ही है वो ऐसे की ये संसार और इस संसार को संसार कहने वाला संसार का दृष्टा ये दोनो एक ही है अगर इन दोनो मेंसे किसी एक को हटा दो तो क्या बचेगा कुछ भी नही शून्य मात्र तो जिद्दू कृष्ण मूर्ति इसी शून्यता तक पहुंचे ने की बात कर रहे है दृष्टा और दृश्य का उदाहरण देकर। बात काफी आगेतक जाती है काफी गहरी है मैं उतना सक्षम नहीं हु की जिद्दू कृष्णमूर्ति जी की बात को उनसे ज्यादा गहराई से बता पाऊं।🙏
Amidst the victory of light over darkness, dissolve the self, allowing the emptiness within to become the canvas for the radiance of limitless possibilities. 🌟✨🎇
दृष्टा और दृश्य एक है, कैसे? द्रष्टा का मतलब है देखने वाला, अनुभव करने वाला और जो भी चीज हम अनुभव करते है वह दृश्य है। दृष्टा को ही हम मै, माय सेल्फ, मी ऐसे कहते हैं। Myself, Me, मै का मतलब है हमारा पूर्व ज्ञान, हमारा भूतकाल, हमारी सारी पूर्व स्मृतिया। यह सब हमारे दिमाग में विचारों के माध्यम से संग्रहित किया जाता है। यानी कि मै जो दृष्टा हूं वह असल में सिर्फ विचार मात्र है। ज्ञानिंद्रियोंसे हमारा शरीर जो भी अनुभव करता है उसे हम दृश्य कहते है। पूर्व अनुभव हो या वर्तमान के अनुभव हो वह सब हमारे दिमाग कि स्मृतियों में संग्रहित किया जाता है। संग्रहित होने के बाद उस अनुभव कि जो प्रतिक्रिया उठती है उससे हमने अनुभव क्या किया यह समझ में आता है। अनुभव कि जो प्रतिक्रिया होती है वह भी विचार मात्र ही हैl इसी तरह दृष्टा भी विचार है और दृश्य भी विचार है, दोनों एक है। जब हमें लगता था कि दृष्टा और दृश्य अलग-अलग है, इस को हम division कहते हैं और जहां division होती है वहां conflict जरूर होता है। यह division हमारे मन में होती है, वहीं division हमारे परिवार और समाज में भी होती है। यही division सभी संबंधों मै दरारें पैदा कर देती है। इसी division से धर्म और nationalisms के नाम पर wars होते रहते है। हमारे relationships में जो हमारे एक दूसरे के बारे में पूर्व अनुभव है वह divisive knowledge हमारे relationships में दरार पैदा कर देती है। मुक्ति का मतलब है पूर्ण स्वतंत्रता, मुक्ति का मतलब है हमारे स्मृतियां में संग्रह किए हुए पुराने विचारों से छुटकारा, पुराने knowledge से मुक्ति, मुक्ति का मतलब है freedom from all that we know, freedom from the known। मुक्ति का अर्थ है साक्षी का न होना। स्वतंत्रता का अर्थ है साक्षी की सम्पूर्ण उपेक्षा करना। साक्षी विभाजन का केंद्रबिंदु है। साक्षी मै और दूसरा ऐसे विभाजन को बनाता है। इसी विभाजन हेतु रिश्तों के बीच टकराव पैदा होती है। इसलिए सभी रिश्ते हिंसक हैं। साक्षी का यह विभाजन दुनिया भर में सभी प्रकार के संबंधों में हिंसा और गड़बड़ी पैदा करता है। जब कोई यह सत्य देखता है तो वह विभाजन बनाना बंद कर देता है। जब हमें इसी तरह मैं का पता लगता है, दृष्टा और दृश्य का पता लगता है तो उससे जो प्रतिभा, जो विवेक जागृत होता है और उससे जो action निकलती है वह सही तरह से नई creation होगी। यह जो नई action और नई activity होगी, हमारा नया बर्ताव होगा वह real meditation है। हजारों सालों से चली आती रही जो परंपरा और उसके साधना मार्ग है वह सब पुराने है, वह सभी हमारे मन को समोहित करके हमें believer बनाते हैं। Truth is not to believe, not to search but to live with it. th-cam.com/video/xvVL3tT5hZM/w-d-xo.html
J Krishnamurty ji के विचारो के ऊपर दिए गए जितने भी videos हैं वे बड़े क्रांतिकारी हैं। सरल हैं। सहज हैं। और यदि आपकी खोपड़ी घूम गई तो समझ लीजिए कि आपकी समझ मे कुछ कुछ आ गया है।
दृष्टा=मैं हूं! अब यह "में हूं" एक विचार है!स्व चेतना की 1% एनर्जी आत्म जिज्ञासा है जो खोज रही है! जागरूकता का हिस्सा ही आत्म जिज्ञासा है जो विचार नहीं वल्कि विचार का मूल है! Is it like that?
द्रष्टा आणि दृश्य समजणे आवश्यक आहे. आपण जे पाहतो ते दृश्य आहे. दृश्य किंवा लँडस्केप दररोज सतत बदलत आहे, कारण हे जग बदलत आहे. इथे काहीही शाश्वत नाही. पण द्रष्टा नेहमी सारखाच राहतो. द्रष्टा बदलू शकत नाही किंवा तो निर्माण किंवा नष्ट होऊ शकत नाही. हा द्रष्टा किंवा द्रष्टा कोण आहे? आमचे डोळे? नाही, देह मेला म्हटल्यावरही डोळे आहेत. पण ती पाहू शकत नाही. त्याचप्रमाणे शरीरातील इतर क्रिया आणि इंद्रिये शरीराचा मृत्यू होताच निष्क्रिय होतात. मग शरीराला काही पाहण्याची, ऐकण्याची किंवा करण्याची शक्ती देणारा कोण आहे.साहजिकच आणखी एक चैतन्य शक्ती आहे ज्याला आपण आत्मा म्हणतो, जीवन किंवा फक्त ऊर्जा म्हणतो, ती म्हणजे जोपर्यंत शरीरात राहते, शरीराला ते जिवंत आणि मृत असे म्हणतात. , जर आपण थोडा खोलवर विचार केला तर आपल्याला वेगवेगळ्या रंगांमध्ये, रूपांमध्ये, आकारांमध्ये जे दिसतं, ते सर्व देखील याच उर्जेचीच रूपे आहेत. आणि समान आहेत. आदि शंकराचार्य म्हणतात - "इफ्दं विश्वं नानारूपम् प्रतिमा मग्नात, तत्सर्वं ब्रह्मैव प्रतिस्यता शेषभवनदोषम्" - हे सर्व जग, जे अज्ञानातून विविध रूपे आणि नावांनी दिसते, ते साक्षात ब्रह्म आहे, सर्व भावनांच्या दोषांपासून मुक्त आहे. , आईन्स्टाईन असेही म्हणाले की पदार्थ अस्तित्त्वात नाही - जर ते अस्तित्वात असेल तर केवळ ऊर्जा (एनर्जी) जी तिच्यामध्ये व्यापते, ती निर्माण किंवा नष्ट होऊ शकत नाही. शरीरात जी ऊर्जा व्यापलेली असते तिला 'वैयक्तिक ऊर्जा' (आत्मा) म्हणतात आणि जी संपूर्ण विश्वात व्यापते तिला 'वैश्विक ऊर्जा' (परमात्मा) म्हणतात. म्हणून खरे तर द्रष्टा आणि दृश्य हे एकच आहेत,
Well explained! I think rarely anyone can practically transform himself . Reason is that we are highly conditioned and we lack the intelligence that is the inner intelligence to at least catch the essence of the said by Krishnamurthy. If yes then it takes seconds and mutation in mind takes place
Kya nirvichar hua ja sakta hai...kyuki Ager vichaar yani mei hoss mei bhi rehta h...mano mere ander koi vichaar nai chal rehe toh...fir hosh mei kon h... Vichaar k duara kaha ki mein hi na...plz reply
Shriman Aapko pyar bhara salaam. Aapki baato mai sachai hai maine yei sab mehsoos kiya hai. Ek sawal hai maira aapse Jeevan mai mukti sukh se milti hai ya dukh se ya karam ya fir shanti ya dhyan? Kirpya margdarshan karyei.
'The thinker and the thought are one' is again a 'thought'...Also it is said that just by 'looking'/'observing'/'understanding' this 'thought' liberation/transformation will happen...but to do this, again one 'looker'/ 'observer'/'understand-er' will be created...and this process is unending...so how it will work? Kindly correct me if it is wrong. Thanks...
Pure observation is free from thought. It is not thought. But one can make an idea about it. It is not a matter of will or decision. It happens when there is a deep passion for learning and transformation. Then it is natural...
जागरूकता स्वयं जागरूक होती है, उसे किसी केंद्र या किसी विशेष entity की आवश्यकता नहीं होती है। जागरूकता में शरीर, मन, मस्तिष्क, हृदय, इन्द्रियाँ, इत्यादि के बीच कोई विभाजन नहीं होता। सब harmony में काम करते हैं।
Personal talk is not possible because of Mukesh ji's busy schedule but you can attend his coming workshop in Hindi and ask any questions. Online registration for workshop: www.schoolforselfinquiry.org/krishnamurti_hindi_workshop.html
Shukriya Shaista bhai. Mujhe badi khushi huyi ye jaan kar ki aapki dilchaspi in sawaalon me hai. Aapka ye accha sujhaaav hai ki bolte waqt asaan zubaan ka istemaal kiya jaye. Aage koshish rahegi...Halanki hum jis mahaul me bade hote hain, bhaasha vaisi hi niklne lagti hai anjaane hi...par kuch koshish se ise aasaan to banayaa jaa skta hai. Shukriya!
Listening you tube for six years....this is best understanding received with beautiful way of speech
🙏🌻❤️
Sir , kya me aapka whatsapp number jaan sakta hu...
Aap ne J. Krishna Murthy ki philosophy ko bohot hi saral shabdo me samjhaya hai
Thankyou 😊😊😊
Waah nice kya smjhaya etne video sbse acha smjhaya gya hai ye ek video kafi hai saty se parichit hone k liye
Bahut clarity ke sath bahut simple bhasa me Satya ko paribhasit karne ke liye Dhanyawad....,👍
जिद्दू कृष्ण मूर्ति जी जिस दृष्टा और दृश्य की बात कर रहे है तो वो भगवद गीता में श्रीकृष्ण जी प्रकृति और पुरुष की बात करते,जड़ और चेतन की बात करते है वो वही है दृष्टा माने पुरष या चेतना और दृश्य माने प्रकृति या जड़ कह लीजिए आगे श्रीकृष्ण जी कहते है की ये जो जड़ और चेतन है ये दोनो एक ही है वो ऐसे की ये संसार और इस संसार को संसार कहने वाला संसार का दृष्टा ये दोनो एक ही है अगर इन दोनो मेंसे किसी एक को हटा दो तो क्या बचेगा कुछ भी नही शून्य मात्र तो जिद्दू कृष्ण मूर्ति इसी शून्यता तक पहुंचे ने की बात कर रहे है दृष्टा और दृश्य का उदाहरण देकर। बात काफी आगेतक जाती है काफी गहरी है मैं उतना सक्षम नहीं हु की जिद्दू कृष्णमूर्ति जी की बात को उनसे ज्यादा गहराई से बता पाऊं।🙏
I think u r the right person who caught the whole essence. Absolutely right.
Apka Gyan sare dukho ka smadhan hai guru gi
Wah.. finally found a channel to explain the teachings of j. Krishna murti. Thanks
Amazing !! Krishnamurti ji ka ye chapter Observer and Observed : Peace , freshness , emptiness ki feelling create karta hain . Thanks Mukesh ji
बहुत बहुत धन्यवाद
Amidst the victory of light over darkness, dissolve the self, allowing the emptiness within to become the canvas for the radiance of limitless possibilities. 🌟✨🎇
Waah dhanyabad sir
best honesty for humain
दृष्टा और दृश्य एक है, कैसे?
द्रष्टा का मतलब है देखने वाला, अनुभव करने वाला और जो भी चीज हम अनुभव करते है वह दृश्य है।
दृष्टा को ही हम मै, माय सेल्फ, मी ऐसे कहते हैं। Myself, Me, मै का मतलब है हमारा पूर्व ज्ञान, हमारा भूतकाल, हमारी सारी पूर्व स्मृतिया। यह सब हमारे दिमाग में विचारों के माध्यम से संग्रहित किया जाता है। यानी कि मै जो दृष्टा हूं वह असल में सिर्फ विचार मात्र है।
ज्ञानिंद्रियोंसे हमारा शरीर जो भी अनुभव करता है उसे हम दृश्य कहते है। पूर्व अनुभव हो या वर्तमान के अनुभव हो वह सब हमारे दिमाग कि स्मृतियों में संग्रहित किया जाता है। संग्रहित होने के बाद उस अनुभव कि जो प्रतिक्रिया उठती है उससे हमने अनुभव क्या किया यह समझ में आता है। अनुभव कि जो प्रतिक्रिया होती है वह भी विचार मात्र ही हैl
इसी तरह दृष्टा भी विचार है और दृश्य भी विचार है, दोनों एक है।
जब हमें लगता था कि दृष्टा और दृश्य अलग-अलग है, इस को हम division कहते हैं और जहां division होती है वहां conflict जरूर होता है। यह division हमारे मन में होती है, वहीं division हमारे परिवार और समाज में भी होती है। यही division सभी संबंधों मै दरारें पैदा कर देती है। इसी division से धर्म और nationalisms के नाम पर wars होते रहते है। हमारे relationships में जो हमारे एक दूसरे के बारे में पूर्व अनुभव है वह divisive knowledge हमारे relationships में दरार पैदा कर देती है।
मुक्ति का मतलब है पूर्ण स्वतंत्रता, मुक्ति का मतलब है हमारे स्मृतियां में संग्रह किए हुए पुराने विचारों से छुटकारा, पुराने knowledge से मुक्ति, मुक्ति का मतलब है freedom from all that we know, freedom from the known।
मुक्ति का अर्थ है साक्षी का न होना। स्वतंत्रता का अर्थ है साक्षी की सम्पूर्ण उपेक्षा करना। साक्षी विभाजन का केंद्रबिंदु है। साक्षी मै और दूसरा ऐसे विभाजन को बनाता है। इसी विभाजन हेतु रिश्तों के बीच टकराव पैदा होती है। इसलिए सभी रिश्ते हिंसक हैं। साक्षी का यह विभाजन दुनिया भर में सभी प्रकार के संबंधों में हिंसा और गड़बड़ी पैदा करता है। जब कोई यह सत्य देखता है तो वह विभाजन बनाना बंद कर देता है।
जब हमें इसी तरह मैं का पता लगता है, दृष्टा और दृश्य का पता लगता है तो उससे जो प्रतिभा, जो विवेक जागृत होता है और उससे जो action निकलती है वह सही तरह से नई creation होगी। यह जो नई action और नई activity होगी, हमारा नया बर्ताव होगा वह real meditation है। हजारों सालों से चली आती रही जो परंपरा और उसके साधना मार्ग है वह सब पुराने है, वह सभी हमारे मन को समोहित करके हमें believer बनाते हैं।
Truth is not to believe, not to search but to live with it.
th-cam.com/video/xvVL3tT5hZM/w-d-xo.html
Your explanation make me more understanding of j.krishnamurty 🙏🙏
J Krishnamurty ji के विचारो के ऊपर दिए गए जितने भी videos हैं वे बड़े क्रांतिकारी हैं। सरल हैं। सहज हैं। और यदि आपकी खोपड़ी घूम गई तो समझ लीजिए कि आपकी समझ मे कुछ कुछ आ गया है।
Beautifully explained. Very deep but yet you have made it so simple..
Thank you so much for giving this NECTOR 🙏
बहुत अच्छा, धन्यवाद.
Thanks
Bhahut achha video hai thanks sir ji
How beautifully Explained such a deep understanding!
Thanks sir
🙏🌻❤️
👍👍👍👌👌👌
🙏🌹🙏🙇
Thanks for this Channel 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
❤
Very beautifully narrated thank you . 🙏🏻💕
यही पूर्ण सत्य है, जय हो 🙏🌹
🙏🌻
Ye sach hai agyan hi dambhi hota hai
Bahot hi achha lagata he sirji
Bahoot achhe se samjhaya aapne. Dhanyvad
🙏🌻
दृष्टा=मैं हूं! अब यह "में हूं" एक विचार
है!स्व चेतना की 1% एनर्जी आत्म जिज्ञासा है जो खोज रही है! जागरूकता का हिस्सा ही आत्म जिज्ञासा है जो विचार नहीं वल्कि विचार का मूल है!
Is it like that?
Dhan dhan ho gya guru ji 🙏
Nice
Adbut knowledge 🌹🌹👌
द्रष्टा आणि दृश्य समजणे आवश्यक आहे. आपण जे पाहतो ते दृश्य आहे. दृश्य किंवा लँडस्केप दररोज सतत बदलत आहे, कारण हे जग बदलत आहे. इथे काहीही शाश्वत नाही. पण द्रष्टा नेहमी सारखाच राहतो. द्रष्टा बदलू शकत नाही किंवा तो निर्माण किंवा नष्ट होऊ शकत नाही. हा द्रष्टा किंवा द्रष्टा कोण आहे? आमचे डोळे? नाही, देह मेला म्हटल्यावरही डोळे आहेत. पण ती पाहू शकत नाही. त्याचप्रमाणे शरीरातील इतर क्रिया आणि इंद्रिये शरीराचा मृत्यू होताच निष्क्रिय होतात. मग शरीराला काही पाहण्याची, ऐकण्याची किंवा करण्याची शक्ती देणारा कोण आहे.साहजिकच आणखी एक चैतन्य शक्ती आहे ज्याला आपण आत्मा म्हणतो, जीवन किंवा फक्त ऊर्जा म्हणतो, ती म्हणजे जोपर्यंत शरीरात राहते, शरीराला ते जिवंत आणि मृत असे म्हणतात. ,
जर आपण थोडा खोलवर विचार केला तर आपल्याला वेगवेगळ्या रंगांमध्ये, रूपांमध्ये, आकारांमध्ये जे दिसतं, ते सर्व देखील याच उर्जेचीच रूपे आहेत. आणि समान आहेत. आदि शंकराचार्य म्हणतात -
"इफ्दं विश्वं नानारूपम् प्रतिमा मग्नात, तत्सर्वं ब्रह्मैव प्रतिस्यता शेषभवनदोषम्" -
हे सर्व जग, जे अज्ञानातून विविध रूपे आणि नावांनी दिसते, ते साक्षात ब्रह्म आहे, सर्व भावनांच्या दोषांपासून मुक्त आहे. ,
आईन्स्टाईन असेही म्हणाले की पदार्थ अस्तित्त्वात नाही - जर ते अस्तित्वात असेल तर केवळ ऊर्जा (एनर्जी) जी तिच्यामध्ये व्यापते, ती निर्माण किंवा नष्ट होऊ शकत नाही.
शरीरात जी ऊर्जा व्यापलेली असते तिला 'वैयक्तिक ऊर्जा' (आत्मा) म्हणतात आणि जी संपूर्ण विश्वात व्यापते तिला 'वैश्विक ऊर्जा' (परमात्मा) म्हणतात. म्हणून खरे तर द्रष्टा आणि दृश्य हे एकच आहेत,
Well explained! I think rarely anyone can practically transform himself . Reason is that we are highly conditioned and we lack the intelligence that is the inner intelligence to at least catch the essence of the said by Krishnamurthy. If yes then it takes seconds and mutation in mind takes place
Dhayvad
Very good explanation 🙏🏼
Aap sabhi logo ka Bohat Bohat Dhanyewad
Ati sunder.. Thanks
Very Well Explained
Great Knowledge 👍👌💐
Namo
🙏
Happy to hear in Hindi languages
🙏🌞
😊🙏🥰
Dhanyawad mukesh ji.....🙏🙏🙏
🙏🌻
धन्यवाद! 🙏
Agreed . Thanks
🙏
vaah
Thanks 🙏🙏🙏
Welcome🙏
Super duper
🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Excellent illustration, thanx
🙏
🙏🌻
Thank You ❤️
Thank you Master 🙏🙏
🙏
Thank you Sir, beautiful explanation.
Right
Thank you so much
🙏
Nice 👌👌
Very nice
You really explained clearly. Hope to meet you in person.
Curious
J krishnamurti jis stage par the wo kese pohche. Means unka transformation kese hua. Pls share on his divine journey... 🙏
🙏🌻
Kya nirvichar hua ja sakta hai...kyuki Ager vichaar yani mei hoss mei bhi rehta h...mano mere ander koi vichaar nai chal rehe toh...fir hosh mei kon h... Vichaar k duara kaha ki mein hi na...plz reply
सर, अगर विचारक और विचार या दृष्टा और दृश्य एक ही है तो फिर इनको देखेगा कौन और इनको देख कर इनसे कैसे पृथक होगा। कृपया स्पष्ट करें।
🌹
👌👌
Shriman Aapko pyar bhara salaam.
Aapki baato mai sachai hai maine yei sab mehsoos kiya hai.
Ek sawal hai maira aapse Jeevan mai mukti sukh se milti hai ya dukh se ya karam ya fir shanti ya dhyan?
Kirpya margdarshan karyei.
Mukti gahari samajh aur bodh se aati hai. Yah koi ek baar hone waali ghatna nahi hai. Yah ek satat chalne waali prakriya hai... Jaise nadi ka pravaah...Aap kahin bhi kisi bhi cheez se bandhe, wahin mukti samaapt ho gayi...
'The thinker and the thought are one' is again a 'thought'...Also it is said that just by 'looking'/'observing'/'understanding' this 'thought' liberation/transformation will happen...but to do this, again one 'looker'/ 'observer'/'understand-er' will be created...and this process is unending...so how it will work?
Kindly correct me if it is wrong. Thanks...
Pure observation is free from thought. It is not thought. But one can make an idea about it. It is not a matter of will or decision. It happens when there is a deep passion for learning and transformation. Then it is natural...
आप दोनो सज्जनों ने हंसते _मुस्कराते कृष्णमूर्ति जी का अच्छा विवेचन किया। अंत में उपनिषदों का विवेचन आपने नही किया। ॐ श्री।
क्या द्रष्टा और साक्षी अलग अलग हैं।जागरूकता में कौन सजग है
जागरूकता स्वयं जागरूक होती है, उसे किसी केंद्र या किसी विशेष entity की आवश्यकता नहीं होती है। जागरूकता में शरीर, मन, मस्तिष्क, हृदय, इन्द्रियाँ, इत्यादि के बीच कोई विभाजन नहीं होता। सब harmony में काम करते हैं।
Every thing on the earth or in universe is matrix or physicy. Isn't it?
Dear i need to meet yoy vertual so how can i..
Personal talk is not possible because of Mukesh ji's busy schedule but you can attend his coming workshop in Hindi and ask any questions. Online registration for workshop: www.schoolforselfinquiry.org/krishnamurti_hindi_workshop.html
abhi me osho ko sun raha tha ...to unhone drashta ko vicharo se alag mana he...me to confuse ho jata hun kise suno aur kise nahi.
Listening only, one day you find everything, Enjoy journey
@@JagveerSinghChundawatreanjoy great advice!
jab drashta ho he jaoge to vichar tumhare kaise honge app to sakhistav ko prapt ho jayenge na
🙏🙏🙏👌👌👌🌞💯
🙏🌞
तो क्या कोई छोटा बच्चा एकत्व महसूस करता हैं???
Kya aap sada aur Asan bhasha main nhi samjha sakte? Jo hidi filmon main boli jati ha. Takeh ham Urdu bolne wale bhi achi trah samajh paen. 🙏 Dhanebad
Shukriya Shaista bhai. Mujhe badi khushi huyi ye jaan kar ki aapki dilchaspi in sawaalon me hai. Aapka ye accha sujhaaav hai ki bolte waqt asaan zubaan ka istemaal kiya jaye. Aage koshish rahegi...Halanki hum jis mahaul me bade hote hain, bhaasha vaisi hi niklne lagti hai anjaane hi...par kuch koshish se ise aasaan to banayaa jaa skta hai. Shukriya!
@@innerstillness main abhari rahon gi. I am your listener from Pakistan.
Apne kaha main ko vichaar ne banaya h...toh iss video ko kon sunn raha h... vichaar
Budhhi kya h
Buddhi vichar ki hi activity hai. Buddhi ke pare bhi kuch hai...
Reply added
Jab vichar hi sahi galat tay kar rha h to budhhi kya h
Buddhi vichar ki hi activity hai. Buddhi ke pare bhi kuch hai...
Chitt aur vichar me kya sambandh h
Thank you. 😊
👌👌
Very nice
Very nice
🙏🌻