भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान

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  • เผยแพร่เมื่อ 23 ส.ค. 2024
  • हमारी रोजमर्रा की जरूरत कई उत्पादों से पूरी होती है, जोकि कुछ विशिष्ट रासायनिक योगों पर आधारित होते हैं। हमारे द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला टूथपेस्ट हो या फिर बीमार होने पर ली जाने वाली दवाएं, सभी में विशिष्ट रासायनिक सूत्र होते हैं। नवीन रासायनिक यौगिकों की गुंजाइश दिन-ब-दिन बढ़ रही है और इसलिए इन रसायनों की खोज और पहचान से जुड़े शोध भी होते रहते है।
    IICT यानि भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, तेलंगाना की राजधानी, हैदराबाद में स्थित है, ये एक ली​डींग संस्थान है। इसकी विशेषज्ञता रासायनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में है। 1941 में स्थापित, यह देश के सबसे पुराने शोध संस्थानों में से एक है।
    दवाओं की खोज, कृषि रसायन, उत्प्रेरण, सामग्री विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्रों में अत्याधुनिक सुविधाओं और राष्ट्रीय तथा वैश्विक जरूरतों के लिए अभिनव समाधान विकसित करने पर लगातार फोकस करने से IICT पूरे देश में अग्रणी रासायनिक अनुसंधान संस्थान बन गया है।
    संस्थान ने TLR 7/8 agonist molecule यानि IMDG के संश्लेषण के लिए एक cost-effective और स्केलेबल प्रक्रिया विकसित करने का बीड़ा उठाया है, इसका उपयोग कोविड-19 वैक्सीन के लिए कोवैक्सीन में सहायक के रूप में किया जाता है और इसे Bharat Biotech International Limited को हस्तांतरित कर दिया गया है। जिसका उत्पादन किलोग्राम स्केल में किया जा रहा है। इसी वजह से CSIR-IICT ने भारत बायोटेक द्वारा स्वदेशी Covaxin के विकास के कारण SARS COV-2 महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    अत्याधुनिक अनुसंधान करने के अलावा, IICT-Hyderabad रासायनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे देश की वैज्ञानिक मानव संसाधन जरूरतों को भी पूरा करता है। यह पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टरेट स्तर पर प्रतिष्ठित शैक्षणिक कार्यक्रम भी चलाता है, जहां नवोदित वैज्ञानिक रसायन विज्ञान की सबसे उन्नत तकनीक सीखते हैं। इसके अलावा, ये संस्थान हाल ही में फैली कोविड-19 महामारी जैसी स्थितियों में एक और महत्वपूर्ण काम करता है, जोकि नए अणुओं को बनाने और डिजाइन करने की अपनी क्षमता का लाभ उठाकर स्वास्थ्य, पर्यावरण और कृषि जैसे क्षेत्रों में उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए जरूरी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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