सृष्टि रचना: धर्मदास यह जग बौराना। कोई ना जाने पद निर्वाणा।। यही कारण मैं कथा पसारा। जग से कहिए एक राम नियारा।। यही ज्ञान जग जीव सुनाओ। सब जीवों का भ्रम नशाओ।। भ्रम गए जब बेद पुराणा। आदि राम का भेद ना जाना।। राम-राम सब जगत बखाने। आदि राम कोई बिरला जाने।। राजा राम को यह जग जाने। सबको ताका भेद बखाने।। अब मैं तुमसे कहूं चिताई। त्रायदेवन की उत्पत्ति भाई।। कुछ संक्षेप कहूं गोहराई। सब संशय तुम्हरे मिट जाई।। ज्ञानी सुने सो हृदय लगाई। मूर्ख सुने तो गम्य नहीं पाई।। माँ अष्टंगी पिता निरंजन। वे जम दारूण वंशन अंजन।। पहले कीन निरंजन राई। पीछे से माया उपजाई।। माया रूप देख अति शोभा। देव निरंजन तन मन लोभा।। कामदेव धर्मराय सताये। देवी कूं तुरंत धर खाये।। पेट से देवी करी पुकारी। हे साहब मोहे लेवो उबारी।। टेर सुनि सतगुरू तहं आए। अष्टंगी को बंद छुड़वाये।। धर्मराय ने हिकमत कीन्हा। नख रेखा से भग कर लीना।। धर्मराय कीन्हें भोग विलासा। माया को रही तब आशा।। तीन पुत्र अष्टंगी जाये। ब्रह्मा विष्णु शिव नाम धराये।। तीन देव संसार चलाये। इनमें यह जग धोखा खाये।। सतपुरूष का भेद कैसे कोई पाए। काल निरंजन जग भ्रमाए।। तीन लोक अपने सुत दीन्हा। सुन्न निरंजन बासा लीन्हा।। अलख निरंजन सुन्न ठिकाना। ब्रह्मा विष्णु शिव भेद न जाना।। तीन देव सो उसको ध्यावैं। निरंजन का वे पार न पावैं।। अलख निरंजन बड़ा बटपारा। तीन लोक जीव करत आहारा।। ब्रह्मा विष्णु शिव नहीं बचाये। सकल खाय पुन धूल उड़ाये।। तिनके सुत हैं तीनों देवा। आंधर जीव करत हैं सेवा।। अकाल पुरूष काहू नहीं चीन्हा। काल पाय सबही गह लीन्हा।। ऐसा राम सकल जग जाने। आदि ब्रह्म (तत् ब्रह्म) को ना पहचाने।। तीनों देव और अवतारा। ताको भजै सकल संसारा।। गुण तीनों की भक्ति में, भूल परो संसार। कहैं कबीर निज राम बिना, कैसे उतरो पार।। माया आदि निरंजन भाई। अपने जाये आपै खाई।। ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर माया और धर्मराया कहिए। इन पाँचों मिल प्रपंच बनाया, वाणी हमरी लहिए।।
आदरणीय संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर, हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ। सन् 1727 फाल्गुन सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी गरीबदास जी को नला नामक खेत में मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए और पृथ्वी पर वापस छोड़ा। तब गरीबदास जी महाराज ने सतलोक का वर्णन आंखों देखा किया। उन्होंने अपनी वाणी में कहा है - गरीब, हम देखा सो साच है और सकल प्रपंच।
Only Kabir Saheb is the savior who can save sisters and their brothers both. So tie yourself with the supreme God with the thread of devotion with the help of Sant Rampal Ji Maharaj
गीता अध्याय 8 श्लोक 13 में गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) कह रहा है कि-ओम् इति एकाक्षरम् ब्रह्म, व्याहरन् माम् अनुस्मरन्, भावार्थ है कि श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत् प्रवेश करके ब्रह्म/काल कह रहा है कि मुझ ब्रह्म की साधना केवल एक ओम् नाम से मृत्यु पर्यन्त करने वाले साधक को मुझ से मिलने वाला लाभ प्राप्त होता है, अन्य कोई मन्त्र मेरी भक्ति का नहीं है।
पवित्र देवी पुराण,श्री मद देवी पुराण में तीनों भगवानो से उपर देवी को बताया है,देवी से उपर ब्रह्रम को बताया है( देवी द्वारा हीमालय राजा) को ब्रह्रम की पुजा को बताया है, भागवत गीता में ब्रह्रम अन्य पूर्ण ब्रह्रम ( अविनाशी परमात्मा कबीर परमेश्वर है) की पुजा करने का आदेश देता है,
मैं बृजेश कुमार बाराबंकी ग्राम बनी से बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल की जय मैं इस समय दुबई में रहता हूं आपके सत्संग सुनता हूं मेरी बीवी आप में जुड़ी है लेकिन वह बोलती है कि संत रामपाल महाराज की पूजा करो उनसे से बढ़कर कोई नहीं है यह बात मेरी समझ में नहीं आ रही
#Kabir_Is_SupremeGod कबीर परमात्मा ही सर्व के मालिक हैं, चाहे हिन्दू हों, मुस्लिम हों, सिख हों या ईसाई। इसका प्रमाण सर्व सदग्रंथों में विद्यमान है।अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें साधना चैनल 7: 30 pm
Supreme God Kabir🎈ज्ञानी गरूड़ है दास तुम्हारा। तुम बिन नहीं जीव निस्तारा।। इतना कह गरूड़ चरण लिपटाया। शरण लेवो अविगत राया।। सतयुग में विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को कबीर साहेब जी ने उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई और गरूड़ जी मुक्ति के अधिकारी हुए।
सतगुरु शरण में आने से आई टले बला। जो मस्तक में सूली हो वो कांटे में टल जा।। आज चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है, सभी तड़प रहे हैं। इससे सिर्फ परमात्मा कबीर साहेब ही बचा सकते हैं। किसी के नसीब में यदि सूली है तो परमात्मा कबीर साहेब उसे कांटे में टाल सकते हैं।
👉कबीर दास के दोहा से पकड़ा जा सकता है कि कबीर सच्च में भगवान थे 👈 👇आखिर ये राम कौन है 👇 👉कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाउं। गले राम की जेवड़ी, जित खैंचै तित जाउं।।👈 अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि मैं तो राम का कुत्ता हूँ अर्थात मैं तो राम का भगत हूँ और मोती मेरा नाम है। मेरे गले में राम नाम की जंजीर है, जिधर वह ले जाते है मैं उधर ही चला जाता हूँ। कबीरदास जी के दोहे में सबसे ज्यादा👉 राम हरि 👈का ही नाम कियू आ रहा है आखिर ये राम हरि भगवान कौन है 👇 (1)तुलसी दास जी के भी दोहा में भी राम नाम आता है 👇 तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक । साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।। अर्थात:- तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में जो चीजें मनुष्य का साथ देती है वे है, ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम। 👇 (2)सूरदास जी के भी दोहे में हरि का नाम आ रहा है 👇 चरण कमल बंदो हरि राय… जाकी कृपा पंगु गिरी लंघे, अंधेरे को सब कच्छू दरसाई… बहिरो सुने… मूक पुनी बोले, रैंक चले सर छात्र धराई… सूरदास स्वामी करुणामय बारंबर नमो सर नई, चरण कमल बंदो हरि राय अर्थ: मैं श्री हरि के चरण कमलों से प्रार्थना करता हूं जिनकी कृपा से लंगड़ा पहाड़ को पार कर जाता है, अंधे सब कुछ देख सकते हैं जो बहरे सुन सकते हैं, गूंगा फिर से बोल सकता है और भिखारी अपने सिर पर शाही छत्र के साथ चलता है सूरदास जी कहते हैं हे दयालु प्रभु मैं बार-बार अपना सिर नीचे करके आपका अभिनन्दन करता हूँ। 👇 मीरा बाई के भी दोहा में हरि का नाम आता है 👇 (3)मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई। जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।। मन रे परसी हरी के चरण सुभाग शीतल कमल कोमल त्रिविध ज्वालाहरण जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण 🙂जबकि मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी कबीरदास जी के जीवन काल में थे 🙂 इससे ये सिध्द हुआ कि कबीर दास भगवान नहीं थे बलकि कबीर दास भी राम के परमभक्त (उच्च कोटी ) के थे अगर कबीरदास ही भगवान रहते तो मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी भी कबीरदास को भगवान मानते 👉जब वह सभी कबीरदास को भगवान नहीं माना तो हम फिर कैसे माने 👈 👉जैसे जैसे कलयुग आगे बढते जायेंगे वैसे वैसै पाखंड पाप बढते जायेंगे👈
#आँखों_देखा_भगवान_को सुनो उस अमृतज्ञान कोशेख फरीद को मिले परमात्मा हठ योग करते हुए कुएं में उल्टे लटके हुए शेख फरीद को कबीर परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले और उन्हें वास्तविक ज्ञान से परीचित करवाया।शेख फरीद को मिले परमात्मा हठ योग करते हुए कुएं में उल्टे लटके हुए शेख फरीद को कबीर परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले और उन्हें वास्तविक ज्ञान से परीचित करवाया।
कृपया करके हमें यह बताइए इस मृत्युलोक में कोई भगवान नहीं है और गुरु से बढ़कर कोई है नहीं तो आप इसका मतलब हमें बताइए कि हम निश्चित आपके पूजा करें या जो हमारे देवी देवता हैं उनकी पूजा करें यह बात हमारी समझ में नहीं आई
रजोगुण (ब्रह्मा) , सतोगुण (विष्णु) , तमोगुण (शंकर),है यही 3 देवता है और यही 3 गुण है - त्रिदेव की माता - दुर्गा ( प्रकृति देवी / अष्टअंगी / मया ) है । त्रिदेव के पिता - काल ब्रह्म ( क्षर पुरुष / निरंजन / काल / महाविष्णु / महाब्रह्मा / सदाशिव ) है - क्षर पुरष ( ब्रह्म ) से उपर , अक्षर पुरुष ( परब्रह्म ) है - अक्षर पुरुष (परब्रह्म) से उपर , परम अक्षर पुरुष (पूर्णब्रह्म) है - इन्हिको , आदि राम, अल्लाह ताला, वाहेगुरु, रूब, खुदा, गॉड, परमेश्वर -बोलते है ❤️ यही वास्तविक है , कविर्देव है , ( जिनका विवरण वेदों में मिलता है )
सतलोक नश्वर है 😲 👇 प्रमाण ब्रह्मवैवर्तपुराण में है👇 सौति कहते हैं- शौनक जी! तब भगवान की आज्ञा के अनुसार तपस्या करके अभीष्ट सिद्धि पाकर ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम मधु और कैटभ के मेदे से मेदिनी की सृष्टि की। उन्होंने आठ प्रधान पर्वतों की रचना की। वे सब बड़े मनोहर थे। उनके बनाये हुए छोटे-छोटे पर्वत तो असंख्य हैं, उनके नाम क्या बताऊँ? मुख्य-मुख्य पर्वतों की नामावली सुनिये- सुमेरु, कैलास, मलय, हिमालय, उदयाचल, अस्ताचल, सुवेल और गन्धमादन - ये आठ प्रधान पर्वत हैं। फिर ब्रह्मा जी ने सात समुद्रों, अनेकानेक नदों और कितनी ही नदियों की सृष्टि की। वृक्षों, गाँवों और नगरों का निर्माण किया। समुद्रों के नाम सुनिये- लवण, इक्षुरस, सुरा, घृत, दही, दूध और सुस्वादु जल के वे समुद्र हैं। उनमें से पहले की लंबाई-चौड़ाई एक लाख योजन की है। बाद वाले उत्तरोत्तर दुगुने होते गये हैं। इन समुद्रों से घिरे हुए सात द्वीप हैं। उनके भूमण्डल कमल पत्र की आकृति वाले हैं। उनमें उपद्वीप और मर्यादा पर्वत भी सात-सात ही हैं। ब्रह्मन! अब आप उन द्वीपों के नाम सुनिये, जिनकी पहले ब्रह्मा जी ने रचना की थी। वे हैं-जम्बूद्वीप, शाकद्वीप, कुशद्वीप, प्लक्षद्वीप, क्रौंचद्वीप, न्यग्रोध (अथवा शाल्मलि) द्वीप तथा पुष्करद्वीप। भगवान ब्रह्मा ने मेरु पर्वत के आठ शिखरों पर आठ लोकपालों के विहार के लिये आठ मनोहर पुरियों का निर्माण किया। उस पर्वत के मूलभाग-पाताल लोक में उन्होंने भगवान अनन्त (शेषनाग) की नगरी बनायी। तदनन्तर लोकनाथ ब्रह्मा ने उस पर्वत के ऊपर-ऊपर सात स्वर्गों की सृष्टि की।शौनक जी! उन सबके नाम सुनिये- भूर्लोक, भुवर्लोक, परम मनोहर स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक तथा सत्यलोक। मेरु के सबसे ऊपरी शिखर पर जरा-मृत्यु आदि से रहित ब्रह्मलोक है। उससे भी ऊपर ध्रुवलोक है, जो सब ओर से अत्यन्त मनोहर है। जगदीश्वर ब्रह्मा जी ने उस पर्वत के निम्न भाग में सात पातालों का निर्माण किया। मुने! वे स्वर्ग की अपेक्षा भी अधिक भोग-साधनों से सम्पन्न हैं और क्रमशः एक से दूसरे उत्तरोत्तर नीचे भाग में स्थित हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, पाताल तथा रसातल। सबसे नीचे रसातल ही है। सात द्वीप, सात स्वर्ग तथा सात पाताल- इन लोकों सहित जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है, वह ब्रह्मा जी के ही अधिकार में है। शौनक! ऐसे-ऐसे असंख्य ब्रह्माण्ड हैं और महाविष्णु के रोमांच-विवरों में उनकी स्थिति है। श्रीकृष्ण की माया से प्रत्येक ब्रह्माण्ड में दिक्पाल, ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर हैं, देवता, मनुष्य आदि सभी प्राणी स्थित हैं। इन ब्रह्माण्डों की गणना करने में न तो लोकनाथ ब्रह्मा, न शंकर, न धर्म ही समर्थ हैं; फिर और देवता किस गिनती में हैं? विप्रवर! कृत्रिम विश्व तथा उसके भीतर रहने वाली जो वस्तुएँ हैं, वे सब अनित्य तथा स्वप्न के समान नश्वर हैं। 👉वैकुण्ठ, शिवलोक तथा इन दोनों से परे जो गोलोक है, ये सब अविनाशी नित्य-धाम हैं। इन सबकी स्थिति कृत्रिम विश्व से बाहर है। ठीक उसी तरह, जैसे आत्मा, आकाश और दिशाएँ कृत्रिम जगत से बाहर तथा नित्य हैं।👈 ❤️ इससे यह सिध्द होता है कि ब्रम्हांड के अंदर जितने लोक है वे सभी नश्वर है और ब्रम्हांड के बाहर तीन लोक है गोलोक धाम ,वैकुंठ धाम , और शिव लोक यही तीनो अमर (अविनाशी) साश्वत शांति लोक है ❤️ 9 ।। 32।। हे अर्जुन ! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयानि- चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरी शरण होकर परमगति ( परमधाम ) को ही प्राप्त होते हैं ।। ।।9.31।। हे कौन्तेय? वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।। 👉कबीर, दोहा 👈। जोगी जंगम सेवड़ा, सन्यासी दरवेश |बिना प्रेम पहुंचै नहीं, दुर्लभ हरि का देश | कबीर दोहा:- उजल कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाँहि। एके हरि का नाम बिन, बाँधे जमपुरि जाँहि॥ कबीर दोहा 👈। राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥ जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥ संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥ कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥ [ कबीर दास के शिष्य गरीब दास जी जब कबीर दास को भगवान नहीं माना तो फिर हम कैसे माने कबीर दास को भगवान ] सोचने वाली बात है ज्यादा और कुछ किया बोले तीन लोक अमर (अविनाशी) (कभी नहीं नष्ट होने वाला ) है गोलोक धाम, वैकुंठ धाम, शिवलोक बाकि सभी लोक नश्वर स्वपन के समान पानी के बुलबुले विनाशी लोक है जहा जाने से मनुष्य को फिर से पृथ्वी लोक पर आना पड़ता है गीता ज्ञान अध्याय 8 हे अर्जुन ! ब्रह्मलोक पर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती हैं,, सतलोक भी पुनरावर्ती में है
#TruthBehindTheClaims वास्तविक गायत्री मंत्र - यजुर्वेद अध्याय 36 मंत्र 3 में कहीं भी ॐ नहीं लिखा है। ये अज्ञानी संतो की अपनी सोच से लगाया गया है। यह मंत्र पूर्ण परमात्मा के लिए है। जबकि ॐ काल ब्रह्म का है।
#Real_Allah_Is_Kabir सूरह फुरकान 25 आयत 52-59 में कहा है कि कादर अल्लाह कबीर है जिसने सब रचना की है। उसकी खबर किसी बाखबर से जानो। इससे स्वसिद्ध है कि कुरआन का ज्ञान अधूरा है।
Aur ha jine ki rah page number 264 me Likha hai ki kal Brahm ke patni Durga ji thi aur Durga ji ko kasam diye the ki kal hu ye mat btana mujhe inshaan ko khane Ka srap Mila hai to Durga ji ne apni kasam ko Tod Kar Rampal ji ko aur tumlog ko bta Di ki kal hai 3ri Dev ke pita aur Durga ji ke pati kal hai
Brahma, Vishnu and Mahesh are not immortal God. They are mortal. They are the controller of 3 Lok in one universes. LORD KABIR is the controller of infinite universes.
Ye tumlogo k jine ki rah kitab me Likha hai page number 241 Jo brahma Vishnu Mahesh ji ki puja krte hai wo murkh hai rakchas hai to tumlog q enke mantra Jaap krte eska MATLAB tumlog rakchas ki puja kr rhe ho
Jaise bisnse ko bulana ho to bhainsa bhainsa krte rho vo kbhi nahi sunta agar hurr hurr kroge tabi weh sunta hai Issi way se inn tino devo ko b bulane ka ek matr hai ek sahi way hai. Bss wohi chll reha hai👍👍👍
Dhan dhan satguru Ram pal ji maharaj ki jai ho
बहुत ही अच्छा सत्संग है 🙏🏻🙏🏻
Satsahibji 👪👩❤️👨🌹🙏🇳🇪🌼🖐️🖐️🖐️🖐️ Bandichoursatgurudevkijaiho ramramji
Bahut Jabardast Achcha Laga hai
सृष्टि रचना:
धर्मदास यह जग बौराना। कोई ना जाने पद निर्वाणा।।
यही कारण मैं कथा पसारा। जग से कहिए एक राम नियारा।।
यही ज्ञान जग जीव सुनाओ। सब जीवों का भ्रम नशाओ।।
भ्रम गए जब बेद पुराणा। आदि राम का भेद ना जाना।।
राम-राम सब जगत बखाने। आदि राम कोई बिरला जाने।।
राजा राम को यह जग जाने। सबको ताका भेद बखाने।।
अब मैं तुमसे कहूं चिताई। त्रायदेवन की उत्पत्ति भाई।।
कुछ संक्षेप कहूं गोहराई। सब संशय तुम्हरे मिट जाई।।
ज्ञानी सुने सो हृदय लगाई। मूर्ख सुने तो गम्य नहीं पाई।।
माँ अष्टंगी पिता निरंजन। वे जम दारूण वंशन अंजन।।
पहले कीन निरंजन राई। पीछे से माया उपजाई।।
माया रूप देख अति शोभा। देव निरंजन तन मन लोभा।।
कामदेव धर्मराय सताये। देवी कूं तुरंत धर खाये।।
पेट से देवी करी पुकारी। हे साहब मोहे लेवो उबारी।।
टेर सुनि सतगुरू तहं आए। अष्टंगी को बंद छुड़वाये।।
धर्मराय ने हिकमत कीन्हा। नख रेखा से भग कर लीना।।
धर्मराय कीन्हें भोग विलासा। माया को रही तब आशा।।
तीन पुत्र अष्टंगी जाये। ब्रह्मा विष्णु शिव नाम धराये।।
तीन देव संसार चलाये। इनमें यह जग धोखा खाये।।
सतपुरूष का भेद कैसे कोई पाए। काल निरंजन जग भ्रमाए।।
तीन लोक अपने सुत दीन्हा। सुन्न निरंजन बासा लीन्हा।।
अलख निरंजन सुन्न ठिकाना। ब्रह्मा विष्णु शिव भेद न जाना।।
तीन देव सो उसको ध्यावैं। निरंजन का वे पार न पावैं।।
अलख निरंजन बड़ा बटपारा। तीन लोक जीव करत आहारा।।
ब्रह्मा विष्णु शिव नहीं बचाये। सकल खाय पुन धूल उड़ाये।।
तिनके सुत हैं तीनों देवा। आंधर जीव करत हैं सेवा।।
अकाल पुरूष काहू नहीं चीन्हा। काल पाय सबही गह लीन्हा।।
ऐसा राम सकल जग जाने। आदि ब्रह्म (तत् ब्रह्म) को ना पहचाने।।
तीनों देव और अवतारा। ताको भजै सकल संसारा।।
गुण तीनों की भक्ति में, भूल परो संसार।
कहैं कबीर निज राम बिना, कैसे उतरो पार।।
माया आदि निरंजन भाई। अपने जाये आपै खाई।।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर माया और धर्मराया कहिए।
इन पाँचों मिल प्रपंच बनाया, वाणी हमरी लहिए।।
aur badhiya badhiya video
🙇🙏🌹🙏🙇
Good video
Sant rampal ji mharaj ji ki jay ho
Sat Saheb Ji
बहुत अच्छा सत्संग
अच्छा ज्ञान
Sat saheb ji
आदरणीय संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर, हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ। सन् 1727 फाल्गुन सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी गरीबदास जी को नला नामक खेत में मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए और पृथ्वी पर वापस छोड़ा। तब गरीबदास जी महाराज ने सतलोक का वर्णन आंखों देखा किया। उन्होंने अपनी वाणी में कहा है -
गरीब, हम देखा सो साच है और सकल प्रपंच।
कबीर भगवान ही एक पूजा लाइक भगवान है और सब पाखंड पूजा है कबीर भगवान ही अविनाशी भगवान है
Nice satsang
ब्रह्मा विष्णु महेश के बारे में जन्म मृत्यु के बारे में अब से दबाकर प्रमाण सहित संत रामपाल जी का सत्संग सुने।
Sat saheb ji 🙏🏻🙏🏻
Sat sahib
Tridevo ke bare me sach kaha h gurudev ne , inke mata pita ke bare me janne ke liy satsang ko jarur suniy
Anmol gyan
Bilkul shi gyan de rhe hai Guru ji🙏🙏🙏🙏
🙏🏻Sat saheb ji 🙏🏻
Kabir is supreme god
Jai Ho Bandi chhod sant rampal ji maharaj ki jai ho
🙇♂Sant rampal ji maharaj ki Jay Ho 🙇♀
Sant rampal ji maharaj
ब्रह्मा विष्णु महेश की जन्म मृत्यु के बारे में प्रमाण सहित देखिए संत रामपाल जी महाराज का सत्संग
सर्व मानव समाज भक्ति करते करते भी महाकष्ट भोग यज्ञा है।
बेदो मे परमाड़ है कबीर साहेब भगवान है जय हो बंदी छोड़ की
Sat sahi ji
Joy ho bandi chor sat guru RampalSaheb ki joy ho. 🙏🙏🙏🙏
Jai mahadav ji
सत साहेब जी
🙏 sat Saheb 🙏
Sat Sahib g🙏🙏🙏🙏
Ranjeet raj
जरूर सुने संत रामपाल जी के मंगल प्रवचनों को शाम 7:30 से 8:30 तक साधना चैनल पर
Kabir parmeshwar Amar ajara Avinashi Hain.
Only Kabir Saheb is the savior who can save sisters and their brothers both. So tie yourself with the supreme God with the thread of devotion with the help of Sant Rampal Ji Maharaj
गीता अध्याय 8 श्लोक 13 में गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) कह रहा है कि-ओम् इति एकाक्षरम् ब्रह्म, व्याहरन् माम् अनुस्मरन्,
भावार्थ है कि श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत् प्रवेश करके ब्रह्म/काल कह रहा है कि मुझ ब्रह्म की साधना केवल एक ओम् नाम से मृत्यु पर्यन्त करने वाले साधक को मुझ से मिलने वाला लाभ प्राप्त होता है, अन्य कोई मन्त्र मेरी भक्ति का नहीं है।
जय बन्दी छोड़ की
santsaheb
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है यह जानने के लिए देखें साधना टीवी शाम 7:30 से
*sadguru dev ji ki jay ho*
पवित्र देवी पुराण,श्री मद देवी पुराण में तीनों भगवानो से उपर देवी को बताया है,देवी से उपर ब्रह्रम को बताया है( देवी द्वारा हीमालय राजा) को ब्रह्रम की पुजा को बताया है,
भागवत गीता में ब्रह्रम अन्य पूर्ण ब्रह्रम ( अविनाशी परमात्मा कबीर परमेश्वर है) की पुजा करने का आदेश देता है,
Hello ji❤
सर्व अपराध क्षमा कर देता है:-
अवगुण मेरे बाप जी, बक्शो गरीब नवाज । जो मैं पूत-कपूत हूँ, तो भी पिता को लाज ।।
📚अवश्य पढ़ें आध्यात्मिक पुस्तक "जीने की
मैं बृजेश कुमार बाराबंकी ग्राम बनी से बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल की जय मैं इस समय दुबई में रहता हूं आपके सत्संग सुनता हूं मेरी बीवी आप में जुड़ी है लेकिन वह बोलती है कि संत रामपाल महाराज की पूजा करो उनसे से बढ़कर कोई नहीं है यह बात मेरी समझ में नहीं आ रही
Kripya watsap nombar dijiye
#Kabir_Is_SupremeGod
कबीर परमात्मा ही सर्व के मालिक हैं, चाहे हिन्दू हों, मुस्लिम हों, सिख हों या ईसाई। इसका प्रमाण सर्व सदग्रंथों में विद्यमान है।अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें साधना चैनल 7: 30 pm
Supreme God Kabir🎈ज्ञानी गरूड़ है दास तुम्हारा।
तुम बिन नहीं जीव निस्तारा।।
इतना कह गरूड़ चरण लिपटाया।
शरण लेवो अविगत राया।।
सतयुग में विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को कबीर साहेब जी ने उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई और गरूड़ जी मुक्ति के अधिकारी हुए।
सतगुरु शरण में आने से आई टले बला।
जो मस्तक में सूली हो वो कांटे में टल जा।।
आज चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है, सभी तड़प रहे हैं। इससे सिर्फ परमात्मा कबीर साहेब ही बचा सकते हैं। किसी के नसीब में यदि सूली है तो परमात्मा कबीर साहेब उसे कांटे में टाल सकते हैं।
Kabir Saheb Ji is real god 🙏
👉कबीर दास के दोहा से पकड़ा जा सकता है कि कबीर सच्च में भगवान थे 👈 👇आखिर ये राम कौन है 👇
👉कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाउं।
गले राम की जेवड़ी, जित खैंचै तित जाउं।।👈
अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि मैं तो राम का कुत्ता हूँ अर्थात मैं तो राम का भगत हूँ और मोती मेरा नाम है। मेरे गले में राम नाम की जंजीर है, जिधर वह ले जाते है मैं उधर ही चला जाता हूँ।
कबीरदास जी के दोहे में सबसे ज्यादा👉 राम हरि 👈का ही नाम कियू आ रहा है आखिर ये राम हरि भगवान कौन है
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(1)तुलसी दास जी के भी दोहा में भी राम नाम आता है
👇
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।।
अर्थात:- तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में जो चीजें मनुष्य का साथ देती है वे है, ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम।
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(2)सूरदास जी के भी दोहे में हरि का नाम आ रहा है
👇
चरण कमल बंदो हरि राय…
जाकी कृपा पंगु गिरी लंघे, अंधेरे को सब कच्छू दरसाई…
बहिरो सुने… मूक पुनी बोले, रैंक चले सर छात्र धराई…
सूरदास स्वामी करुणामय बारंबर नमो सर नई, चरण कमल बंदो हरि राय
अर्थ: मैं श्री हरि के चरण कमलों से प्रार्थना करता हूं जिनकी कृपा से लंगड़ा पहाड़ को पार कर जाता है, अंधे सब कुछ देख सकते हैं जो बहरे सुन सकते हैं, गूंगा फिर से बोल सकता है और भिखारी अपने सिर पर शाही छत्र के साथ चलता है सूरदास जी कहते हैं हे दयालु प्रभु मैं बार-बार अपना सिर नीचे करके आपका अभिनन्दन करता हूँ।
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मीरा बाई के भी दोहा में हरि का नाम आता है
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(3)मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई।
जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।।
मन रे परसी हरी के चरण
सुभाग शीतल कमल कोमल
त्रिविध ज्वालाहरण
जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण
जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण
🙂जबकि मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी कबीरदास जी के जीवन काल में थे 🙂
इससे ये सिध्द हुआ कि कबीर दास भगवान नहीं थे बलकि कबीर दास भी राम के परमभक्त (उच्च कोटी ) के थे
अगर कबीरदास ही भगवान रहते तो मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी भी कबीरदास को भगवान मानते
👉जब वह सभी कबीरदास को भगवान नहीं माना तो हम फिर कैसे माने 👈
👉जैसे जैसे कलयुग आगे बढते जायेंगे वैसे वैसै पाखंड पाप बढते जायेंगे👈
Sat sahib ji
ये है अनमोल ज्ञान
#आँखों_देखा_भगवान_को सुनो उस अमृतज्ञान कोशेख फरीद को मिले परमात्मा
हठ योग करते हुए कुएं में उल्टे लटके हुए शेख फरीद को कबीर परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले और उन्हें वास्तविक ज्ञान से परीचित करवाया।शेख फरीद को मिले परमात्मा
हठ योग करते हुए कुएं में उल्टे लटके हुए शेख फरीद को कबीर परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले और उन्हें वास्तविक ज्ञान से परीचित करवाया।
तत्वज्ञान से पता चलता है,हमारे धर्म शास्त्रों में प्रमाणित है देवताओं के सतमंत्रों का सुमिरन करना है, मनमाने तरीके से पुजा नही करनी है
सत साहिब
Kabir. Is. God
कृपया करके हमें यह बताइए इस मृत्युलोक में कोई भगवान नहीं है और गुरु से बढ़कर कोई है नहीं तो आप इसका मतलब हमें बताइए कि हम निश्चित आपके पूजा करें या जो हमारे देवी देवता हैं उनकी पूजा करें यह बात हमारी समझ में नहीं आई
रजोगुण (ब्रह्मा) , सतोगुण (विष्णु) , तमोगुण (शंकर),है
यही 3 देवता है और यही 3 गुण है -
त्रिदेव की माता - दुर्गा ( प्रकृति देवी / अष्टअंगी / मया ) है ।
त्रिदेव के पिता - काल ब्रह्म ( क्षर पुरुष / निरंजन / काल / महाविष्णु / महाब्रह्मा / सदाशिव ) है -
क्षर पुरष ( ब्रह्म ) से उपर , अक्षर पुरुष ( परब्रह्म ) है -
अक्षर पुरुष (परब्रह्म) से उपर , परम अक्षर पुरुष (पूर्णब्रह्म) है -
इन्हिको ,
आदि राम, अल्लाह ताला, वाहेगुरु, रूब, खुदा, गॉड, परमेश्वर -बोलते है ❤️
यही वास्तविक है , कविर्देव है ,
( जिनका विवरण वेदों में मिलता है )
Oo pagal om namah shivay
बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय हो 🙏🙏
एक हरि के नाम बिना नार कुटिया होय गली गली भोकत फिरे टुक न डाले कोय
सतलोक नश्वर है 😲 👇 प्रमाण ब्रह्मवैवर्तपुराण में है👇
सौति कहते हैं- शौनक जी! तब भगवान की आज्ञा के अनुसार तपस्या करके अभीष्ट सिद्धि पाकर ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम मधु और कैटभ के मेदे से मेदिनी की सृष्टि की। उन्होंने आठ प्रधान पर्वतों की रचना की। वे सब बड़े मनोहर थे। उनके बनाये हुए छोटे-छोटे पर्वत तो असंख्य हैं, उनके नाम क्या बताऊँ? मुख्य-मुख्य पर्वतों की नामावली सुनिये- सुमेरु, कैलास, मलय, हिमालय, उदयाचल, अस्ताचल, सुवेल और गन्धमादन - ये आठ प्रधान पर्वत हैं। फिर ब्रह्मा जी ने सात समुद्रों, अनेकानेक नदों और कितनी ही नदियों की सृष्टि की। वृक्षों, गाँवों और नगरों का निर्माण किया। समुद्रों के नाम सुनिये- लवण, इक्षुरस, सुरा, घृत, दही, दूध और सुस्वादु जल के वे समुद्र हैं। उनमें से पहले की लंबाई-चौड़ाई एक लाख योजन की है। बाद वाले उत्तरोत्तर दुगुने होते गये हैं। इन समुद्रों से घिरे हुए सात द्वीप हैं। उनके भूमण्डल कमल पत्र की आकृति वाले हैं। उनमें उपद्वीप और मर्यादा पर्वत भी सात-सात ही हैं।
ब्रह्मन! अब आप उन द्वीपों के नाम सुनिये, जिनकी पहले ब्रह्मा जी ने रचना की थी। वे हैं-जम्बूद्वीप, शाकद्वीप, कुशद्वीप, प्लक्षद्वीप, क्रौंचद्वीप, न्यग्रोध (अथवा शाल्मलि) द्वीप तथा पुष्करद्वीप। भगवान ब्रह्मा ने मेरु पर्वत के आठ शिखरों पर आठ लोकपालों के विहार के लिये आठ मनोहर पुरियों का निर्माण किया। उस पर्वत के मूलभाग-पाताल लोक में उन्होंने भगवान अनन्त (शेषनाग) की नगरी बनायी। तदनन्तर लोकनाथ ब्रह्मा ने उस पर्वत के ऊपर-ऊपर सात स्वर्गों की सृष्टि की।शौनक जी! उन सबके नाम सुनिये- भूर्लोक, भुवर्लोक, परम मनोहर स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक तथा सत्यलोक।
मेरु के सबसे ऊपरी शिखर पर जरा-मृत्यु आदि से रहित ब्रह्मलोक है। उससे भी ऊपर ध्रुवलोक है, जो सब ओर से अत्यन्त मनोहर है। जगदीश्वर ब्रह्मा जी ने उस पर्वत के निम्न भाग में सात पातालों का निर्माण किया। मुने! वे स्वर्ग की अपेक्षा भी अधिक भोग-साधनों से सम्पन्न हैं और क्रमशः एक से दूसरे उत्तरोत्तर नीचे भाग में स्थित हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, पाताल तथा रसातल। सबसे नीचे रसातल ही है। सात द्वीप, सात स्वर्ग तथा सात पाताल- इन लोकों सहित जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है, वह ब्रह्मा जी के ही अधिकार में है।
शौनक! ऐसे-ऐसे असंख्य ब्रह्माण्ड हैं और महाविष्णु के रोमांच-विवरों में उनकी स्थिति है। श्रीकृष्ण की माया से प्रत्येक ब्रह्माण्ड में दिक्पाल, ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर हैं, देवता, मनुष्य आदि सभी प्राणी स्थित हैं। इन ब्रह्माण्डों की गणना करने में न तो लोकनाथ ब्रह्मा, न शंकर, न धर्म ही समर्थ हैं; फिर और देवता किस गिनती में हैं? विप्रवर! कृत्रिम विश्व तथा उसके भीतर रहने वाली जो वस्तुएँ हैं, वे सब अनित्य तथा स्वप्न के समान नश्वर हैं।
👉वैकुण्ठ, शिवलोक तथा इन दोनों से परे जो गोलोक है, ये सब अविनाशी नित्य-धाम हैं। इन सबकी स्थिति कृत्रिम विश्व से बाहर है। ठीक उसी तरह, जैसे आत्मा, आकाश और दिशाएँ कृत्रिम जगत से बाहर तथा नित्य हैं।👈
❤️ इससे यह सिध्द होता है कि ब्रम्हांड के अंदर जितने लोक है वे सभी नश्वर है और ब्रम्हांड के बाहर तीन लोक है गोलोक धाम ,वैकुंठ धाम , और शिव लोक यही तीनो अमर (अविनाशी) साश्वत शांति लोक है ❤️
9 ।। 32।। हे अर्जुन ! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयानि- चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरी शरण होकर परमगति ( परमधाम ) को ही प्राप्त होते हैं ।।
।।9.31।। हे कौन्तेय? वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।।
👉कबीर, दोहा 👈। जोगी जंगम सेवड़ा, सन्यासी दरवेश |बिना प्रेम पहुंचै नहीं, दुर्लभ हरि का देश |
कबीर दोहा:- उजल कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाँहि।
एके हरि का नाम बिन, बाँधे जमपुरि जाँहि॥
कबीर दोहा 👈। राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥
[ कबीर दास के शिष्य गरीब दास जी जब कबीर दास को भगवान नहीं माना तो फिर हम कैसे माने कबीर दास को भगवान ] सोचने वाली बात है
ज्यादा और कुछ किया बोले तीन लोक अमर (अविनाशी) (कभी नहीं नष्ट होने वाला ) है गोलोक धाम, वैकुंठ धाम, शिवलोक
बाकि सभी लोक नश्वर स्वपन के समान पानी के बुलबुले विनाशी लोक है जहा जाने से मनुष्य को फिर से पृथ्वी लोक पर आना पड़ता है
गीता ज्ञान अध्याय 8
हे अर्जुन ! ब्रह्मलोक पर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती हैं,,
सतलोक भी पुनरावर्ती में है
हम सभी देवताओं की फोटो में सभी भक्ति करते हुए देखते हैं,ऐसा क्यों है,ये देवता किसकी भक्ति करते हैं,
No body knows his Grandfather's Grandfather name, but knows...
How Strange?
Ab to tujhe hi purna Brahma kehna padega
Bandi chhod satguru rampalji maharaj ki jai ho
पूर्ण परमात्मा कबीर साहब है
#TruthBehindTheClaims
वास्तविक गायत्री मंत्र -
यजुर्वेद अध्याय 36 मंत्र 3 में कहीं भी ॐ नहीं लिखा है। ये अज्ञानी संतो की अपनी सोच से लगाया गया है। यह मंत्र पूर्ण परमात्मा के लिए है। जबकि ॐ काल ब्रह्म का है।
Kabir Saheb is real God
Jagt.guru.padhram
Kabir ek mula hai isse jyada kuchh nahi 😅😅😅😅
#Real_Allah_Is_Kabir
सूरह फुरकान 25 आयत 52-59 में कहा है कि कादर अल्लाह कबीर है जिसने सब रचना की है। उसकी खबर किसी बाखबर से जानो। इससे स्वसिद्ध है कि कुरआन का ज्ञान अधूरा है।
Aur ha jine ki rah page number 264 me Likha hai ki kal Brahm ke patni Durga ji thi aur Durga ji ko kasam diye the ki kal hu ye mat btana mujhe inshaan ko khane Ka srap Mila hai to Durga ji ne apni kasam ko Tod Kar Rampal ji ko aur tumlog ko bta Di ki kal hai 3ri Dev ke pita aur Durga ji ke pati kal hai
Kal pita ji ko pta tha
Brahma, Vishnu and Mahesh are not immortal God. They are mortal. They are the controller of 3 Lok in one universes.
LORD KABIR is the controller of infinite universes.
Kabir sahib ji is not the controller of universes.
Ruler is kaal niranjan.
Abinashi God KoI Or H?
No
Ye tumlogo k jine ki rah kitab me Likha hai page number 241 Jo brahma Vishnu Mahesh ji ki puja krte hai wo murkh hai rakchas hai to tumlog q enke mantra Jaap krte eska MATLAB tumlog rakchas ki puja kr rhe ho
Unka kar dena pdta h bhaii
Jaise bisnse ko bulana ho to bhainsa bhainsa krte rho vo kbhi nahi sunta agar hurr hurr kroge tabi weh sunta hai
Issi way se inn tino devo ko b bulane ka ek matr hai ek sahi way hai. Bss wohi chll reha hai👍👍👍
Tum Sab pakhand macha rakhe ho jab ye log kal hai to ye to tumlog enka hi mantra q Jaap krte ho
Gaayan gaanga book 📕pado aap
Supreme god labir
Bavla rampal poty😁😁😁😁
Good video
Sat saheb ji
Anmol gyan
Sat saheb ji
Sat saheb ji
Sat saheb ji