अथ आदि रमैणी | Ath Aadi Rameni | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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- เผยแพร่เมื่อ 5 ส.ค. 2023
- अथ आदि रमैणी | Ath Aadi Rameni | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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आदि रमैंणी अदली सारा। जा दिन होते धूंधूंकारा।।1।।
सतपुरुष कीन्हा प्रकाशा। हम होते तख्त कबीर ख्वासा।।2।।
मन मोहिनी सृजी माया। सतपुरुष कबीर एक ख्याल बनाया।।3।।
धर्मराय सृजे दरबानी। चौंसठ युग तप सेवा ठांनी।।4।।
पुरुष पृथ्वी जा कूँ दीन्ही। राज करो देवा रख आधीनी।।5।।
ब्रह्मण्ड इक्कीस राज तुम्ह दीन्हा। मन की इच्छा सब जग लीन्हा।।6।।
माया मूल रूप एक छाजा। मोहि लिये जिनहूँ धर्मराजा।।7।।
धर्म का मन चंचल चित धार्या। मन माया का रूप विचारा।।8।।
चंचल चेरी चपल चिरागा। या के परसे सर्वस्व जागा।।9।।
धर्मराय कीया मन का भागी। विषय वासना संग से जागी।।10।।
आदि पुरुष अदली अनुरागी। धर्मराय दिया दिल से त्यागी।।11।।
पुरुष लोक से दीया ढहाही। सहज दास के दीप चल आये भाई।।12।।
सहज दास जिस द्वीप रहंता। कारण कौन कौन कुल पंथा।।13।।
धर्मराय बोले दरबानी। सुनो सहज दास ब्रह्मज्ञानी।।14।।
चौसठ युग हम सेवा कीन्ही। पुरुष पृथ्वी हम कूँ दीन्ही।।15।।
चंचल रूप भया मन बौरा। मनमोहिनी ठगिया भंवरा।।16।।
सतपुरुष के ना मन भाये। पुरुष लोक से हम चल आये।।17।।
अगर द्वीप सुनत बड़भागी। सहज दास मेटो मन पागी।।18।।
बोले सहज दास दिल दानी। हम तो चाकर सत सहदानी।।19।।
सतपुरुष से अर्ज गुजारूं। जब तुम्हारा बिमान उतारूं।।20।।
सहज दास को किया पियाना। सत्यलोक लिया प्रवाना।।21।।
सतपुरुष साहिब सरबंगी। अबिगत अदली अचल अभंगी।।22।।
धर्मराय तुम्हरा दरबानी। अगर द्वीप चल गये प्रानी।।23।।
कौन हुक्म करी अर्ज आवाजा। कहां पठावौं उस धर्मराजा।।24।।
भई अवाज अदली एक साचा। विषय लोक जा तीन्यूं बाचा।।25।।
सहज विमान चले अधिकाई। छिन में अपने द्वीप चल आई।।26।।
हम तो अर्ज करी अनुरागी। तुम विषय लोक जाओ बड़भागी।।27।।
धर्मराय के चले विमाना। मानसरोवर आये प्राना।।28।।
मानसरोवर रहन न पाये। जहां कबीरा रूप में थाना लाये।।29।।
बंकनाल की विषमी बाटी। तहां कबीरा रोकी घाटी।।30।।
इन पांचों मिल जगत बंधाना। लख चौरासी जीव संताना।।31।।
ब्रह्मा विष्णु महेश्वर माया। धर्मराय का राज बैठाया।।32।।
यौह खोखा पुर झूठी बाजी। भिस्त बैकुण्ठ दगा सी साजी।।33।।
कृत्रिम जीव भुलाने भाई। निज घर की तो खबर न पाई।।34।।
सवा लाख उपजें नित हंसा। एक लाख विनशे नित अंसा।।35।।
उत्पत्ति खपति याह प्रलय फेरी। हर्ष शोक जौरा यम जेरी।।36।।
पांचों तत्त्व हैं प्रलय मांहीं। सत्त्वगुण रजगुण तमगुण झांई।।37।।
आठों अंग मिली है माया। पिण्ड ब्रह्मण्ड सकल भ्रमाया।।38।।
या में सुरति षब्द की डोरी। पिण्ड ब्रह्मण्ड लगी है खोरी।।39।।
श्वासा पारस मन गह राखो। खोल्हि कपाट अमीरस चाखो।।40।।
सुनाऊँ हंस शब्द सुन दासा। अगम द्वीप है अग है बासा।।41।।
भवसागर यम दण्ड जमाना। धर्मराय का है तलबांना।।42।।
पांचों ऊपर पद की नगरी। बाट विहंगम बंकी डगरी।।43।।
हमरा धर्मराय सौं दावा। भवसागर में जीव भ्रमाया।।44।।
हम तो कहैं अगम की बाणी। जहां अबिगत अदली आप कबीर बिनानी।।45।।
बंदी छोड़ हमारा नामं। अजर अमर है अस्थिर ठामं।।46।।
युगन युगन हम कहते आये। जम जौरा से हंस छुटाये।।47।।
जो कोई मानें शब्द हमारा। भवसागर नहीं भ्रमें धारा।।48।।
यामें सुरति शब्द का लेखा। तन अंदर मन कहो किन देखा।।49।।
दास गरीब कबीर की बाणी। खोजो हंसा शब्द सहदानी।।50।।
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शरण पड़े को गुरु सम्हाले , जान के बालक भोला रे।
कहे कबीर चरण चित राखो , ज्यों सुई में डोरा रे।।
बंदी छोड़ कबीर भगवान जी कि जय 🙏🏻
साचा शब्द कबीर का,सुन सुन लागे आग ।
अज्ञानी सौ जल जल मरै ,ज्ञानी जाय जाग ।।,
संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक सत्संग सुनने से मनुष्य को ज्ञात होता है कि उसके जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, सत भक्ति की विधि क्या है, किस परमात्मा की भक्ति करने से उसका जीवन सफल होगा तथा उसे क्या कर्म करना चाहिए और क्या नहीं।
संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे नाम उपदेश प्राप्त करके जुड़ने के बाद जीवन के सभी दुःख समाप्त हो जाऐंगे। सत्संग से मनुष्य को जीवन के मूल कर्त्तव्य का ज्ञान होता है,
मनुष्य सारे विकार त्याग देता है। उसके जीवन में सुखों की बहार आ जाती है, किसी भी प्रकार का दुःख
नहीं रहता।
कबीर, यह मन मलीन हैं, धोये ना छूटे रंग I
कै छूटे हरि भक्ति से, कै साधु सत्संग ll
कबीर, राम नाम को सुमरतां, अधम तरे अपार।
अजामेल गणिका स्वपच, सदना सबरी नार।🙏
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संत रामपाल जी महाराज जी के विचारों से समाज में सुधार आएगा।
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और ज्ञान सब ज्ञानडी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोब का, करता चल मैदान।।
Jai ho bandi chhod ki jai ho 🙏 🙏 🙏 🙏
संत रामपाल जी महाराज जी सत्संग में मोक्ष का रास्ता बताते हैं जो चारों वेद, छह शास्त्र, 18 पुराण से प्रमाणित है। सत्संग ही मोक्ष का द्वार है जहां पर लोग सत्य ज्ञान प्राप्त करते हैं और सत भक्ति करके सतलोक चले जाते हैं।
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जगद्गुरु तत्वदर्शी बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी परमात्मा जी की जय हो
Sant Rampal Ji Maharaj ji purn sant hai god given knowledge
धरती ऊपर स्वर्ग" के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज ने हमें चेताया है कि सत भक्ति के बिना अनमोल मनुष्य जीवन व्यर्थ है।
गरीब मर्द गर्द में मिल गए, रावण से रणधीरम।
कंस केसि चाणूर से, हिरणाकुश बलबीरम।।
तेरी क्या बुनियाद है, जीव जन्म धरि लेत।
गरीबदास हरि नाम बिन, खाली रह जा खेत।।
गरीब काल डरै करतार से जय जय जय जगदीश।
जौरा जौडी झाड़ती पग रज डारे शीश।।
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
💠गीता अध्याय 17 श्लोक 23-28 में ओम मंत्र जो क्षर पुरूष का है तथा तत मंत्र जो सांकेतिक है, यह अक्षर पुरूष की साधना का है तथा सत मंत्र भी सांकेतिक है। यह परम अक्षर पुरूष की साधना का है। इन तीनों मंत्रों के जाप से पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है।
संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी संत है
Very nice satsang
"धरती ऊपर स्वर्ग" पुस्तक के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज ने दहेज कुप्रथा के समूल नाश का मूल मंत्र दिया है।
संत रामपाल जी महाराज का सपना है “धरती ऊपर स्वर्ग" लाना।
उसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने लिखी है पुस्तक "धरती ऊपर स्वर्ग"
आप इसे जरूर पढें।
कबीर साहेब अल्लाह कबीर है
Sat guru dav ki jay ho 👏
कबीर, गुरु बड़े हैं गोविन्द से, मन में देख विचार।
हरि सुमरे सो वारि है, गुरु सुमरे होय पार।।
गरीब सब पदवी के मूल है शक्ल सिद्ध है तीर।
दास गरीब सत्पुरुष भजो अविगत कला कबीर।।
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रत्ती नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजनहार।
संत रामपाल जी महाराज अपने तत्वज्ञान से समाज में फैली सामाजिक बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, भात परम्परा, शास्त्र विपरीत त्यौहार, व्यर्थ की परम्पराएं, व्यर्थ की रीति रिवाज समाप्त कर रहे हैं। जिससे धरती बनेगी स्वर्ग समान।
संत रामपाल जी महाराज जी के विचारों से समाज में सुधार आएगा।
सब मिलकर एक-दूसरे के दुःख को बाँटेंगे। सुखमय जीवन जीऐंगे। रेप व यौन उत्पीड़न की घटनाऐं समूल नष्ट हो जाएंगी।
कबीर , गगन मंडल में वासा मेरा नौवें कमल प्रमाना, पांच तीन हम ही ने कीन्हा, जाते रचा जहाना l ब्रह्म बीज हम ही से आया, बनी जो मूर्ति नाना l l
कबीर इज गॉड
नाइस सत्संग
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बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान् की जय हो🙏🙏 🙇♀️🙇♀️🙏🙏
Kabir is supreme God
संतों सतगुरु मोहे भावै, जो नैनन अलख लखावै।। ढोलत ढिगै ना बोलत बिसरै, सत उपदेश दृढ़ावै।।
आंख ना मूंदै कान ना रूदैं ना अनहद उरझावै। प्राण पूंज क्रियाओं से न्यारा, सहज समाधि बतावै।।
तीनो देवा कमल दल बसे , ब्रम्हा विष्णु महेश , प्रथम इनकी बंदना , फिर सुन सतगुरू उपदेश।।
संत रामपाल जी महाराज का सपना है "धरती ऊपर स्वर्ग" लाना।
उसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने लिखी है पुस्तक "धरती ऊपर स्वर्ग"
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ANMOL VACHAN PARMATMA KE BANDI CHHOD SATGURU RAMPAL JI BHAGWAN JI KI JAY HO 💐
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अनमोल सत्संग
Sant Rampal Ji Maharaj
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Sat saheb ji
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संत रामपाल जी महाराज जी सत्संग में मोक्ष का रास्ता बताते हैं जो चारों वेद छह शास्त्र 18 पुराण से प्रमाणित है सत्संग ही मोक्ष का द्वार है जहां पर लोग सत्य ज्ञान प्राप्त करते हैं और संत भक्ति करके सतलोक चले जाते हैं
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🍃"धरती ऊपर स्वर्ग"
संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित यह अनमोल पुस्तक व्यर्थ सामाजिक परंपराओं, धार्मिक आडंबरों के दौर से गुजर रही दुनिया के लिए एक वरदान है।
कबीर, करणी तज कथनी कथे, अज्ञानी दिन-रात।
कुकर जो भुकत फिरे, सुनी सुनाई बात।।
कबीर साहेब :-
जो जन मेरी शरण में , ताका हूं में दास।
गेल गेल लाग्या फिरुं , जब-लग धरती आकाश।।
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय
Sat Saheb ji 🙏🌹
परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं
यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी
गुरु जी के चरणों में दास का कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
नाइस ज्ञान
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल भगवान की
Aadi Ramaini adli saara, jahan hote dhundhukaara |
Sat purush keenha prakasha hote takht Kabir khavaasha ||
धर्मराय बोले दरबानी। सुनो सहज दास ब्रह्मज्ञानी।।
चौसठ युग हम सेवा कीन्ही। पुरुष पृथ्वी हम कूँ दीन्ही।।
चंचल रूप भया मन बौरा। मनमोहिनी ठगिया भंवरा।।
सतपुरुष के ना मन भाये। पुरुष लोक से हम चल आये।।
बहुत ही मार्मिक ज्ञान परमात्मा द्वारा संचालित किया जा रहा है अवश्य सुनें और पुस्तक जीने की राह निशुल्क मंगवाकर पढ़ें 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हमें यह मनुष्य जीवन भक्ति धन को बढ़ाने के लिए मिला है। यदि हमने इसे यूं ही बर्बाद कर दिया तो हम जीवन छूटने के बाद पछताने के सिवाय कुछ प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की सतभक्ति करके ही हम मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं।
अनमोल वचन
कबीर जी ने गुरु की महिमा बताई है:-
गुरु ते अधिक न कोई ठहरायी। मोक्षपंथ नहिं गुरु बिनु पाई।।
राम कृष्ण बड़ तिहुँपुर राजा। तिन गुरु बंदि कीन्ह निज काजा।।
धरती ऊपर स्वर्ग पुस्तक को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक द्वारा किए गए घोर से घोर पापों का भी नाश कर देते हैं।
प्रमाण - पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
SAT Saheb ji
Kabir is Supreme God
गुरु के लक्षण चार बखाना प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना
दूसरा हरि भगति मन कर्म बानी तीसरा सम दृष्टि कर जानी
चौथा वेद विधि सब कर्मा ये चार गुरु गुण जानो मर्मा
गरीब, सौ छल छिद्र मैं करूं, अपने जन के काज।
हिरणाकुश ज्यूं मार हूँ, नरसिंघ धरहूँ साज।।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि जो मेरी शरण में किसी जन्म में आया है, मुक्त नहीं हो पाया, मैं उसको मुक्त करने के लिए कुछ भी लीला कर देता हूँ। जैसे सतयुग में प्रहलाद भक्त की रक्षा के लिए नरसिंह रूप धारण करके हिरण्यकशिपु को मारा था।
Spiritual Leader Saint Rampal Ji will change this world.
He will bring again satyug in this kaliyug
Koti koti parnam
अनमोल ज्ञान
Sant Rampal Ji Maharaj is tatvadarshi saint on this earth.
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सत्संग से ही मानव को उसके जीवन का वास्तविक उद्देश्य का ज्ञान होता है।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।कबीरा साधु दर्शन राम के, मुख पर बसे सुहाग।
दर्श उन्हीं के होते हैं, जिनके पूर्ण भाग।
True spiritual knowledge
Amar vaani🙏🙏
गरीब, चंदा झलकै गगन मै, पृथ्वी उपर नूर।
उल्लू कूं दीखै नहीं, धौंहदी ऊग्या सूर॥P
नौ मन सूत उलझिया,ये ऋषि रहे झक मार ।
सद्गुरु ऐसा सुलझा दे उलझे न दुजी बार ।।
Sat sahib ji
बहुत अच्छा ज्ञान है
Nice satsang
संत शरण में आने से आई टले वाला मंस्तक मे सूली हो कांटे में टाल जाए
कल्पे कारण कौण हैं कर सेवा निकाम।
मन ईच्छा फल देऊंगा जब पडे मेरे से काम।।
Bhery nice
🎉❤🎉❤
Very nice वाणी
𝐒𝐚𝐭 𝐬𝐚𝐡𝐞𝐛 𝐣𝐢
Amazing
बहुत ही अनमोल ज्ञान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में गीता ज्ञान दाता किसी तत्वदर्शी संत की खोज करने को कहता है। आखिर कौन है वह तत्वदर्शी संत? जानने के लिए अवश्य पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा।
तत्वदर्शी सन्त वह होता है जो वेदों के सांकेतिक शब्दों को पूर्ण विस्तार से वर्णन करता है जिससे पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति होती है वह वेद के जानने वाला कहा जाता है।
भाई जो गुरु वचन पर डटगे, कटगे फंद चौरासी के।
वस्तु मिली ठौर की ठौर मिटगी मन पापी की दौड़।।