Aapko pranaam,,, Bas yahi kehna hai ki aise hi ahimsa ka paath padte padte hindu bas apne desh tak hi simmit reh gaya... Apne dharam ki raksha karna bhi hamara param kartavya hai.. Raksha aur akraman dono sath sath chalte hai...(Defense +Attack)
Guru ji hum itna TV per Baba ji dekhte hain per hamen kisi per Bharosa nahin rahata lekin aap ki bate Suniti hun to bahut achcha lagta Aisa lagta hai Jaise kuchh sawal tha man mein uska jawab mil bhatakte prani ko kuch jawab ham Puram to pura nahin padhe hay per Bharosa puran par pura rahata
अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव चः।” अर्थात:- यदि मनुष्य के लिऐ अहिंसा परम धर्म है तो ”धर्म” मतलब (सत्य ) की रक्षा के लिए हिंसा उससे भी श्रेष्ठ है जब धर्म (सत्य ) पर संकट आए तो मनुष्य को शस्त्र उठाना चाहिए और धर्म (सत्य ) की रक्षा करनी चाहिए।
अहिंसा का अर्थ क्षमा करना नहीं होता ऐसा कही भी नहीं लिखा है क्या आप अपराधी को क्षमा कर देंगे नहीं ना अपराध की दो प्रकार है एक क्षमा करने योग्य अपराध और दूसरा अक्षम्य अपराध अर्थात क्षम्य अपराधी को क्षमा करना अहिंसा है और अक्षम्य अपराधों का दंड देना सजा देना धर्म हिंसा है परन्तु इसका भ्रामक प्रचार प्रसार और अनुचित पालन करना ही भारतीयों हिन्दुओं के पतन का कारण रहा है और बौद्ध मत और जैन मत इसका उदाहरण है परन्तू करोड़ों अनुयायी को कौन समझावे क्या वे समझेंगे वे लोकलज्जा के कारण अपमान समझेंगे और महपुरुष अर्जुन के नीतिगुरु श्रीकृष्ण जी ने यही अर्जुन को समझाया और अर्जुन ने अक्षम्य अपराधी कौरवो के साथ युद्ध किया और विजयश्री प्राप्ति की ✋️ओम श्री(शिव)गुरवे नमः
Main aur mere maata pita, Pujyapad Jagadguru Swami Swaroopananada Saraswati Ji Maharaj se Guru dikhya le chookey hain. Mere dada ji aur Dadi ji Swami Brahmananda Saraswati Ji Maharaj ke bhakt thein. Aapse sawaal poochne ki iksha rakhta hoon. Kripa karke aapse sawaal poochne ki prakriya bataayein.
||जय श्रीराम ||हे भगवान् हमारा प्रणाम स्विकार करे !हमारा प्रशन है कि हमारे को कुश कारणवश घर मे कोई न होने पर भगवान कि पुजा को दोपहर 2;००बजते है क्याये ऊचित है ? कूपया मार्ग दिखाये ! कूष्णा अशोकदादा क कोकाटे महाराष्ट्र जिल्हा जालना ||जय जय रघुवीर समर्थ ||🙏🙏
इस संसार में, सब लोगों की सम्मति के अनुसार यह अहिंसा धर्म, सब धर्मों में, श्रेष्ट माना गया है। परन्तु अब कल्पना कीजिये कि हमारी जान लेने के लिये या , कोई दुष्ट मनुष्य हाथ में शस्त्र लेकर तैयार हो जाय और उस समय हमारी रक्षा करने वाला हमारे पास कोई न हो; तो उस समय हमको क्या करना चाहिये? क्या "अहिंसा परमोधर्मः" कहकर ऐसे आततायी मनुष्य की उपेक्षा की जाय या यदि वह सीधी तरह से न माने तो यथाशक्ति उसका शासन किया जाय⁉ ‼मनुजी कहते हैं‼- गुरुं वा बालवृद्धौ वा ब्रह्मणं वा बहुश्रुतम्। आततायिनमायांतं हन्यादेवाविचारयन्।। अर्थात्" ऐसे आततायी या दुष्ट मनुष्य को अवश्य मार डालें; किंतु यह विचार न करें कि वह गुरु है, बूढा है, बालक है या विद्वान ब्राह्मण है"। शास्त्रकार कहते है कि ऐसे समय हत्या करने का पाप हत्या करने वाले को नहीं लगता, किंतु आततायी मनुष्य अपने अधर्म ही से मारा जाता है। आत्मरक्षा का यह अधिकार, कुछ मर्यादा के भीतर, आधुनिक फौजदारी कानून में भी स्वीकृत किया गया है। ऐसे मौकों पर अहिंसा से आत्म रक्षा की योग्यता अधिक मानी जाती है। भ्रूण हत्या सब से अधिक निन्दनीय मानी गई है; परन्तु जब बच्चा पेट में टेढ़ा होकर अटक जाता है तब क्या उसको काटकर निकाल नहीं डालना चाहिये। अग्निष्टोम आदि वैदिक श्रौतयज्ञों में पशुबलि करना वेद ने ही प्रशस्त माना है; परन्तु विकल्प के रूप में पिष्ट पशु आदिके द्वारा वह भी टल सकता है। तथापि हवा, पानी, फल इत्यादि सब स्थानों में जो सैकडों जीव-जन्तु हैं उनकी हत्या कैसे टाली जा सकती है। सृष्टि में सर्वत्र जो मत्स्य-न्याय दृष्टिगोचर हो रहा है उसको कैसे रोका जा सकता है। ❗महाभारत मेंअर्जुन कहते हैः- सूक्ष्मयोनीनि भूतानि तर्कगम्यानि कानिचित्‼ पक्ष्मणोअपि निपातेन येषां स्यात् स्कंधपर्ययः‼‼ "इस जगत में ऐसे ऐसे सूक्ष्मजन्तु हैं कि जिनका अस्तित्व यद्यपि नेत्रों से दिखाई नहीं पड़ता तथापि तर्क से सिद्ध है; ऐसे जन्तु इतने हैं कि यदि हम अपनी आखों के पलक हिलावें तो उतने ही से उन जन्तुओं का नाश हो जाता हैं"। ऐसी अवस्था में यदि हम मुख से कहते रहें कि "हिंसा मत करो, हिंसा मत करो" तो उससे क्या लाभ होगा इसी विचार के अनुसार अनुशासन पर्व में शिकार करने का समर्थन किया गया है। वन पर्व एक कथा है कि कोई ब्राह्मण क्रोध से किसी पतिव्रता स्त्री को भस्म कर डालना चाहता था; परन्तु जब उसका यत्न सफल नहीं हुआ तब वह उस स्त्री की शरण में गया। धर्म का सच्चा रहस्य समझ लेने के लिये उस ब्राह्मण को उस स्त्री ने किसी व्याध के यहाँ भेज दिया। यहाँ व्याध मांस बेचा करता था; परन्तु था अपने- माता- पिता का बड़ा पका भक्त। इस व्याध का यह व्यवसाय देखकर ब्राह्मण को अत्यंत विस्मय और खेद हुआ। तब व्याध ने उसे अहिंसा का सच्चा तत्त्व समझकर बतला दिया। इस जगत में कौन किसको नहीं खाता" जीवो जीवस्य जीवनम्"(भागवत) - यही नियम सर्वत्र देख पड़ता है। आपतकाल में तो "प्राणस्यान्नमिदं सर्वम्" यह नियम सिर्फ स्मृतिकारों ने ही नहीं कहा है, किंतु उपनिषदो में भी स्पष्ट कहा गया है । यदि सब लोग हिंसा छोड़ दे तो क्षात्रधर्म कहा और कैसे रहेगा। ‼हर हर महादेव‼ 🚩
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज को प्रणाम
लाजवाब वर्णन , हमारे शास्त्रों में मनुष्यों के सारे गुण दोष और आचरण का विश्लेषण है, जरुरत है तो आपकी तरह व्याख्या करने वाले की। जय श्रीराम
तुम हो प्रभु चाँद, में हूँ चकोरा.......!!
गुरु शंकराचार्य जी के चरणों में कोटि कोटि नमन!!!
महाराज श्री का समाधान एक दम शास्त्रीय है तार्किक और वैज्ञानिक भी है🙏🙏🙏🙏🙏
सुन्दर जानकारी।हमारे पूरे देश में बलि प्रथा रद्द होना चाहिए ।जय जय श्री स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज की जय हो।
Never
Bali pratha nahi band hone duunga main 😊
गुरु जी आपके विचार मुझे बहुत अचछे लगे हैं यही विचार संसार को मिलने चाहिए जय गुरुदेव
अति सुंदर माहिती दिली आहे धन्यवाद जय हो आदी शंकराचार्य जी माझे सर्वस्व आहे
I am proud to be a vegetarian hindu sanatani
Vegan bno दूध भी हिंसा है
Ye kon bola hai ki dudh hinsha hai
@@SahilSharma-xk3enpraman do
तुम tumara ma ki himsak ho ...!!
Kyu ki tum unke sudh sewan karate Bade huya ho . @@SahilSharma-xk3en
Agar apni gai hai to thik hai. Nahi to dairy wale dudh dene ke bad gai bhains ko kasaikhane bech dete hain
@@pathasala-mitraa
पूज्य स्वामी श्री ने अद्भुत विलक्षण विवेचन किया है।
सादर प्रणाम गुरुदेव🚩🌹🙏🏻
जगद्गुरू शंकराचार्य भगवान के चरण कमल पर साष्टांग दण्ड वत प्रणाम हर हर महादेव
अद्भुत विवेचन ।कोटिश प्रणाम ।
जय माता की , जय गुरुदेव । हर-हर महादेव। धन्यवाद।
बहुत सुन्दर समाधान है🙏🙏🙏🙏🙏
अच्छा विवेचन,🙏सविस्तर विश्लेषण,आपको मेरा सादर प्रणाम 🙏
आपकी जय हो पूज्यवर शंकराचार्य जी ।
जय श्रीराम । जय रामभक्त हनुमान ।
जय सनातन धर्म।
Guru g k paavan charnon me koti koti pranaam🙏🏻🙏🏻 Kripa banaye rakhiye prabhu isi prakar hm prr🙏🏻🙏🏻
पूज्य गुरुदेव जी महाराज को कोटी कोटी प्रणाम 🙏
Aap jaise guru ki vaani sun ke jeevan udhar ho gaya
प्रणाम गुरुजी वेदका प्रमाण भि हाेता ताे बहुत अाच्छा हाेता।
Jai shree ram,jai shree ram,jai shree ram, jai shree ram.
गुरु जी को प्रणाम, शास्त्र सम्मत जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद और हार्दिक आभार।
अद्भूद , कोटि कोटि नमन । 🙏
बलि पर सम्यक ज्ञान देने के लिए आभार। नमन ।
Apko koti koti naman
Bahut achchha gyan aapne diya hai!
Hinsa paap! Paapatav Nark!
Shri chakradhar Swami!
Guruji many many many many many many many many many thanks and respect to you...❤❤❤
Koti koti pranam guruji ke charno me 🙏🙏🙏
Guruji koti koti pranam 🙏🏻🙏🏻🌺🌸💐🌷🌺🌸💐🌺💐🌸🌷
Excellent Sant Harihardas Vrindavan
अहिंसा परमो धर्मोः
Aapko pranaam,,,
Bas yahi kehna hai ki aise hi ahimsa ka paath padte padte hindu bas apne desh tak hi simmit reh gaya...
Apne dharam ki raksha karna bhi hamara param kartavya hai..
Raksha aur akraman dono sath sath chalte hai...(Defense +Attack)
Guru ji hum itna TV per Baba ji dekhte hain per hamen kisi per Bharosa nahin rahata lekin aap ki bate Suniti hun to bahut achcha lagta Aisa lagta hai Jaise kuchh sawal tha man mein uska jawab mil bhatakte prani ko kuch jawab ham Puram to pura nahin padhe hay per Bharosa puran par pura rahata
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌷🏵️🌺🔱🕉️🌻🚩🥀🌼💐🙏👍🏼 શિવ સ્વરૂપ જ્ઞાન સ્વરૂપ ભક્તિ સ્વરૂપ આદિ જગતગુરુ શંકરાચાર્ય સ્વરૂપ શ્રી ૧૦૦૮ પદ્મવિભૂષિત પરમહંસ સ્વામી અવિમુખ્તેશ્વર આનંદ સરસ્વતીજી મહારાજના ચરણ કમલ માં કોટી કોટી દંડવત નમસ્કાર શિવ શિવ શંભુ હર હર મહાદેવ જય શ્રી બામનાથ મહાદેવ કી જય શ્રી ચામુંડા માત કી જય શ્રી હાટકેશ્વર મહાદેવ કી જય
Divine explanation, very well logically concluded, my humble salutations
Dandwat pranam 👏👏 Sarkar 👏👏
🌹🙏जय महादेव जी🙏🌹
आपके अंदर बेठे महादेव जी माता जी के अशं को प्रणाम नमस्कार धोख जय जय सच्चिदानंद👏🌹
🌹ॐ साम्ब सदा शिवाय नम:।🌹
Bali kwl Swarth ki drishti se. y hui na baat. Gurudev. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻😘😘🤗🤗🤗🤗🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
मेरा प्रणाम 🙏 गुरुजी स्वीकार करें
चरणस्पर्श गुरु जी आपने हमारा मार्गदर्शन किया
अंत्यत मार्मिक भाष्य नमस्कार..आचार्य कि जय जय हो.
महादेव🎉, शाक्त और कापालिक पूजा में आज भी बलि प्रथा है गुरुवार । शैव अघोर उपासक भी बलि आज भी है ।
Excellent analysis and reply.
जय श्री मन राधा राधा राधा राधा राधा रानी 🚩🌹🙏🙏🙏😊❤❤❤❤
🕉️प्रणाम गुरु जी🙏
Mera marg ko prkashit karna ka lia DHANYAvad 😔🌹🕉️
Koti koti pranam or koti koti dhanayvad
adbhut, itni mehnat ,sakshya ke liye
नमन गुरुदेव
Om namo narayan guru ji
Dhanyavad acharya ji Jai Shri Ram
Shankaracharya ji ko sat sat naman
Sundar vyakhya sad margdarshn🙏
जय श्रीकृष्ण ❤
Om namo Narayan ji har har mahadev ji jay Girnari
प्रणाम गुरूदेव।
अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव चः।” अर्थात:- यदि मनुष्य के लिऐ अहिंसा परम धर्म है तो ”धर्म” मतलब (सत्य ) की रक्षा के लिए हिंसा उससे भी श्रेष्ठ है जब धर्म (सत्य ) पर संकट आए तो मनुष्य को शस्त्र उठाना चाहिए और धर्म (सत्य ) की रक्षा करनी चाहिए।
Yaha hinsa sirf bali aur jeebh ke swad ke liye hai.
Raksha ke liye sastra uthane ka adhikaar hai.
मैं आपकी बात से सहमत हूं। पर ये श्लोक गलत है। इसका दूसरा हिस्सा कुछ और है।
Sri Sri jumleswar ji Maharaj ke Andhbhagton KO dharam SE Kuch Lena dena Nahi hai ye log bekasuron Ka bila karan mobleaching kar rahe hai.
अहिंसा का अर्थ क्षमा करना नहीं होता ऐसा कही भी नहीं लिखा है क्या आप अपराधी को क्षमा कर देंगे नहीं ना अपराध की दो प्रकार है एक क्षमा करने योग्य अपराध और दूसरा अक्षम्य अपराध अर्थात क्षम्य अपराधी को क्षमा करना अहिंसा है और अक्षम्य अपराधों का दंड देना सजा देना धर्म हिंसा है परन्तु इसका भ्रामक प्रचार प्रसार और अनुचित पालन करना ही भारतीयों हिन्दुओं के पतन का कारण रहा है और बौद्ध मत और जैन मत इसका उदाहरण है परन्तू करोड़ों अनुयायी को कौन समझावे क्या वे समझेंगे वे लोकलज्जा के कारण अपमान समझेंगे और महपुरुष अर्जुन के नीतिगुरु श्रीकृष्ण जी ने यही अर्जुन को समझाया और अर्जुन ने अक्षम्य अपराधी कौरवो के साथ युद्ध किया और विजयश्री प्राप्ति की
✋️ओम श्री(शिव)गुरवे नमः
Vishyaskt mann aur buddhi wahi pashu h. aur inhi vishayo ki yani pashuo ki bali di jani chahiye. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jai shree Sita Ram Hanuman 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🎉🎉🇮🇳🎉🎉🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Harekrishna 🙏 prabhu
आपको नमन आचार्यश्री 💐🙏
❤ jagat guru shankaracharya ko mera pranam
Parnaam guru dev ko
Main aur mere maata pita, Pujyapad Jagadguru Swami Swaroopananada Saraswati Ji Maharaj se Guru dikhya le chookey hain. Mere dada ji aur Dadi ji Swami Brahmananda Saraswati Ji Maharaj ke bhakt thein. Aapse sawaal poochne ki iksha rakhta hoon. Kripa karke aapse sawaal poochne ki prakriya bataayein.
very nice and authentic information
ॐ श्रींमन्नारायणाय नमः
Har Har mahadev
🙏🙏🙏bahot achha👌👌👌🙏🙏🙏pranam🙏🙏🙏
Jai ho...
सोमनाथ से मधुकान्त पाठके दंडवत् प्रणाम्
Shat shat Naman Naman
Astral travel आत्मा से यात्रा करने की साधना बताए
Aapko koti koti pranam guruji
Jai shree 👏👏 mahadev 👏👏
कोटि कोटि प्रणाम
🙏🏻जय गुरुदेव ।
❤🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🌹🚩 Jay shree sadguru ji sadr nmn hai 🌹🌹🌹🌹🌹🚩🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Shandar explanation
जय श्री गुरुदेव।🌹🌹🌹🙏🙏🙏
जय गुरुदेव
बहुत ही achha lga sun kr🙏🙏🙏🙏🙏(jammu)
Jaishreeram
प्रणाम प्रभुजो।
EVERYBODY MUST WATCH THIS VIDEO🙏🙏🙏🙏
Pranam gurudev
Jaiho
||जय श्रीराम ||हे भगवान् हमारा प्रणाम स्विकार करे !हमारा प्रशन है कि हमारे को कुश कारणवश घर मे कोई न होने पर भगवान कि पुजा को दोपहर 2;००बजते है क्याये ऊचित है ? कूपया मार्ग दिखाये ! कूष्णा अशोकदादा क कोकाटे महाराष्ट्र जिल्हा जालना ||जय जय रघुवीर समर्थ ||🙏🙏
Jai Ho
OM GURUBE NAMOH.
Thanks guruji
Thank you ...sir .
महात्मा बुद्ध और अंगुलिमान का प्रसंग अदाहरण है अहिंसा का
Vedo me pashu bali hai unko kohi shupa nahi sakta je bath Puri Tarah sach hai
😂😂kaha hai
Vedo mai nhi kfc mai hai. 😂
Please share references before saying such bold statements...
Waiting for your reply 🙏
बलि रूपी विक्रति गुलामी की देन है
जय श्री राम 🙏
Posu boli is a cruel entertainment of some heartless peoples.
स्वामी जी इसी सोच के कारण मुगलों और अंग्रेजों ने अनंत अत्याचार करे और हम सहते रहे । और आज खत्म होने के कगार पर हैं ।
ऐसा कुछ नहीं है भाई क्या अर्जुन को श्री कृष्ण भगवान ने मांस खाकर युद्ध करने को बोला था क्या उनको ज्ञान कराया धर्म और अधर्म का फिर उन्होंने युद्ध किया
अहिंसा परमो धर्म, धर्म हिंसा तथैव च। धर्म की रक्षा हेतु हिंसा किया जा सकता है।
इस संसार में, सब लोगों की सम्मति के अनुसार यह अहिंसा धर्म, सब धर्मों में, श्रेष्ट माना गया है। परन्तु अब कल्पना कीजिये कि हमारी जान लेने के लिये या , कोई दुष्ट मनुष्य हाथ में शस्त्र लेकर तैयार हो जाय और उस समय हमारी रक्षा करने वाला हमारे पास कोई न हो; तो उस समय हमको क्या करना चाहिये? क्या "अहिंसा परमोधर्मः" कहकर ऐसे आततायी मनुष्य की उपेक्षा की जाय या यदि वह सीधी तरह से न माने तो यथाशक्ति उसका शासन किया जाय⁉
‼मनुजी कहते हैं‼-
गुरुं वा बालवृद्धौ वा ब्रह्मणं वा बहुश्रुतम्।
आततायिनमायांतं हन्यादेवाविचारयन्।।
अर्थात्" ऐसे आततायी या दुष्ट मनुष्य को अवश्य मार डालें; किंतु यह विचार न करें कि वह गुरु है, बूढा है, बालक है या विद्वान ब्राह्मण है"। शास्त्रकार कहते है कि ऐसे समय हत्या करने का पाप हत्या करने वाले को नहीं लगता, किंतु आततायी मनुष्य अपने अधर्म ही से मारा जाता है। आत्मरक्षा का यह अधिकार, कुछ मर्यादा के भीतर, आधुनिक फौजदारी कानून में भी स्वीकृत किया गया है। ऐसे मौकों पर अहिंसा से आत्म रक्षा की योग्यता अधिक मानी जाती है। भ्रूण हत्या सब से अधिक निन्दनीय मानी गई है; परन्तु जब बच्चा पेट में टेढ़ा होकर अटक जाता है तब क्या उसको काटकर निकाल नहीं डालना चाहिये। अग्निष्टोम आदि वैदिक श्रौतयज्ञों में पशुबलि करना वेद ने ही प्रशस्त माना है; परन्तु विकल्प के रूप में पिष्ट पशु आदिके द्वारा वह भी टल सकता है। तथापि हवा, पानी, फल इत्यादि सब स्थानों में जो सैकडों जीव-जन्तु हैं उनकी हत्या कैसे टाली जा सकती है। सृष्टि में सर्वत्र जो मत्स्य-न्याय दृष्टिगोचर हो रहा है उसको कैसे रोका जा सकता है।
❗महाभारत मेंअर्जुन कहते हैः-
सूक्ष्मयोनीनि भूतानि तर्कगम्यानि कानिचित्‼
पक्ष्मणोअपि निपातेन येषां स्यात् स्कंधपर्ययः‼‼
"इस जगत में ऐसे ऐसे सूक्ष्मजन्तु हैं कि जिनका अस्तित्व यद्यपि नेत्रों से दिखाई नहीं पड़ता तथापि तर्क से सिद्ध है; ऐसे जन्तु इतने हैं कि यदि हम अपनी आखों के पलक हिलावें तो उतने ही से उन जन्तुओं का नाश हो जाता हैं"। ऐसी अवस्था में यदि हम मुख से कहते रहें कि "हिंसा मत करो, हिंसा मत करो" तो उससे क्या लाभ होगा इसी विचार के अनुसार अनुशासन पर्व में शिकार करने का समर्थन किया गया है। वन पर्व एक कथा है कि कोई ब्राह्मण क्रोध से किसी पतिव्रता स्त्री को भस्म कर डालना चाहता था; परन्तु जब उसका यत्न सफल नहीं हुआ तब वह उस स्त्री की शरण में गया। धर्म का सच्चा रहस्य समझ लेने के लिये उस ब्राह्मण को उस स्त्री ने किसी व्याध के यहाँ भेज दिया। यहाँ व्याध मांस बेचा करता था; परन्तु था अपने- माता- पिता का बड़ा पका भक्त। इस व्याध का यह व्यवसाय देखकर ब्राह्मण को अत्यंत विस्मय और खेद हुआ। तब व्याध ने उसे अहिंसा का सच्चा तत्त्व समझकर बतला दिया। इस जगत में कौन किसको नहीं खाता" जीवो जीवस्य जीवनम्"(भागवत) - यही नियम सर्वत्र देख पड़ता है। आपतकाल में तो "प्राणस्यान्नमिदं सर्वम्" यह नियम सिर्फ स्मृतिकारों ने ही नहीं कहा है, किंतु उपनिषदो में भी स्पष्ट कहा गया है । यदि सब लोग हिंसा छोड़ दे तो क्षात्रधर्म कहा और कैसे रहेगा।
‼हर हर महादेव‼ 🚩
युद्ध करना और पशु हिंसा मे अंतर नहीं दीखता तुम्हे
@@educatorexplorationsधर्म हिंसा तथैव च ,किसी भी ग्रंथ में नही उल्लिखित है ।
Pranaam Gurudev. Hamara sobhagya hai ki hum atne srest dharam me janam mila hai. Aur acche sanskaar mile, ki shahkahri hain. Ishwar sada kripa rakkhe.
जय जय श्रीमंनारायण
पुराणों में अत्यधिक मिलावट है अतः वेद विरुद्ध प्रलाप मात्र है जब तक वेद के मंत्रों का प्रमाण नहीं मिलता है।
Puran is the part of veda. Vast knowledge of veda is simplified and distributed in 18 Mahapuranas and more implicit puranas
Jaimogal jaihanumanji