"न्यायपालिका का काम हमेशा संविधान और कानून के दायरे में रहकर निष्पक्ष निर्णय लेना होता है। जब कोई जज किसी संवेदनशील मुद्दे पर निर्णय लेते हैं, तो वे व्यक्तिगत राय के बजाय संविधान, कानून की व्याख्या, और न्यायिक दृष्टिकोण को महत्व देते हैं। आरक्षण जैसे विषय पर फैसले लेते समय भी जज का उद्देश्य यह होता है कि सभी पक्षों का गहराई से अध्ययन करके न्यायपूर्ण और संतुलित निर्णय दिया जाए। Justice Narendra Kumar Vyas जैसे न्यायाधीश अपने दायित्वों के प्रति सजग रहते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका हर निर्णय निष्पक्ष हो। जनता को न्यायिक प्रक्रियाओं पर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि एक जज का काम कानून के मुताबिक काम करना है, चाहे वह किसी भी मुद्दे पर हो। न्यायाधीश के विचार और निर्णय संविधान की भावना और समाज के हित में होते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम न्यायपालिका का सम्मान करें और समझें कि उनके निर्णय कानून और साक्ष्यों पर आधारित होते हैं, न कि किसी व्यक्तिगत राय पर। न्यायाधीशों पर भरोसा रखना हमारे न्यायिक तंत्र का हिस्सा है और समाज के स्वस्थ विकास के लिए भी आवश्यक है।"
हमें रिजर्वेशन मत दो न । हम तो बस इतना चाहते हैं कि जिसकी जितनी आबादी उतनी भागीदारी । फिर इससे सरकार क्यों भाग रही है । Upper caste वाले क्यों भाग रहे है। और ये राइट तो equality के भी खिलाफ नहीं होगा । पूरा झोल किया है बीजेपी वालों ने 15% आबादी को 10% आरक्षण गैर संवैधानिक तरीकों से दे दिया । मतलब शोषण करने वालों को भी रिजर्वेशन 😂😂😂😂😂
आरक्षण का विचार एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। अगर हम केवल आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की बात करें, तो यह सच है कि हर वर्ग को उस अनुपात में अवसर मिलना चाहिए, लेकिन केवल यही समाधान नहीं है। असल में, आरक्षण का उद्देश्य समाज के उन हिस्सों को समान अवसर प्रदान करना है, जो ऐतिहासिक रूप से पीछे रह गए हैं। भारत में कई जातियां और समुदाय वर्षों तक सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए रहे हैं। इन समुदायों के लिए सिर्फ आबादी के अनुपात से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि उन्हें उन पूर्वाग्रहों और बाधाओं से बाहर लाया जाए, जो उन्हें समान अवसरों से वंचित करते रहे हैं। संविधान में आरक्षण को समाज के कमजोर और हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिए एक अधिकार के रूप में देखा गया है, ताकि वे शिक्षा, नौकरी और सामाजिक जीवन में समान अवसर पा सकें। उदाहरण के लिए, अनुसूचित जातियां (SC), अनुसूचित जनजातियां (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) लंबे समय से शैक्षिक और आर्थिक असमानताओं का सामना कर रहे हैं। इन समुदायों को आरक्षण के माध्यम से मुख्यधारा में लाने का उद्देश्य है। इसलिए, केवल आबादी के अनुपात में आरक्षण की बात करना इस जटिल मुद्दे का पूरा समाधान नहीं है। यह जरूरी है कि हम समझें कि आरक्षण का उद्देश्य समानता लाना है, न कि समान संख्या में हिस्से बांटना। अगर हम केवल संख्या की बात करें, तो यह उन वर्गों के साथ न्याय नहीं होगा जो वर्षों से पिछड़े हुए हैं और जिनका सामाजिक और आर्थिक विकास अन्य वर्गों के मुकाबले बहुत धीमा रहा है। इसलिए, आरक्षण का उद्देश्य समान अवसरों को बढ़ावा देना है, ताकि हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार समाज में योगदान दे सके, चाहे उसकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। यह मामला वास्तव में एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है, जिसमें सभी वर्गों को मिलकर काम करना होगा ताकि समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित हो सके।
@indianhighcourt पिछड़ों को समान अवसर मिलना बंद हो चुका है । जिस दिन ews आया वो दिखा गया कि अनुपात से ज्यादा आरक्षण जनरल को भी मिल गया । जब सब को आरक्षण मिल गया फिर आरक्षण की लड़ाई रही कहा। इससे अच्छा है आबादी के proportion में भागीदारी । यही सही आरक्षण होगा । सबके लिए जो कि अभी नहीं है। एक ही जाती के लोग पूरे देश में राज कर रहे हैं।
Is judge ko chhoti si bat samajh nahi aa rhi ki, merit ke basis pr unreserved seats bhari jati hai, and the reserved seat bhari jati he. Judge ye bolna chah rhe ki merit me aaye OBC/ST/SC ko unreserved me seats nahi milni chahiye. Judge indirectly ye bol rhe hai ki general ko complete unreserved seats milna chahiye that is general ko indirectly 50% reservation de rhe hai, as per judge.
Horizontal reservation is actual reservation..while the vertical reservation is reservation under horizontal reservation....
Is justice ki vichardhara 😮reservations ke khilaaf hai
"न्यायपालिका का काम हमेशा संविधान और कानून के दायरे में रहकर निष्पक्ष निर्णय लेना होता है। जब कोई जज किसी संवेदनशील मुद्दे पर निर्णय लेते हैं, तो वे व्यक्तिगत राय के बजाय संविधान, कानून की व्याख्या, और न्यायिक दृष्टिकोण को महत्व देते हैं। आरक्षण जैसे विषय पर फैसले लेते समय भी जज का उद्देश्य यह होता है कि सभी पक्षों का गहराई से अध्ययन करके न्यायपूर्ण और संतुलित निर्णय दिया जाए।
Justice Narendra Kumar Vyas जैसे न्यायाधीश अपने दायित्वों के प्रति सजग रहते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका हर निर्णय निष्पक्ष हो। जनता को न्यायिक प्रक्रियाओं पर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि एक जज का काम कानून के मुताबिक काम करना है, चाहे वह किसी भी मुद्दे पर हो। न्यायाधीश के विचार और निर्णय संविधान की भावना और समाज के हित में होते हैं।
इसलिए जरूरी है कि हम न्यायपालिका का सम्मान करें और समझें कि उनके निर्णय कानून और साक्ष्यों पर आधारित होते हैं, न कि किसी व्यक्तिगत राय पर। न्यायाधीशों पर भरोसा रखना हमारे न्यायिक तंत्र का हिस्सा है और समाज के स्वस्थ विकास के लिए भी आवश्यक है।"
Es judge ko horizontal, vertical hi nahi pata😂
हमें रिजर्वेशन मत दो न । हम तो बस इतना चाहते हैं कि जिसकी जितनी आबादी उतनी भागीदारी । फिर इससे सरकार क्यों भाग रही है । Upper caste वाले क्यों भाग रहे है। और ये राइट तो equality के भी खिलाफ नहीं होगा । पूरा झोल किया है बीजेपी वालों ने 15% आबादी को 10% आरक्षण गैर संवैधानिक तरीकों से दे दिया । मतलब शोषण करने वालों को भी रिजर्वेशन 😂😂😂😂😂
आरक्षण का विचार एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। अगर हम केवल आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की बात करें, तो यह सच है कि हर वर्ग को उस अनुपात में अवसर मिलना चाहिए, लेकिन केवल यही समाधान नहीं है। असल में, आरक्षण का उद्देश्य समाज के उन हिस्सों को समान अवसर प्रदान करना है, जो ऐतिहासिक रूप से पीछे रह गए हैं।
भारत में कई जातियां और समुदाय वर्षों तक सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए रहे हैं। इन समुदायों के लिए सिर्फ आबादी के अनुपात से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि उन्हें उन पूर्वाग्रहों और बाधाओं से बाहर लाया जाए, जो उन्हें समान अवसरों से वंचित करते रहे हैं।
संविधान में आरक्षण को समाज के कमजोर और हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिए एक अधिकार के रूप में देखा गया है, ताकि वे शिक्षा, नौकरी और सामाजिक जीवन में समान अवसर पा सकें। उदाहरण के लिए, अनुसूचित जातियां (SC), अनुसूचित जनजातियां (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) लंबे समय से शैक्षिक और आर्थिक असमानताओं का सामना कर रहे हैं। इन समुदायों को आरक्षण के माध्यम से मुख्यधारा में लाने का उद्देश्य है।
इसलिए, केवल आबादी के अनुपात में आरक्षण की बात करना इस जटिल मुद्दे का पूरा समाधान नहीं है। यह जरूरी है कि हम समझें कि आरक्षण का उद्देश्य समानता लाना है, न कि समान संख्या में हिस्से बांटना। अगर हम केवल संख्या की बात करें, तो यह उन वर्गों के साथ न्याय नहीं होगा जो वर्षों से पिछड़े हुए हैं और जिनका सामाजिक और आर्थिक विकास अन्य वर्गों के मुकाबले बहुत धीमा रहा है।
इसलिए, आरक्षण का उद्देश्य समान अवसरों को बढ़ावा देना है, ताकि हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार समाज में योगदान दे सके, चाहे उसकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
यह मामला वास्तव में एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है, जिसमें सभी वर्गों को मिलकर काम करना होगा ताकि समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित हो सके।
@indianhighcourt पिछड़ों को समान अवसर मिलना बंद हो चुका है । जिस दिन ews आया वो दिखा गया कि अनुपात से ज्यादा आरक्षण जनरल को भी मिल गया । जब सब को आरक्षण मिल गया फिर आरक्षण की लड़ाई रही कहा। इससे अच्छा है आबादी के proportion में भागीदारी । यही सही आरक्षण होगा । सबके लिए जो कि अभी नहीं है। एक ही जाती के लोग पूरे देश में राज कर रहे हैं।
Is judge ko chhoti si bat samajh nahi aa rhi ki, merit ke basis pr unreserved seats bhari jati hai, and the reserved seat bhari jati he.
Judge ye bolna chah rhe ki merit me aaye OBC/ST/SC ko unreserved me seats nahi milni chahiye. Judge indirectly ye bol rhe hai ki general ko complete unreserved seats milna chahiye that is general ko indirectly 50% reservation de rhe hai, as per judge.
bahut shoshan ho rha obc sc st ka, keval vote ke liye yah jatiyan bni
Obc creamy layer wale to apna mock test de naa obc mein naa general mein😂😂😂😂😂😂😂
Isko high court k judge kon bana diya h jisko kuch nhi pta h
इनको कौन बना देता है जज 🤣
Indira sahny case para 812
Judge bhi kaisa hai
Bahut huvaa abh reservation khatam kar denaa chahiye esse achha to
कॉलम और बीम 😂😂
Vertical
मतलब
'आड़े'
वाला
नहीं
मी
लॉर्ड
'खड़े'
वाला!