श्रीमद् भगवद्गीता चिंतनमाला । भाग ८ । अध्याय १- अर्जुनविषाद योग- श्लोक क्र. ३८ ते ४७ ।

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ก.ย. 2024
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ความคิดเห็น • 27

  • @JayaKhandeparkar
    @JayaKhandeparkar 3 หลายเดือนก่อน +1

    सखोल चिंतन

  • @PranitaYadav-w2c
    @PranitaYadav-w2c หลายเดือนก่อน

    Far sundar nirupan krta

  • @aneshwardharmadhikari5841
    @aneshwardharmadhikari5841 29 วันที่ผ่านมา

    कल्याणी ताई खूपच सुंदर अभ्यास घेत आहात भगवत गीताच धन्यवाद

  • @vitthalshelke839
    @vitthalshelke839 9 หลายเดือนก่อน

    खुप च सुंदर धन्यवाद

  • @hemantwankhade1906
    @hemantwankhade1906 5 หลายเดือนก่อน

    🙏🏻🕉️🇮🇳💐

  • @shobhakoleshwar4287
    @shobhakoleshwar4287 8 หลายเดือนก่อน

    खुप छान चितंन सुचेता ताई .

  • @ojaspurandare3846
    @ojaspurandare3846 6 หลายเดือนก่อน

    Simply great

  • @manikpatil2436
    @manikpatil2436 6 หลายเดือนก่อน

    शब्दामध्ये वर्णन करता येत नाही असे निरूपण. अप्रतिम. धन्यवाद ताई🙏🙏

  • @prabhavatijoshi4121
    @prabhavatijoshi4121 หลายเดือนก่อน

    खूप छान सांगतात ताई

  • @sudhirdange8781
    @sudhirdange8781 10 หลายเดือนก่อน +1

    Sunder nirupan. Waiting for further adhyay.

  • @sumanmahamuni1894
    @sumanmahamuni1894 9 หลายเดือนก่อน

    स्वाध्याय!

  • @यालाजीवनअसेनाव
    @यालाजीवनअसेनाव 10 หลายเดือนก่อน +2

    खर च वाट पाहत असतो आम्ही आतुरतेने अर्थ निरूपणाची ❤

    • @kalyanikeskar7461
      @kalyanikeskar7461  10 หลายเดือนก่อน

      🙏🏻

    • @aparnalele4701
      @aparnalele4701 8 หลายเดือนก่อน

      अतिशय साध्या सोप्या पद्धतीने श्लोकांचा अर्थ समजून सांगता.

    • @aparnalele4701
      @aparnalele4701 8 หลายเดือนก่อน

      त्यामुळे भगवद्गीतेचा अर्थ समजणे सोपे जाते... नमस्कार.

  • @sumanmahamuni1894
    @sumanmahamuni1894 9 หลายเดือนก่อน

    जय श्रीकृष्ण!

  • @shubhangijoshi374
    @shubhangijoshi374 2 หลายเดือนก่อน

    फार सुंदर सांगत आहात कल्याणीताई

  • @mangalkhandekar9255
    @mangalkhandekar9255 9 หลายเดือนก่อน

    Far sunder nirupan kerta

  • @vasantisudame9687
    @vasantisudame9687 9 หลายเดือนก่อน

    ताई, साष्टांग नमस्कार
    खूप छान रितीने समजावून सांगितले आहे तुम्ही!!
    प्रत्येक गोष्ट सोप्या भाषेत उलगडून सांगितली आहे, बिटविन द लाईन अर्थ

  • @priyapatil1223
    @priyapatil1223 10 หลายเดือนก่อน

    खूपच सुंदर निरूपण 🙏 श्रीहरि 🙏

  • @MANOJKUMAR-ph4ln
    @MANOJKUMAR-ph4ln 5 หลายเดือนก่อน

    श्रीमद्भगवद्गीता के प्रथम अध्याय का नाम "अर्जुन विषाद योग" रखा गया है क्योंकि इस अध्याय में अर्जुन के मन में उत्पन्न विषाद यानी निराशा की अभिव्यक्ति की गई है। कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में अपने बंधुओं, मित्रों और गुरुओं को देखकर अर्जुन को युद्ध करने में संकोच हो रहा है।
    गीता के पहले अध्याय का नाम अर्जुन विषाद योग है। इस अध्याय में कुरुक्षेत्र के मैदान में उपस्थित बंधुओं और संबंधियों को सामने देखकर अर्जुन के मन में उठे विषाद और मनःस्थिति का वर्णन किया गया है, जिसे संजय धृतराष्ट्र को बताते हैं।
    गीता का पहला अध्याय अर्जुन-विषाद योग है। इसमें 46 श्लोक हैं। गीता के दूसरे अध्याय "सांख्य-योग" में कुल 72 श्लोक हैं।
    मृत्यु के समय भगवद गीता का अध्याय 8 अर्थात् 'अक्षरब्रह्म योग' सुनाया जाता है। इस अध्याय में भगवान कृष्ण अर्जुन को अमरत्व का रहस्य बताते हुए जीवात्मा और परमात्मा के बीच संबंध के बारे में बताते हैं।
    जैसे ही दोनों सेनाएँ युद्ध के लिए तैयार खड़ी थीं, शक्तिशाली योद्धा अर्जुन, दोनों पक्षों के योद्धाओं को देखकर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को खोने के डर और अपने ही रिश्तेदारों की हत्या के परिणामस्वरूप होने वाले पापों के कारण अधिक दुखी और उदास हो गए। इसलिए, वह समाधान की तलाश में भगवान कृष्ण के सामने आत्मसमर्पण कर देता है।
    भगवद गीता के अनुसार, भक्ति और प्रेम में समर्पित होना सबसे पवित्र माना जाता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने यहां तक बताया है कि सबसे उच्च धर्म भक्ति में समर्पण करना है और प्रेम के साथ ईश्वर के प्रति आसीर्वाद भावना रखना चाहिए। भक्ति का अर्थ है भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और उससे होने वाला अद्भुत अनुभव।
    " कर्मण्ये वाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचना " (अध्याय 2, श्लोक 47) इस श्लोक का अर्थ है "आपको अपने कर्म करने का अधिकार है, लेकिन आप अपने कर्मों के फल के हकदार नहीं हैं।" यह इंगित करता है कि हमें परिणाम के बारे में सोचे बिना अपना काम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    सातवें अध्याय का महत्व
    महाभारत शुरू होने से पहले भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का का ज्ञान दिया था। इस गीता का 7वां अध्याय पितृ मुक्ति और मोक्ष से जुड़ा है।
    गाय पवित्र होती है। उसके शरीरका स्पर्श करनेवाली हवा भी पवित्र होती है।
    सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच।। मंत्र- वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरूम्।।
    कर्म अकर्म से श्रेष्ठ - मनुष्य परिणाम की चिन्ता करके कर्म ही न करे, यह उचित नहीं है, गीता में इसे 'अकर्मण्यता' कहा गया है। मनुष्य को सकारात्मक भावना से निरन्तर कर्मशील रहना चाहिए, कृष्ण ने स्वयं कहा है- 'नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।
    हिंदू धर्म में गाय को बहुत ही पूजनीय पशु माना जाता है। गाय को मां का दर्जा प्राप्त है तभी तो इस गाय माता कह कर बुलाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय में देवी-देवताओं का वास होता है। गाय की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
    गाय को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र मानकर माता का स्थान दिया गया है। अनेक धर्म ग्रंथों में गाय के महत्व के बारे में बताया गया है। इसके दूध को अमृत कहा गया है, वहीं गौमूत्र और गोबर को भी परम पवित्र माना गया है।
    हिंदू धर्म में, गाय को एक पवित्र जानवर माना जाता है और यह धन, शक्ति और मातृ प्रेम का प्रतीक है । ऐसा माना जाता है कि यह दिव्य और पोषण देने वाली मातृ देवी का सांसारिक प्रतिनिधि है, जो उर्वरता और प्रचुरता का प्रतिनिधित्व करता है। माना जाता है कि उनके दूध का मानव शरीर पर शुद्धिकरण प्रभाव पड़ता है।
    हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय स्थान प्राप्त है. ऐसी मान्यता है कि बड़े से बड़ा कष्ट भी सिर्फ गौ माता की सेवा करने से दूर हो जाता है. गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है. मान्यता है कि गाय की सेवा करने से जहां सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं, वहीं घर में सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है.
    गौमाता संपूर्ण ब्रह्मांड अर्थात साक्षात नारायण का स्वरूप हैं. इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है कि मात्र गौमाता की पूजा-अर्चना करने से सृष्टि के 33 करोड़ देवी - देवताओं की आराधना का फल मिलता है.

  • @shivajipadghan6474
    @shivajipadghan6474 10 หลายเดือนก่อน

    ताइ सलग पाठ का दाखवत नाही खुप छान सांगता ताइ मला खुप आवडली पद्धत धन्यवाद

  • @ManojKumar-my7uz
    @ManojKumar-my7uz 4 หลายเดือนก่อน

    गीता के पहले अध्याय का नाम अर्जुन विषाद योग है। इस अध्याय में कुरुक्षेत्र के मैदान में उपस्थित बंधुओं और संबंधियों को सामने देखकर अर्जुन के मन में उठे विषाद और मनःस्थिति का वर्णन किया गया है, जिसे संजय धृतराष्ट्र को बताते हैं।
    भगवद गीता, या भगवान का गीत, भगवान श्री कृष्ण द्वारा महाभारत के महाकाव्य युद्ध की दहलीज पर अर्जुन को बताया गया था।
    गीता पढ़ने वाले व्यक्ति को सच और झूठ, ईश्वर और जीव का ज्ञान हो जाता है। उसे अच्छे और बुरे की समझ आ जाती है। गीता पढ़ने से व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति साहसी और निडर बनकर अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता है। रोजाना गीता पढ़ने से शरीर और दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा विकसित होती है।
    श्रीकृष्ण भगवान में ही स्वयं साक्षात भागवत-सार निहित है। भागवत को सुनने से पाप का विनाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाराज ने कहा हनुमानजी का जप करने से यमदूत भी भयभीत होते हैं। गाय को धर्म के अनुसार पवित्र माना गया है, इसकी सेवा करना हमारा दायित्व है।
    मृत्यु के समय भगवद गीता का अध्याय 8 अर्थात् 'अक्षरब्रह्म योग' सुनाया जाता है। इस अध्याय में भगवान कृष्ण अर्जुन को अमरत्व का रहस्य बताते हुए जीवात्मा और परमात्मा के बीच संबंध के बारे में बताते हैं।
    श्रीमदभागवत गीता का पाठ करने से जीवन के सभी सवालों के जवाब मिल जाते हैं। इतना ही नहीं जिस घर में नियम-निष्ठा के साथ गीता का पाठ किया जाता है वहां मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण का वास रहता है। साथ ही गीता जयंती के दिन गीता का पाठ और हवन करने से घर से हर तरह के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।
    ( manojkumarhiramunidevi@gmail.com / manojkumarkameshwarsingh@gmail.com / manojpriyankajagriti@gmail.com / sushilkteacher@gmail.com).

  • @user-hc2de5uu2b
    @user-hc2de5uu2b 9 หลายเดือนก่อน

    🙏

  • @gopalkimbhune622
    @gopalkimbhune622 10 หลายเดือนก่อน

    खूप सुंदर निरूपण कधी सम्पूच नये असे वाटते

  • @samarthtodmal4556
    @samarthtodmal4556 6 หลายเดือนก่อน

    ताई गीता स्वतः मध्ये उतरवता आली पाहिजे,त्यासाठी काय करायला पाहिजे...