4th May 2024 Makkah Fajr Sheikh Dosary

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  • เผยแพร่เมื่อ 11 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 31

  • @guled6144
    @guled6144 6 หลายเดือนก่อน +20

    Ma’Sha’Allah beautiful recitation by the legend sheikh Dosary May Allah bless you sheikh ❤ Surah taha 1-55

  • @chamlali14
    @chamlali14 6 หลายเดือนก่อน +7

    I had the honour to pray in ihram within the crowd and hear this beautiful recitation. Found the video and saved it asap.

    • @aniskhan8219
      @aniskhan8219 5 หลายเดือนก่อน +3

      Me too but I was inside the masjid .. beautiful recitation..

  • @ok.12321
    @ok.12321 6 หลายเดือนก่อน +12

    Sheikh Giving 1424/1425 vibes ❤😍

  • @HabiburRahman-rs3qu
    @HabiburRahman-rs3qu 6 หลายเดือนก่อน +1

    Excellent and heart touching recitation of holy Quran by Sheikh Dossary. Ma SHA Allah subhan Allah. May Allah bless you and your family members. Ameen summa ameen ya Rabbal alameen.

  • @akilanana8099
    @akilanana8099 6 หลายเดือนก่อน +13

    فواتح سورة طه 1 - 55

  • @Unknown-xg9vy
    @Unknown-xg9vy 3 หลายเดือนก่อน +1

    7:37

  • @Unknown-xg9vy
    @Unknown-xg9vy 6 หลายเดือนก่อน +2

    I really love this style of recitation from him. Hope he uses it more often

  • @alveerakhan7633
    @alveerakhan7633 6 หลายเดือนก่อน +1

    Assalamu Alaikum warahmatUllah wabarakatuhu
    Alhamdulillah
    Surah Ta Ha
    JAZALLAHU ANNA Muhammadan Sallalahu Alaihi Wassallam Ma HUWA AHLUHU
    Ya Allah please accept all the good deeds and bless success to Muslims especially those who have sincerely served Islam ameen
    Jazak Allah khairan kaseer
    Ya Allah please bless you all ameen
    Assalamu Alaikum warahmatUllah wabarakatuhu

  • @suleiyaji
    @suleiyaji 6 หลายเดือนก่อน +8

    Ma"Sha'allah,
    May the ALMIGHTY ALLAH continue to add more strength,more energy to our beloved Shaikh Yasir s health and preserve his Golden voice 🎉🎉🎉❤❤❤❤❤❤

  • @brightangle8608
    @brightangle8608 6 หลายเดือนก่อน +6

    20:1
    طه ١
    20:2
    مَآ أَنزَلْنَا عَلَيْكَ ٱلْقُرْءَانَ لِتَشْقَىٰٓ ٢
    20:3
    إِلَّا تَذْكِرَةًۭ لِّمَن يَخْشَىٰ ٣
    20:4
    تَنزِيلًۭا مِّمَّنْ خَلَقَ ٱلْأَرْضَ وَٱلسَّمَـٰوَٰتِ ٱلْعُلَى ٤
    20:5
    ٱلرَّحْمَـٰنُ عَلَى ٱلْعَرْشِ ٱسْتَوَىٰ ٥
    20:6
    لَهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَمَا تَحْتَ ٱلثَّرَىٰ ٦
    20:7
    وَإِن تَجْهَرْ بِٱلْقَوْلِ فَإِنَّهُۥ يَعْلَمُ ٱلسِّرَّ وَأَخْفَى ٧
    20:8
    ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ لَهُ ٱلْأَسْمَآءُ ٱلْحُسْنَىٰ ٨
    20:9
    وَهَلْ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ ٩
    20:10
    إِذْ رَءَا نَارًۭا فَقَالَ لِأَهْلِهِ ٱمْكُثُوٓا۟ إِنِّىٓ ءَانَسْتُ نَارًۭا لَّعَلِّىٓ ءَاتِيكُم مِّنْهَا بِقَبَسٍ أَوْ أَجِدُ عَلَى ٱلنَّارِ هُدًۭى ١٠
    20:11
    فَلَمَّآ أَتَىٰهَا نُودِىَ يَـٰمُوسَىٰٓ ١١
    20:12
    إِنِّىٓ أَنَا۠ رَبُّكَ فَٱخْلَعْ نَعْلَيْكَ ۖ إِنَّكَ بِٱلْوَادِ ٱلْمُقَدَّسِ طُوًۭى ١٢
    20:13
    وَأَنَا ٱخْتَرْتُكَ فَٱسْتَمِعْ لِمَا يُوحَىٰٓ ١٣
    20:14
    إِنَّنِىٓ أَنَا ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّآ أَنَا۠ فَٱعْبُدْنِى وَأَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ لِذِكْرِىٓ ١٤
    20:15
    إِنَّ ٱلسَّاعَةَ ءَاتِيَةٌ أَكَادُ أُخْفِيهَا لِتُجْزَىٰ كُلُّ نَفْسٍۭ بِمَا تَسْعَىٰ ١٥
    20:16
    فَلَا يَصُدَّنَّكَ عَنْهَا مَن لَّا يُؤْمِنُ بِهَا وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ فَتَرْدَىٰ ١٦
    20:17
    وَمَا تِلْكَ بِيَمِينِكَ يَـٰمُوسَىٰ ١٧
    20:18
    قَالَ هِىَ عَصَاىَ أَتَوَكَّؤُا۟ عَلَيْهَا وَأَهُشُّ بِهَا عَلَىٰ غَنَمِى وَلِىَ فِيهَا مَـَٔارِبُ أُخْرَىٰ ١٨
    20:19
    قَالَ أَلْقِهَا يَـٰمُوسَىٰ ١٩
    20:20
    فَأَلْقَىٰهَا فَإِذَا هِىَ حَيَّةٌۭ تَسْعَىٰ ٢٠
    20:21
    قَالَ خُذْهَا وَلَا تَخَفْ ۖ سَنُعِيدُهَا سِيرَتَهَا ٱلْأُولَىٰ ٢١
    20:22
    وَٱضْمُمْ يَدَكَ إِلَىٰ جَنَاحِكَ تَخْرُجْ بَيْضَآءَ مِنْ غَيْرِ سُوٓءٍ ءَايَةً أُخْرَىٰ ٢٢
    20:23
    لِنُرِيَكَ مِنْ ءَايَـٰتِنَا ٱلْكُبْرَى ٢٣
    20:24
    ٱذْهَبْ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ ٢٤
    20:25
    قَالَ رَبِّ ٱشْرَحْ لِى صَدْرِى ٢٥
    20:26
    وَيَسِّرْ لِىٓ أَمْرِى ٢٦
    20:27
    وَٱحْلُلْ عُقْدَةًۭ مِّن لِّسَانِى ٢٧
    20:28
    يَفْقَهُوا۟ قَوْلِى ٢٨
    20:29
    وَٱجْعَل لِّى وَزِيرًۭا مِّنْ أَهْلِى ٢٩
    20:30
    هَـٰرُونَ أَخِى ٣٠
    20:31
    ٱشْدُدْ بِهِۦٓ أَزْرِى ٣١
    20:32
    وَأَشْرِكْهُ فِىٓ أَمْرِى ٣٢
    20:33
    كَىْ نُسَبِّحَكَ كَثِيرًۭا ٣٣
    20:34
    وَنَذْكُرَكَ كَثِيرًا ٣٤
    20:35
    إِنَّكَ كُنتَ بِنَا بَصِيرًۭا ٣٥
    20:36
    قَالَ قَدْ أُوتِيتَ سُؤْلَكَ يَـٰمُوسَىٰ ٣٦
    20:37
    وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَيْكَ مَرَّةً أُخْرَىٰٓ ٣٧
    20:38
    إِذْ أَوْحَيْنَآ إِلَىٰٓ أُمِّكَ مَا يُوحَىٰٓ ٣٨
    20:39
    أَنِ ٱقْذِفِيهِ فِى ٱلتَّابُوتِ فَٱقْذِفِيهِ فِى ٱلْيَمِّ فَلْيُلْقِهِ ٱلْيَمُّ بِٱلسَّاحِلِ يَأْخُذْهُ عَدُوٌّۭ لِّى وَعَدُوٌّۭ لَّهُۥ ۚ وَأَلْقَيْتُ عَلَيْكَ مَحَبَّةًۭ مِّنِّى وَلِتُصْنَعَ عَلَىٰ عَيْنِىٓ ٣٩
    20:40
    إِذْ تَمْشِىٓ أُخْتُكَ فَتَقُولُ هَلْ أَدُلُّكُمْ عَلَىٰ مَن يَكْفُلُهُۥ ۖ فَرَجَعْنَـٰكَ إِلَىٰٓ أُمِّكَ كَىْ تَقَرَّ عَيْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ ۚ وَقَتَلْتَ نَفْسًۭا فَنَجَّيْنَـٰكَ مِنَ ٱلْغَمِّ وَفَتَنَّـٰكَ فُتُونًۭا ۚ فَلَبِثْتَ سِنِينَ فِىٓ أَهْلِ مَدْيَنَ ثُمَّ جِئْتَ عَلَىٰ قَدَرٍۢ يَـٰمُوسَىٰ ٤٠
    20:41
    وَٱصْطَنَعْتُكَ لِنَفْسِى ٤١
    20:42
    ٱذْهَبْ أَنتَ وَأَخُوكَ بِـَٔايَـٰتِى وَلَا تَنِيَا فِى ذِكْرِى ٤٢
    20:43
    ٱذْهَبَآ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ ٤٣
    20:44
    فَقُولَا لَهُۥ قَوْلًۭا لَّيِّنًۭا لَّعَلَّهُۥ يَتَذَكَّرُ أَوْ يَخْشَىٰ ٤٤
    20:45
    قَالَا رَبَّنَآ إِنَّنَا نَخَافُ أَن يَفْرُطَ عَلَيْنَآ أَوْ أَن يَطْغَىٰ ٤٥
    20:46
    قَالَ لَا تَخَافَآ ۖ إِنَّنِى مَعَكُمَآ أَسْمَعُ وَأَرَىٰ ٤٦
    20:47
    فَأْتِيَاهُ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولَا رَبِّكَ فَأَرْسِلْ مَعَنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ وَلَا تُعَذِّبْهُمْ ۖ قَدْ جِئْنَـٰكَ بِـَٔايَةٍۢ مِّن رَّبِّكَ ۖ وَٱلسَّلَـٰمُ عَلَىٰ مَنِ ٱتَّبَعَ ٱلْهُدَىٰٓ ٤٧
    20:48
    إِنَّا قَدْ أُوحِىَ إِلَيْنَآ أَنَّ ٱلْعَذَابَ عَلَىٰ مَن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ ٤٨
    20:49
    قَالَ فَمَن رَّبُّكُمَا يَـٰمُوسَىٰ ٤٩
    20:50
    قَالَ رَبُّنَا ٱلَّذِىٓ أَعْطَىٰ كُلَّ شَىْءٍ خَلْقَهُۥ ثُمَّ هَدَىٰ ٥٠
    20:51
    قَالَ فَمَا بَالُ ٱلْقُرُونِ ٱلْأُولَىٰ ٥١
    20:52
    قَالَ عِلْمُهَا عِندَ رَبِّى فِى كِتَـٰبٍۢ ۖ لَّا يَضِلُّ رَبِّى وَلَا يَنسَى ٥٢
    20:53
    ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ مَهْدًۭا وَسَلَكَ لَكُمْ فِيهَا سُبُلًۭا وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَأَخْرَجْنَا بِهِۦٓ أَزْوَٰجًۭا مِّن نَّبَاتٍۢ شَتَّىٰ ٥٣
    20:54
    كُلُوا۟ وَٱرْعَوْا۟ أَنْعَـٰمَكُمْ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍۢ لِّأُو۟لِى ٱلنُّهَىٰ ٥٤
    20:55
    ۞ مِنْهَا خَلَقْنَـٰكُمْ وَفِيهَا نُعِيدُكُمْ وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً أُخْرَىٰ ٥٥

  • @umairawan7199
    @umairawan7199 6 หลายเดือนก่อน +1

    ❤ لا اله إلا الله ❤️
    🌴 سبحان الله والحمدالله ولا اله إلا الله والله أكبر 🌴

  • @MalangSano-y7w
    @MalangSano-y7w 6 หลายเดือนก่อน +1

    Salla Allahu aleyhi wa salam ❤

  • @shakhaoathpappu8196
    @shakhaoathpappu8196 6 หลายเดือนก่อน +3

    Ma-Sha-Allah,,, ❤❤❤🇧🇩🇧🇩

  • @Easybook109
    @Easybook109 6 หลายเดือนก่อน +5

    Salam alaykoum warahmatullah wabarakatuhu mâcha ÂLLÂH BARAkALLAHOFIKOM Chokran 🤍

  • @saibsano4338
    @saibsano4338 6 หลายเดือนก่อน +1

    Mâcha Allah

  • @MalangSano-y7w
    @MalangSano-y7w 6 หลายเดือนก่อน +1

    Allah akhbar

  • @brightangle8608
    @brightangle8608 6 หลายเดือนก่อน +3

    20:1
    ता, हा।
    20:2
    हमने आपपर यह क़ुरआन इसलिए नहीं अवतरित किया कि आप कष्ट में पड़ जाएँ।
    20:3
    परंतु उसकी याददहानी (नसीहत) के लिए, जो डरता है।
    20:4
    उसकी ओर से उतारा हुआ है, जिसने पृथ्वी और ऊँचे आकाशों को बनाया।।
    20:5
    वह रहमान (अत्यंत दयावान् अल्लाह) अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ।
    20:6
    उसी का है, जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है और जो उन दोनों के बीच है तथा जो गीली मिट्टी के नीचे है।
    20:7
    यदि तुम उच्च स्वर में बात करो, तो वह गुप्त और उससे भी अधिक गुप्त बात को जानता है।
    20:8
    अल्लाह वह है जिसके सिवा कोई पूज्य नहीं, सबसे अच्छे नाम उसी के हैं।
    20:9
    और क्या (ऐ नबी!) आपके पास मूसा की ख़बर पहुँची?
    20:10
    जब उसने एक आग देखी, तो अपने घरवालों से कहा : ठहरो, निःसंदेह मैंने एक आग देखी है, शायद मैं तुम्हारे पास उससे कोई अंगार लाे आऊँ, अथवा उस आग पर कोई मार्गदर्शन पा लूँ।
    20:11
    फिर जब वह उसके पास आया तो उसे आवाज़ दी गई : ऐ मूसा!
    20:12
    निःसंदेह मैं ही तेरा पालनहार हूँ, अतः अपने दोनों जूते उतार दे, निःसंदेह तू पवित्र वादी “तुवा” में है।
    20:13
    और मैंने तुझे चुन लिया है। अतः ध्यान से सुन, जो वह़्य की जा रही है।
    20:14
    निःसंदेह मैं ही अल्लाह हूँ, मेरे सिवा कोई पूज्य नहीं, तो मेरी ही इबादत कर तथा मेरे स्मरण (याद) के लिए नमाज़ स्थापित कर।
    20:15
    निश्चय क़ियामत आने वाली है, मैं क़रीब हूँ कि उसे छिपाकर रखूँ। ताकि प्रत्येक प्राणी को उसका बदला दिया जाए, जो वह प्रयास करता है।
    20:16
    अतः तुझे उससे वह व्यक्ति कहीं रोक न दे, जो उसपर ईमान (विश्वास) नहीं रखता और अपनी इच्छा के पालन में लगा है, अन्यथा तेरा नाश हो जाएगा।
    20:17
    और ऐ मूसा! यह तेरे दाहिने हाथ में क्या है?
    20:18
    उसने कहा : यह मेरी लाठी है। मैं इसपर टेक लगाता हूँ और इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और मेरे लिए इसमें और भी कई ज़रूरतें हैं।
    20:19
    फरमाया : इसे फेंक दे, ऐ मूसा!
    20:20
    तो उसने उसे फेंक दिया और सहसा वह एक साँप था, जो दोड़ रहा था।
    20:21
    फरमाया : इसे पकड़ ले और डर मत, जल्द ही हम इसे इसकी प्रथम स्थिति में लौटा देंगे।
    20:22
    और अपना हाथ अपनी कांख (बग़ल) की ओर लगा दे, वह बिना किसी दोष के सफेद (चमकता हुआ) निकलेगा, जबकि यह एक और निशानी है।
    20:23
    ताकि हम तुझे अपनी कुछ बड़ी निशानियाँ दिखाएँ।
    20:24
    फ़िरऔन के पास जा, निश्चय वह सरकश हो गया है।
    20:25
    उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मेरे लिए मेरा सीना खोल दे।
    20:26
    तथा मेरे लिए मेरा काम सरल कर दे।
    20:27
    और मेरी ज़बान की गाँठ खोल दे।
    20:28
    ताकि वे मेरी बात समझ लें।
    20:29
    तथा मेरे लिए मेरे अपने घरवालों में से एक सहायकबना दे।
    20:30
    हारून को, जो मेरा भाई है।
    20:31
    उसके साथ मेरी पीठ मज़बूत़ कर दे।

    • @brightangle8608
      @brightangle8608 6 หลายเดือนก่อน

      20:32
      और उसे मेरे काम में शरीक कर दे।
      20:33
      ताकि हम तेरी बहुत ज़्यादा पवित्रता बयान करें।
      20:34
      तथा हम तुझे बहुत ज़्यादा याद करें।
      20:35
      निःसंदेह तू हमेशा हमारी स्थिति को भली प्रकार देखने वाला है।
      20:36
      फरमाया : निःसंदेह तुझे दिया गया जो तूने माँगा, ऐ मूसा!
      20:37
      और निश्चय ही हमने तुझपर एक और बार भी उपकार किया।
      20:38
      जब हमने तेरी माँ की ओर वह़्य की, जो वह़्य की जाती थी।
      20:39
      यह कि तू इसे ताबूत (संदूक़) में रख दे, फिर उसे नदी में डाल दे, फिर नदी उसे किनारे पर डाल दे, उसे मेरा एक शत्रु और उसका शत्रु उठा लेगा और मैंने तुझपर अपनी ओर से एक प्रेम डाल दिया और ताकि तेरा पालन-पोषण मेरी आँखों के सामने किया जाए।
      20:40
      जब तेरी बहन चल रही थी और कह रही थी : क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ, जो इसका पालन-पोषण करे? फिर हमने तुझे तेरी माँ के पास लौटा दिया, ताकि उसकी आँख ठंडी हो और वह शोक न करे। तथा तूने एक आदमी को मार डाला, तो हमने तुझे दुःखसे बचा लिया और हमने तुम्हारी अच्छी तरह से परीक्षा ली। फिर तू कई वर्ष मदयन वालों के बीच ठहरा रहा, फिर तू एक निश्चित अनुमान पर आया, ऐ मूसा!
      20:41
      और मैंने तुझे विशेष रूप से अपने लिए बनाया है।
      20:42
      तू और तेरा भाई मेरी निशानियाँ लेकर जाओ और मुझे याद करने में आलस्य न करो।
      20:43
      तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ, निःसंदेह वह सरकश हो गया है।
      20:44
      तो उससे कोमल बात करो, आशा है कि वह उपदेश ग्रहण करे, या (अल्लाह से) डर जाए।
      20:45
      दोनों ने कहा : ऐ हमारे पालनहार! निश्चय ह डरते हैं कि वह हमपर अत्याचार करेगा, या हद से बढ़ जाएगा।
      20:46
      फरमाया : डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ, सब कुछ सुन रहा हूँ और सब कुछ देख रहा हूँ।
      20:47
      अतः तुम दोनों उसके पास जाओ और कहो : हम तेरे पालनहार के रसूल हैं। अतः तू हमारे साथ बनी इसराईल को भेज दे और उन्हें यातना न दे, निश्चय हम तेरे पास तेरे पालनहार की ओर से एक निशानी लेकर आए हैं और सलामती है उसके लिए, जो मार्गदर्शन का अनुसरण करे।
      20:48
      निःसंदेह हमारी ओर वह़्य (प्रकाशना) की गई है कि निश्चय ही यातना उसके लिए है, जिसने झुठलाया और मुँह फेरा।
      20:49
      उसने कहा : तुम दोनों का पालनहार कौन है, ऐ मूसा!?
      20:50
      (मूसा ने) कहा : हमारा पालनहार वह है, जिसने हर चीज़ को उसका आकार और रूप दिया, फिर रास्ता दिखाया।
      20:51
      उसने कहा : अच्छा, तो पहले ज़माने के लोगों का क्या हाल है?
      20:52
      (मूसा ने) कहा : उनका ज्ञान मेरे रब के पास एक किताब में है, मेरा रब न भटकता है और न भूलता है।
      20:53
      वही है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को बिछौना बनाया और उसमें तुम्हारे लिए रास्ते बनाए और आसमान से कुछ पानी उतारा, फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न पौधों की कई क़िस्में निकालीं।
      20:54
      खाओ और अपने चौपायों को चराओ, निःसंदेह इसमें बुद्धि वाले लोगों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ हैं।
      20:55
      इसी से हमने तुम्हें पैदा किया और इसी में हम तुम्हें लौटाएँगे और इसी से हम तुम्हें एक बार फिर निकालेंगे।

  • @kashifiqbal9298
    @kashifiqbal9298 6 หลายเดือนก่อน +1

    Mashallah subhan allah ❤old vibes

  • @brightangle8608
    @brightangle8608 6 หลายเดือนก่อน +4

    20:1
    طٰہٰ.
    20:2
    ہم نے یہ قرآن تجھ پر اس لئے نہیں اتارا کہ تو مشقت میں پڑ جائے.
    20:3
    بلکہ اس کی نصیحت کے لئے جو اللہ سے ڈرتا ہے.
    20:4
    اس کا اتارنا اس کی طرف سے ہے جس نے زمین کو اور بلند آسمانوں کو پیدا کیا ہے.
    20:5
    جو رحمٰن ہے، عرش پر قائم ہے.
    20:6
    جس کی ملکیت آسمانوں اور زمین اور ان دونوں کے درمیان اور (کرہٴ خاک) کے نیچے کی ہر ایک چیز پر ہے.
    20:7
    اگر تو اونچی بات کہے تو وه تو ہر ایک پوشیده، بلکہ پوشیده سے پوشیده تر چیز کو بھی بخوبی جانتا ہے.
    20:8
    وہی اللہ ہے جس کے سوا کوئی معبود نہیں، بہترین نام اسی کے ہیں.
    20:9
    تجھے موسیٰ (علیہ السلام) کا قصہ بھی معلوم ہے؟
    20:10
    جبکہ اس نے آگ دیکھ کر اپنے گھر والوں سے کہا کہ تم ذرا سی دیر ٹھہر جاؤ مجھے آگ دکھائی دی ہے۔ بہت ممکن ہے کہ میں اس کا کوئی انگارا تمہارے پاس ﻻؤں یا آگ کے پاس سے راستے کی اطلاع پاؤں.
    20:11
    جب وه وہاں پہنچے تو آواز دی گئی اے موسیٰ!
    20:12
    یقیناً میں ہی تیرا پروردگار ہوں تو اپنی جوتیاں اتار دے، کیونکہ تو پاک میدان طویٰ میں ہے.
    20:13
    اور میں نے تجھے منتخب کر لیا اب جو وحی کی جائے اسے کان لگا کر سن.
    20:14
    بیشک میں ہی اللہ ہوں، میرے سوا عبادت کے ﻻئق اور کوئی نہیں پس تو میری ہی عبادت کر، اور میری یاد کے لئے نماز قائم رکھ.
    20:15
    قیامت یقیناً آنے والی ہے جسے میں پوشیده رکھنا چاہتا ہوں تاکہ ہر شخص کو وه بدلہ دیا جائے جو اس نے کوشش کی ہو.
    20:16
    پس اب اس کے یقین سے تجھے کوئی ایسا شخص روک نہ دے جو اس پر ایمان نہ رکھتا ہو اور اپنی خواہش کے پیچھے پڑا ہو، ورنہ تو ہلاک ہوجائے گا.
    20:17
    اے موسیٰ! تیرے اس دائیں ہاتھ میں کیا ہے؟
    20:18
    جواب دیا کہ یہ میری ﻻٹھی ہے، جس پر میں ٹیک لگاتا ہوں اور جس سے میں اپنی بکریوں کے لئے پتے جھاڑ لیا کرتا ہوں اور بھی اس میں مجھے بہت سے فائدے ہیں.
    20:19
    فرمایا اے موسیٰ! اسے ہاتھ سے نیچے ڈال دے.
    20:20
    ڈالتے ہی وه سانﭗ بن کر دوڑنے لگی
    20:21
    فرمایا بے خوف ہو کر اسے پکڑ لے، ہم اسے اسی پہلی سی صورت میں دوباره ﻻ دیں گے.
    20:22
    اور اپنا ہاتھ اپنی بغل میں ڈال لے تو وه سفید چمکتا ہوا ہو کر نکلے گا، لیکن بغیر کسی عیب (اور روگ) کے یہ دوسرا معجزه ہے.
    20:23
    یہ اس لئے کہ ہم تجھے اپنی بڑی بڑی نشانیاں دکھانا چاہتے ہیں.
    20:24
    اب تو فرعون کی طرف جا اس نے بڑی سرکشی مچا رکھی ہے.
    20:25
    موسیٰ (علیہ السلام) نے کہا اے میرے پروردگار! میرا سینہ میرے لئے کھول دے.
    20:26
    اور میرے کام کو مجھ پر آسان کر دے.
    20:27
    اور میری زبان کی گره بھی کھول دے.
    20:28
    تاکہ لوگ میری بات اچھی طرح سمجھ سکیں.
    20:29
    اور میرا وزیر میرے کنبے میں سے کر دے.
    20:30
    یعنی میرے بھائی ہارون (علیہ السلام) کو.
    20:31
    تو اس سے میری کمر کس دے.
    20:32
    اور اسے میرا شریک کار کر دے.
    20:33
    تاکہ ہم دونوں بکثرت تیری تسبیح بیان کریں.
    20:34
    اور بکثرت تیری یاد کریں.
    20:35
    بیشک تو ہمیں خوب دیکھنے بھالنے واﻻ ہے.
    20:36
    جناب باری تعالیٰ نے فرمایا موسیٰ تیرے تمام سواﻻت پورے کر دیئے گئے.
    20:37
    ہم نے تو تجھ پرایک بار اور بھی بڑا احسان کیا ہے.
    20:38
    جبکہ ہم نے تیری ماں کو وه الہام کیا جس کا ذکر اب کیا جا رہا ہے.
    20:39
    کہ تو اسے صندوق میں بند کرکے دریا میں چھوڑ دے، پس دریا اسے کنارے ﻻ ڈالے گا اور میرا اور خود اس کا دشمن اسے لے لے گا، اور میں نے اپنی طرف کی خاص محبت ومقبولیت تجھ پر ڈال دی۔ تاکہ تیری پرورش میری آنکھوں کے سامنے کی جائے.
    20:40
    (یاد کر) جبکہ تیری بہن چل رہی تھی اور کہہ رہی تھی کہ اگر تم کہو تو میں اسے بتا دوں جو اس کی نگہبانی کرے، اس تدبیر سے ہم نے تجھے پھر تیری ماں کے پاس پہنچایا کہ اس کی آنکھیں ٹھنڈی رہیں اور وه غمگین نہ ہو۔ اور تو نے ایک شخص کو مار ڈاﻻ تھا اس پر بھی ہم نے تجھے غم سے بچا لیا، غرض ہم نے تجھے اچھی طرح آزما لیا۔ پھر تو کئی سال تک مدین کے لوگوں میں ٹھہرا رہا، پھر تقدیر الٰہی کے مطابق اے موسیٰ! تو آیا.
    20:41
    اور میں نے تجھے خاص اپنی ذات کے لئے پسند فرما لیا.
    20:42
    اب تو اپنے بھائی سمیت میری نشانیاں ہمراه لئے ہوئے جا، اور خبردار میرے ذکر میں سستی نہ کرنا.
    20:43
    تم دونوں فرعون کے پاس جاؤ اس نے بڑی سرکشی کی ہے.
    20:44
    اسے نرمی سے سمجھاؤ کہ شاید وه سمجھ لے یا ڈر جائے.
    20:45
    دونوں نے کہا اے ہمارے رب! ہمیں خوف ہے کہ کہیں فرعون ہم پر کوئی زیادتی نہ کرے یا اپنی سرکشی میں بڑھ نہ جائے.
    20:46
    جواب ملا کہ تم مطلقاً خوف نہ کرو میں تمہارے ساتھ ہوں اور سنتا دیکھتا رہوں گا.
    20:47
    تم اس کے پاس جا کر کہو کہ ہم تیرے پروردگار کے پیغمبر ہیں تو ہمارے ساتھ بنی اسرائیل کو بھیج دے، ان کی سزائیں موقوف کر۔ ہم تو تیرے پاس تیرے رب کی طرف سے نشانی لے کر آئے ہیں اور سلامتی اسی کے لئے ہے جو ہدایت کا پابند ہو جائے.
    20:48
    ہماری طرف وحی کی گئی ہے کہ جو جھٹلائے اور روگردانی کرے اس کے لئے عذاب ہے.
    20:49
    فرعون نے پوچھا کہ اے موسیٰ تم دونوں کا رب کون ہے؟
    20:50
    جواب دیا کہ ہمارا رب وه ہے جس نے ہر ایک کو اس کی خاص صورت، شکل عنایت فرمائی پھر راه سجھا دی.
    20:51
    اس نے کہا اچھا یہ تو بتاؤ اگلے زمانے والوں کا حال کیا ہونا ہے.
    20:52
    جواب دیا کہ ان کا علم میرے رب کے ہاں کتاب میں موجود ہے، نہ تو میرا رب غلطی کرتا ہے نہ بھولتا ہے.
    20:53
    اسی نے تمہارے لئے زمین کو فرش بنایا ہے اور اس میں تمہارے چلنے کے لئے راستے بنائے ہیں اور آسمان سے پانی بھی وہی برساتا ہے، پھر اس برسات کی وجہ سے مختلف قسم کی پیداوار بھی ہم ہی پیدا کرتے ہیں.
    20:54
    تم خود کھاؤ اور اپنے چوپایوں کو بھی چراؤ۔ کچھ شک نہیں کہ اس میں عقلمندوں کے لئے بہت سی نشانیاں ہیں.
    20:55
    اسی زمین میں سے ہم نے تمہیں پیدا کیا اور اسی میں پھر واپس لوٹائیں گے اور اسی سے پھر دوباره تم سب کو نکال کھڑا کریں گے.

  • @brightangle8608
    @brightangle8608 6 หลายเดือนก่อน +4

    20:1
    Ṭā, Hā.
    20:2
    We have not sent down to you the Qur’ān that you be distressed
    20:3
    But only as a reminder for those who fear [Allāh] -
    20:4
    A revelation from He who created the earth and highest heavens,
    20:5
    The Most Merciful [who is] above the Throne established.
    20:6
    To Him belongs what is in the heavens and what is on the earth and what is between them and what is under the soil.
    20:7
    And if you speak aloud - then indeed, He knows the secret and what is [even] more hidden.
    20:8
    Allāh - there is no deity except Him. To Him belong the best names.
    20:9
    And has the story of Moses reached you? -
    20:10
    When he saw a fire and said to his family, "Stay here; indeed, I have perceived a fire; perhaps I can bring you a torch or find at the fire some guidance."
    20:11
    And when he came to it, he was called, "O Moses,
    20:12
    Indeed, I am your Lord, so remove your sandals. Indeed, you are in the blessed valley of Ṭuwā.
    20:13
    And I have chosen you, so listen to what is revealed [to you].
    20:14
    Indeed, I am Allāh. There is no deity except Me, so worship Me and establish prayer for My remembrance.
    20:15
    Indeed, the Hour is coming - I almost conceal it - so that every soul may be recompensed according to that for which it strives.
    20:16
    So do not let one avert you from it who does not believe in it and follows his desire, for you [then] would perish.
    20:17
    And what is that in your right hand, O Moses?"
    20:18
    He said, "It is my staff; I lean upon it, and I bring down leaves for my sheep and I have therein other uses."
    20:19
    [Allāh] said, "Throw it down, O Moses."
    20:20
    So he threw it down, and thereupon it was a snake, moving swiftly.
    20:21
    [Allāh] said, "Seize it and fear not; We will return it to its former condition.
    20:22
    And draw in your hand to your side; it will come out white without disease - another sign,
    20:23
    That We may show you [some] of Our greater signs.
    20:24
    Go to Pharaoh. Indeed, he has transgressed [i.e., tyrannized]."
    20:25
    [Moses] said, "My Lord, expand [i.e., relax] for me my breast [with assurance]
    20:26
    And ease for me my task
    20:27
    And untie the knot from my tongue
    20:28
    That they may understand my speech.
    20:29
    And appoint for me a minister [i.e., assistant] from my family -
    20:30
    Aaron, my brother.
    20:31
    Increase through him my strength
    20:32
    And let him share my task
    20:33
    That we may exalt You much
    20:34
    And remember You much.
    20:35
    Indeed, You are of us ever Seeing."
    20:36
    [Allāh] said, "You have been granted your request, O Moses.
    20:37
    And We had already conferred favor upon you another time,
    20:38
    When We inspired to your mother what We inspired,
    20:39
    [Saying], 'Cast him into the chest and cast it into the river, and the river will throw it onto the bank; there will take him an enemy to Me and an enemy to him.' And I bestowed upon you love from Me that you would be brought up under My eye [i.e., observation and care].
    20:40
    [And We favored you] when your sister went and said, 'Shall I direct you to someone who will be responsible for him?' So We restored you to your mother that she might be content and not grieve. And you killed someone, but We saved you from retaliation and tried you with a [severe] trial. And you remained [some] years among the people of Madyan. Then you came [here] at the decreed time, O Moses.
    20:41
    And I produced you for Myself.
    20:42
    Go, you and your brother, with My signs and do not slacken in My remembrance.
    20:43
    Go, both of you, to Pharaoh. Indeed, he has transgressed.
    20:44
    And speak to him with gentle speech that perhaps he may be reminded or fear [Allāh]."
    20:45
    They said, "Our Lord, indeed we are afraid that he will hasten [punishment] against us or that he will transgress."
    20:46
    [Allāh] said, "Fear not. Indeed, I am with you both; I hear and I see.
    20:47
    So go to him and say, 'Indeed, we are messengers of your Lord, so send with us the Children of Israel and do not torment them. We have come to you with a sign from your Lord. And peace will be upon he who follows the guidance.
    20:48
    Indeed, it has been revealed to us that the punishment will be upon whoever denies and turns away.'"
    20:49
    [Pharaoh] said, "So who is the Lord of you two, O Moses?"
    20:50
    He said, "Our Lord is He who gave each thing its form and then guided [it]."
    20:51
    [Pharaoh] said, "Then what is the case of the former generations?"
    20:52
    [Moses] said, "The knowledge thereof is with my Lord in a record. My Lord neither errs nor forgets."
    20:53
    [It is He] who has made for you the earth as a bed [spread out] and inserted therein for you roadways and sent down from the sky, rain and produced thereby categories of various plants.
    20:54
    Eat [therefrom] and pasture your livestock. Indeed in that are signs for those of intelligence.
    20:55
    From it [i.e., the earth] We created you, and into it We will return you, and from it We will extract you another time.

  • @Aafiakaleemullah
    @Aafiakaleemullah 6 หลายเดือนก่อน +2

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  • @TasnimAhad-mq2dm
    @TasnimAhad-mq2dm 6 หลายเดือนก่อน +2

    Alhamdulillah ❤❤❤

  • @MohammedSurtee
    @MohammedSurtee 6 หลายเดือนก่อน +1

  • @identityofallah
    @identityofallah 6 หลายเดือนก่อน +2

    Allah Almighty Exalted Above the heaven
    Above His 'Arsh: (Above The Greatest Throne),
    Everything is under His knowledge, control & vision.
    All praise belongs to Allah Alone
    All power and all dominion.
    Allah created every existing being,
    Allah is Not like any created thing.
    Our Lord is Allah SWT. There is no 'True God' / 'True Ilah except Allah. Allah is Exalted Above ‘Arsh, above the heaven. Holy Qur'an is Allah's Word and final revelation for mankind. Allah is the One and Unique True Deity'. None is worthy of worship except Allah. Muhammad PBUH is Allah's servant and messenger.♥♥♥ ...///////////////////////////

  • @sadoubarry1356
    @sadoubarry1356 6 หลายเดือนก่อน +1

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