बीरसु ठाणी की कहानी।। यह बहुत प्राचीन कालीन बात है। उस समय के तात्कालीन दिल्ली के राजा को कहीं से पता चला पहाड़ी क्षेत्रों में कोई महासू नाम के चमत्कारी देवता पूजे जाते है। यह सुनकर राजा हैरान था और वो महासू महाराज का उपहास उड़ानें लगा। यह बात महासू महाराज को अच्छी न लगी, फिर क्या था महाराज ने दिल्ली जानें की हट्ठ पकड ली। लेकिन इतना दूर पैदल जाना लोगों के लिए संभव नहीं था । समय बीतता रहा फिर एक एसा समय आया जब टोंस नदी उफान में थी और चार ख़त कठमाण में प्रति वर्ष हनोल अनाज ले जानें की प्रथा थी उस वर्ष मंगटाड़ गांव दिल्याईक के बिरसू ठाणी की बारी थी तो वह अनाज ले के हनोल गया। जब वह वापस आनें लगा तो महासू महाराज बोले कि ख़त भरम में डोरिया पूजा हेतु जा रहा है किंतु जब तूम उधर जा ही रहे हो तो डोरिया तुम ही ले जाओ। यह सुनकर बिरसू ठाणी डोरीया समेत चलते चलते त्यूणी पहुंच गया व टोंस नदी पार करनें के लिए रस्सी का • प्रयोग करने लगा उफनती नदी को पार करते हुए उसके हाथ से डोरिया गिर गया यह देख वह भी उसके पीछे नदी में कूद पड़ा लेकिन वह वीर गती को प्राप्त हुआ और वह डोरिया भी तत् पश्चात किसी को नहीं मिला | डोरिया टोंस नदी से होता हुआ यमुना नदी में जा.पहुंचा जहाँ से वह दिल्ली पहुंच गया। दिल्ली में वह एक मछुआरे के हाथ लगा, मछुआरे को लगा इतनी कीमती चीज़ तो राजा की होगी। वह मछुवारा उसे लेकर राजमहल गया व डोरिया राजा को दे दिया। राजा नें डोरीया महल में रखवा दिया। समय बीतने के साथ.राजा के साथ कुछ अजीबो गरीब घटनाएं.होनें लगी जैसा की गानें में भी कहा गया है कि (चार भाई महासू कोरों ला रागो।। छापरो बाछुडू बाशो ओबरे दे बाघों )। यानी छत व आंगन से गाय के बछड़े की आवाज़ आना व • गौशाला से शेर की आवाज़ों का आना आदि। जब इन सब से महाराजा बहुत परेशान हो दे गया व उसे कोई समाधान नहीं मिला तो एक रात उसे सपने में महासू महाराज के दर्शन हुए व महाराज ने उस से कहा कि तू तो राजा है व बहुत ही शक्तिशाली है तो अपनी इस समस्या का समाधान करने में असमर्थ क्यों है? यह सुन कर राजा को प्रतीत हुआ कि ये सब कुछ महाराज के कारण ही हो रहा है.व वो महाराज से माफी मांगने लगा। फिर.महाराज नें कहा कि तुमनें मेरा मजाक उड़ाया था क्योंकि तुम एक राजा हो व धनवान हो। अतः इसी घमंड के कारण तुम मेरे देव दोश के शिकार हुए व अब तुम सोनें के चावल भर के ये डोरिया खुद पैदल चलकर हनोल पहुंचा देना। तब राजा डोरिया लेकर हनोल आया। समय बीतता रहा अब लोग महासू महाराज के उपर उंगली उठाने लगे कि महासू महाराज ने बिरसू को क्यों नहीं बचाया। फिर महासू महाराज ने कहा कि वह उसका काल का समय था लेकिन आज से मेरे साथ बिरसु की मूर्ति हमेशा रहेगी। जब मेरी प्रार्थना होगी तो बिरसु को भी हमेशा याद किया जाएगा और वह एक तरह से पूजनीय व अमर होगा। अतः तभी से ही कहा जाता है तू_भरमे_ना_जाए_बिरसूआ । तू_भरमे_ना_जाए_बिरसूआ ।। #MahasuDevta
बिरसु ठानी ग्राम -मंगटाड, खत -मशक, कंडमाण छेत्र का निवासी था, और बिरसु छत्रधारी चालदा महासू के साथ है, तो कायदे से बिरसु गीत इनके साथ लगता है, लेकिन समय के साथ कही भी देवताओ के साथ बिरसु लगा देते है आजकल.. जो सही बिरसु है वो आपको महाराज के ड़ड़वारी होते है उनसे सुनने को मिलता है, उनके पास सही इतिहास मिलता है, लेकिन आजकल महासू छेत्र में सब ने अपने तरीके से गा रखा है कुछ भी.. धन्यवाद
लायक राम शर्मा जी शिलाय वाले पुराने कलाकार प्र तित होते हैं । ऐसे कलाकार का सादर प्रणाम । ऐसे पुराने शिक्षित कलाकार हमारे पहाड़ी संस्कृति के संरक्षक एवं हमारे धरोवर हैं ।🎉🎉🎉
बहुत ही शानदार ऐसे कलाकर से सही अपने संस्कृति अनुसार real बगैर किसी अन्य किसी सारे झूरी, छढे ,सारे पौराणिक गाने , हारुल, व सभी real गाने रिकॉड करने चाहिये।
कोटि कोटि नमन आपको नाना श्री आपने इतनी उम्र में भी हमारी संस्कृति को संजोए रखा है हम दिल की गहराई से आपका धन्यवाद करते हैं जो आपने हमे संगीत के प्रेमी के बीच इतना कुछ दिया ♥️ कृपया मुझे हारूल वाली पुस्तक का नाम बताए
कृप्या गलत जानकारी साझा न करे बिरसू ठाणी (ग्राम- मंगटॉड , ख़त -मशक ) महासू महाराज के लिए कुत दिया जाता था प्रत्येक गावों से तो उस कुत को नापा जाता था जो महासू महाराज का सुल्हा था उस से और उसको नापने का कार्य महाराज के ठानी द्वारा किया जाता था जिन ठानियों मे से बिरसु एक थे ! ज़ब वो कुत जमा करने ख़त देवघॉर मे प्रवेश कर रहे थे तोह उस समय त्यूणी मे पुल नहीं हुआ करता था एक तार मे रस्सी लगी होती थी उसके सहारे नदी पार करनी होती थी ज़ब बिरसु ठानी नदी पार कर रहे थे तो रस्सी के टूट जाने के कारण वो महासू महाराज के सुल्हा समेत नदी मे जा गिरे वो खुद तो महाराज की किरपा से बच निकले लेकिन जो उनका सुल्हा था वो टोंस नदी मे बहते बहते जहाँ पर टोंस नदी का पानी यमुना नदी मे मिलता है वहाँ तक और वहाँ से यमुना नदी मे बहते हुए दिल्ली जा पहुंचा वहाँ सुल्हा मछुवारों के हाथ लगा तो ज़ब तक मछुवारे के पास था तब तक उसे महासू देवता का दोष लगा दोष परेशान होकर उसने सुल्हा समकालीन मुग़ल राजा को दे दिया जिसे से उन्हें मे दोष की अनुभूति हुई (आपने वे लाइन सुनी होंगी *गायी सुई पंद्रह बाशटू दुई * अथार्त गाय तो 15 बियाही थी लेकिन बछर 2 ही थे ) और दूसरी लाइन सुनी होंगी फूलो ले फूलटू भाई फूलो ले क्वाशो राजे रे घरो दे भाई सुनगेटू बाशो अथार्थ राजा के घर मे सुवर के बच्चे की चिल्लाने की आवाज आती थी और भी कहानी बहुत कुछ है जिसकी पूरी जानकारी मुझे अच्छी तरह से नहीं है इसलिए मे साझा नहीं करना चाहता! आप लोगों से विनम्र निवेदन है जहाँ की घटना है वहाँ के लोगों से जानकारी ले फिर साझा करें वीडियो के लिए धन्यवाद
बीरसु ठाणी की कहानी।।
यह बहुत प्राचीन कालीन बात है। उस समय के तात्कालीन दिल्ली के राजा को कहीं से पता चला पहाड़ी क्षेत्रों में कोई महासू नाम के चमत्कारी देवता पूजे जाते है। यह सुनकर राजा हैरान था और वो महासू महाराज का उपहास उड़ानें लगा। यह बात महासू महाराज को अच्छी न लगी, फिर क्या था महाराज ने दिल्ली जानें की हट्ठ पकड ली। लेकिन इतना दूर पैदल जाना लोगों के लिए संभव नहीं था । समय बीतता रहा फिर एक एसा समय आया जब टोंस नदी उफान में थी और चार ख़त कठमाण में प्रति वर्ष हनोल अनाज ले जानें की प्रथा थी उस वर्ष मंगटाड़ गांव दिल्याईक के बिरसू ठाणी की बारी थी तो वह अनाज ले के हनोल गया। जब वह वापस आनें लगा तो महासू महाराज बोले कि ख़त भरम में डोरिया पूजा हेतु जा रहा है किंतु जब तूम उधर जा ही रहे हो तो डोरिया तुम ही ले जाओ। यह सुनकर बिरसू ठाणी डोरीया समेत चलते चलते त्यूणी पहुंच गया व टोंस नदी पार करनें के लिए रस्सी का • प्रयोग करने लगा उफनती नदी को पार करते हुए उसके हाथ से डोरिया गिर गया यह देख वह भी उसके पीछे नदी में कूद पड़ा लेकिन वह वीर गती को प्राप्त हुआ और वह डोरिया भी तत् पश्चात किसी को नहीं मिला | डोरिया टोंस नदी से होता हुआ यमुना नदी में जा.पहुंचा जहाँ से वह दिल्ली पहुंच गया। दिल्ली में वह एक मछुआरे के हाथ लगा, मछुआरे को लगा इतनी कीमती चीज़ तो राजा की होगी। वह मछुवारा उसे लेकर राजमहल गया व डोरिया राजा को दे दिया। राजा नें डोरीया महल में रखवा दिया। समय बीतने के साथ.राजा के साथ कुछ अजीबो गरीब घटनाएं.होनें लगी जैसा की गानें में भी कहा गया है कि (चार भाई महासू कोरों ला रागो।। छापरो बाछुडू बाशो ओबरे दे बाघों )। यानी छत व आंगन से गाय के बछड़े की आवाज़ आना व • गौशाला से शेर की आवाज़ों का आना आदि। जब इन सब से महाराजा बहुत परेशान हो दे गया व उसे कोई समाधान नहीं मिला तो एक रात उसे सपने में महासू महाराज के दर्शन हुए व महाराज ने उस से कहा कि तू तो राजा है व बहुत ही शक्तिशाली है तो अपनी इस समस्या का समाधान करने में असमर्थ क्यों है? यह सुन कर राजा को प्रतीत हुआ कि ये सब कुछ महाराज के कारण ही हो रहा है.व वो महाराज से माफी मांगने लगा। फिर.महाराज नें कहा कि तुमनें मेरा मजाक उड़ाया था क्योंकि तुम एक राजा हो व धनवान हो। अतः इसी घमंड के कारण तुम मेरे देव दोश के शिकार हुए व अब तुम सोनें के चावल भर के ये डोरिया खुद पैदल चलकर हनोल पहुंचा देना। तब राजा डोरिया लेकर हनोल आया। समय बीतता रहा अब लोग महासू महाराज के उपर उंगली उठाने लगे कि महासू महाराज ने बिरसू को क्यों नहीं बचाया। फिर महासू महाराज ने कहा कि वह उसका काल का समय था लेकिन आज से मेरे साथ बिरसु की मूर्ति हमेशा रहेगी। जब मेरी प्रार्थना होगी तो बिरसु को भी हमेशा याद किया जाएगा और वह एक तरह से पूजनीय व अमर होगा। अतः तभी से ही कहा जाता है तू_भरमे_ना_जाए_बिरसूआ ।
तू_भरमे_ना_जाए_बिरसूआ ।।
#MahasuDevta
सर् वीरान परिवार और महासू के संदर्भ में जानकारी हो तो सांझा करे।
आने वाली पीढियां आपकी ऋणी रहेगी भाई ,,आप संस्कृति के संरक्षक हो।
बिरसु ठानी ग्राम -मंगटाड, खत -मशक, कंडमाण छेत्र का निवासी था, और बिरसु छत्रधारी चालदा महासू के साथ है, तो कायदे से बिरसु गीत इनके साथ लगता है, लेकिन समय के साथ कही भी देवताओ के साथ बिरसु लगा देते है आजकल.. जो सही बिरसु है वो आपको महाराज के ड़ड़वारी होते है उनसे सुनने को मिलता है, उनके पास सही इतिहास मिलता है, लेकिन आजकल महासू छेत्र में सब ने अपने तरीके से गा रखा है कुछ भी.. धन्यवाद
भाई मैं बहुत ही उत्सुकता के साथ इस विरसू गाथा के बारे में जानना चाहता हूँ कहाँ सही सही इतिहास मिलेगा इस गाथा का विस्तार से।
@@landmaker1634 मैं भी मिलेगा तो भेज देना भाई
भाई वीरान परिवार औऱ महासू के बीच क्या संबंध है ,के बारे में जानकारी हो तो सांझा करे।
लायक राम शर्मा जी शिलाय वाले पुराने कलाकार प्र तित होते हैं । ऐसे कलाकार का सादर प्रणाम । ऐसे पुराने शिक्षित कलाकार हमारे पहाड़ी संस्कृति के संरक्षक एवं हमारे धरोवर हैं ।🎉🎉🎉
Well done Daleep vashist ji for bringing Layakram Sharma ji on plateform
Jai Mahasu Devta
🙏🙏
बहुत ही शानदार ऐसे कलाकर से सही अपने संस्कृति अनुसार real बगैर किसी अन्य किसी सारे झूरी, छढे ,सारे पौराणिक गाने , हारुल, व सभी real गाने रिकॉड करने चाहिये।
Aap jaise mahan shaks hi hamari sanskriti ki Virasat h
Aap ko mera koti koti pranam 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Pratap Singh Tomar
Village sainj. khatt bambthard
Chakrata uttrakhand
कोटि कोटि नमन आपको नाना श्री आपने इतनी उम्र में भी हमारी संस्कृति को संजोए रखा है हम दिल की गहराई से आपका धन्यवाद करते हैं जो आपने हमे संगीत के प्रेमी के बीच इतना कुछ दिया ♥️ कृपया मुझे हारूल वाली पुस्तक का नाम बताए
भोत आचार्य जी
सम्पूर्ण बिरसू की वीडियो बनाओ इनकी। पूरा बिरसू लगवाओ इनसे और इनकी वीडियो अपने चैनल पर डाल दो।
कृप्या गलत जानकारी साझा न करे
बिरसू ठाणी (ग्राम- मंगटॉड , ख़त -मशक ) महासू महाराज के लिए कुत दिया जाता था प्रत्येक गावों से तो उस कुत को नापा जाता था जो महासू महाराज का सुल्हा था उस से और उसको नापने का कार्य महाराज के ठानी द्वारा किया जाता था जिन ठानियों मे से बिरसु एक थे !
ज़ब वो कुत जमा करने ख़त देवघॉर मे प्रवेश कर रहे थे तोह उस समय त्यूणी मे पुल नहीं हुआ करता था एक तार मे रस्सी लगी होती थी उसके सहारे नदी पार करनी होती थी ज़ब बिरसु ठानी नदी पार कर रहे थे तो रस्सी के टूट जाने के कारण वो महासू महाराज के सुल्हा समेत नदी मे जा गिरे वो खुद तो महाराज की किरपा से बच निकले लेकिन जो उनका सुल्हा था वो टोंस नदी मे बहते बहते जहाँ पर टोंस नदी का पानी यमुना नदी मे मिलता है वहाँ तक और वहाँ से यमुना नदी मे बहते हुए दिल्ली जा पहुंचा वहाँ सुल्हा मछुवारों के हाथ लगा तो ज़ब तक मछुवारे के पास था तब तक उसे महासू देवता का दोष लगा दोष परेशान होकर उसने सुल्हा समकालीन मुग़ल राजा को दे दिया जिसे से उन्हें मे दोष की अनुभूति हुई (आपने वे लाइन सुनी होंगी *गायी सुई पंद्रह बाशटू दुई * अथार्त गाय तो 15 बियाही थी लेकिन बछर 2 ही थे ) और दूसरी लाइन सुनी होंगी फूलो ले फूलटू भाई फूलो ले क्वाशो राजे रे घरो दे भाई सुनगेटू बाशो अथार्थ राजा के घर मे सुवर के बच्चे की चिल्लाने की आवाज आती थी और भी कहानी बहुत कुछ है जिसकी पूरी जानकारी मुझे अच्छी तरह से नहीं है इसलिए मे साझा नहीं करना चाहता!
आप लोगों से विनम्र निवेदन है जहाँ की घटना है वहाँ के लोगों से जानकारी ले फिर साझा करें वीडियो के लिए धन्यवाद
Sukrad nhi...shidkudiya devta tha..or kaylu devta tha...birsu ko bacha liye
Bhai ji kaha se ho
Harul ki kitaab ka kya naam h
Jbrdust
Nice ❤️👍
मीनिंग bhaijji
Shir rangi lal man te h apna mama ko
Ye wala channel mko de do plz
👌👌
Yah book kha milega harul ki
Please send me in lyric
Bhabi ne ati sharma g
Guldar natiram negi ko kyu bola jata h is par thoda prakash dala jaye🙏
Nathram नेगी उस समय का बलवान आदमी था