🙏🙏🙏I have always seen that you keep giving various ways of experiment or prayog and it is worth trying and it takes one more and more towards awareness and consciousness
Appsulatelye !!!!!!! Right !!!!!! Sarvsresdtha ,senstics !!!!! Indriya (Aankh hi hai !!!!! ) ,iska !!!!Empaict !!! !!!!! Bahut Aadhik !!!!! Life !!! Me padta hai That's it !!!!!!!.....Thank to you !!!! (Ma !!!!!!!!!!!!!!...... t.c !!!!!!!!! ..).. ..
आप youtube thumbnail ka प्रयोग kijiye और वीडियो एडिटिंग ऐप का भी प्रयोग कीजिए। वीडियो में स्क्रीन का 16:9 ratio का इस्तेमाल कीजिए। बहन आपकी वाणी हृदय से निकलती है, निश्छल मन आपकी बाते अमूल्य है। ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचनी चाहिए।
कथन उचित है उर्वशी परंतु यह बात समझो पूर्व की बाकि इंद्रियों का प्रयोग तभी हो सकता है जब तुमने खुद को एक दृष्टा का रूप में स्थापित कर लिया हो या कहा जाये की तुम जानते हो की हम केवल एक दृष्टा हैं ।। कर्ण से अनहद नाद , गंध से परमात्मा की सुगंध और स्पर्श से परमात्मा का स्पर्श जो की कोमल हो यह तभी संभव है जब तुम्हारी दृष्टि या यूँ कहो विचार अपने आज्ञा चक्र के माध्यम से उस सत्य में स्थित हो ।। जब तक तुम्हारी दृष्टि नही स्थिर होगी तुम्हारे लिए अन्य इंद्रियों के माध्यम से जाना दुर्गम है ।। गीता में कृष्ण ने अर्जुन को दिव्य चक्षु प्रदान इसी उदेश्य से किया की पहले मन को स्थिर करके परमात्मा की ओर देखो फिर परमात्मा के अस्तित्व का आभास बाकि इंद्रियाँ करेंगी वो भी स्वतः ।।
अहोभाव ❤🙏 धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि अपने आप को परमात्मा के चरणों में समर्पित कर दो, और निश्चिंत हो जाओ। किस तरह के समर्पण की बात शास्त्रों में कही गई है, इस पर वीडियो के माध्यम से अपनी बात रखियेगा 🙏
देखिए ध्यान में कोई भी इंद्रिय ना रहे तो वो होगा सच्चा ध्यान। ध्यान जब हम करते है तो हम सब छोड़ देते है। और परमात्मा केवल साक्षी ही है। उसपे तुम किसी भी इंद्रिय से उसके पास नहीं जाते। उसका बस अलग ही है। Ye dhyan ka tarika thoda casual hai 🙂 Btw listening to you after long time keep up the good work Urvashi ji all the best Kumbh ghume ke nahi ?
इन्द्रियों प्रयोग की बात की जा रही ,और दूसरी बात ये है की उस अनुभव पे पहुँच के इंद्री ग़ायब हो जाएगी केवल परमात्मा रह जाएगा लेकिन माध्यम बन सकती है इंद्रियाँ । इस अस्तित्व में हर चीज़ उपयोग के लिए है पकड़ने के लिए नहीं ।
Aho aho bhav🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹
Kya baat hai gjb
👍💮
❤❤❤
😊😊🌻🌻🌹🌹🙏🙏
❤
🙏🙏🙏I have always seen that you keep giving various ways of experiment or prayog and it is worth trying and it takes one more and more towards awareness and consciousness
Appsulatelye !!!!!!! Right !!!!!! Sarvsresdtha ,senstics !!!!! Indriya (Aankh hi hai !!!!! ) ,iska !!!!Empaict !!! !!!!! Bahut Aadhik !!!!! Life !!! Me padta hai That's it !!!!!!!.....Thank to you !!!! (Ma !!!!!!!!!!!!!!...... t.c !!!!!!!!! ..)..
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आप youtube thumbnail ka प्रयोग kijiye और वीडियो एडिटिंग ऐप का भी प्रयोग कीजिए। वीडियो में स्क्रीन का 16:9 ratio का इस्तेमाल कीजिए।
बहन आपकी वाणी हृदय से निकलती है, निश्छल मन
आपकी बाते अमूल्य है।
ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचनी चाहिए।
कथन उचित है उर्वशी परंतु यह बात समझो पूर्व की बाकि इंद्रियों का प्रयोग तभी हो सकता है जब तुमने खुद को एक दृष्टा का रूप में स्थापित कर लिया हो या कहा जाये की तुम जानते हो की हम केवल एक दृष्टा हैं ।। कर्ण से अनहद नाद , गंध से परमात्मा की सुगंध और स्पर्श से परमात्मा का स्पर्श जो की कोमल हो यह तभी संभव है जब तुम्हारी दृष्टि या यूँ कहो विचार अपने आज्ञा चक्र के माध्यम से उस सत्य में स्थित हो ।। जब तक तुम्हारी दृष्टि नही स्थिर होगी तुम्हारे लिए अन्य इंद्रियों के माध्यम से जाना दुर्गम है ।।
गीता में कृष्ण ने अर्जुन को दिव्य चक्षु प्रदान इसी उदेश्य से किया की पहले मन को स्थिर करके परमात्मा की ओर देखो फिर परमात्मा के अस्तित्व का आभास बाकि इंद्रियाँ करेंगी वो भी स्वतः ।।
Good night Urvashi 😴🌉
अहोभाव ❤🙏
धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि अपने आप को परमात्मा के चरणों में समर्पित कर दो, और निश्चिंत हो जाओ।
किस तरह के समर्पण की बात शास्त्रों में कही गई है, इस पर वीडियो के माध्यम से अपनी बात रखियेगा 🙏
kabhi punarjanam pe bhee boliye
देखिए ध्यान में कोई भी इंद्रिय ना रहे तो वो होगा सच्चा ध्यान। ध्यान जब हम करते है तो हम सब छोड़ देते है।
और परमात्मा केवल साक्षी ही है। उसपे तुम किसी भी इंद्रिय से उसके पास नहीं जाते।
उसका बस अलग ही है।
Ye dhyan ka tarika thoda casual hai 🙂
Btw listening to you after long time keep up the good work Urvashi ji all the best
Kumbh ghume ke nahi ?
इन्द्रियों प्रयोग की बात की जा रही ,और दूसरी बात ये है की उस अनुभव पे पहुँच के इंद्री ग़ायब हो जाएगी केवल परमात्मा रह जाएगा लेकिन माध्यम बन सकती है इंद्रियाँ ।
इस अस्तित्व में हर चीज़ उपयोग के लिए है पकड़ने के लिए नहीं ।
क्या ध्यान करने का कोई नुक्सान भी हो सकता है क्योंकि युट्युब पर बहुत से लोग इसे खतरनाक भी बताते हैं।
मरदाना फेस वाली मैडम के भीतर ओशो की रूह बोल रही है 🤣