कामायनी 'श्रद्धा-सर्ग‌‌‌ / Kamayni/Jaishankar Parshad

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  • เผยแพร่เมื่อ 13 ก.ย. 2024
  • कामायनी हिंदी भाषा का एक महाकाव्य है। इसके रचयिता जयशंकर प्रसाद हैं। यह आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है। 'प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1935 ई. में प्रकाशित हुई, परंतु इसका प्रणयन प्राय: 7-8 वर्ष पूर्व ही प्रारंभ हो गया था। 'चिंता' से प्रारंभ कर 'आनंद' तक 15 सर्गों के इस महाकाव्य में मानव मन की विविध अंतर्वृत्तियों का क्रमिक उन्मीलन इस कौशल से किया गया है कि मानव सृष्टि के आदि से अब तक के जीवन के मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक विकास का इतिहास भी स्पष्ट हो जाता है।
    काव्य रूप की दृष्टि से कामायनी चिंतनप्रधान है, जिसमें कवि ने मानव को एक महान्‌ संदेश दिया है। 'तप नहीं, केवल जीवनसत्य' के रूप में कवि ने मानव जीवन में प्रेम की महत्ता घोषित की है। यह जगत्‌ कल्याणभूमि है, यही श्रद्धा की मूल स्थापना है।
    • जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ
    #hindi#sahitya

ความคิดเห็น • 2

  • @DEARAnkit015
    @DEARAnkit015 หลายเดือนก่อน

    पाश्चात्य काव्यशास्त्र में मैम अरस्तु के विरेचन एंव अनुकरण सिध्दांत समझाए वीडियों के माध्यम से