जब क़ाबिलियत और सिफारिश में प्रतिस्पर्धा होती है तो जीत हमेशा सिफारिश की हीहोती है यही कटु सच्चाई है
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- เผยแพร่เมื่อ 2 ก.ค. 2024
- #कृश्नचन्दर की कहानी-मीना बाज़ार
Krishan Chander ki kahani
साहित्यिक कहानी
Hindi Story
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#स्वर-सीमासिंह
कृष्ण चन्दर अथवा कृश्न चन्दर (23 नवम्बर 1914 - 8 मार्च 1977) हिन्दी और उर्दू के कहानीकार थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1961 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होने मुख्यतः उर्दू में लिखा किन्तु भारत की स्वतंत्रता के बाद मुख्यतः हिन्दी में लिखा।
प्रेमचंद्र व रविंद्र नाथ टैगोर के बाद कृष्ण चंदर तीसरे भारतीय लेखक हैं जिनकी कहानियों का विदेशी भाषा में जमकर अनुवाद हुआ।
लेखक कृष्ण चंदर को उर्दू साहित्य के महान लघु कथाकारों में से एक माना जाता है। वे दलितों और दलितों के उत्थान में दृढ़ विश्वास रखते थे।
कृष्ण चंदर की सभी कहानियों को शोषक और शोषित वर्ग को ध्यान में रखकर लिखी गई है ।
आपकी सुमधुर आवाज मन मोह लेती है
सिफारिश हर जगह चलती है, अच्छी कहानी👌👌 आपका वाचन श्रेष्ठ 👏👏
सही बात है जहां काबिलियत फेल हो जाए वहां सिफारिश का पास होना लाजिमी है।
भाई भतीजा वाद सब जगह चलता है।
वास्तवि ककहानी।😢😂❤
😊😊बिल्कुल सही कहा आपने.
निस्संदेह योग्यता पर सिफ़ारिश भारी पड़ जाती है । वास्तविकता का बयान करती कहानी । आदरणीय सीमा जी की प्रस्तुति अत्यंत सुंदर ।❤
🙏❤️