INS Khukri War Ship Museum DIU || INS खुखरी युद्धपोत का इतिहास || INS Khukri Full History in Hindi||
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- เผยแพร่เมื่อ 16 ต.ค. 2024
- INS Khukri War Ship Museum DIU || INS खुखरी युद्धपोत का इतिहास || INS Khukri Full History in Hindi||
भारतीय नौसेना का जहाज खुकरी भारतीय नौसेना का एक युद्धपोत था। 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान, वह 9/12/1971 को पाकिस्तान की पनडुब्बी द्वारा दागे गए तीन टॉरपीडो का शिकार हो गई और दीव के तट से 40 समुद्री मील दूर डूब गई और 18 अधिकारियों और 176 नाविकों के एक दल को अपने साथ लेके डूब गई। भारतीय नौसेना के महावीर चक्र (मरणोपरांत), कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला, जो उस समय जहाज के कमांडिंग ऑफिसर ने युद्धपोत के साथ नीचे जाने का फैसला किया। कैप का वीरतापूर्ण कार्य। मुल्ला और उनका बहादुर दल भारतीय नौसेना की डकैती परंपराओं का महिमामंडन करते हुए अडिग भावना और अदम्य साहस का चमकदार उदाहरण है। आईएनएस खुखरी मेमोरियल का उद्घाटन 15 दिसंबर, 1999 को हुआ था और यह चक्रतीर्थ समुद्र तट पर पहाड़ी पर स्थित है। यह आईएनएस खुखरी नेवल शिप की प्रतिकृति है।
जिम्मेदारी जीवन से बड़ी होती है और उससे बड़ा देश, यही भावना उस वक्त भारत के महान सपूत, भारतीय नौसेना के अधिकारी और आईएनएस खुकरी के कप्तान महेंद्र नाथ मुल्ला की रही होगी जब उन्होंने जान बचाने का मौका छोड़कर डूबते हुए अपने जहाज के साथ समंदर में जल समाधि ले ली थी। उनका वह फैसला आज भी शोध का विषय बना हुआ है और यह मान लिया जाता है कि कप्तान ने नौसेना परंपरा को निभाते हुए ऐसा कदम उठाया। 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी थी। जंग में भारत पाकिस्तान पर भारी था। भारतीय नौसेना के दो जंगी जहाज आईएनएस खुकरी और आईएनएस कृपाण को पाकिस्तानी पनडुब्बी हैंगर को नेस्तनाबूत करने की जिम्मेदारी दी गई थी। दोनों जंगी जहाजों के कमांडिंग कप्तान महेंद्र नाथ मुल्ला थे। अरब सागर में दीव के करीब भारतीय युद्धपोत हैंगर को निशाना बनाने के लिए बढ़ रहे थे। खुकरी और कृपाण दोनों ही ब्रिटिश कालीन जहाज थे जिनके मुकाबले पाकिस्तान की फ्रेंच पनडुब्बी हैंगर आधुनिक थी।
9 दिसंबर 1971 को हैंगर ने कृपाण पर टारपीडो फायर किया लेकिन वह निशाने न लगकर कृपाण के हल पर लगा जिससे वह डूबा तो नहीं लेकिन समंदर में वहीं ठहर गया। हैंगर ने खुकरी को निशाना बनाया और भारतीय युद्धपोत के ईंधन टैंक पर दो टारपीडो से धमाका कर दिया। देखते ही देखते मौत का मंजर नजर आने लगा। तेल फैलने पर समंदर में भी आग लगी थी, जहाज में तेजी पानी भर रहा था। कप्तान मुल्ला को पता था कि जहाज डूब जाएगा, उन्होंने जहाज को खाली करने का आदेश दिया और अपनी लाइफ जैकेट भी एक जूनियर को थमा दी। उस त्रासदी में बचने वाले लोगों में से एक रिटायर्ड कमांडर एसएन सिंह ने टीओआई को उस भयानक मंजर की दास्तान सुनाई। सिंह ने बताया कि रात के 8:45 बज रहे थे, आकाशवाणी समाचार के प्रसारण के ठीक बाद पीएनएस हैंगर के दो टारपीडो ने जहाज पर हमला किया। मुल्ला को अहसास हुआ कि जहाज को नहीं बचाया जा सकता है तो उन्होंने उसे खाली
करने का आदेश दिया।
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Raju Gamit
From:- Amalgundi ta:- Songadh Dist :- Tapi Gujarat (India ) #rajugamit
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