Brahmasutra chatusutri by Swami Ramakrishnananda-Session 28
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- เผยแพร่เมื่อ 3 ธ.ค. 2024
- Topics covered:
0:31:00 Thought 10 - How the realised master lives in the body
0:53:16 Thought 11 - Purpose of Vedic Injunctions
The texts of Vedanta that reveal the hardcore truth of Reality are Upanishad, followed by Bhagawad Gita and then Brahmasutra. Yes, Brahmasutra is one of the important texts of Vedanta. To ease our highest spiritual study, Swami Ramakrishnananda (Acharya, Nagapattinam) comes to the rescue of all those seekers having keen interest in this supreme Knowledge. Using interesting and fun teaching tools, he comforts the campers by ensuring that Adhyasa Bhashya, an introduction to Brahmasutra, is not difficult. Infact, he assures that subjective study only intensifies the known concepts.
Of the 555 sutras in Adhyasa bhashya, four vital sutras, called chatu-sutri are enumerated in these talks. Swamiji proclaims that anyone who is a born Hindu must go through the Adhyasa Bhashya. Also, the lucid presentation is helpful for executives and top-level managers to analyse any situation holistically, accepting that variety is the inherent law of nature.
These talks were recorded in the serene campus of Chinmaya Naada Bindu Gurukula, Chinmaya Vishwavidyapeeth, Kolwan (Pune, Maharashtra) in the month of July 2017.
This has been made possible by the generous support of interested seekers. If you would also like to assist this cause,
visit to www.chinfo.org...
Thank you Swamiji and The Kind Chinmaya Foundation. 🪔🙏🏼🪔🙏🏼🪔
Dhanyawad Swamiji.
जय योगेश्वर सर ; ब्रह्म सुत्र चतुसुत्री -- उत्पाद्य ; विकार्य प्राप्य और स्वीकार्य -- ये प्रत्येक जीव के मन- बुद्धि- चित्त और अहंकार के आधारित गुण है ; जो स्थुल - सुक्ष्म-कारण- महति और बृहति --- ऊर्जा शक्ति से मुल स्वभाव है |
ये चतुसुत्र -- ज्ञान और पवित्रता के बिना नि:रस और निषप्राण नहीं लगते ; स्वामीजी? क्योंकि ये रसो वै स्वरुपिणी बनी हुई प्राण-प्रकृति की केवल ब्रहममाया जो सत्य ज्ञान और पवित्रता के ब् ह्मरस से सत- चित- आनंस्वरमय बनी है और वह भी ध्वनि और प्रकाशमय वाणी के अक्षराऊर्जाके प्रारुप मे |
और यही चतुसुत्र -- माने ब्रह्म सुत्र -- कणाभसुत्र और कोषसुत्र का निर्माण करने मे सक्षम बनती और बनाती है क्योंकि ब्रह्माड का कोई भी अणु जो जैसाहै वैसे ही अणु-परमाणु- और ईलेक्ट्रोन-प्रोटोन-न्युट्रोन से जुडकर वैसा ही अणु-परमाणु- बनाते वस्तु-व्यक्ति-पदार्थ और अस्तित्व- वातावरण और सत्ता का निर्माण - स्थिति और विनिपात की ऊर्जा-- शक्ति--सत्ता- पावर- सुत्र का सर्जन करती है क्योंकि फ्रिक्शन (विखंडन) और फ्रीजन( संलयन) -- ये तो सुर्य -चंद्र-नक्षत्र की शीतोष्ण और ऊष्णोष्ण ऊर्जा का रूपान्तरण है | और ऊर्जा केवल रुपातरित होती है ; कभी भी नष्ट नही होती | जीव का कणाभसुत्र भी जो डीएनए और आर एन ए के गुणाधिन -- वही स्थुल-सुक्ष्म-कारण-महत-बृहत स्वरुप मे रसरुप बनना हो तबभी ईसी मन( ईच्छा शक्ति) ; बुद्धिः ( ज्ञानशक्तिं) ; चित्त ( चैतन्यशक्ति) और अहंकार ( अहमियत -- सापेक्षता से खास बनी हुई ऊर्जा )--- ये ब्रह्म के चतुसुत्र -- उत्पाद्य (( आण्विक प्रक्रिया के बलाघात और अनुमान ( पृष्ठतान ) से पैदा होना फ्रीजन-फ्रिक्शनमे) -- विकार्य --( जो जैसा रुप-गुण- आधार- रंग- स्थान- आकार- कद--बल धारण करता है वैसा बनना) ; प्राप्य -( जो हरदम; कभी कभी और संजोगवशात ऋणानुबंध के कारण ऊर्जा से जुडा रहने वाला परमाणु) और संस्कार्य माने जो सम्यक आकार से साफ सुथरी अवस्था मे सुसंस्कृत और संमार्जित होकर षडविध ऐश्वर्यसंपन्न बना है- बना था और बनता रहता है | -- ये ब्रह्म माने वरं न: --- मै सर्वश्रेष्ठ ब्रस्म का अंश हु - ये ज्ञान ब्रह्म से पाने की चेष्टा यही चतुसुत्र -- मन-बुद्धि-चित्त- अहंकार तो देते है यदि हमने अपनी रसरूप्रज्ञा को ऊत्पाद्य-- विकार्य-प्राप्य-संस्कार्य -- ये ब्रह्म की चतुसुत्री से सदैव जोडे रखा है और एक्टिव किए रखा है तो जीव का साफल्य जीवन है | और इसिलिए --- अथातो ब्रहम जिज्ञासा ( जिजिविषयात ज्ञायते सा) तस्माद्यस्य यत : || यू ब्रह्म सुत्र महान है; और ऊसका ज्ञाता ; ध्याता महान है | ॐ|
Jai sairam
Hari om,
Thank Q Sri Swami jee and Chinmaya mission arranged this type classes to educate vedam to ignorant people.This can solve some miss understanding in this world. and way to some detachment to get goal and realise I am ATMA. .
Pranams at lotus feet of swami jee.
Hari Om , Thank you Swamiji , listening to these sessions of yours was very much needed . It removed many
a doubts from my mind .
I thank you personally and great thanks to Chinmaya Mission
Hari Om . Pranam
🙏🌹🌹🙏
VHP also setup by Swamiji in 1964,