ये बात सही है जैन धर्म सिर्फ वैश लोग तक ही सीमित राहा, जबकी बुद्ध का धर्म हर जाति वर्ग तक pahucha, बुद्ध ने मध्यम मार्ग को स्वीकारा मध्य मे ही कल्याण है.
आपने बहुत ही अच्छे तरह से समझाया है भगवान बुद्ध जी प्रतित्य समुत्पन्न सिध्दांत के अन्तर्गत पुनर्जन्म को समझाया है और वह कहते हैं चित्त ही जगत का अविनाशी अंश है इसे चैतसिक धम्म को समझकर समझा जा सकता है! बुद्ध और उनका धम्म में इसका उल्लेख है!
जैन धर्म ईश्वर के प्रति उदासीन नही है। ईश्वर स्वरूप की स्पष्ट व्याख्या मिलेगी। और जैन धर्म की पूरी साधना स्वयं ईश्वर बनने (मोक्ष प्राप्ति)के लिए ही है.
Thanks dhanayvad sir for giving knowledge of Jain and Buddhist religion. I am Hindu MARATHA converted into sikh but secular M govt PENSIONER and FARMER by Occupation. My 2children are well educated. Thanks dhanayvad sir for giving knowledge of...
Very clearly explained . I would like to add that Aristotle followed The Buddha 's Maddham Marg and called it the golden mean . For example : rashness- bravery - cowardice. Bravery is the Golden Mean. Rashness and Cowardice are extremes .
कमोबेश जैन धर्म और बौद्ध धम्म पर कुछ विशेष प्रश्न इसलिए नहीं बनता है कि यह उस समय की बात है जब 90 प्रतिशत लोग अधनंगे रहते थे, भोजन का पता नहीं था, दक्षिण पन्थियों से त्रस्त थे, फिर इतने ऊंचे विचारों तक सोच कैसे सकते थे कि जिस पर आज भी लोग चल नहीं पा रहे हैं, या चलने से कतराते हैं या चल पाने में असमर्थ हैं, अंततः चल नहीं पाएंगे, विषय अत्यंत विस्तृत है।नमो बुद्धाय।
सर बहुत अच्छा बताया आपने। जीव अजीव दीपक तेल वाती आग ज्योति कैवल्य केवली भाव,शून्य समाधि त्रिरत्न चार सत्य पंचशील और अष्ट सम्यक चौबीस तीर्थंकर और चालिस बौद्ध के बारे में भी बताते तो संक्षिप्त तुलनात्मक समीक्षा हो जाती। धन्यवाद
असामानताये जैन धर्म के माध्यमसे गलत है... जैन धर्म आत्मा और शरीर को अलग अलग मानता है इस लिये आत्मा के साधना मे शरीर के सुखो का त्याग होता है.. खुद भगवान गौतम स्वामी ने अंतरात्मा का ही द्यान करके ज्ञान को प्राप्त किया था.. तो उन्होने कब कहा की उनके कोई ईश्वर या भगवान है.. और ऐसा क्यू कहेंगे की आत्मा नही है.. फिर संसार का मोह त्याग कर किस राह पर चल दिये..???????? और जैन धर्म के संघ वेवस्था के बारमे आपको 'किताब मे झाकणे के अलवा किसी मुनी संघ को जाण ने की जरुरत है... क्यू की जितने भी जैन आचार्य, उपध्यय, साधू, और साध्वी सब मुनी संघ के ही तो अंग है.. और जैन धर्म का परम मंत्र जो नमोकार मंत्र है.. उसमे आचार्य, उपध्यय, और समस्त साधुओनको नमस्कार किया है...
Sir jain dharma ke sansthapak bhagwan Aadinath h bhagwan mahaveer antim teerthankar h jo buddhji k samkaleen h aapko jain dharma k baare mein apni jankari badani chahiye
बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भगवान बुद्ध से हुई,जबकि जैन धर्म अनादि काल से माना जाता है,भगवान महावीर 24वें तीर्थंकर थे,उनसे पहिले 23तीर्थंकर हुए है,अहिंसा में जैन धर्म का कोई मुकाबला नहीं है,
आपके जाणकारी के लिये बुध्द धम्म है. ना की धर्म ओर एक बात अपने की है की बौद्ध धम्म पुनर्जन्म को स्वीकार करते है... ये गलत है इसके लिये बुद्ध ओर उनका धम्म ये बुक पड लेना.... बौद्ध ने कभी भी देव, आत्मा, पुनर्जन्म, जातभेत पर विश्वास नहीं रका.... जय भीम 🇪🇺💙
कर्मकांड में तो ये दोनों धर्म भी फंसे। धर्म द्वारा अर्जित उपलब्धियों की तार्किक व्याख्या और उसके नवोन्मेष के लिए किए गए प्रावधानों की चर्चा भी की जाने की ज़रूरत है अन्यथा सभी धर्म, वे कोई भी हों, संकीर्णता और कट्टरता में सीमित होने के लिए अभिषप्त होंगे। मैं ये बातें सिर्फ़ जैन या बौद्ध धर्म के संबंध में नहीं कह रहा, यह विचार सभी धर्मों के संदर्भ में है।
जिस प्रकार से एक आम के पेड़ से आम प्राप्त होता उसके बाद उस आम की गुठली को मिट्टी में दबा दिया जाता है और एक नया पेड़ उग आता है उसी को उस पेड़ का पुनर जन्म कहा गया है
भारत में धर्म की परिभाषा west के दीन मज़हब religon से भिन्न है। अगर west के अनुसार हम देखेंगे तो सिख,जैन,बौद्ध,सनातन धर्म एक ही है।केवल सम्प्रदाय- पंथ अलग है।जोकि west के religon/मजहब के समकक्ष है। अगर इस अर्थ में आप बोलेंगे तो भारतीय सम्प्रदाय अलग अलग है। अगर धर्म की भारतीय परिभाषा के अनुसार देखेंगे तो सभी भारतीय विचारधारा दर्शन(philosphy) एक ही धर्म है। क्योंकि भारतीय अध्यात्म दर्शन में चार्वाक सिद्धान्त जोकि पूर्णतया ethist या नास्तिक है वह भी अलग नहीं मानी गई, और ना ही द्वेष की दृष्टि से देखी गई।
कोईभी दो धर्मों में संपुर्ण समानता कभी नहीं हो सक्ति, ओर ना ही कोई धर्म कीसी दुसरे धर्म के विरुद्ध होता है, सत्य केवल एक होता है लेकीन जब आम जनता को समझाने की कोशिश की जाती है वो समय गुजरते बेअसर हो जाये या विक्रुत हो जाय या फीर परीस्थितीया बदल जाए तब पहेले की गै बातें या व्यवस्था में बदलाव जरुरी लगता है तब नये सीरे से कोशिश करनी पड़ती है, तब कुछ लोग पुराने को पकड़े रहेंगे और जो नये होंगे उन्हें नया सही लगेगा, इसी तरह अलग अलग धर्म और संप्रदाय की भेंट हमें मीली है, ईसलीऐ दो धर्मों या संप्रदायों को एक दुसरे के साथ कंपेर करने से सामान्य व्यक्ति कन्फ्युज हो जाते हैं, लेकीन बारीकी से तटस्थ होकर देखा जाए तो उनके मुल तत्व में कोई विरोध नहीं होता, लेकीन प्रोब्लेम इस लीऐ खड़े होते हैं की जब सत्य को नयी रीत से कहा या समझाया जाता है तो पुराने को समाप्त नहीं कीया जा सक्ता,। तब बाद में नये ओर पुराने दोनों में विवाद शुरु होता है, अभी समझो फेस बुक या वोटसेप का नया वर्जन आता है तो, कंपल्सरी पुराने को डीलीट करने के बाद ही नया वर्जन अपडेट होता है, वैसा धर्म में हो सक्ता होता तो कोई विवाद की बात ही ना होती लेकीन वो संभव नहीं है ना, तो कीसी भी व्यक्ति को जींस धर्म में लगाव है उसी को पकड़ कर पहेले तो परम सत्य को पाना पड़े, अगर सत्य का खोजी है उसकी बात करता हु, इस के बाद वो खुद समझ जायेगा की कीसी भी धर्म में आपस में कोई अन्दरोनी विरोध नहीं है, हां बाहर से तो बिल्कुल ही एक दुसरे के विरुद्ध दीखेगे, ओर इन दीखलाई पड़ने वाली विरुद्धता को तर्कों से समझाया भी नहीं जा सक्ता ऐ भी उतना ही सत्य है, मतलब तर्कातित बातें हैं, बस खुद को मीटा देना या संपुर्ण मौन की स्थिती को प्राप्त होने के बाद समजमे आनेवाली बातें हैं ,बुद्ध ओर महावीर ने मौन की स्थिती को प्राप्त करने पर ज्यादा जोर दीया है, आज के समय में बुद्ध सबसे ज्यादा उपयुक्त है, बिल्कुल वर्तमान जनरेशन की अपडेट है, लेकीन कीसी भी दुसरे की v/s में हम बुद्ध को खरा साबित करने के चक्कर में पड़े तो चुक जायेंगे, एक मोबाईल में कोईभी एक ही सोफ्टवेयर के दो वर्जन एक साथ वर्क नहीं करते, वैसे ही धर्म एक सोफ्टवेयर है, पुराना हो या नया एक ही सोफ्टवेयर डाउनलोड कीया रहेगा तो वर्क करेगा, नहीं तो दो वर्जन एकसाथ एक ही हार्डवेयर में चलाने की कोशिश करेंगे तो हेग होना नीस्चित है, ओर हेग हुवा पीस दुसरी सीसटमो को भी ब्लोक कर देता है ना, ऐ सिर्फ मैंने मेरा विचार प्रगट कीया है, जरूरी नहीं है की मेरी बात को आप सही माने, बस आपको मेरी कीसी बात से कोई दुख पहुंचा हो तो अवश्य क्षमा चाहुंगा,
देखिए साहब जो ईश्वर को मानते हैं और ईश्वर में विश्वास रखते हैं उनके लिए इंसान कितने ही धर्मों में बंटाहुआ हो, उनके व्याख्यान करने का अंदाज अलग अलग हो सकता है अगर हम उनके सारांश की ओर ध्यान देंगे तो एक ही सार निकलेगा जिसका नाम है ईश्वर, गीता ग्रंथ रामायण और बाइबल एक गॉड का ही जिक्र है
मै बौद्ध हू, अपने दि हुई जाणकारी के प्रति आपका आभारी हू l नमोबुध्दाय ☸️🙏
ये बात सही है जैन धर्म सिर्फ वैश लोग तक ही सीमित राहा, जबकी बुद्ध का धर्म हर जाति वर्ग तक pahucha, बुद्ध ने मध्यम मार्ग को स्वीकारा मध्य मे ही कल्याण है.
बुद्ध धर्म नही है
बुद्ध धम्म है
बुद्ध एक विचार धारा है
आपने बहुत ही अच्छे तरह से समझाया है भगवान बुद्ध जी प्रतित्य समुत्पन्न सिध्दांत के अन्तर्गत पुनर्जन्म को समझाया है और वह कहते हैं चित्त ही जगत का अविनाशी अंश है इसे चैतसिक धम्म को समझकर समझा जा सकता है! बुद्ध और उनका धम्म में इसका उल्लेख है!
जैन धर्म ईश्वर के प्रति उदासीन नही है। ईश्वर स्वरूप की स्पष्ट व्याख्या मिलेगी। और जैन धर्म की पूरी साधना स्वयं ईश्वर बनने (मोक्ष प्राप्ति)के लिए ही है.
Sir जब बौद्ध धर्म आत्मा को नहीं मानता तो पुनर्जन्म को कैसे मान सकता है
Buddhism the way of life ❤️
Buddhism is the peace of world 🙏
Thanks dhanayvad sir for giving knowledge of Jain and Buddhist religion. I am Hindu MARATHA converted into sikh but secular
M govt PENSIONER and FARMER by Occupation. My 2children are well educated. Thanks dhanayvad sir for giving knowledge of...
Very clearly explained . I would like to add that Aristotle followed The Buddha 's Maddham Marg and called it the golden mean . For example : rashness- bravery - cowardice. Bravery is the Golden Mean. Rashness and Cowardice are extremes .
शांती ,आहिंसा सिखाने वाले दोनो धम्म अच्छे है.
बाैद्द धर्म मे अनुभब अाैर सच्चाइ काे महत्व दिया जाता है।
I proud of budhist 💙💫🙏
मै आपकी बात पर सहमत हू नमो बुद्धाय जय भीम
Very academic distinction between bodh and Jain dharm
दोनों सत्य अनादि अनंत अतिप्राचीन स्रमण ( समण) संस्कृति के वारिस है । नमो जिनसासनाय ।।
Verygood information jaishrikrishna
कमोबेश जैन धर्म और बौद्ध धम्म पर कुछ विशेष प्रश्न इसलिए नहीं बनता है कि यह उस समय की बात है जब 90 प्रतिशत लोग अधनंगे रहते थे, भोजन का पता नहीं था, दक्षिण पन्थियों से त्रस्त थे, फिर इतने ऊंचे विचारों तक सोच कैसे सकते थे कि जिस पर आज भी लोग चल नहीं पा रहे हैं, या चलने से कतराते हैं या चल पाने में असमर्थ हैं, अंततः चल नहीं पाएंगे, विषय अत्यंत विस्तृत है।नमो बुद्धाय।
Jai jinendra.
Nice analysis.
जय श्रीराम, काफी अच्छी जानकारी दी है आपने सर🙏
सर बहुत अच्छा बताया आपने। जीव अजीव दीपक तेल वाती आग ज्योति कैवल्य केवली भाव,शून्य समाधि त्रिरत्न चार सत्य पंचशील और अष्ट सम्यक चौबीस तीर्थंकर और चालिस बौद्ध के बारे में भी बताते तो संक्षिप्त तुलनात्मक समीक्षा हो जाती। धन्यवाद
बौद्ध धर्म के लोग मासाहारी होते हैँ और जैन धर्म के लोग शाकाहारी होते हैँ !
Non veg khana glt h kya apni2 jagah sab sahi h
Namo buddhay great information, dono dharm shanti ka marg he
बौद्ध धर्म से इंसान को जीवन मे सब कूछ मिलता है जो वो चाहता है बस ऊस इंसान का दिलं साफ होना चाहिए
Good information..... Sir bhot accha laga aapki video dekh kar, keep it up ❤️🙏😘
Thanks 🙏🙏 sir for your help and guidance 🙏🙏 bahut hi shaandar session wow
Sir aapki voice bahut achhi or clear hai . Thank you so much sir 🙏🙏👏👏👏👏🤟👍👍🤟👍👍💪💪🤗💯💯💯💯💯💯💯💯💯
असामानताये जैन धर्म के माध्यमसे गलत है... जैन धर्म आत्मा और शरीर को अलग अलग मानता है इस लिये आत्मा के साधना मे शरीर के सुखो का त्याग होता है..
खुद भगवान गौतम स्वामी ने अंतरात्मा का ही द्यान करके ज्ञान को प्राप्त किया था.. तो उन्होने कब कहा की उनके कोई ईश्वर या भगवान है..
और ऐसा क्यू कहेंगे की आत्मा नही है.. फिर संसार का मोह त्याग कर किस राह पर चल दिये..????????
और जैन धर्म के संघ वेवस्था के बारमे आपको 'किताब मे झाकणे के अलवा किसी मुनी संघ को जाण ने की जरुरत है... क्यू की जितने भी जैन आचार्य, उपध्यय, साधू, और साध्वी सब मुनी संघ के ही तो अंग है.. और जैन धर्म का परम मंत्र जो नमोकार मंत्र है..
उसमे आचार्य, उपध्यय, और समस्त साधुओनको नमस्कार किया है...
It's too informative
जैन धर्म को मानने वाले शाकाहारी होते हैं
Sir jain dharma ke sansthapak bhagwan Aadinath h bhagwan mahaveer antim teerthankar h jo buddhji k samkaleen h aapko jain dharma k baare mein apni jankari badani chahiye
Sir apki voice bhut clear or bhut achhi h.
Thank you so much sir 🙏🙏
Wonderful !!! bahut sundar !!!
Namo buddha jai mahaveer Jain 🙏🏻 thanks sir very beautiful information.
जय जैन ✨🇮🇳
जय भारतवर्ष
इस देश का नाम किसके नाम से है पहले देख लो
जय जिनेन्द्र, महावीर भगवान की जय 🙏
सबपापस, अकारणंग,कुलस, उपसंपदा, सचितपरीयोदनंग, एजंट, बुद्धानु, शाशनंग💐नमोबुद्धाय, जयभीम
Namo buddhy sabhi sathiyo ko
Agar atma ko nahi mante to dyan ka goal kay hai…..kyunki dyan ke jariye atma ko parmatma se milana hota hai….ye ek bada sawaal hai….❓
I like boddh dharm
💙नमो बुद्धाय
स्वर सम्राट अशोक बौद्ध धर्म को अपनाने से पहले किस धर्म को मानते थे इस पर एक अपना अस्त-व्यस्त वीडियो बनाएं धन्यवाद
Video banane ke liye bahut bahut dhanyavad Namo buddhay ji
बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भगवान बुद्ध से हुई,जबकि जैन धर्म अनादि काल से माना जाता है,भगवान महावीर 24वें तीर्थंकर थे,उनसे पहिले 23तीर्थंकर हुए है,अहिंसा में जैन धर्म का कोई मुकाबला नहीं है,
Bodh dharm is the best of wold 🙏🙏
The great of buddha ☸️☸️☸️☸️☸️☸️💪👌👌👌👌👍
जय बुद्ध जय ऋषभदेव बहुत बहुत धन्यवाद सर ।
Nice information ye jaroorat insan ki sabhi dharmo ki jankari hona
आपकी जैन धर्म के बारे में जानकारी अधूरी है
Aisi jaankari dene ke liye thank you
बोहत अच्छी जानकारी धन्यवाद 🙏🚩
Good information ❣️♥️🙏🙏💯💯
as a buddhist we always love Hinduism and Jainism. ❤️🙏🚩😊
Excellent
आपके जाणकारी के लिये बुध्द धम्म है. ना की धर्म ओर एक बात अपने की है की बौद्ध धम्म पुनर्जन्म को स्वीकार करते है... ये गलत है इसके लिये बुद्ध ओर उनका धम्म ये बुक पड लेना.... बौद्ध ने कभी भी देव, आत्मा, पुनर्जन्म, जातभेत पर विश्वास नहीं रका.... जय भीम 🇪🇺💙
I m Budhhist or Budhhism mai atma ,punrjanm,bhagvaan kisi ko nahi manta
Kash aj v india me Sare bodh Or jain hote to itni dharmik ladaiya nhi hoti or charo or shanti hi shanti hoti
Bohot Khub Jankari di
Aapne sahi shiksha diye
मैं बुद्धिस्ट हूं, लेकिन जैन धर्म को काफी सपोर्ट करता हूं
कर्मकांड में तो ये दोनों धर्म भी फंसे। धर्म द्वारा अर्जित उपलब्धियों की तार्किक व्याख्या और उसके नवोन्मेष के लिए किए गए प्रावधानों की चर्चा भी की जाने की ज़रूरत है अन्यथा सभी धर्म, वे कोई भी हों, संकीर्णता और कट्टरता में सीमित होने के लिए अभिषप्त होंगे। मैं ये बातें सिर्फ़ जैन या बौद्ध धर्म के संबंध में नहीं कह रहा, यह विचार सभी धर्मों के संदर्भ में है।
जिस प्रकार से एक आम के पेड़ से आम प्राप्त होता उसके बाद उस आम की गुठली को मिट्टी में दबा दिया जाता है और एक नया पेड़ उग आता है उसी को उस पेड़ का पुनर जन्म कहा गया है
भारत में धर्म की परिभाषा west के दीन मज़हब religon से भिन्न है।
अगर west के अनुसार हम देखेंगे तो सिख,जैन,बौद्ध,सनातन धर्म एक ही है।केवल सम्प्रदाय- पंथ अलग है।जोकि west के religon/मजहब के समकक्ष है। अगर इस अर्थ में आप बोलेंगे तो भारतीय सम्प्रदाय अलग अलग है। अगर धर्म की भारतीय परिभाषा के अनुसार देखेंगे तो सभी भारतीय विचारधारा दर्शन(philosphy) एक ही धर्म है। क्योंकि भारतीय अध्यात्म दर्शन में चार्वाक सिद्धान्त जोकि पूर्णतया ethist या नास्तिक है वह भी अलग नहीं मानी गई, और ना ही द्वेष की दृष्टि से देखी गई।
Very good dharam budhist
Bodh dharam amazing👍
Sir बुद्ध के समय में श त्र,शब्द थे ही नहीं तो बुद्ध kshatri कैसे हुए ,पाली मे तो लिख नही सकते है?
*Bhiya rajasthan history ki bi video lek ao na plz* 😊😊😊
Thank you sir.
कोईभी दो धर्मों में संपुर्ण समानता कभी नहीं हो सक्ति, ओर ना ही कोई धर्म कीसी दुसरे धर्म के विरुद्ध होता है, सत्य केवल एक होता है लेकीन जब आम जनता को समझाने की कोशिश की जाती है वो समय गुजरते बेअसर हो जाये या विक्रुत हो जाय या फीर परीस्थितीया बदल जाए तब पहेले की गै बातें या व्यवस्था में बदलाव जरुरी लगता है तब नये सीरे से कोशिश करनी पड़ती है, तब कुछ लोग पुराने को पकड़े रहेंगे और जो नये होंगे उन्हें नया सही लगेगा, इसी तरह अलग अलग धर्म और संप्रदाय की भेंट हमें मीली है, ईसलीऐ दो धर्मों या संप्रदायों को एक दुसरे के साथ कंपेर करने से सामान्य व्यक्ति कन्फ्युज हो जाते हैं, लेकीन बारीकी से तटस्थ होकर देखा जाए तो उनके मुल तत्व में कोई विरोध नहीं होता, लेकीन प्रोब्लेम इस लीऐ खड़े होते हैं की जब सत्य को नयी रीत से कहा या समझाया जाता है तो पुराने को समाप्त नहीं कीया जा सक्ता,। तब बाद में नये ओर पुराने दोनों में विवाद शुरु होता है, अभी समझो फेस बुक या वोटसेप का नया वर्जन आता है तो, कंपल्सरी पुराने को डीलीट करने के बाद ही नया वर्जन अपडेट होता है, वैसा धर्म में हो सक्ता होता तो कोई विवाद की बात ही ना होती लेकीन वो संभव नहीं है ना, तो कीसी भी व्यक्ति को जींस धर्म में लगाव है उसी को पकड़ कर पहेले तो परम सत्य को पाना पड़े, अगर सत्य का खोजी है उसकी बात करता हु, इस के बाद वो खुद समझ जायेगा की कीसी भी धर्म में आपस में कोई अन्दरोनी विरोध नहीं है, हां बाहर से तो बिल्कुल ही एक दुसरे के विरुद्ध दीखेगे, ओर इन दीखलाई पड़ने वाली विरुद्धता को तर्कों से समझाया भी नहीं जा सक्ता ऐ भी उतना ही सत्य है, मतलब तर्कातित बातें हैं, बस खुद को मीटा देना या संपुर्ण मौन की स्थिती को प्राप्त होने के बाद समजमे आनेवाली बातें हैं ,बुद्ध ओर महावीर ने मौन की स्थिती को प्राप्त करने पर ज्यादा जोर दीया है, आज के समय में बुद्ध सबसे ज्यादा उपयुक्त है, बिल्कुल वर्तमान जनरेशन की अपडेट है, लेकीन कीसी भी दुसरे की v/s में हम बुद्ध को खरा साबित करने के चक्कर में पड़े तो चुक जायेंगे, एक मोबाईल में कोईभी एक ही सोफ्टवेयर के दो वर्जन एक साथ वर्क नहीं करते, वैसे ही धर्म एक सोफ्टवेयर है, पुराना हो या नया एक ही सोफ्टवेयर डाउनलोड कीया रहेगा तो वर्क करेगा, नहीं तो दो वर्जन एकसाथ एक ही हार्डवेयर में चलाने की कोशिश करेंगे तो हेग होना नीस्चित है, ओर हेग हुवा पीस दुसरी सीसटमो को भी ब्लोक कर देता है ना, ऐ सिर्फ मैंने मेरा विचार प्रगट कीया है, जरूरी नहीं है की मेरी बात को आप सही माने, बस आपको मेरी कीसी बात से कोई दुख पहुंचा हो तो अवश्य क्षमा चाहुंगा,
देखिए साहब जो ईश्वर को मानते हैं और ईश्वर में विश्वास रखते हैं उनके लिए इंसान कितने ही धर्मों में बंटाहुआ हो, उनके व्याख्यान करने का अंदाज अलग अलग हो सकता है अगर हम उनके सारांश की ओर ध्यान देंगे तो एक ही सार निकलेगा जिसका नाम है ईश्वर, गीता ग्रंथ रामायण और बाइबल एक गॉड का ही जिक्र है
@@ramkrishan2182 Jivet Prani Prani Hi Eshavar Hay,,,, 🙏🌾🌿
Superb.. Superb.. Superb.. My mind is always confused between this two religion.. You had cleared all doubts. Thanks for making this video.
Thank sir 😊 Dandvat Pranam 🙏
🙏Very good
Very nice sir it's too helpful for me ❤️
Jai jinendra ji jai mahavir
नमो बुद्धाय
बौद्ध धर्म वास्तविक है ऑर अती अहिंसा नही मानता वो प्रतिकार भी करता है
Naice information Jay bhim 🙏
Namo buddhay
💙Namo buddhay 💛🙏
💛Jai bhim 💙🙏💙
इन सभी धर्मों की जननी तो हिंदु ही हैं 🔱
हिंदू धर्म की जंननी ब्राह्मण हे
बाकी तो बोद्ध धर्म नही धम्म हे
The light of Asia🌏 namo boudhy
Sir Buddhist granth sampada nasht kar di gayi Brahmins ke isharon par videshiyon dwara. Dukhad!
Namo buddhay
Jai samrat ashok maurya
Mai maurya vansi hu tathagat bhagwaan buddha ka anuyaayi hu
.
Nice
The very well explained 👍🏻
Right 👍
बुध्द धम्म ज्यादा relateble है 🤗
बौद्ध धर्म मे तो मच्छी मटन खाते है तो जैन और बौद्ध अहिंसावादी कैसे हुई सिर्फ जैन अहिंसावादी है
Very nice
Thanks
Dhanyawad
बहुत सुन्दर बिचार रखा है धन्यबाद सर 🙏
Jain dharam is great 👍👍👍
क्षत्रिय ही सनातन धर्म का मूल है
जय नमो बुद्धाय
Namo Buddhai
🙏🏻 Sir ji
दोनो धर्म मानवता का हि पाठ पढाते है.both are good
Namo budhae 🙏🙏
Boddha dharm sirf bharat main hi nahi bharat ke baher bhi faila hain jai bhim namo buddhay
Thanks sir